‘जनता के आग्रह’ नहीं, प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट के चलते बदला गया राजीव गांधी खेल रत्न का नाम

एक्सक्लूसिव: एक आरटीआई आवेदन के जवाब में प्राप्त दस्तावेज़ बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ट्वीट किए जाने के बाद खेल मंत्रालय को राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखना पड़ा था. प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में 'इस बारे में जनता से निवेदन मिलने' की बात भी कही थी, हालांकि खेल मंत्रालय के पास ऐसे किसी निवेदन का कोई रिकॉर्ड नहीं है. 

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The Prime Minister, Shri Narendra Modi addressing at the flagging off ceremony of “Run For Rio”, at Major Dhyan Chand National Stadium, in New Delhi on July 31, 2016. The Minister of State for Youth Affairs and Sports (I/C), Water Resources, River Development and Ganga Rejuvenation, Shri Vijay Goel and the Secretary, Ministry of Youth & Sports, Shri Rajiv Yadav are also seen.

एक्सक्लूसिव: एक आरटीआई आवेदन के जवाब में प्राप्त दस्तावेज़ बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ट्वीट किए जाने के बाद खेल मंत्रालय को राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखना पड़ा था. प्रधानमंत्री ने अपने ट्वीट में ‘इस बारे में जनता से निवेदन मिलने’ की बात भी कही थी, हालांकि खेल मंत्रालय के पास ऐसे किसी निवेदन का कोई रिकॉर्ड नहीं है.

दिल्ली के ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फाइल फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: इस साल अगस्त महीने में जब भारतीय टीम ओलंपिक खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर रही थी, उसी दौरान अचानक से एक खबर आई कि ‘राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड’ का नाम बदलकर ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड’ कर दिया है. देश को ये समाचार किसी और से नहीं, बल्कि सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट से मिला था.

इस मामले को लेकर चौतरफा बहस छिड़ गई. किसी ने इसे मोदी सरकार द्वारा कांग्रेस परिवार को अपमानित करने और उनकी उपलब्धियों को मिटाने का एक नया पैंतरा करार दिया, किसी ने इसे मेजर ध्यानचंद का सम्मान करना कहा, तो किसी ने इस निर्णय की प्रकिया पर सवाल उठाया और पूछा कि आखिर किस आधार पर केंद्र द्वारा ये फैसला लिया गया है.

अव्वल तो मेजर ध्यानचंद के नाम पर पहले से ही एक पुरस्कार दिया जा रहा था, लेकिन छह अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में दावा किया कि ‘अनेक देशवासियों ने उनसे यह आग्रह किया था कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया जाए.’

हालांकि प्रधानमंत्री के इस दावे की पुष्टि करने के लिए खेल मंत्रालय के पास ऐसे कोई दस्तावेज नहीं हैं, जिसमें पुरस्कार का नाम बदलने को लेकर नागरिकों के आग्रह का कोई ज़िक्र हो. आलम ये है कि मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट के बाद ही राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलने का फैसला किया था और आनन-फानन में अधिकारियों द्वारा इसका सर्कुलर जारी किया गया था.

द वायर  द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत प्राप्त दस्तावेजों के जरिये यह जानकारी सामने आई है.

भारत के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने आधिकारिक रूप से यह स्वीकार किया है कि उनके पास इस पुरस्कार का नाम बदलने को लेकर जनता से कोई निवेदन या आग्रह प्राप्त होने संबंधी कोई दस्तावेज नहीं हैं.

मालूम हो कि प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र को उसकी विषय-वस्तु के आधार पर निपटारे के लिए संबंधित मंत्रालय या विभाग के पास ट्रांसफर किया जाता है.

द वायर  ने आठ अगस्त 2021 को एक आरटीआई आवेदन दायर किया था, जिसमें ये पूछा गया था कि इस अवॉर्ड का नाम बदलने को लेकर सरकार को कुल कितने निवेदन प्राप्त हुए हैं. इसके साथ ही इन निवेदन पत्रों की फोटोकॉपी की भी मांग की गई थी.

हालांकि मंत्रालय की अवर सचिव और केंद्रीय जन सूचना अधिकारी शांता शर्मा ने कहा, ‘इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है.’

इतना ही नहीं, यह फैसला लेने से पहले मंत्रालय ने संबंधित स्टेकहोल्डर्स के साथ भी कोई विचार-विमर्श नहीं किया था और सिर्फ प्रधानमंत्री के ट्वीट के आधार पर ही पुरस्कार का नाम बदला गया.

दूसरे शब्दों में कहें तो, पहले मोदी ने ट्वीट किया और बाद में पुरस्कार का नाम बदला गया.

