गुजरात: सत्ता परिवर्तन की ख़बर के लिए राजद्रोह का सामना करने वाले पत्रकार ने कहा- रिपोर्ट सही हुई

गुजराती समाचार पोर्टल ‘फेस ऑफ द नेशन’ के संपादक धवल पटेल ने पिछले साल कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली एक रिपोर्ट लिखी थी, जिसके चलते 11 मई 2020 को उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था. उनके माफ़ी मांगने के बाद यह मामला रद्द किया गया था.

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गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी. (फोटो साभार: ट्विटर/@BJP4Gujarat)

गुजराती समाचार पोर्टल ‘फेस ऑफ द नेशन’ के संपादक धवल पटेल ने पिछले साल कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली एक रिपोर्ट लिखी थी, जिसके चलते 11 मई 2020 को उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था. उनके माफ़ी मांगने के बाद यह मामला रद्द किया गया था.

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी. (फोटो साभार: ट्विटर/@BJP4Gujarat)

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच मई 2020 में गुजराती समाचार पोर्टल ‘फेस ऑफ द नेशन’ के संपादक धवल पटेल एक रिपोर्ट लिखी थी, जिसमें उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री पद से विजय रूपाणी को हटाए जाने की संभावना जताई थी.

रिपोर्ट के चलते उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के एक साल से अधिक समय बाद बीते शनिवार को रूपाणी के राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा है कि उनकी ‘रिपोर्ट सही साबित’ हुई है.

गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव दिसंबर 2022 में होने हैं. 65 वर्षीय रूपाणी ने दिसंबर 2017 में दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.

सात मई 2020 में धवल ने यह रिपोर्ट लिखी थी, जिसमें सूत्रों के हवाले से ये संभावना जताई गई थी कि गुजरात में कोरोना वायरस महामारी से निपटने में नाकामी के कारण मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को हटाया जा सकता है.

पटेल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मैंने विश्वसनीय स्रोतों से पुष्टि और अन्य जगहों से सत्यापित करने के बाद ये रिपोर्ट लिखी थी. देशद्रोह का मामला उस समय कोविड-19 के संदर्भ में पत्रकारों पर दबाव बनाने का एक तरीका था.’

वैसे तो गुजरात हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट को लेकर पत्रकार पर दर्ज किए गए राजद्रोह के मामले को रद्द कर दिया था, लेकिन न्यायालय के सामने उन्हें बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी थी.

हाईकोर्ट ने कहा था कि आगे भविष्य में जब भी वह कोई रिपोर्ट प्रकाशित करेंगे, तो किसी भी संवैधानिक पद पर तैनात लोगों के खिलाफ बिना सत्यापन के इस तरह की टिप्पणी नहीं करेंगे और वह फिर से ऐसी गलती नहीं करेंगे.

इस मामले के बाद धवल पटेल दिसंबर 2020 से विदेश में शिफ्ट हो गए.

उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट था कि सरकार मुझे इस मामले में घसीटना चाहती थी और मैं ये नहीं चाहता था कि ऐसा कुछ हो, क्योंकि इससे मेरे करिअर पर प्रभाव पड़ता. तो सरकारी वकील ने प्रस्ताव दिया कि मैं माफी मांग लूं और मैंने देश छोड़ दिया.’

बता दें कि गुजराती समाचार पोर्टल के संपादक धवल पटेल पर राज्य में बढ़ते कोरोना वायरस मामलों की आलोचना के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाला एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए 11 मई को राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया और हिरासत में लिया गया था.

उन्होंने लिखा था कि मनसुख मांडविया को हाईकमान ने बुलाया है और गुजरात में सत्ता परिवर्तन हो सकता है. उस समय मांडविया के पास केंद्र के बंदरगाह, पोत और जलमार्ग परिवहन मंत्रालय के राज्य मंत्री का (स्वतंत्र प्रभार) था. इस समय वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हैं.

हालांकि मांडविया ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और रूपाणी की वाहवाही की थी, जिसके बाद रिपोर्ट को हटा दिया गया था.

इसके बाद पटेल के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह) और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 (झूठी चेतावनी के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

बाद में एक स्थानीय अदालत ने धवल पटेल को बाद में जमानत दे दी थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि पुलिस द्वारा पेश किए गए दस्तावेज और एफआईआर पत्रकार को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने के लिए कोई आरोप स्थापित नहीं करते हैं.

धवल पटेल अभी भी ‘फेस ऑफ द नेशन’ के लिए लिख रहे हैं. उनका आखिरी आर्टिकल चार सितंबर को प्रकाशित हुआ था.

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