गृह मंत्रालय ने दिल्ली में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार लोगों के नाम बताने से क्यों इनकार किया

बीते दिनों लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद रॉय ने 'सार्वजनिक हित' का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज यूएपीए मामलों की जानकारी देने से मना कर दिया. हैरानी की बात यह है कि इस बारे में सारी जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है. यह भी गौर करने योग्य है कि दिल्ली में इस कड़े क़ानून के तहत गिरफ़्तार 34 लोगों में अधिकांश धार्मिक अल्पसंख्यक हैं.

(इल्यूस्ट्रेशन: द वायर)

बीते दिनों लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद रॉय ने ‘सार्वजनिक हित’ का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज यूएपीए मामलों की जानकारी देने से मना कर दिया. हैरानी की बात यह है कि इस बारे में सारी जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है. यह भी गौर करने योग्य है कि दिल्ली में इस कड़े क़ानून के तहत गिरफ़्तार 34 लोगों में अधिकांश धार्मिक अल्पसंख्यक हैं.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: पिछले महीने लोकसभा में दिल्ली पुलिस द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामले दर्ज करने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद रॉय ने बताया था कि साल 2020 के दौरान दिल्ली में यूएपीए के तहत नौ मामले दर्ज किए गए थे और उसमें 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

हालांकि, इस दौरान उन्होंने यह कहते हुए मामलों के आगे की जानकारी का खुलासा करने से इनकार कर दिया था कि यह बड़े पैमाने पर सार्वजनिक हित में नहीं और इससे मामलों पर असर पड़ सकता था.

दरअसल, यह सवाल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की लोकसभा सांसद माला रॉय ने पूछा था. उन्होंने पिछले एक साल के दौरान यूएपीए के तहत दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज कुल केसों की संख्या और उन लोगों के नाम की जानकारी मांगी थी.

यूएपीए के तहत आरोपी बनाए गए लोगों के नामों का खुलासा न करना चौंकाने वाला था क्योंकि यूएपीए के तहत गिरफ्तार या चार्जशीट किए गए प्रत्येक व्यक्ति का नाम पहले से ही सार्वजनिक है और यह स्पष्ट नहीं है कि उनका फिर से उल्लेख करने से मामले कैसे प्रभावित होंगे.

इसका एक कारण यह हो सकता है कि राष्ट्रीय राजधानी में आतंक रोधी कानूनों के तहत गिरफ्तार लगभग प्रत्येक आरोपी धार्मिक अल्पसंख्यक है.

द वायर  ने समाचार रिपोर्टों और अदालती रिकॉर्डों का पता लगाया और यूएपीए मामलों में सूचीबद्ध 50 व्यक्तियों के नाम इकट्ठे किए. इनमें से 34 को गिरफ्तार किया जा चुका है और 16 अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है लेकिन गिरफ्तार नहीं किया गया है.

इस सूची में 26 मुस्लिम, 21 सिख, एक अनुसूचित जनजाति से हैं. इसके साथ ही इस सूची में दो हिंदू भी हैं, जो मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने वाले नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध करने के कारण गिरफ्तार किए गए थे.

संसदीय नियम क्या कहते हैं?

मंत्री द्वारा आरोपियों के नाम देने से इनकार करना और यह दावा करना कि उनके खुलासे से मामले प्रभावित हो सकते हैं, पूरा जवाब मांगने के सदस्यों के अधिकार का भी उल्लंघन था.

लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा कि एक सदस्य के विशेषाधिकार और उसके लिए उपलब्ध उपचार के तहत अगर उसे एक मंत्री द्वारा ठीक से उत्तर नहीं दिया जाता है तो लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के तहत अध्यक्ष को मंत्री को पूरा और सही जवाब देने का निर्देश देने का अधिकार है.

आचार्य ने आगे कहा कि इसके साथ ही सही जवाब न पाने की स्थिति में सदस्य आधे घंटे के बहस के लिए नोटिस भी दे सकता है.

वरिष्ठ वकील सारिम नवेद ने द वायर  को बताया कि कानून में ऐसा कुछ भी नहीं है जो आरोपी की पहचान उजागर होने से रोकता हो.

सभी यूएपीए मामलों की जानकारी ऑनलाइन मौजूद

जहां केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सांसद के सवालों का पूरा जवाब नहीं दिया, वहीं द वायर  ने ऑनलाइन उपलब्ध अदालती रिकॉर्ड में उनके द्वारा उल्लिखित सभी नौ एफआईआर के विवरण का पता लगाया.

