केरल के दो ज़िलों- कोट्टायम और इडुक्की में भारी बारिश और भूस्खलन की घटनाओं में रविवार तक 22 लोगों की मौत हो गई. ख़राब मौसम के कारण इडुक्की के पहाड़ी इलाकों में यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 20 से 24 अक्टूबर तक मौसम के और ख़राब होने का अनुमान लगाया है.
कोट्टायम/इडुक्की/तिरुवनंतपुरम/पतनमतिट्टा: केरल के दो जिलों में भारी बारिश और भूस्खलन की घटनाओं में मृतकों की संख्या रविवार को बढ़कर 22 हो गई. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति से निपटने के लिए राज्य को मदद की पेशकश की है.
बारिश प्रभावित विभिन्न इलाकों से 22 शव बरामद किए गए. इनमें कोट्टायम से 13 और इडुक्की से नौ शव बरामद हुए. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम ने बचाव अभियान जारी रखा है.
अधिकारियों ने बताया कि कोट्टायम और इडुक्की जिलों के पर्वतीय इलाकों में शनिवार को भारी बारिश के बाद अचानक आई बाढ़ एवं भूस्खलन से लोगों की मौत हुई.
इडुक्की की जिलाधिकारी शीबा जॉर्ज ने बताया कि खराब मौसम के कारण इडुक्की के पहाड़ी इलाकों में यात्रा पर प्रतिबंध है. उन्होंने बताया, ‘अब तक नौ शव बरामद किए गए हैं. दो लोग लापता हैं.’
अधिकारियों ने बताया कि सघन बचाव अभियान के दौरान मलबे से तीन बच्चों के शव बरामद किए गए. अधिकारियों ने कहा कि आठ, सात और चार साल की उम्र के ये बच्चे एक-दूसरे को पकड़े हुए थे.
राज्य के राजस्व मंत्री के राजन ने कहा कि मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की सहायता दी जाएगी.
कोट्टयम जिले के कुट्टिकल में 40 वर्षीय व्यक्ति, उसकी 75 वर्षीय मां, 35 वर्षीय पत्नी और 14, 12 और 10 वर्ष की तीन बच्चियों सहित परिवार के छह लोगों की मौत हो गई. परिवार का मकान भूस्खलन की चपेट में आ गया था. तीन लोगों के शव कल (17 अक्टूबर) बरामद किए गए थे और शेष शव आज (18 अक्टूबर) बचावकर्मियों ने खोजे.
10 बांध के लिए ‘रेड अलर्ट’, कक्की बांध खोला गया, सबरीमला यात्रा रोकी गई
केरल के राजस्व मंत्री के. राजन ने सोमवार को बताया कि जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण जलस्तर बढ़ने के बाद राज्य में 10 बांधों के लिए ‘रेड अलर्ट’ जारी किया गया है और पतनमतिट्टा स्थित कक्की बांध के दो द्वार भी खोल दिए गए हैं. सबरीमला भगवान अयप्पा मंदिर की तीर्थयात्रा भी फिलहाल रोक दी गई है.
पतनमतिट्टा जिला कलेक्ट्रेट में स्थिति का जायजा लेने के लिए हुई समीक्षा बैठक के बाद राजन और राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 100 से 200 क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए कक्की बांध खोलने का निर्णय किया गया है, जिससे पम्पा नदी में करीब 15 सेंटीमीटर तक जलस्तर बढ़ सकता है.
उन्होंने बताया कि बांध में पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर होने और 20 अक्टूबर से भारी बारिश के अनुमान के कारण यह निर्णय किया गया. पानी अभी नहीं छोड़ा गया, तो स्थिति आगे और खराब हो सकती थी.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 20 से 24 अक्टूबर तक मौसम के और खराब होने के अनुमान के कारण उन्होंने कहा कि सबरीमला में भगवान अयप्पा मंदिर में थुला मासम पूजा के लिए तीर्थयात्रा को अनुमति देना संभव नहीं होगा. इसके लिए मंदिर 16 अक्टूबर से खोला गया था.
