लैटरल एंट्री के तहत नियुक्त किए गए इन लोगों में से तीन संयुक्त सचिव, 19 निदेशक और नौ उप-सचिव बनाए गए हैं. मोदी सरकार द्वारा लाई गई इस नई व्यवस्था के तहत ऐसे लोगों को मंत्रालयों में अधिकारी बनाया जाता है, जिन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा पास नहीं की है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के विभागों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव पदों के लिए निजी क्षेत्र के 31 विशेषज्ञों का चयन किया गया है. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने बीते शुक्रवार को यह जानकारी दी. इन लोगों में तीन संयुक्त सचिव, 19 निदेशक और नौ उप सचिव शामिल हैं.
कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह सही प्रतिभा को सही भूमिका प्रदान करने के लिए एक बड़ा कदम है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘सही प्रतिभा को सही भूमिका में रखने के लिए एक बड़े कदम के रूप में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने यूपीएससी द्वारा उचित चयन प्रक्रिया के बाद भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व विभागों में संयुक्त सचिव, निदेशक व उप-सचिव के रूप में 31 सीधी भर्तियों की घोषणा की है.’
As a major step to place the right talent for the right role, #DoPT announces 31 Lateral Entry Recruitments, after due selection process by UPSC, as Joint Secretary/Director/Deputy Secretary in different Ministries/Departments of Government of India.https://t.co/TA0qsVr0tY pic.twitter.com/gPyDgk5zO3
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) October 8, 2021
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने 14 दिसंबर 2020 और 12 फरवरी 2021 को यूपीएसएसी से संविदा या प्रतिनियुक्ति आधार पर केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व विभागों में संयुक्त सचिव, उप-सचिव के पदों पर भर्ती के लिए योग्य उम्मीदवारों के चयन करने का अनुरोध किया था.
यूपीएससी ने छह फरवरी 2021 को ऑनलाइन आवेदन द्वारा संयुक्त सचिव/निदेशक स्तर की भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत की.
उप-सचिव पदों के लिए 20 मार्च को भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत हुई. संयुक्त सचिव के लिए 295, निदेशक स्तर के पदों के लिए 1,247 और उप-सचिव स्तर के पदों के लिए 489 आवेदन मिले.
आयोग ने ऑनलाइन आवेदन पत्रों के आधार पर 231 उम्मीदवारों का साक्षात्कार के लिए चयन किया. 27 सितंबर से आठ अक्टूबर 2021 के बीच साक्षात्कार का आयोजन किया गया और 31 उम्मीदवारों का अंतिम चयन किया गया है.
मालूम हो कि सितंबर 2019 में केंद्र सरकार ने अपनी लैटरल एंट्री नीति के तहत नौ निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव नियुक्त किया था.
आमतौर पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा, वन सेवा परीक्षा या अन्य केंद्रीय सेवाओं की परीक्षा में चयनित अधिकारियों को करिअर में लंबा अनुभव हासिल करने के बाद संयुक्त सचिवों के पद पर तैनात किया जाता है.
लैटरल एंट्री सरकारी विभागों में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति से संबंधित है. हालांकि इसे लेकर मोदी सरकार की काफी आलोचना होती रही है. इसके तहत ऐसे लोगों को आवेदन करने योग्य माना गया है, जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा पास नहीं की है.
विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव का विरोध शुरू करते हुए आरोप लगाया था कि अस्थायी प्रकृति की इस बहाली में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया जाएगा तथा यह एक और संवैधानिक संस्था को बर्बाद करने की साजिश है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)