नौ में से चार एफआईआर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा दर्ज की गई थी और पांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दर्ज की थी.

दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई चार प्राथमिकी में से सबसे प्रमुख और चर्चित प्राथमिकी प्राथमिकी संख्या 59 है, जो दिल्ली दंगे से संबंधित है.

2020 में दर्ज नौ एफआईआर में से यह पूर्वी दिल्ली में कड़कड़डूमा अदालत को सौंपी गई एकमात्र एफआईआर है. अन्य सभी आठ मामलों को नई दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में भेज दिया गया है.

यह भी ध्यान देने वाली बात है कि इन नौ एफआईआर में कुल आरोपितों की संख्या गिरफ्तार किए गए 34 लोगों से कहीं अधिक है.

नौ में से तीन मामले अलगाववादी सिख समूहों की गतिविधियों से संबंधित हैं, जबकि दो मामलों में आरोपी इस्लामिक स्टेट की गतिविधियों से प्रभावित बताए गए हैं.

क्या हैं मामले

केस 1: एफआईआर नंबर 59
गिरफ्तारियों की संख्या- 18

दिल्ली पुलिस ने 6 मार्च, 2020 को दिल्ली दंगों में प्राथमिकी संख्या 59 दर्ज की, जिसमें यूएपीए की विभिन्न धाराएं लगाई गईं. सितंबर 2020 में दंगों में बड़ी साजिश, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 600 से अधिक घायल हुए थे, के लिए आरोप पत्र दायर किया गया.

चार्जशीट में 15 लोगों के नाम हैं जिन्हें इस सिलसिले में 2020 में गिरफ्तार किया गया था. वे थे:

1. ताहिर हुसैन – आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद

2. इशरत जहां – पूर्व कांग्रेस पार्षद

3. खालिद सैफी – यूनाइटेड अगेंस्ट हेट कैंपेन के संस्थापक

4. सफूरा जरगर – जामिया समन्वय समिति सदस्य

5. मीरान हैदर – जामिया समन्वय समिति सदस्य

6. शिफा-उर-रहमान – जामिया छात्र

7. शादाब अहमद – जामिया छात्र

8. आसिफ इकबाल तन्हा – जामिया छात्र

9. देवांगना कलिता – पिंजरा तोड़ सदस्य और जेएनयू छात्रा

10. नताशा नरवाल – पिंजरा तोड़ सदस्य और जेएनयू छात्रा

11. गुलफिशा फातिमा – सीएए विरोधी प्रदर्शनकारी

12. तस्लीम अहमद – उत्तर पूर्वी दिल्ली के निवासी

13. सलीम मलिक – उत्तर पूर्वी दिल्ली के निवासी

14. मोहम्मद सलीम खान – उत्तर पूर्वी दिल्ली निवासी

15. अतहर खान – उत्तर पूर्वी दिल्ली निवासी

तीन अन्य भी थे, जिन्हें प्राथमिकी संख्या 59 के संबंध में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन आरोप पत्र में उनका नाम नहीं था. चार्जशीट दाखिल होने से पहले उन्हें जमानत पर रिहा भी कर दिया गया था. ये तीन व्यक्ति थे: मोहम्मद दानिश, मोहम्मद इलियास और मोहम्मद परवेज अहमद.

बाद में इस मामले में यूएपीए के तहत 930 पन्नों का पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया.

16. जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद,

17. जेएनयू पीएचडी छात्र शरजील इमाम और

18. मोबाइल फोन सिम कार्ड के विक्रेता फैजान खान

संयोग से इमाम और खालिद पुलिस की साजिश के दावे के प्रमुख पात्र थे, लेकिन मुख्य आरोपपत्र में उनका नाम आरोपी या संदिग्ध के रूप में नहीं था.

केस 2: एफआईआर नंबर 154
गिरफ्तारियों की संख्या- 3

इस मामले में ‘खालिस्तान से हमदर्दी जताने’ के संदेह में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था:

19. मोहिंदर पाल सिंह

20. गुरतेज सिंह

21. राज कुमार उर्फ लवप्रीत

केस 3: एफआईआर नंबर 174/2020
गिरफ्तारियों की संख्या- 1

22. मोहम्मद मुस्तकिम खान

इस मामले में पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार करते हुए दावा किया कि वो आईएसआईएस संदिग्ध है, जो देश में आत्मघाती हमले करना चाहता था.’