उन्होंने कहा कि फिलहाल तीर्थयात्रा को रोकने के अलावा ‘कोई और विकल्प नहीं है’ अन्यथा 20 अक्टूबर से होने वाली भारी बारिश के कारण पास की पम्पा नदी में जलस्तर और बढ़ गया, तो सभी को यहां से सुरक्षित निकालना मुश्किल हो जाएगा.
उन्होंने बताया कि जमीनी स्तर पर स्थिति सामान्य करने के लिए कक्की बांध के दो द्वार खोले गए हैं और बारिश भी धीमी हो गई है. पम्पा नदी के तट पर बसे लोगों को जिले में बनाए गए राहत शिविरों में पहुंचाने की व्यवस्था की गई है.
राजन ने बताया कि जिले में 83 शिविर हैं, जहां 2000 से अधिक लोग मौजूद हैं. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के दल को वहां तैनात किया गया है और जरूरत पड़ने पर राहत कार्यों में सहायता के लिए हवाई मार्ग से लोगों को निकालने वाले दल को भी तैयार रखा गया है.
उन्होंने कहा कि फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है और सोशल मीडिया पर भी ऐसे संदेश न प्रसारित करें, जिससे तनाव उत्पन्न हो.
जॉर्ज ने कहा कि लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है और ऐसे क्षेत्रों से दूर रहना अच्छा होगा, जहां बाढ़ या भूस्खलन का खतरा है.
राजन ने कहा कि कक्की, शोलेयार, पम्बा, मटुपट्टी, मोझियार, कुंडला, पीची सहित 10 बांधों के लिए ‘रेड अलर्ट’ जारी किया गया है. इनमें से अधिकतर बांध पतनमतिट्टा, इडुक्की और त्रिशूर जिले के अधीन आते हैं. इनके अलावा आठ बांध के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ भी जारी किया गया है.
इससे पहले, केरल सरकार ने भारी बारिश की वजह से कई बांधों में जल स्तर बढ़ने के मद्देनजर सोमवार को एक ‘अलर्ट’ जारी किया था कि कुछ बांधों के द्वार खोले जाएंगे, जिसके परिणामस्वरूप दक्षिण तथा मध्य केरल में नदियों में जल स्तर बढ़ सकता है.
इडुक्की जलाशय में जल स्तर सोमवार को 2,396.96 फुट तक बढ़ गया और ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया गया है, जबकि इडुक्की बांध की पूर्ण क्षमता 2,403 फुट है.
शोलेयार, पम्बा, कक्की और इदमलयार सहित विभिन्न बांधों में जलस्तर बढ़ रहा है. इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने हालात का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई .
अचनकोविल नदी के किनारे पन्दलम के पास चेरिकल, पूझिकाडु, मुदियूरकोणम और कुरमबाला क्षेत्रों के निचले इलाकों में बाढ़ आई है. अचनकोविल में जलस्तर बढ़ रहा है और आरणमुला, किदंगन्नूर तथा ओमल्लूर के तटीय इलाकों में भी ‘अलर्ट’ जारी किया गया है. लोगों को पतनमतिट्टा जिले में बने विभिन्न राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.
इस बीच, राज्य सरकार ने राहत एवं बचाव कार्यों में समन्वय के लिए एडीजीपी विजय सखारे को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है.
त्रिशूर की जिला कलेक्टर हरिथा वी कुमार ने चालक्कुडी नदी के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने को कहा है, क्योंकि शोलेयार बांध के द्वारों को खोला जा सकता है, जिससे नदी का जल स्तर बढ़ सकता है.
बीते रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से फोन पर बात की और बारिश के कारण उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की.
Spoke to Kerala CM Shri @vijayanpinarayi and discussed the situation in the wake of heavy rains and landslides in Kerala. Authorities are working on the ground to assist the injured and affected. I pray for everyone’s safety and well-being.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2021
मोदी ने ट्वीट किया, ‘केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से बातचीत की और केरल में भारी बारिश तथा भूस्खलन के मद्देनजर स्थिति पर विचार-विमर्श किया. अधिकारी घायलों और प्रभावितों की सहायता के लिए काम कर रहे हैं.’
