इस्लामिक क़ानून के तहत महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेंगेः तालिबान

अफगानिस्तान पर कब्ज़े के बाद मंगलवार को तालिबान ने पहली आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहां तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि वे अन्य देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहते हैं.

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तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद (फोटो साभारः ट्विटर)

अफगानिस्तान पर कब्ज़े के बाद मंगलवार को तालिबान ने पहली आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहां तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि वे अन्य देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहते हैं.

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद. (फोटो साभारः ट्विटर)

काबुलः अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद मंगलवार को तालिबान ने पहली आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वे अन्य देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहते हैं और इस्लामिक कानून के दायरे में महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेंगे.

तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद ने कहा, ‘हम किसी तरह के आंतरिक या बाहरी दुश्मन नहीं चाहते.’

मुजाहिद ने कहा, ‘महिलाओं को पढ़ने और काम करने की मंजूरी दी जाएगी और वे समाज में बहुत सक्रिय होंगी लेकिन इस्लाम के दायरे में.’

अफगानिस्तान के प्रथम उपराष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह ने कहा कि वे देश में हैं और उन्होंने खुद को वैध कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया.

उन्होंने कहा कि वह काबुल के नए शासकों के सामने नहीं झुकेंगे.

तालिबान की यह प्रेस सम्मेलन ऐसे समय पर हुई है, जब अमेरिका और उनके पश्चिमी सहयोगी काबुल हवाईअड्डे पर मची अफरा-तफरी के बाद अपने राजनयिकों और नागरिकों को सकुशल बाहर निकाल रहे थे.

नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि तालिबान को उन सभी लोगों को अनुमति देनी चाहिए जो देश छोड़कर जाना चाहते है.

उन्होंने कहा कि नाटो का उद्देश्य अफगानिस्तान में एक व्यवहार्य राष्ट्र का निर्माण करना है.

काबुल हवाईअड्डे पर अफरा-तफरी के माहौल के बीच अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों को वापस बुलाने के लिए अमेरिका क व्यापक स्तर पर आलोचना हो रही है.

जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक-वॉल्टर स्टेनमेयर का कहना है, ‘काबुल हवाईअड्डे पर निराशा की तस्वीरों से पश्चिमी देश शर्मसार हुए हैं.’

पिछले साल अमेरिकी सैनिकों की वापसी के लिए हुए समझौते के तहत तालिबान ने विदेशी सैनिकों के देश छोड़कर जाने के दौरान उन पर हमला न करने पर सहमति जताई थी.

विमान सेवा बहाल

अफगानिस्तान से अमेरिकी राजनयिकों और नागरिकों को बाहर निकालने के लिए अमेरिका के सैन्य विमान सेवा मंगलवार को फिर बहाल हो गई.

अमेरिकी सैनिकों ने लोगों को काबुल हवाईअड्डे से निकालने के लिए जिम्मा संभाला है. हवाईअड्डे पर पश्चिमी सुरक्षा के एक अधिकारी ने बताया कि नागरिकों की संख्या कम कर दी गई है.

बता दें कि एक दिन पहले ही काबुल हवआईअड्डे पर उमड़ी लोगों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए अमेरिकी सैनिकों ने चेतावनी स्वरूप हवा में गोलियां चलाई थीं.

हवाईअड्डे पर मौजूद एक राजनयिक ने कहा, ‘कम से सम 12 सैन्य विमानों ने उड़ान भरी है. ऑस्ट्रेलिया और पोलैंड सहित कई देशों से विमान अपने नागरिकों और अफगान सहयोगियों को यहां से निकालने के लिए आने वाले थे.’

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि उन्हें अमेरिकी सेना को अंतहीन लड़ाई लड़ते रहने देने या अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान से वापस बुलाने के लिए उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किए गए समझौते पर विचार करना पड़ा.

उन्होंने कहा, ‘मैं अपने फैसले पर अडिग खड़ा हूं. बीस साल बाद मैं यह सीख पाया हूं कि अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान से वापस बुलाने का सही समय कभी नहीं था.’

अपने ही राजनयिकों की आलोचनाओं का सामना कर रहे जो बाइडेन ने अफगानिस्तान के देश से भागने वाले नेताओं और  तालिबान से लड़ने की अनिच्छुक अफगानिस्तान की सेना को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है.

बता दें कि हजारों अफगान नागरिक सोमवार को काबुल के मुख्य हवाईअड्डे पर उमड़ पड़े और उनमें से कुछ तालिबान से बचकर भागने के लिए इतने परेशान थे कि वे सेना के एक विमान पर चढ़ गए और जब उसने उड़ान भरी तो नीचे गिरने के कारण उनकी मौत हो गई.

अमेरिकी अधिकारियों ने बताया था कि अराजकता की स्थिति में कम से कम सात लोगों की मौत हुई.

अफ़ग़ानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षाबलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर ख़र्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने एक सप्ताह में लगभग पूरे देश पर क़ब्ज़ा कर लिया है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी मे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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