दिल्ली पुलिस ने ऑडिट के बाद सेवानिवृत्त अधिकारियों और जजों की सुरक्षा में कटौती की: रिपोर्ट

एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुलिस द्वारा किए गए ऑडिट में पता चला है कि 535 सुरक्षाकर्मियों को उन पूर्व आयुक्तों, सेवानिवृत्त अधिकारियों और न्यायाधीशों के साथ नेताओं की सुरक्षा में तैनात किया गया था, जिन्हें कोई ख़तरा नहीं है. इसके बाद पुलिस ने इन लोगों की सुरक्षा की समीक्षा की और इनकी सुरक्षा या तो हटा दी गई या इसे कम कर दिया.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुलिस द्वारा किए गए ऑडिट में पता चला है कि 535 सुरक्षाकर्मियों को उन पूर्व आयुक्तों, सेवानिवृत्त अधिकारियों और न्यायाधीशों के साथ नेताओं की सुरक्षा में तैनात किया गया था, जिन्हें कोई ख़तरा नहीं है. इसके बाद पुलिस ने इन लोगों की सुरक्षा की समीक्षा की और इनकी सुरक्षा या तो हटा दी गई या इसे कम कर दिया.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस ने अपनी सुरक्षा इकाइयों के ऑडिट के बाद कई पूर्व अधिकारियों, सेवानिवृत्त जजों और अन्य अधिकारियों की सुरक्षा कम कर दी है.

दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना के निर्देश पर यह ऑडिट किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा इकाइयों में तैनात अधिकारियों का मूल्यांकन करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह फैसला लिया गया.

रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस के सूत्रों के हवाले से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट  ने मूल्यांकन का यह निर्देश इसलिए दिया, क्योंकि धनबाद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद वह चाहता था कि पुलिस उसके जजों के साथ ही उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को भी सुरक्षा मुहैया कराए.

पुलिस द्वारा किए गए ऑडिट में पता चला कि 535 कर्मचारियों को उन पूर्व आयुक्तों, सेवानिवृत्त अधिकारियों और न्यायाधीशों के साथ नेताओं की सुरक्षा में तैनात किया गया था, जिन्हें कोई खतरा नहीं है. इसके बाद पुलिस ने इन लोगों की सुरक्षा की समीक्षा की और इनकी सुरक्षा या तो हटा दी गई या इसे कम कर दिया.

पुलिसकर्मियों को ऐसी सुरक्षा ड्यूटी से मुक्त कर दिया गया है और इन्हें अब कानून एवं व्यवस्था और पुलिस कार्यों में तैनात किया जाएगा.

बता दें कि दिल्ली में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जहां सुरक्षाकर्मियों की तैनाती को लेकर प्राथमिकताओं को दोबारा तय करने की जरूरत महसूस हुई.

बीते हफ्ते दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में हुई गोलीबारी के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने जिला अदालतों में सुरक्षा में सुधार का आह्वान किया था. मौजूदा किसान आंदोलन के मद्देनजर सीमाओं और संवेदनशील इमारतों में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती को बढ़ा दिया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, ऑडिट से पता चला था कि स्वीकृत संख्या से अधिक कर्मचारियों को व्यक्तिगत सुरक्षा कर्तव्यों में तैनात किया गया था. सुरक्षा इकाइयों में 5,465 की स्वीकृत संख्या के मुकाबले 6,828 कर्मचारियों को तैनात किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से बताया गया है कि इनमें से कई अधिकारियों को पूर्व पुलिस आयुक्तों, सेवानिवृत्त जजों और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के साथ तैनात किया गया था, जिन्हें ज्यादा खतरा नहीं था. कुछ मामलों में सेवानिवृत्त आयुक्तों की सुरक्षा में लगभग 15 अधिकारी तैनात थे.

इतना ही नहीं कई सुरक्षाकर्मी इन अधिकारियों और न्यायाधीशों से जुड़े हुए थे, जब वे सक्रिय सेवा में थे.

हालांकि, गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के मुताबिक, हर छह महीने में सुरक्षा प्रदान कराने वाली एजेंसी को खतरे की अवधारणा का आकलन करना होता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने बीते दो साल से अधिक समय से इस तरह का कोई आकलन नहीं किया है. वहीं, जिन अधिकारियों की सुरक्षा कम की गई है, उनमें स्पेशल सेल के अधिकारी भी हैं, जो बड़ी संख्या में आतंकवाद रोधी मामलों से निपटते हैं.

द वायर ने दिल्ली पुलिस प्रवक्ता चिन्मय बिस्वाल से उन अधिकारियों और जजो की विस्तृत जानकारी मांगी, जिनकी सुरक्षा या तो घटाई गई है या हटाई गई है. इसका जवाब मिलने पर स्टोरी अपडेट की जाएगी.

इस बीच दिल्ली पुलिस के एक अन्य प्रवक्ता का कहना है कि उन्हें सुरक्षा ऑडिट को लेकर किसी तरह की आधिकारिक पुष्टि नहीं मिली है.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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