मोदी ने कहा, ‘मैं सभी के सुरक्षित रहने और उनकी भलाई के लिए प्रार्थना करता हूं.’
It is saddening that some people have lost their lives due to heavy rains and landslides in Kerala. Condolences to the bereaved families.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2021
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘यह दुखद है कि केरल में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण कुछ लोगों की मृत्यु हो गई मेरी संवदेनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं.’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित केरल के लोगों को हरसंभव सहायता मुहैया कराएगा.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि सरकार भारी बारिश और बाढ़ के मद्देनजर केरल के कुछ हिस्सों की स्थिति पर लगातार नजर रख रही है.
शाह ने कहा, ‘केंद्र सरकार जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए हर संभव सहायता मुहैया कराएगी. एनडीआरएफ की टीम पहले ही बचाव अभियान में मदद के लिए भेजी जा चुकी है. सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता हूं.’
केरल में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार प्रभावित क्षेत्रों में समय पर बचाव अभियान शुरू करने में विफल रही है. उन्होंने कोक्कायार और कूट्टिकल का दौरा किया था.
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि दक्षिणपूर्वी अरब सागर तथा उससे लगते केरल पर कल (17 अक्टूबर) बना कम दबाव का क्षेत्र अब कमजोर हो गया है.
विभाग ने कहा, ‘इसके प्रभाव से केरल और माहे में 17 अक्टूबर को दूरदराज के इलाके में भारी बारिश के आसार हैं और इसके बाद ये कम हो जाएगी.’
एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया, ‘स्थानीय सूत्रों के अनुसार कुछ लोग अब भी फंसे हुए हैं. अभी भारी बारिश का कोई अनुमान नहीं है. पैंगोड सैन्य स्टेशन की मद्रास रेजीमेंट ने कूट्टीकल से चार किलोमीटर दूर कवाली गांव में बचाव अभियान शुरू किया.’
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रविवार को लोगों से सतर्क रहने और अधिकारियों ने निर्देशों का पालन करने की अपील की है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, केरल राज्य बिजली बोर्ड (केएसईबी) ने बताया कि उसे राज्य में बारिश के कारण 13.67 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है.
केएसईबी ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘सबसे ज्यादा नुकसान पतनमतिट्टा, पाला और थोडुपुझा सर्कल में हुआ. कुल 3,074 वितरण ट्रांसफार्मर ने काम करना बंद कर दिया, जिनमें से 60 पूरी तरह से नष्ट हो गए. 339 हाईटेंशन पोस्ट नष्ट हो गए, 1398 लो-टेंशन पोस्ट क्षतिग्रस्त हो गए और 4.18 लाख बिजली कनेक्शन टूट गए.’
राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने बताया कि कल (18 अक्टूबर) होने वाली सभी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है, जबकि 18 अक्टूबर से शुरू होने वाली कक्षाओं को 20 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया गया है.
संस्कृति मंत्री साजी चेरियन ने कहा कि चेंगन्नूर और कुट्टनाड क्षेत्रों के निचले इलाकों में रहने वाले परिवारों को राहत शिविरों में स्थानांतरित कर दिया गया है, क्योंकि राज्य के पूर्वी हिस्से में भारी बारिश के कारण पंबा और अचनकोविल नदियों का पानी बढ़ना शुरू हो गया है.
केंद्रीय जल आयोग ने राज्य की मनीमाला, कल्लादा, अचनकोविल, नेय्यर और करमाना नदियों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि त्रिशूर, पलक्कड़, पतनमतिट्टा और कोट्टायम जिलों में लगातार बारिश जारी है.
उन्होंने कहा, ‘एनडीआरएफ की टीमों को पतनमतिट्टा, अलाप्पुझा, इडुक्की, एर्नाकुलम, त्रिशूर और मलप्पुरम जिलों में तैनात किया गया है. इडुक्की, कोट्टायम, कोल्लम, कन्नूर और पलक्कड़ जिलों में पांच अतिरिक्त टीमों को तैनात करने के निर्देश जारी किए गए हैं.’
