रसोई गैस की कीमत में फ़िर 25 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी, दो महीनों के भीतर तीसरी बार बढ़े दाम

घरेलू रसोई गैस की कीमत पिछले सात वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई है. एक मार्च 2014 को घरेलू गैस का खुदरा मूल्य 410.5 रुपये प्रति सिलेंडर था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की जो कीमतें हैं, वह साल 2014 की तुलना में बहुत अधिक थीं. फ़िर भी कांग्रेस ने भाजपा नेतृत्व वाली सरकार की तुलना में कीमतों को बहुत कम रखा था. भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू ने मांग की है कि सरकार कीमतों में बढ़ोतरी को वापस ले.

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(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

घरेलू रसोई गैस की कीमत पिछले सात वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई है. एक मार्च 2014 को घरेलू गैस का खुदरा मूल्य 410.5 रुपये प्रति सिलेंडर था. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की जो कीमतें हैं, वह साल 2014 की तुलना में बहुत अधिक थीं. फ़िर भी कांग्रेस ने भाजपा नेतृत्व वाली सरकार की तुलना में कीमतों को बहुत कम रखा था. भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू ने मांग की है कि सरकार कीमतों में बढ़ोतरी को वापस ले.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सब्सिडी वाली रसोई गैस सहित सभी श्रेणियों में एलपीजी (तरलीकृत पेट्रोलियम गैस) सिलेंडर की कीमतों में बुधवार को 25 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई. दो महीनों से भी कम समय में दरों में तीसरी बार बढ़ोतरी की गई है.

तेल कंपनियों द्वारा जारी मूल्य अधिसूचना के अनुसार, सब्सिडी वाले और बिना सब्सिडी वाले एलपीजी की कीमत अब दिल्ली में 884.50 रुपये प्रति सिलेंडर (14.2 किलोग्राम) है.

इस बीच कांग्रेस ने घरेलू रसोई गैस सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. वहीं भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू ने मांग की है कि सरकार रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी को वापस ले और ईंधन की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए कदम उठाए.

इससे पहले एक जुलाई को सब्सिडी वाले और बिना सब्सिडी वाले रसोई गैस की दरों में 25.50 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई थी.

अगस्त में एक तारीख और 18 तारीख को बिना सब्सिडी वाली रसोई गैस की कीमतों में हर बार 25 रुपये प्रति सिलेंडर की वृद्धि हुई थी.

सूत्रों ने कहा कि सब्सिडी वाले एलपीजी की कीमत एक अगस्त को नहीं बढ़ाई गई थी, क्योंकि उस समय संसद का सत्र चल रहा था और बढ़ोतरी होने पर विपक्ष सरकार पर हमला कर सकता था.

ताजा वृद्धि के बाद सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत एक जनवरी से कुल 190 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ चुकी है. मासिक मूल्य वृद्धि ने सब्सिडी को खत्म कर दिया है.

कुछ दूरदराज के क्षेत्रों को छोड़कर प्रमुख शहरों में सब्सिडी वाले और बिना सब्सिडी वाले एलपीजी की कीमत लगभग बराबर है.

घरेलू रसोई गैस की कीमत पिछले सात वर्षों में दोगुनी से अधिक हो गई है. एक मार्च 2014 को घरेलू गैस का खुदरा बिक्री मूल्य 410.5 रुपये प्रति सिलेंडर था.

वाणिज्यिक सिलेंडर (19 किलो) की कीमत में भी 75 रुपये की बढ़ोतरी की गई है, और दिल्ली में इसकी कीमत अब 1,693 रुपये होगी.

दूसरी ओर पेट्रोल की कीमत में 10 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 14 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई. दिल्ली में पेट्रोल की कीमत अब 101.34 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 88.77 रुपये प्रति लीटर है.

कांग्रेस ने रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि को लेकर सरकार की आलोचना की

कांग्रेस ने घरेलू रसोई गैस सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को लेकर बुधवार को सरकार पर निशाना साधा है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि देश इस अन्याय के खिलाफ एकजुट हो रहा है.

गांधी ने घरेलू रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि को लेकर सरकार पर निशाना साधा और हैशटैग ‘इंडिया अगेंस्ट बीजेपी लूट‘’ का उपयोग करते हुए जनवरी से चार महानगरों में रसोई गैस की दरों में वृद्धि का एक चार्ट साझा किया.

गांधी ने ट्वीट किया, ‘जनता को भूखे पेट सोने पर मजबूर करने वाला खुद मित्रों की छाया में सो रहा है, लेकिन अन्याय के खिलाफ देश एकजुट हो रहा है.’

राहुल गांधी ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि करके सरकार ने जो 23 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की थी, वह खर्च की जा रही है या नहीं.

उन्होंने आरोप लगाया कि किसान, वेतनभोगी वर्ग और श्रमिकों से धन लिया जा रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुछ उद्योगपति मित्रों की कमाई बढ़ाई जा रही है.

उन्होंने आगे कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी पर भरोसा कर रही है, लेकिन यह एक अल्पकालिक रणनीति है.

कांग्रेस द्वारा बताया गया कि साल 2014 के बाद से पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दामों में कितनी वृद्धि हुई.

उन्होंने कहा कि 2014 में जब हमने कार्यालय छोड़ा (संप्रग सत्ता से बाहर हुई) तब तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमत 410 रुपये प्रति सिलेंडर थी, अब 885 रुपये है, जो कि 116 प्रतिशत की वृद्धि है. पेट्रोल 71.51 रुपये प्रति लीटर था, अब 101.34 रुपये प्रति लीटर है, जो 42 प्रतिशत की वृद्धि है और डीजल 57.28 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 88.77 रुपये प्रति लीटर हो गया है, जो 55 प्रतिशत की वृद्धि है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की जो कीमतें हैं, वह साल 2014 की तुलना में बहुत अधिक थीं. फिर भी कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार की तुलना में ईंधन की कीमतों को बहुत कम रखा था.

