महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट से कहा- नासिक में दर्ज मामले में राणे के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई नहीं

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में गिरफ़्तार किए गए केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को मंगलवार देर रात के महाड की एक अदालत ने ज़मानत दे दी थी. मामले में नासिक पुलिस ने भी राणे को नोटिस जारी कर उन्हें दो सितंबर को पूछताछ के लिए पेश होने का निर्देश दिया है.

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में गिरफ़्तार किए गए केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को मंगलवार देर रात के महाड की एक अदालत ने ज़मानत दे दी थी. मामले में नासिक पुलिस ने भी राणे को नोटिस जारी कर उन्हें दो सितंबर को पूछताछ के लिए पेश होने का निर्देश दिया है.

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे. (फाइल फोटो: पीटीआई)

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ टिप्पणी को लेकर नासिक में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी.

जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एन जे जामदार की खंडपीठ को महाराष्ट्र सरकार ने राणे की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आश्वासन दिया.

राणे ने इस याचिका में नासिक में दर्ज प्राथमिकी और भविष्य में दर्ज किए जा सकने वाले अन्य सभी मामलों को निरस्त करने का आग्रह किया गया है. राणे ने मंगलवार को अपने वकील अनिकेत निकम के मध्यम से दायर अपनी याचिका में गिरफ्तारी से संरक्षण दिए जाने का भी आग्रह किया है.

एक अधिकारी ने बुधवार को बताया था कि नासिक पुलिस के नोटिस के अनुसार, राणे को दो सितंबर को दोपहर 12 बजे नासिक शहर के साइबर पुलिस थाने में जांच अधिकारी-पुलिस निरीक्षक आनंद वाघ के समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है.

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ठाकरे के खिलाफ कथित टिप्पणी करने के मामले राणे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500, 505, 153 (बी)(सी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

नोटिस में कहा गया ‘ऐसा पाया गया है कि वर्तमान जांच के संबंध में तथ्यों तथा परिस्थितियों का पता लगाने के लिए आपसे पूछताछ के लिए उचित आधार मौजूद हैं.’

अधिकारी ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 के तहत नोटिस जारी किया गया है. नोटिस के तहत राणे को भविष्य में कोई अपराध नहीं करने और मामले से जुड़े सबूतों के साथ किसी भी तरह से छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया गया है. राणे को जरूरत पड़ने पर जांच में शामिल होने और मामले की जांच में सहयोग करने का भी निर्देश दिया गया है.

भारत की स्वतंत्रता के वर्ष के संबंध में कथित अज्ञानता के चलते मुख्यमंत्री को थप्पड़ मारने संबंधी बयान के आरोप में राणे को मंगलवार को महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले से गिरफ्तार किया गया था.

बाद में रायगढ़ जिले की महाड अदालत ने उन्हें जमानत प्रदान कर दी थी और उन्हें 30 अगस्त तथा 13 सितंबर को अलीबाग पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पेश होने का निर्देश दिया था.

राणे की टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ महाड, पुणे, ठाणे और नासिक में चार प्राथमिकी दर्ज की गई थीं. राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा कि नासिक में दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में याचिका पर सुनवाई की तारीख 17 सितंबर तक राणे के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.

राणे के वकील सतीश मानशिंदे ने कथित बयान के संबंध में उत्पन्न हो सकने वाले सभी मामलों में संरक्षण प्रदान करने का आग्रह किया.

मानशिंदे ने कहा कि अभी उन्हें पुणे और ठाणे में दर्ज प्राथमिकियों की प्रति नहीं मिली है, इसलिए वह कथित बयान से उत्पन्न हो सकने वाले सभी मामलों में संरक्षण मांग रहे हैं.

देसाई ने हालांकि कहा कि याचिका में केवल नासिक में दर्ज प्राथमिकी का उल्लेख है, इसलिए पूर्ण संरक्षण की बात नहीं की जा सकती.

अदालत ने सहमति जताते हुए मामले में अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तारीख निर्धारित कर दी. उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता (राणे) याचिका में संशोधन कर सकते हैं और रिकॉर्ड में सभी प्राथमिकियों को ला सकते हैं.

इसने कहा, ‘आप (राणे) याचिका में संशोधन कीजिए और सभी प्राथमिकियों का लाइए. तब हम संरक्षण के मुद्दे पर विचार करेंगे.’

देसाई ने अदालत से कहा कि राणे को भविष्य में इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए जिनका समाज पर कुछ गलत असर पड़ सकता है.

उन्होंने कहा, ‘दंडात्मक कार्रवाई न करने के सरकार के बयान का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए तथा याचिकाकर्ता को इस तरह की और टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए.’

इस पर मानशिंदे ने कहा कि वह ऐसा कोई वचन नहीं दे सकते क्योंकि सवाल उनके मुवक्किल की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का है. राणे ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है और वह निर्दोष हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि कई प्राथमिकियां दर्ज कर राज्य सरकार उन्हें परेशान कर रही है.

