हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने करनाल में प्रदर्शनकारी किसानों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि हर आज़ादी की सीमाएं होती हैं. खट्टर ने पंजाब की कांग्रेस सरकार के साथ वाम दलों पर उनके राज्य में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों को उकसाने का आरोप भी लगाया है.
चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने करनाल में प्रदर्शनकारी किसानों के ऊपर की गई पुलिस की कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आश्वासन दिया गया था, लेकिन पुलिसकर्मियों पर पथराव किया गया और एक राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सोमवार को हुई एक प्रेस वार्ता में खट्टर ने कहा कि अधिकारी का शब्द चयन सही नहीं था, लेकिन वहां कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्ती की जरूरत थी.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर (अधिकारी के) खिलाफ कोई कार्रवाई करनी है, तो पहले जिला प्रशासन द्वारा इसका आकलन करना होगा. डीजीपी भी इसकी जांच कर रहे हैं. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्ती सुनिश्चित करनी पड़ी.’
किसानों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई के बारे में खट्टर ने कहा, ‘आज आपने मुझे यहां बुलाया है. लेकिन, अगर कोई कहता है कि वे सीएम को एक निश्चित जगह तक नहीं पहुंचने देंगे, तो क्या यह सही है? उन्हें [किसानों] को यह समझने की जरूरत है कि इस तरह के विरोध से उन्हें कुछ हासिल नहीं हो रहा है. लोगों में अब उनके प्रति सहानुभूति नहीं है. मुझे फोन आ रहे हैं कि उन्हें [किसानों] से सख्ती से निपटने की जरूरत है. लेकिन हम संयम बरत रहे हैं क्योंकि वे हमारे लोग हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘बोलने की आज़ादी है, लेकिन हर आज़ादी की सीमाएं हैं. अगर मैं अपनी मुट्ठी हवा में घुमाता हूं और वो आपकी नाक पर लगती है, तो इसे मेरी स्वतंत्रता नहीं माना जा सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘लोकतांत्रिक मानकों के अनुसार कोई भी कुछ भी कर सकता है. वे काले झंडे दिखा सकते हैं, वे जो चाहे कह सकते हैं, लेकिन उन्हें हिंसा में शामिल नहीं होना चाहिए. उन्होंने पहले मेरे हेलीकॉप्टर को करनाल में उतरने नहीं दिया था. अगर मैंने जोर दिया होता कि हेलीकॉप्टर उसी जगह पर उतरेगा, तो पुलिस बल प्रयोग करती. तब क्या होता? हरियाणा में जारी विरोध प्रदर्शन में पंजाब सरकार का हाथ है. यही कड़वा सच है.’
खट्टर ने पंजाब की अमरिंदर सिंह नीत सरकार के साथ-साथ कांग्रेस और वाम दलों पर उनके राज्य में केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को कानून हाथ में लेने के लिए उकसाने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘इसमें पंजाब सरकार का स्पष्ट हाथ है.’ मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि अगर ऐसा नहीं होता तो बीकेयू (भारतीय किसान यूनियन) नेता बलबीर सिंह राजेवाल पंजाब जाकर वहां के मुख्यमंत्री को मिठाई नहीं खिलाते.’
खट्टर ने कहा, ‘यह कड़वी सच्चाई है.’ मुख्यमंत्री ने कांग्रेस और हरियाणा के वामपंथी नेताओं पर राज्य में गड़बड़ी पैदा करने का भी आरोप लगाया.
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ-साथ कुछ वामपंथी नेता किसानों को कानून हाथ में लेने के लिए उकसा रहे हैं.’
इससे पहले हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) नवदीप सिंह विर्क ने पहले बताया था कि सिर्फ चार प्रदर्शनकारी घायल हुए, जबकि 10 पुलिसकर्मियों को चोट आईं.
उन्होंने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और उन पर हमला करने की कोशिश की.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विर्क ने कहा, ‘सात जून को हमने एसकेएम नेताओं के साथ बातचीत की थी, जिन्होंने हमें लिखित आश्वासन दिया था कि वे भविष्य में किसी भी हिंसक विरोध में शामिल नहीं होंगे और केवल शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे. लेकिन उसके बाद कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें किसानों ने हिंसा का सहारा लिया है. जब भी कोई विरोध हिंसक होता है, तो कानून-व्यवस्था बनाए रखना पुलिस का कर्तव्य बन जाता है.’
करनाल पुलिस की महानिरीक्षक ममता सिंह ने कहा, ‘हमने आंशिक तौर पर बलप्रयोग किया, क्योंकि वे राजमार्ग जाम कर रहे थे. पुलिस पर कुछ पथराव भी हुआ. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंशिक तौर पर बल प्रयोग किया गया.’
हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि सोमवार को किसान संगठनों की एक बैठक करनाल में आयोजित होगी और कथित लाठीचार्ज के मद्देनजर भविष्य के कदम पर चर्चा होगी.
उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज का विरोध करने के लिए शनिवार शाम तक सड़क जाम करने का आह्वान था और आगे के कदमों के बारे में सोमवार को निर्णय लिया जाएगा.
वहीं, विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत विभिन्न दलों के नेताओं ने किसानों पर पुलिस द्वारा बल के प्रयोग की निंदा की.
हुड्डा ने एक बयान में कहा, ‘यह बर्बर है. जहां भाजपा का कार्यक्रम हो रहा था, वहां से कम से कम 15 किमी दूर किसान शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे थे. किसानों पर इस तरह की कार्रवाई स्पष्ट रूप से इस राज्य सरकार की नापाक मंशा को दर्शाती है. इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए. यह इस सरकार की आदत हो गई है. पहले तो वे जानबूझकर टकराव की ऐसी परिस्थितियां पैदा करते हैं, किसानों को भड़का कर उस टकराव में उलझाते हैं और फिर उन पर बेरहमी से हमला करते हैं.’
मालूम हो कि शनिवार को हरियाणा के करनाल के बस्तारा टोल प्लाजा पर पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया था, जिसमें कई किसान घायल हो गए. किसान आगामी पंचायत चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में भाजपा की बैठक का विरोध कर रहे थे.
पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज में घायल एक किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.
दुष्यंत चौटाला ने किया एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई का वादा
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने एक ड्यूटी मजिस्ट्रेट की उस टिप्पणी को रविवार को खारिज कर दिया, जिसने पुलिस से करनाल में प्रदर्शन के दौरान किसानों का सिर ‘फोड़ने’ के लिए कहा था और अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया है.
किसानों पर शनिवार को हुए लाठीचार्ज को लेकर मनोहर लाल खट्टर सरकार के खिलाफ बढ़ते विपक्ष के हमले और मजिस्ट्रेट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग के बीच उपमुख्यमंत्री एवं जननायक जनता पार्टी (जजपा) नेता चौटाला ने मजिस्ट्रेट के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया.
चौटाला ने कहा, ‘2018 बैच के आईएएस अधिकारी का वीडियो वायरल हो गया है. एक आईएएस अधिकारी द्वारा इस तरह की भाषा का प्रयोग निंदनीय है.’
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि प्रशिक्षण के दौरान, अधिकारियों को सिखाया जाता है कि ऐसी परिस्थितियों का सामना कैसे करना है और कैसे अपने कार्यों में संतुलन बनाए रखना है, लेकिन उन्होंने जो कहा वह स्पष्ट रूप से उन नैतिक मानकों को पूरा नहीं करता है, जिनकी ऐसे अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है.’
उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से जो भी कार्रवाई उचित समझी जाएगी, सरकार वह करेगी.’ उपमुख्यमंत्री ने करनाल में प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर पथराव करने सहित किसानों की हिंसा की भी निंदा की.
प्रदर्शनकारी किसानों के ‘सिर फोड़ने’ का आदेश देने वाले आईएएस अधिकारी की व्यापक निंदा
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता शरद पवार ने ट्वीट किया, ‘हरियाणा पुलिस द्वारा करनाल के घरोंदा में किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज निश्चित तौर पर अवांछित था. किसानों का प्रदर्शन शांतिपूर्ण होने के बावजूद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया, जिसमें कई किसान घायल हो गए.’
The brutal lathi charge on farmers by the Haryana Police at Gharonda, in Karnal is absolutely unwarranted. Despite the peaceful protest by farmers, the police launched a lathi charge on them resulting into many farmers getting injured.
I strongly condemn this incident. pic.twitter.com/D0b0a4MOvF— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) August 28, 2021
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने भी पुलिस कार्रवाई की निंदा की है.
सिद्धू ने ट्वीट किया, ‘किसानों पर निंदनीय हमला हर भारतीय के मूल अधिकारों पर हमला है… जिसे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान असंख्य कुर्बानियों को देकर प्राप्त किया गया. यह संविधान की भावना को प्रभावित एवं बाधित करता है और भारत के लोकतंत्र की रीढ़ को तोड़ता है.’
Deplorable assault on the protesting Farmers is an attack on Fundamental Rights of every Indian … earned after innumerable sacrifices during the freedom struggle, It impinges and impedes on the spirit of the Constitution and Breaks the Backbone of India’s democracy !! pic.twitter.com/7nqmDBx3Dm
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) August 29, 2021
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि अधिकारी को सार्वजनिक रूप से नाम लेकर शर्मिंदा करना चाहिए.