उन्होंने कहा, ‘दिलचस्प बात यह है कि लोग तर्क दे रहे हैं कि एलपीजी गैस, डीजल, पेट्रोल की कीमतें इसलिए बढ़ रही हैं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार कीमतें में बढ़ रही हैं. लेकिन ऐसा नहीं है, क्योंकि जब हम सत्ता में थे, कच्चे तेल की कीमतें 105 डॉलर प्रति बैरल पर थीं, आज यह 71 डॉलर प्रति बैरल है, जो कि 32 प्रतिशत की कमी है. 2014 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गैस की कीमत 880 डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी, आज 653 डॉलर प्रति मीट्रिक टन है, यानी 26 प्रतिशत की गिरावट आई है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस 1991 में इसी तरह के आर्थिक संकट का सामना करते हुए आर्थिक सुधार लाई थी, गांधी ने कहा, ‘उस समय कांग्रेस सरकार ने भारत के दृष्टिकोण बदल दिया था. लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा. 1991 से 2012 तक चला आर्थिक ढांचा और रणनीति अब काम नहीं कर रही है. हम मानते हैं कि 2012 में हमारे समय में इसने काम करना बंद कर दिया था. लेकिन नरेंद्र मोदी सब कुछ बदलने का वादा लेकर आए थे लेकिन बदलाव कहां है?’

गांधी इससे पहले मोदी सरकार के आर्थिक फैसलों जैसे कि नोटबंदी, माल और सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन पर जमकर बरसे हैं और हाल ही में वैश्विक महामारी कोविड-19 टीकाकरण रणनीति और आर्थिक नुकसान और बेरोजगारी को रोकने में विफलता के मुखर आलोचक रहे हैं.

गांधी ने कहा, ‘आपको जीएसटी से लाभ नहीं हो रहा है, कृषि कानूनों से लाभ नहीं हो रहा है, कीमतों पर लाभ नहीं हो रहा है, तो आपको क्या मिल रहा है? मैं चाहता हूं कि इस देश के युवा इस सब के बारे में सोचें.’

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री के तीन या पांच बड़े उद्योगपति मित्रों को लाभ हो रहा है. गरीबों से धन का हस्तांतरण हो रहा है, कमजोर से प्रधानमंत्री के दोस्तों के लिए.’

कांग्रेस ने हैशटैग का उपयोग करते हुए सोशल मीडिया पर अभियान की शुरुआत की और देशभर के आम लोगों के वीडियो साझा किए, जिसमें वे महंगाई के संबंध में अपनी व्यथा बता रहे हैं.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि घरेलू रसोई गैस की कीमतें पिछले सात वर्षों में दोगुनी हो गई हैं. उन्होंने कहा कि अच्छे दिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए देश में लूट करने के लिए आए हैं.

सुरजेवाला ने हैशटैग का उपयोग करते हुए एक ट्वीट में कहा, ‘एक मार्च, 2014- गैस सिलेंडर की कीमत 410 रुपये. एक सितंबर, 2021- गैस सिलेंडर की कीमत 884 रुपये. सात वर्षों में कीमत दोगुनी से ज्यादा. यही है मोदी जी का ‘अच्छे दिनों’ का वादा.’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी गांधी ने एक ट्वीट में कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, आपके राज में दो ही तरह का ‘विकास’ हो रहा है, एक तरफ आपके खरबपति मित्रों की आय बढ़ती जा रही है. दूसरी तरफ आमजनों के लिए आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ते जा रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘अगर यही ‘विकास’ है तो इस ‘विकास’ को अवकाश (छुट्टी) पर भेजने का वक्त आ गया है.’

कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख रोहन गुप्ता ने कहा कि पार्टी को देशभर में सैकड़ों आम लोगों से महंगाई और उनके सामने आने वाली समस्याओं पर वीडियो संदेश प्राप्त हुए हैं और पार्टी ने उन्हें अपने हैंडल पर साझा किया है.

उन्होंने कहा, ‘हमें देशभर से आम भारतीयों के सैकड़ों वीडियो मिले हैं, जिनका जीवन बुनियादी वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतों से पूरी तरह तबाह हो गया है.’

गुप्ता ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने लगातार तीसरे महीने रसोई गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाए हैं.

जदयू ने केंद्र सरकार से रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी को वापस लेने को कहा

भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने बुधवार को मांग की कि सरकार रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी को वापस ले और ईंधन की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए कदम उठाए क्योंकि इससे आम लोग प्रभावित हुए हैं.

जदयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि एलपीजी की कीमतों में बार-बार बढ़ोतरी ने लोगों के बजट पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. उन्होंने कहा, ‘सरकार को इस बढ़ोतरी को वापस लेना चाहिए.’ त्यागी ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को बाजार तंत्र पर छोड़ने के खिलाफ राय व्यक्त की और कहा कि सरकार को लोगों के फायदे के लिए लागत को कम करने को लेकर कदम उठाना चाहिए.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने हाल में कुछ मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अलग रुख अख्तियार किया है. कुमार ने पेगासस स्पायवेयर से जुड़ी कथित जासूसी की जांच की विपक्ष की मांग का समर्थन किया था. कुमार ने जाति जनगणना का भी समर्थन किया है, जबकि इस मुद्दे पर भाजपा ने अब तक चुप्पी साध रखी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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