पूर्व न्यायाधीशों, वरिष्ठ वकीलों, पूर्व वरिष्ठ लोक सेवकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि अक्टूबर 2020 में एक सतर्कता आयुक्त के रिटायर होने के बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग सिर्फ़ अध्यक्ष और एक आयुक्त के सहारे चल रहा था. अध्यक्ष ने जून 2021 में पद छोड़ दिया और संस्था तब से केवल एक आयुक्त के साथ काम कर रही है, जिसे कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है.
नई दिल्ली: देश के कई प्रबुद्ध नागरिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) में अध्यक्ष और सतर्कता आयुक्त के खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाए. उन्होंने चिंता जाहिर की कि पिछले कई महीनों से ये पद खाली पड़े हैं.
पूर्व न्यायाधीशों, वरिष्ठ वकीलों, पूर्व वरिष्ठ लोक सेवकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि देश का सर्वोच्च सतर्कता संस्थान होने के अलावा सीवीसी के पास उच्च स्तरों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने शक्ति प्राप्त है, जिसमें लोकपाल द्वारा इसे भेजी गईं शिकायतें भी शामिल होती हैं.
इसके अलावा सीवीसी को जनहित प्रकटीकरण और मुखबिरों की सुरक्षा (पीआईडीपीआई) संकल्प, 2004 के तहत ह्विसिलब्लोअर से शिकायतें भी प्राप्त होती हैं.
सीवीसी कानून के मुताबिक, आयोग में केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, जो कि अध्यक्ष भी होते हैं और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं.
उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2020 में एक सतर्कता आयुक्त के रिटायरमेंट के बाद सीवीसी सिर्फ अध्यक्ष और एक आयुक्त के सहारे चल रहा था.
पत्र में कहा गया है कि अध्यक्ष ने जून 2021 में पद छोड़ दिया और संस्था तब से केवल एक आयुक्त के साथ काम कर रही है, जिसे कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है. हालांकि इस तरह की व्यवस्था के लिए कानून के तहत कोई प्रावधान मौजूद नहीं है.
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह, पटना हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश अंजना प्रकाश, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता और मजदूर शक्ति संगठन की संस्थापक अरुणा रॉय, पूर्व आईपीएस अधिकारी मीरान बोरवन्कर, पूर्व आईएएस अधिकारी सुंदर बर्रा, पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी और सामाजिक कार्यकर्ता तथा सतर्क नागरिक संगठन की संस्थापक अंजलि भारद्वाज जैसे लोगों ने मोदी को लिखे इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.
उन्होंने प्रधानमंत्री को यह याद दिलाया कि 2019 और 2020 में भी लगभग 12 महीनों के लिए आयोग बिना अध्यक्ष के काम कर रहा था.
उन्होंने कहा कि यदि नियुक्तियां समय पर नहीं की जाती हैं तो सीवीसी जैसे स्वायत्त निरीक्षण निकायों की स्थापना का उद्देश्य विफल हो जाएगा. सरकार ने आयुक्तों के पदों को खाली छोड़ कर केंद्रीय सतर्कता आयोग को प्रभावी रूप से निष्क्रिय बना दिया है.
नागरिकों ने मांग उठाई की पारदर्शी तरीके से समय रहते नियुक्तियां की जाएं.
चार मई 2021 को एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के पद के लिए आवेदन मांगे गए थे. हालांकि इसे लेकर अब तक क्या हुआ, इस बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है.
इस पत्र के जरिये पीएम मोदी को यह भी याद दिलाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में कहा है कि सीवीसी जैसे संस्थानों में नियुक्ति करते वक्त पारदर्शिता को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि सीवीसी के पद के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लोगों पर विचार किया जाना चाहिए. यह केवल सिविल सेवकों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए.
कोर्ट ने कहा था कि ‘जनहित’ को ध्यान में रखते हुए चयन समिति के सामने सारी जानकारी रखी जानी चाहिए, जिसमें चयन के लिए भेजे गए संभावित नामों से जुड़ी पूरी जानकारी संलग्न हो. समिति से कई भी जानकारी छिपाई नहीं जानी चाहिए.
न्यायालय ने कहा था कि ऐसा करना न सिर्फ व्यापक सार्वजनिक हित में भी होगा, बल्कि जनता के विश्वास को भी बढ़ाएगा.
सीवीसी की तरह ही केंद्रीय सूचना आयुक्तों (सीआईसी) की नियुक्ति के लिए भी सुप्रीम कोर्ट ने अंजलि भारद्वाज बनाम भारत संघ मामले में कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए थे, जिसमें संभावित नामों पर विचार करने से लेकर उनकी नियुक्ति तक उच्च स्तर की पारदर्शिता बरतने और दस्तावेजों को सार्वजनिक करने के लिए आदेश दिए गए थे.
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