उन्होंने ट्वीट किया,‘अगर आए तो सिर फूटा होना चाहिए उसका. स्पष्ट है आपको?- करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा, 2018 बैच आईएएस हरियाणा कैडर. इस तलवे चाटने वाले का नाम लेकर शर्मिंदा करें. याद करें कि हॉलोकास्ट कैंप (यहूदी नरसंहार शिविर) में नाजी सुरक्षाकर्मियों ने दावा किया था कि वे ड्यूटी कर रहे थे.’
“Agar aaye toh sar foota hua hona chahiye uska. Clear hai aapko “
– Karnal SDM Ayush Sinha, 2018-batch IAS Haryana cadreName & shame these disgusting bootlickers. Remember Nazi guards at Holocaust camps also claimed thy were doing “duty” pic.twitter.com/lUO1PTnPLd
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) August 29, 2021
हरियाणा के नूंह में किसानों की महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के कई वरिष्ठ सदस्यों ने हिस्सा लिया. वरिष्ठ एसकेएम नेता योगेंद्र यादव ने कहा, ‘आयुष सिन्हा को तत्काल सेवा से बर्खास्त करना चाहिए.’
किसानों के गैर सरकारी संगठन भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने उच्चतम न्यायालय और पंजाब-हरियाण उच्च न्यायालय से मामले पर स्वत: संज्ञान लेने और अधिकारी को सेवा से बर्खास्त करने का अनुरोध किया.
उन्होंने करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा का वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘सेवा में, पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय, उच्चतम न्यायालय कृपया स्वत: संज्ञान लें. उनके (सिन्हा) खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा चलाएं और सेवा से बर्खास्त करें.’
पूर्व राजनयिक केसी सिंह ने ट्वीट किया, ‘करनाल के नजदीक प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस का बर्बर हमला. वीडियो में एसडीएम पुलिस से सिर फोड़ने की बात कर रहे हैं, जो स्तब्ध करने वाला है. प्रशासनिक अधिकारी पुलिस की बर्बरता रोकने के लिए होते हैं, न कि उकसाने के लिए. हरियाणा के खराब शासन को प्रतिबिंबित करता है.’
Brutal police attack on #Farmers protesting near Karnal. Video of SDM urging police to break heads is shocking. Civil authority is meant to check police brutality not abet it. Reflects poorly on Haryana gov.
— K. C. Singh (@ambkcsingh) August 28, 2021
भारत सरकार के पूर्व सचिव अनिल स्वरूप ने कहा, ‘ऐसे प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरे महकमे को शर्मिंदा कर दिया. वे इस तथ्य की अनदेखी करते हैं कि इस तरह के बयान का इस्तेमाल शायद उनके खिलाफ आपराधिक मामले के लिए किया जा सकता है. वह भूल गए कि उनके बचाव में कोई नहीं आएगा. उनका यह जोश उन्हें मुसीबत में डाल सकता है.’
छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस अधिकारी अवनीश सरन ने कहा, ‘प्रशासनिक सेवा परीक्षा’ उत्तीर्ण करना और ‘सभ्य होने’ में कोई सबंध नहीं है.’
गौरतलब है कि प्रदर्शनकारी किसानों पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद करनाल के एसडीएम का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वह पुलिसकर्मियों को प्रदर्शनकारियों की पिटाई के निर्देश देते दिखाई दिए.
इस वीडियो में करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा को सुरक्षा घेरा तोड़ने वालों के सिर फोड़ने का पुलिसकर्मियों को निर्देश देते सुना जा सकता है.
वीडियो में हरियाणा के 2018 बैच के आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा पुलिसकर्मियों को कह रहे हैं, ‘उठा उठाके मारना पीछे सबको. हम सुरक्षा घेरा तोड़ने की अनुमति नहीं देंगे. हमारे पास पर्याप्त सुरक्षाबल है. हम दो दिनों से सोए नहीं हैं, लेकिन आप कुछ नींद लेने के बाद यहां आए हो. मेरे पास एक भी बंदा निकलकर नहीं आना चाहिए. अगर आए तो सिर फूटा हुआ होना चाहिए उसका. समझ गए आप.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उससे छेड़छाड़ की गई है, क्योंकि लाठीचार्ज के बारे में केवल चुनिंदा हिस्सा ही सोशल मीडिया पर वायरल किया गया. मेरी ब्रीफिंग का केवल चुनिंदा हिस्सा ही लीक किया गया.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)