काबुल में फंसे कश्मीरियों की भारत सरकार से अपील, कहा- भयावह स्थिति में, जल्द निकालें

जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि उन्होंने काबुल के बख़्तार विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले कुलगाम के प्रोफेसरों को तत्काल निकालने के लिए विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन से बात की और कहा कि उनकी जल्द सुरक्षित वापसी होगी.

राजधानी काबुल स्थित हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के अंदर जाने की कोशिश में लोग. फोटोः रॉयटर्स

जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि उन्होंने काबुल के बख़्तार विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले कुलगाम के प्रोफेसरों को तत्काल निकालने के लिए विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन से बात की और कहा कि उनकी जल्द सुरक्षित वापसी होगी.

राजधानी काबुल स्थित हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के अंदर जाने की कोशिश में लोग. (फोटोः रॉयटर्स)

नई दिल्ली: अफगानिस्तान पर तालिबान कब्जे के बाद वहां रह रहे कश्मीरियों ने सुरक्षित वापसी के लिए भारत सरकार से गुहार लगाई है.

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के रहने वाले असिफ अहमद अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के बख्तार विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं. वे पिछले चार सालों से वहां अर्थशास्त्र पढ़ा रहे थे. लेकिन इस समय उन्हें डर के रहना पड़ रहा है. वे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द काबुल से निकाला जाएगा.

31 वर्षीय प्रोफेसर ने कहा, ‘मैं कोविड-19 के दौरान कश्मीर से ऑनलाइन पढ़ा रहा था. फिर पिछले महीने जब कोरोना मामलों में कमी आई, तो हमें छात्रों की ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा गया और हम 27 जुलाई को काबुल आए. लेकिन देश पर तालिबान के नियंत्रण के कारण चीजें काफी बदल गई हैं. हम यहां भयावह स्थिति में हैं.’

उन्होंने कहा कि वे काबुल में विश्वविद्यालय परिसर के अंदर रह रहे हैं और उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं है.

आसिफ ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि कैंपस के बाहर क्या हो रहा है. नई दिल्ली के लिए मेरा हवाई टिकट 16 अगस्त को बुक किया गया था, लेकिन हवाईअड्डे पर अफरातफरी के कारण रद्द कर दिया गया.’

उन्होंने कहा कि काबुल में स्थिति बहुत गंभीर है. आसिफ ने कहा, ‘हमने यहां ऐसी तबाही कभी नहीं देखी. हम (कश्मीरी) चिंतित हैं. मेरी पत्नी और दो साल का बेटा कश्मीर में है और मेरी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. वे मेरी स्थिति जानने के लिए बार-बार फोन करते हैं.’

आसिफ ने कहा कि वे ईमेल के जरिये अपने दूतावास के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान में जो हुआ वह अप्रत्याशित था और मैं अब भी इसे समझ नहीं पा रहा हूं.’

बख्तार विश्वविद्यालय के एक अन्य सहायक प्रोफेसर आदिल रसूल ने कहा कि कश्मीर में उनका परिवार उन्हें लेकर बहुत चिंतित है. आदिल ने कहा, ‘ऐसा लग रहा है जैसे कि बाहर की दुनिया हमारे लिए बंद कर दी गई है. हम जल्द से जल्द घर लौटना चाहते हैं.’

अफगानिस्तान में फंसे कश्मीरी चिंतित हैं, लगातार डर में जी रहे हैं और केंद्र सरकार से उन्हें वहां से निकालने की अपील की है. काबुल के बख्तार विश्वविद्यालय में फंसे तीन लोगों में विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले दो सहायक प्रोफेसर और एक प्रोफेसर की पत्नी शामिल हैं.

जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 17 अगस्त को कहा कि उन्होंने बख्तार विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले कुलगाम प्रोफेसरों को तत्काल निकालने के लिए विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन से बात की है.

सिन्हा ने ट्वीट कर कहा कि विदेश मंत्रालय ने आश्वस्त किया है कि सभी नागरिकों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकाल लिया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘मैं प्रोफेसर आसिफ अहमद और प्रोफेसर आदिल रसूल के परिवारों को आश्वस्त करता हूं कि वे सुरक्षित हैं और जल्द ही घर पहुंच जाएंगे.’

इस बीच विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अफगानिस्तान से सभी भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए प्रतिबद्ध है.

अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षाबलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने एक सप्ताह में लगभग पूरे देश पर कब्जा कर लिया है.

तालिबान के कब्जे में आने के बाद अफगानिस्तान अब एक परिषद द्वारा शासित हो सकता है जिसमें इस्लामी समूह के प्रमुख नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा प्रमुख होंगे. यहां लोकतंत्र नहीं, शरिया कानून लागू किया जाएगा.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)