जम्मू: स्वास्थ्य मिशन से जुड़े अनुबंधित कर्मचारियों ने नौकरी से हटाए जाने पर प्रदर्शन किया

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 1500 से अधिक अनुबंधित कर्मचारियों ने जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के गेट पर सरकार द्वारा अपनी सेवाओं की समाप्ति का विरोध करते हुए नारेबाज़ी की और कई घंटों तक सड़क जाम रखा. कोरोना वायरस के चरम पर इन कर्मचारियों ने ‘कोरोना वॉरियर’ के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं.

(फोटो: पीटीआई)

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के 1500 से अधिक अनुबंधित कर्मचारियों ने जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के गेट पर सरकार द्वारा अपनी सेवाओं की समाप्ति का विरोध करते हुए नारेबाज़ी की और कई घंटों तक सड़क जाम रखा. कोरोना वायरस के चरम पर इन कर्मचारियों ने ‘कोरोना वॉरियर’ के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं.

एनएचएम के अनुबंधित कर्मचारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल के गेट पर प्रदर्शन किया. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के सैकड़ों अनुबंधित कर्मचारियों ने बृहस्पतिवार को बड़ी संख्या में अपनी बर्खास्तगी को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान जम्मू शहर में प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई.

स्वास्थ्य मिशन के 1,500 से अधिक अनुबंधित कर्मचारी जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं, जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल के गेट पर जमा हो गए और सरकार द्वारा अपनी सेवाओं की समाप्ति का विरोध किया.

कोरोना वायरस के चरम पर इन कर्मचारियों ने कोरोना वॉरियर के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं.

प्रदर्शनकारियों ने अपनी सेवाओं को जारी रखने की मांग को लेकर सरकार विरोधी नारेबाजी की और कई घंटों तक सड़क जाम कर दी.

सड़क जाम होने से यातायात प्रभावित हुआ, जिसके कारण पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बलपूर्वक प्रदर्शनकारियों को हटाया. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प हो गई.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों के साथ ‘यूज एंड थ्रो’ की नीति अपना रही है.

सुनीता देवी नामक एक प्रदर्शनकारी ने सरकार पर कर्मचारियों का इस्तेमाल कर उन्हें हटाने की नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘हमसे वादा किया गया था कि अगर हमने कोविड-19 की अवधि के दौरान बेहतरीन तरीके से सेवा की, तो हमें सेवाओं में नियमित कर दिया जाएगा. लेकिन नियमितीकरण के बजाय, उन्होंने कोविड की भयावह लहर के दौरान हमारा उपयोग करने के बाद बर्खास्त कर दिया.’

सुनीता देवी ने कहा, ‘सरकार हमारे साथ ‘यूज एंड थ्रो’ की नीति अपना रही है और हम इसकी निंदा करते हैं.’

उन्होंने कहा कि पिछले साल कोविड​​​​-19 की पहली लहर के चरम पर उन्होंने सरकारी मेडिकल कॉलेज में नौकरी शुरू की थी, यह वह समय था जब कोई भी अपने घरों से बाहर नहीं आना चाहता था.

आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने ऐसे 1,500 से अधिक कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त किया है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, प्रदर्शनकारी महिला एनएचएम कर्मचारी ने कहा, ‘हमने अपनी जान जोखिम में डालकर काम किया था. तब कोविड रोगियों की देखरेख करने वाला कोई नहीं था. हमने बिना ग्लव्स (दस्ताने) अपने हाथों से शवों को भी उठाया. उन्होंने हमारी सेवा समाप्त कर दी और हमें छोड़ दिया.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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