ये मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर ज़िले के कुरसौली गांव का है. ज़िले के अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि उन्हें अभी तक मौतों के सही कारण का पता नहीं चल पाया है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उनमें से अधिकांश का डेंगू या मलेरिया का टेस्ट नहीं किया गया था, जबकि डेंगू पॉजिटिव आने वाले सभी लोग ठीक हो गए हैं. जांच में मलेरिया के एक भी मामले नहीं पाए गए.
कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर जिले के कुरसौली गांव में ‘रहस्यमयी बुखार’ के चलते हड़कंप मच गया है. इस बुखार की वजह से पिछले एक महीने में गांव के कम से कम 12 लोगों की मौत हो चुकी है. यही वजह है कि कई लोगों ने अब यहां से पलायन करना शुरू कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बीते शनिवार (18 सितंबर) को गांव के प्रधान अमित सिंह की 40 वर्षीय चाची गीता सिंह का भी देहांत हो गया.
कानपुर शहर में एक निजी कंपनी में काम करने वाले अनिल कुमार (40 वर्ष) का कहना है कि उनके बच्चे और पत्नी उनके ससुराल में हैं, जबकि वह अपनी भैंस की देखभाल करने के लिए घर पर ही हैं.
उन्होंने कहा, ‘अगर लोगों के पास मवेशी और खेत नहीं होते, तो गांव खाली हो गया होता. एक भी घर ऐसा नहीं है, जिसमें बुखार के केस न हों और कई अपने रिश्तेदारों के घर जा चुके हों. कुछ ने आस-पास के इलाकों में मकान किराये पर भी लिए हैं.’
स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा तैयार की गई सूची के मुताबिक ‘रहस्यमयी बुखार’ के कारण पहली मौत 20 अगस्त को 14 वर्षीय तन्नु प्रजापति की हुई थी.
अन्य 11 मृतकों में से नौ युवा लड़कियां/महिलाएं हैं, जिसमें- पार्वती (62 वर्ष), जूली (23 वर्ष), सोनाली (19 वर्ष), लक्ष्मी प्रजापति (40 वर्ष), लक्ष्मी देवी (45 वर्ष), चामा तिवारी (28 वर्ष), उर्मिला (35 वर्ष), निर्मला तिवारी (65 वर्ष), वैष्णवी (11 वर्ष) शामिल हैं.
मरने वालों में शिव राम प्रजापति (56 वर्ष) और मान सिंह (55 वर्ष) भी हैं. गीता सिंह की मौत अभी दर्ज की जानी है.
We are also conducting survey (in Kursauli village) to detect if there is any mosquito larvae in houses. Our medical team is working round the clock to tackle the situation: Dr Subodh Prakash, Addl Chief Medical Officer, Kanpur Nagar district pic.twitter.com/aWF6vuqdi1
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 19, 2021
कानपुर नगर जिले के अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. सुबोध प्रकाश ने स्वीकार किया कि उन्हें अभी तक मौतों के सही कारण का पता नहीं चल पाया है.
उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उनमें से अधिकांश का डेंगू या मलेरिया का टेस्ट नहीं किया गया था, जबकि डेंगू पॉजिटिव आने वाले सभी लोग ठीक हो गए हैं. जांच में मलेरिया के एक भी मामले नहीं पाए गए.’
सीएमओ ने कहा कि मृत्यु ऑडिट करने के लिए जिला जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.
उन्होंने यह दावा किया कि पड़ोसी गांवों में ऐसी कोई समस्या नहीं है.
48 वर्षीय किसान प्रदीप तिवारी का कहना है कि गांव के 180 में से कम से कम 50 घरों में ताला लगा हुआ है. तिवारी की मौसी निर्मला तिवारी (65) और भाभी चामा तिवारी (28) की इस बुखार के चलते मौत हो गई.
सरपंच अमित सिंह ने कहा कि वे अपनी मौसी की मौत से सदमे में हैं.
उन्होंने कहा, ‘वह स्वस्थ थीं. तीन दिन पहले जब उन्हें बुखार हुआ तो हम उन्हें एक निजी अस्पताल ले गए. उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया, जहां उनकी मौत हो गई.’
मोहिनी गुप्ता की बेटी वैष्णवी इस बुखार के चलते मरने वालों में सबसे छोटी थी. बुखार आने के तीन दिन के भीतर 11 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई.
उन्होंने कहा, ‘उसे पेट में दर्द था, उल्टी हो रही थी और तेज बुखार था. मेरा छोटा बेटा भी बीमार पड़ गया, लेकिन बाद में ठीक हो गया था. हमने इलाज पर एक लाख रुपये से अधिक खर्च किए, स्थानीय लोगों और साहूकारों से उधार भी लेना पड़ा था.’
अधिकारियों पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि वे पक्का शौचालय नहीं बनाने पर केस करने की धमकी दे रहे हैं. परिवार घर के बाहर खोदे गए गड्ढे को शौचालय के रूप में इस्तेमाल करता है.
मोहिनी गुप्ता ने कहा, ‘आप मुझे बताएं कि जब परिवार के अधिकांश लोग बीमार हैं और हम पर भारी कर्ज है तो हम कैसे शौचालय बना पाएंगे?’
कल्याणपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के एक अधिकारी ने ग्रामीणों से शौचालय बनाने का आग्रह करते हुए स्वीकार किया कि भरी हुई बजबजाती नालियां बुखार के फैलने का एक कारण हो सकती हैं.
उन्होंने कहा, ‘गांव में सीवेज सिस्टम नहीं है. वे खुले नालों में कचरा फेंकते हैं. हमने 30 परिवारों को जल्द शौचालय बनाने के लिए नोटिस दिया है. इस बारे में एक सार्वजनिक घोषणा भी की गई थी.’
अतिरिक्त सीएमओ प्रकाश कहते हैं, ‘हम सफाई सुनिश्चित करने के लिए फॉगिंग, स्प्रे और अन्य चीजें कर रहे हैं. हम लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए एक अभियान भी चला रहे हैं.’
सीएचसी में स्वास्थ्य टीम का हिस्सा रहे फार्मासिस्ट जितेंद्र कुमार ने कहा, ‘गुरुवार (16 सितंबर) को हुए हमारे सर्वेक्षण के अनुसार 52 लोगों को बुखार था. हमें शुक्रवार (17 सितंबर) को 18 और मामलों की जानकारी मिली और आज (18 सितंबर) आठ. कई लोग ठीक भी हो चुके हैं. हम कड़ी नजर रख रहे हैं.’