जेएनयू प्रोफेसर ने चार पत्रकारों पर किया मानहानि का मुक़दमा, 50 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग

द प्रिंट की पत्रकार मोहना बसु ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि स्वतंत्र रिव्यू वेबसाइट 'पबपीयर' ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक वैज्ञानिक गोवर्धन दास द्वारा लिखे लगभग दर्जनभर शोधपत्रों में संभावित हेरफेर की बात कही है. पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रह चुके दास ने बसु और वेबसाइट के संपादक शेखर गुप्ता समेत चार पत्रकारों के ख़िलाफ़ मानहानि का मामला दायर किया है.

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय. (फोटो: पीटीआई)

द प्रिंट की पत्रकार मोहना बसु ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि स्वतंत्र रिव्यू वेबसाइट ‘पबपीयर’ ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक वैज्ञानिक गोवर्धन दास द्वारा लिखे लगभग दर्जनभर शोधपत्रों में संभावित हेरफेर की बात कही है. पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रह चुके दास ने बसु और वेबसाइट के संपादक शेखर गुप्ता समेत चार पत्रकारों के ख़िलाफ़ मानहानि का मामला दायर किया है.

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय. (फोटो: पीटीआई)

बेंगलुरूः जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक वैज्ञानिक ने द प्रिंट की पत्रकार मोहना बसु और वेबसाइट के संपादक शेखर गुप्ता समेत चार पत्रकारों और ट्विटर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, मोहना बसु द्वारा चार अगस्त 2021 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया था कि एक रिव्यू वेबसाइट के मुताबिक जेएनयू के एक वैज्ञानिक गोवर्धन दास, जो पश्चिम बंगाल के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर उम्मीदवार थे, के लगभग दर्जनभर शोधपत्रों में संभावित रूप से हेरफेर की गई है.

गोवर्धन दास जेएनयू के मॉलिक्यूलर मेडिसिन विभाग में वैज्ञानिक हैं और वह 11 शोधपत्रों (रिसर्च पेपर) के सहलेखक हैं. इन रिसर्च पेपर के कंटेंट में संभावित मैनीपुलेशन यानी छेड़छाड़ को लेकर बीते दो महीनों में स्वतंत्र रिव्यू वेबसाइट ‘पबपीयर‘ ने चेताया था. यह वेबसाइट वैज्ञानिकों के शोधपत्रों के प्रकाशन के बाद उनका रिव्यू देती है.

मोहना बसु ने अपनी रिपोर्ट में सभी ग्यारह रिसर्च पेपर का ज़िक्र किया था. बसु ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, ‘गोवर्धन दास इन 11 में से आठ शोधपत्रों के मुख्य शोधकर्ता थे जबकि बाकी में उन्होंने सहयोग किया था. दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी के शोधकर्ता वेद प्रकाश द्विवेदी इन 11 में से पांच शोधपत्रों के सहलेखक हैं. साथ ही, जेएनयू के ही स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर आंनद रंगनाथन इन 11 शोधपत्रों में से तीन के सहलेखक हैं.’

गोवर्धन दास इस साल हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से उतरे थे और पूर्वस्थली उत्तर सीट पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार तपन चटर्जी से 6,872 वोटों से हार गए थे. दास की ही तरह आनंद रंगनाथन भी भाजपा के समर्थक हैं और पार्टी से जुड़े मुद्दों को लेकर ट्विटर पर मुखर रहते हैं.

मोहना बसु ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गोवर्धन दास का मानना है कि उनके राजनीतिक जुड़ाव की वजह से उन्हें ‘पबपीयर’ पर निशाना बनाया जा रहा है.

इस द प्रिंट वेबसाइट पर लेख के प्रकाशित होने के बाद प्रोफेसर गोवर्धन दास ने पत्रकार मोहना बसु, द प्रिंट के संपादक शेखर गुप्ता, स्वतंत्र पत्रकार प्रियंका पुल्ला, सबा नकवी और ट्विटर के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था.

पुल्ला और नकवी के खिलाफ इसलिए मामला दर्ज किया गया क्योंकि उन्होंने मोहना बसु की रिपोर्ट और पबपीयर पर प्रकाशित समीक्षकों की टिप्पणियों को ट्वीट किया था.

यह मामला नई दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में 31 अगस्त 2021 को दर्ज किया गया. गोवर्धन दास का यह भी कहना है कि ‘कुछ ईर्ष्यालु सहयोगियों के इशारे पर उन्हें और उनके काम को कमतर दिखाने की साजिश हो रही है.’

इस पूरे विवाद से जुड़ा एक मसला यह भी है कि मोहना बसु ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रंगनाथन ने मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था. इसके बाद रंगनाथन ने छह अगस्त को ट्वीट कर कहा था कि वे अस्पताल में 2डी ईको जांच करा रहे थे और ऐसा नहीं है कि उन्होंने टिप्पणी करने से मना किया था.

रंगनाथन ने तब ट्वीट कर कहा था कि रिपोर्ट के इस ‘झूठ’ की वजह से कुछ नफरती लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि उन्होंने इसलिए टिप्पणी से इनकार कर दिया क्योंकि वे कुछ छिपा रहे थे. हालांकि, बाद में द प्रिंट ने रंगनाथन का पूरा बयान विस्तार में प्रकाशित किया और इस पर मोहना बसु ने भी प्रतिक्रिया दी.

उधर, हलफनामे में कहा गया है कि गोवर्धन दास और रंगनाथन के स्पष्टीकरण के बावजूद द प्रिंट की यह रिपोर्ट ऑनलाइन रही और इससे उनकी (द प्रिंट की) संदिग्ध मंशा का पता चलता है.

हलफनामे में रिपोर्ट के शीर्षक को ‘भ्रामक, गलत, मनगढ़ंत और मानहानिकारक’ बताते हुए कहा गया है कि इससे उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है, जिसके लिए उन्होंने पचास लाख रुपये हर्जाने की मांग की है.

दास ने हलफनामे में यह भी मांग की है कि शेखर गुप्ता, मोहना बसु, प्रियंका पुल्ला और सबा नकवी पर दास के खिलाफ ‘मानहानिकारक’ लेखों और ट्वीट आदि के प्रकाशन पर स्थायी रोक (इन्जंक्शन) लगाई जाए.

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