छोटे बादल फटने की घटनाओं के कारण अचानक बाढ़ आई और भूस्खलन हुआ: विशेषज्ञ
कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीयूएसएटी) के एक वैज्ञानिक ने रविवार को दावा किया कि केरल के कुछ क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों में हुई मूसलाधार बारिश ने छोटे बादल फटने का संकेत दिया है. इसके चलते जानमाल को नुकसान हुआ.
वायुमंडलीय विज्ञान विभाग (सीयूएसएटी) के वैज्ञानिक एस अभिलाष ने इडुक्की और कोट्टायम जिलों के सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में दो घंटे में 5 सेमी से अधिक बारिश होने का हवाला देते हुए कहा कि यह एक प्रकार कसे छोटे बादल फटने की घटना है.
उन्होंने कहा कि भारत मौसम विभाग की परिभाषा के अनुसार अल्प अवधि के लिए, एक घंटे में 5 से 10 सेंटीमीटर के बीच बारिश होने को छोटा बादल फटना कहा जाता है.
अभिलाष ने बताया कि केरल में पश्चिमी घाट क्षेत्र के उच्च पर्वतीय क्षेत्र भूस्खलन के लिए अतिसंवेदनशील हैं. उन्होंने कहा कि इडुक्की और कोट्टायम में बादल फटने के चलते अचानक भारी बारिश होने से भूस्खलन और बाढ़ आ गई, जिससे जानमाल को नुकसान हुआ.
जयराम रमेश ने गाडगिल समिति की रिपोर्ट लागू न करने की आलोचना की
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने केरल के पहाड़ी क्षेत्रों में विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन की लगातार घटनाओं के लिए पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट’ लागू न करने को जिम्मेदार ठहराया है. समिति की ओर से प्रख्यात पारिस्थितिकीविद् माधव गाडगिल द्वारा 2011 में यह रिपोर्ट तैयार की गई थी.
Whenever there is a natural disaster in Kerala, the Madhav Gadgil's Western Ghats Ecology Expert Panel report of 2011 is recalled. A decade later it remains unimplemented—despite devastating floods in 2018 and 2020.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 17, 2021
रमेश ने केरल के कोट्टायम और इडुक्की जिलों के पहाड़ी इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन के कारण हुई तबाही के एक दिन बाद ट्विटर पर लिखा, ‘केरल में जब भी कोई प्राकृतिक आपदा होती है, माधव गाडगिल की 2011 की ‘पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ समिति’ की रिपोर्ट को याद किया जाता है. एक दशक बाद भी इसे लागू नहीं किया गया है, खासकर 2018 और 2020 में विनाशकारी बाढ़ के बावजूद.’
पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने बताया कि छह राज्यों में फैले सम्पूर्ण पश्चिमी घाट के लिए संबंधित रिपोर्ट की प्रासंगिकता जारी है, लेकिन दुख की बात है कि ऐसा नहीं किया जा सकता है, जबकि पारिस्थितिकी विनाश बेरोकटोक जारी है.
उनका यह बयान तब आया है जब कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने हाल में आई बाढ़ के आलोक में दुनिया के सबसे बड़े जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट में से एक, पश्चिमी घाट की पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए गाडगिल समिति की रिपोर्ट को लागू करने की आवश्यकता जताई है.
पारिस्थितिकीविद् माधव गाडगिल की अध्यक्षता वाली पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ समिति को गाडगिल आयोग के रूप में भी जाना जाता है. यह 2010 में रमेश द्वारा नियुक्त एक पर्यावरण अनुसंधान आयोग था, जब वह मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री थे.
आयोग ने 31 अगस्त, 2011 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी, जिसमें उसने पश्चिमी घाट के 64 प्रतिशत क्षेत्र को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने की सिफारिश की थी.
हालांकि, 2012 में मंत्रालय ने गाडगिल समिति की रिपोर्ट की जांच के लिए भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में पश्चिमी घाट पर एक कार्यदल का गठन किया.
उन्होंने कहा कि कस्तूरीरंगन रिपोर्ट ने क्षेत्र को 64 प्रतिशत से 37 प्रतिशत तक कम कर दिया था और पहाड़ियों की रक्षा में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित स्थानीय निकायों की किसी भी भूमिका से इनकार किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)