पुलिस ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश में अपने गांव के पास सिद्धार्थनगर जिले में एक स्थानीय मस्जिद में जाता था जहां वह युवाओं को अपने उद्देश्य की ओर लुभाने की कोशिश करता था.

केस 4: एफआईआर नंबर 224/2020
गिरफ्तारियों की संख्या: 2

इस मामले में पुलिस ने सितंबर 2020 में पंजाब के लुधियाना के रहने वाले दो लोगों की गिरफ्तारी के साथ बब्बर खालसा इंटरनेशनल के एक मॉड्यूल का पता लगाने का दावा किया था. पुलिस ने दावा किया कि उन्हें उत्तर पश्चिमी दिल्ली से एक मुठभेड़ के बाद पकड़ा गया था.

23. भूपिंदर सिंह

24. कुलवंत सिंह

केस 5: एनआईए, रजिस्ट्रेशन नंबर 284
गिरफ्तारियों की संख्या: 0

इस मामले में एनआईए ने ‘कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने’ और कथित आतंकी गतिविधियों के लिए खालिस्तान समर्थक समूह ‘सिख फॉर जस्टिस’ के 16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.

केस 6: एनआईए रजिस्ट्रेशन नंबर 132/2020
गिरफ्तारियों की संख्या- 3

इस मामले में तीन संदिग्धों को जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया गया था:

25. खाजा मोइदीन

26. सैयद अली नवास

27. अब्दुल समद

पुलिस ने कहा कि वे आईएसआईएस से प्रेरित थे और हिंदू मुन्नानी नेता केपी सुरेश कुमार के क़त्ल में उनका हाथ था . पुलिस ने दावा किया था कि वे नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश में हमले की योजना बना रहे थे और उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद इलाके में गोलीबारी के बाद उन्हें पकड़ा गया.

केस 7: एनआईए रजिस्ट्रेशन नंबर 74/2020
गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या- 1

28. असलम अंसारी

एनआईए ने इस मामले में आरोपी को इस ‘संदेह’ के आधार पर गिरफ्तार किया था कि उसके द्वारा तस्करी किए जा रहे सोने की आय का इस्तेमाल भारत में आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका मेंअंसारी ने दावा किया कि इस आधार पर दर्ज की गई प्राथमिकी निराधार है. सोने की तस्करी के मामले को सीमा शुल्क अधिनियम के संबंधित प्रावधान के तहत देखा जाना चाहिए न कि यूएपीए के तहत.

केस 8: एनआईए रजिस्ट्रेशन नंबर 2/2020
गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या- 5

यह मामला दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शनों से जुड़ा है. एनआईए ने भारत सरकार के खिलाफ असंतोष पैदा करने की साजिश रचने के आरोप में पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी.  आरोप लगाया गया था कि आरोपी, जिनमें से दो महिलाएं थीं, भोले-भाले युवाओं को सीएए के विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए उकसा रहे थे और सार्वजनिक संपत्ति को जलाने और नष्ट करने की योजना भी बना रहे थे.

29. श्रीनगर के मूल निवासी जहांजैब सामी उर्फ ​​दाऊद इब्राहिम
30. जामिया नगर के ओखला विहार में रहने वाली श्रीनगर की हिना बशीर बेग

एनआईए ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि समूह भारत में आईएसआईएस की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों पर सामूहिक हत्याओं को अंजाम देने की योजना बना रहा था. गिरफ्तार किए गए तीन अन्य थे:

31. हैदराबाद के अब्दुल्ला बासित उर्फ ​​बिन फुलान (26)

32. सादिया अनवर शेख (20)

33. नबील सिद्दीक खत्री (27) (दोनों पुणे से)

मामला शुरू में मार्च 2020 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा दर्ज किया गया था. एनआईए ने लगभग दो हफ्ते बाद अपना केस दर्ज किया.

केस 9: एनआईए रजिस्ट्रेशन नंबर 1/2020
गिरफ्तारियों की संख्या- 1

34. एलेमला जमीर उर्फ मैरी शिमरंग

इस मामले में एनआईए ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवाह) के नेता के खिलाफ टेरर फंडिंग मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. जमीर को इससे पहले दिसंबर 2019 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा उनके पास से 72 लाख रुपये नकद बरामद किए जाने के बाद आतंकी फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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