छत्तीसगढ़ः भाजपा नेताओं के सामने हिंदुत्ववादी नेता का अल्पसंख्यकों के सिर काटने का आह्वान

सरगुजा ज़िले में एक अक्टूबर को कथित तौर पर हिंदुओं के ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरण में बढ़ोतरी के विरोध में एक रैली का आयोजन किया गया, जिसमें भाजपा के कई दिग्गज नेता शामिल हुए. रैली में स्वामी परमात्मानंद ने इन कथित जबरन धर्मांतरण में शामिल अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर उनकी हत्या का आह्वान किया.

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छत्तीसगढ़ के सरगुजा में संबोधित करते स्वामी परमात्मानंद (फोटोः स्क्रीनग्रैब)

सरगुजा ज़िले में एक अक्टूबर को कथित तौर पर हिंदुओं के ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरण में बढ़ोतरी के विरोध में एक रैली का आयोजन किया गया, जिसमें भाजपा के कई दिग्गज नेता शामिल हुए. रैली में स्वामी परमात्मानंद ने इन कथित जबरन धर्मांतरण में शामिल अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर उनकी हत्या का आह्वान किया.

छत्तीसगढ़ के सरगुजा में संबोधित करते स्वामी परमात्मानंद (फोटोः स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्लीः छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में एक अक्टूबर को एक विरोध रैली का आयोजन किया गया. यह प्रदर्शन कथित तौर पर हिंदुओं के ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरण में बढ़ोतरी के विरोध में था. इस रैली में भाजपा के कई दिग्गज नेता शामिल हुए. रैली में स्वामी परमात्मानंद ने इन कथित जबरन धर्मांतरण में शामिल अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर उनकी हत्या का आह्वान किया.

उन्होंने कहा, ‘मैं संत हूं. मैं परवाह नहीं करता. मैं आपको स्पष्ट बताऊंगा. रामविचार जी ने यही बातें कही थीं लेकिन वह थोड़े अस्पष्ट थे. घर पर लाठी रखो. हमारे गांवों में लोग कुल्हाड़ी रखते हैं. वे कुल्हाड़ी क्यों रखते हैं? आप फरसा क्यों रखते हैं? धर्मांतरण के लिए जो भी आए, उसका सिर धड़ से अलग कर दो. अब आप कहोगे कि मैं संत होकर भी नफरत फैला रहा हूं लेकिन कभी-कभी चिंगारी भड़काना भी जरूरी है. मैं आपको बता रहा हूं, जो भी आपके घर, गली, पड़ोस, गांव में आए, उसे माफ नहीं करना.’

हालांकि, वह यहीं नहीं रुके. उन्होंने इस तरह के धर्मांतरण से निपटने का एक तरीका भी बताया. उन्होंने कहा, ‘मैं धर्मांतरण करने वाले उन ईसाइयों को बताना चाहता हूं, आपने कुएं के लिए समुद्र को क्यों छोड़ दिया. मैं चाहता हूं कि आप  पहले उनसे विनम्रता से बात करें. पहले रोको, फिर ठोको, फिर ठोको.’

स्वामी परमात्मानंद का लोगों को हथियारबंद होने का आह्वान करने से ज्यादा चिंताजनक यह है कि उन्होंने सैकड़ों लोगों से ईसाइयों का सिर कलम करने का आह्वान किया.

इस दौरान छत्तीसगढ़ में रामविचार नेताम, नंदकुमार साई जैसे भाजपा के प्रभावशाली नेता और भाजपा प्रवक्ता अनुराग सिंह देव मंच पर मौजूद थे.

सामने आए वीडियो में पूर्व सांसद और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नंदकुमार साई को मुस्कुराते और ताली बजाते देखा जा सकता है, शायद वह उनकी बातों से सहमति जता रहे हैं.

संस्कृत बोर्ड के पूर्व प्रमुख परमात्मानंद छत्तीसगढ़ के प्रमुख हिंदुत्व नेता हैं, जो अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसक और भड़काऊ बयानों के लिए जाने जाते हैं.

राजस्थान के पहलू खान की लिंचिंग के बाद परमात्मानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान की भी निंदा की थी कि असामाजिक तत्व गोरक्षक के रूप में काम कर रहे हैं.