‘नारायण राणे की गिरफ्तारी सही, लेकिन हिरासत में रखना आवश्यक नहीं’

महाराष्ट्र के महाड की अदालत ने केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे को जमानत देते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी ‘सही’ है, लेकिन हिरासत में रखकर पूछताछ करने की आवश्यकता नहीं.

मजिस्ट्रेट एसएस पाटिल ने आदेश में कहा, ‘गिरफ्तारी के कारण और अन्य कारणों पर गौर करते हुए, मुझे लगता है कि गिरफ्तारी सही है.’

अदालत ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि कुछ धाराएं जिनके तहत राणे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, वे गैर-जमानती हैं और उनमें उम्रकैद तथा मृत्यु दंड का प्रावधान नहीं है.

अदालत ने कहा, ‘इन तथ्यों पर गौर करते हुए यदि अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाता है तो अभियोजन पक्ष पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा. आरोपी इस तरह का अपराध दोबारा न करे.’

राणे ने दावा किया था कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यह भूल गए कि देश की आजादी को कितने साल हुए हैं. उन्होंने रायगढ़ जिले में बीते सोमवार को ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ के दौरान कहा, ‘यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री को यह नहीं पता कि आजादी को कितने साल हो गए हैं. भाषण के दौरान वह पीछे मुड़कर इस बारे में पूछते नजर आए थे. अगर मैं वहां होता तो उन्हें एक जोरदार थप्पड़ मारता.’

राणे को मंगलवार रात रायगढ़ जिले में महाड की एक अदालत में पेश किया गया था. पुलिस ने राणे की सात दिन हिरासत की मांग की थी, जिससे अदालत ने इनकार कर दिया और उन्हें चार सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. इसके बाद राणे के वकीलों ने जमानत याचिका दायर की थी.

अदालत ने जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद 15 हजार रुपये के मुचलके पर राणे को जमानत दे दी और उन्हें 30 अगस्त तथा 13 सितंबर को पुलिस अधीक्षक अलीबाग (रायगढ़) के कार्यालय में हाजिरी लगाने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि अगर पुलिस राणे की आवाज का नमूना लेना चाहेगी तो वह उन्हें सूचित करेगी और राणे सहयोग करें.

महाड में राणे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 189 (लोकसेवक को नुकसान पहुंचाने की धमकी देने) और धारा 504 (शांति भंग करने के लिए जानबूझकर अपमान करना) तथा धारा 505 (सार्वजनिक तौर पर शरारत से संबंधित बयान) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके राणे पहले शिवसेना में थे, जो बाद में कांग्रेस में और फिर, 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए.

वहीं, राणे की गिरफ्तारी के बाद उनके बेटे एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता नितेश राणे ने बॉलीवुड की एक फिल्म का वीडियो ट्विटर पर साझा कर पूरे वाकये पर करारा जवाब देने का संकेत दिया.

नितेश राणे ने ट्विटर पर फिल्म ‘राजनीति’ का एक वीडियो साझा किया, जिसमें अभिनेता मनोज बाजपेयी कहते नजर आ रहे हैं, ‘आसमान पर थूकने वाले को शायद यह पता नहीं है कि वह उनके चेहरे पर ही गिरेगा. करारा जवाब मिलेगा, करारा जवाब मिलेगा.’

राणे ने केंद्र सरकार का सिर शर्म से झुका दिया: शिवसेना

शिवसेना ने बुधवार को दावा किया कि राणे ने केंद्र सरकार का सिर शर्म से झुका दिया है.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे एक संपादकीय में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को राणे की मुख्यमंत्री ठाकरे के खिलाफ की गई टिप्पणी को गंभीरता से लेना चाहिए.

शिवसेना ने राणे पर निशाना साधते हुए मंत्री की तुलना ‘कई छेद वाले एक गुब्बारे’ से की और कहा कि भाजपा उसमें कितनी भी हवा भरने की कोशिश करे लेकिन वह ऊपर नहीं उठेगा. संपादकीय में कहा गया कि एक केंद्रीय मंत्री का पद दिए जाने के बावजूद राणे एक ‘सड़क छाप बदमाश’ की तरह पेश आ रहे हैं.

संपादकीय में कहा गया, ‘राणे ने केंद्र सरकार का सिर शर्म से झुका दिया है. राणे के पुराने रिकॉर्ड देखते हुए मोदी और शाह को ठाकरे के खिलाफ की गई उनकी टिप्पणी को गंभीरता से लेना चाहिए. अगर प्रधानमंत्री के बारे में किसी ने इस तरह बात की होती तो, उसके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज हो गया होता. राणे ने भी ऐसा ही अपराध किया है.’

पार्टी ने कहा, ‘कोई भी सुसंस्कृत नेता माफी मांगता और मामले को खत्म कर देता, क्योंकि राज्य से ऊपर कोई नहीं है. लेकिन, भाजपा के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का गौरव और प्रतिष्ठा कोई मायने नहीं रखते.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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