उन्होंने सरकार से गोतस्करों को मारने वालों को सम्मानित करने को कहा था. उन्होंने 2017 में कहा था, ‘गोहत्यारों को गोली मार देनी चाहिए.’

इस कार्यक्रम का नाम ‘बंद करो धर्मांतरण’ था, जिसका आयोजन सर्व सनातन हिदू रक्षा मंच ने किया था. कुछ महीने पहले भाजपा ने अपने ध्यान जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर किया था. सुकमा के पुलिस अधीक्षक द्वारा पत्र जारी करने के बाद इस मुद्दे ने तूल पकड़ा.

इस पत्र में सभी पुलिस स्टेशनों को ईसाई मिशनरियों पर नजर रखने को कहा था.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रमन सिंह ने कांग्रेस सरकार पर गैरकानूनी धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाय था, विशेष रूप से बस्तर और सरगुजा में.

मुख्यमंत्री बघेल ने भाजपा पर अपने 15 साल के कार्यकाल के दौरान जबरन धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर निशाना साधा था.

उन्होंने कहा था, ‘भाजपा के चिंतन शिविर को लेकर की गई मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि रमन सिंह का 15 साल के कुशासन पर चर्चा की जा रही है. धर्मांतरण भी चर्चा का विषय है. रिकॉर्ड से पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के शासन में बड़ी संख्या में चर्चा का निर्माण किया गया.’

कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई के संचार प्रमुख सुशील शुक्ला ने द वायर  को बताया, ‘भाजपा सिर्फ यह जानती है कि नफरत कैसे फैलानी है, जो आसान है. सद्भाव सुनिश्चित करना मुश्किल काम है. भाजपा के कार्यकाल में अधिक चर्च बनाए गए.’

द वायर  के यह पूछने पर कि क्या अधिक चर्चों का निर्माण कराना गैरकानूनी है? इस पर शुक्ला ने जवाब दिया कि गैरकानूनी नहीं है लेकिन भाजपा ने अपने 15 साल के कार्यकाल में धर्मांतरण की जांच नहीं की.

उन्होंने सरगुजा की रैली में कहा कि पुलिस ने इस मामले का संज्ञान लिया है.

छत्तीसगढ़ ईसाई विरोधी लामबंदी का केंद्र बनता जा रहा है. देश के कई राज्यों में कथित जबरन धर्मांतरण के भ्रम की नई लहर महसूस की जा सकती है.

उत्तर प्रदेश में एसटीएफ ने मुस्लिम मौलवियों द्वारा चलाए जा रहे कथित धर्मांतरण के रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया. आलोचकों ने इस मामले में की गई गिरफ्तारियों पर गंभीर सवाल उठाए.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने दशहरा के अपने वार्षिक संबोधन में देश में मुस्लिमों और ईसाइयों की बढ़ रही आबादी को लेकर चिंता जताई थी. इसके एक दिन बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने जबरन धर्मांतरण की जांच के लिए चर्च का सर्वे करने की योजना बनाई.

इस महीने की शुरुआत में रुड़की में कथित जबरन धर्मांतरण के आरोप में हिंदुत्व कार्यकर्ताओं की भीड़ ने एक चर्च में तोड़फोड़ की और ईसाइयों पर हमला किया.

ईसाई परिवार के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (धार्मिक वैमनस्य को बढ़ावा देने), 395 (डकैती) 120बी (आपराधिक साजिश) और अन्य धाराओं में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की.

मानवाधिकार समूह सीजेपी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर अल्पसंख्यकों पर बढ़ रहे हमलों पर संज्ञान लेने को कहा.

सीजेपी ने कहा, ‘बीते दो दिनों में ये हमले उत्तर भारत के छोटे शहरों और गांवों में हुए हैं और इन्हें कथित तौर पर कुछ दक्षिणपंथी गुंडों ने अंजाम दिया है, जो संकेत है कि ये हमले सुनियोजित थे ताकि ईसाई समुदाय के सदस्यों पर हमला किया जा सके और उनका उत्पीड़न किया जा सके.’

यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के नेता विलियम माइकल का कहना है, ‘ईसाइयों पर किए जा रहे हमले हाल के दिनों में बढ़े हैं, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में.’

द वायर  ने सरगुजा के एसपी से इस मामले पर संपर्क किया लेकिन उनकी अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. उनका जवाब आने पर इस खबर को अपडेट किया जाएगा.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)