प्रधानमंत्री के ट्वीट को ‘सरकार के निर्णय’ में तब्दील करने की अधिकारियों की बेचैनी और जल्दबाजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस फाइल में केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह स्वीकृति प्रदान की थी, उसमें कई जगहों पर ‘स्पेलिंग’ जैसी मूलभूत गलतियां हैं.

इस फैसले की फाइल में लगे दस्तावेजों की शुरुआत प्रधानमंत्री के ट्वीट से होती है. इसमें उनके तीन सिलसिलेवार ट्वीट्स की फोटो लगाई गई है, जिसके आधार पर पुरस्कार का नाम बदलने संबंधी मंजूरी प्राप्त करने के लिए फाइल नोटिंग्स तैयार की गई थी.

इस पूरी कवायद के दौरान मंत्रालय के अधिकारियों के सामने एक अन्य दुविधा खड़ी हुई थी कि चूंकि मेजर ध्यानचंद के नाम पर पहले ही एक पुरस्कार ‘ध्यानचंद अवॉर्ड’ दिया जाता है, तो इसके बारे में क्या किया जाए. बाद में उन्होंने ये फैसला लिया कि आगे चलकर इसका भी नाम बदल दिया जाएगा.

Major DhyanChand Award Files by The Wire

छह अगस्त 2021, जिस दिन मोदी ने ट्वीट किया था, को अनुभाग अधिकारी (एसपी-IV) ने सुरेंद्र ने प्रस्ताव तैयार करते हुए लिखा, ‘राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड, जिसका गठन 1991-92 में हुआ था, का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड करने का प्रस्ताव किया गया है.’

उन्होंने आगे लिखा, ‘यह भी प्रस्ताव किया जाता है कि चूंकि स्पोर्ट्स में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए साल 2002 में ‘ध्यानचंद अवॉर्ड’ का गठन किया गया था, तो इसका भी नाम बदला जाए. माननीय प्रधानमंत्री के ट्वीट की प्रति और खेल रत्न अवॉर्ड एवं ध्यानचंद अवॉर्ड योजनाओं को फाइल में संलग्न किया गया है. इस संबंध में सर्कुलर जारी करने के लिए मंजूरी दी जाए.’

इसके बाद इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करते हुए संयुक्त सचिव अतुल सिंह और मंत्रालय के तत्कालीन सचिव रवि मितल ने नोटिंग पर हस्ताक्षर किया. दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पर सहमति जताई कि ‘ध्यानचंद अवॉर्ड’ का भी नाम बदला जाए.

इसके बाद खुद सचिव (स्पोर्ट्स) रवि मितल ने एक अन्य नोट तैयार किया, जिसे मंजूरी के लिए खेल मंत्री के पास भेजा जाना था, और इसमें राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलने के अलावा ध्यानचंद अवॉर्ड का भी नाम बदलने की मंजूरी मांगी गई.

ध्यानचंद अवॉर्ड का नाम बदलने को लेकर तीन विकल्प दिए गए थे, जिसमें इस पुरस्कार का नाम बदलकर ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड इन स्पोर्ट्स एंड गेम्स’ करने, या इसे ‘मिल्खा सिंह अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड इन स्पोर्ट्स एंड गेम्स’ करने या फिर बाद में इस पर निर्णय लेने का विकल्प शामिल था.

केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने ये फैसला किया कि इस संबंध में बाद में फैसला लिया जाएगा और राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलने की मंजूरी प्रदान कर दी.

दस्तावेजों से ये स्पष्ट होता है कि इस फैसले में संबंधित स्टेकहोल्डर्स जैसे कि राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन इत्यादि के साथ कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया.

इस पुरस्कार का नाम बदलने के करीब एक महीने बाद इससे जुड़ी योजना को अधिसूचित किया गया था. इसमें कहा गया है कि इस पुरस्कार का उद्देश्य पिछले चाल सालों में खेल के क्षेत्र में शानदार और सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन वाले खिलाड़ी को सम्मानित करना है. हर साल किसी एक खिलाड़ी को ये सम्मान दिया जाएगा.

इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री इस योजना के किसी भी प्रावधान में परिवर्तन कर सकते हैं या छूट प्रदान कर सकते हैं.

मालूम हो कि तीन बार के ओलंपिक पद विजेता ध्यानचंद को भारत का महानतम हॉकी खिलाड़ी माना जाता है. 29 अगस्त को उनके जन्मदिन के मौके पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है और इसी तारीख को हर साल राष्ट्रीय खेल पुरस्कार दिए जाते हैं.

इस बार के ओलंपिक खेलों में जब भारत की हॉकी टीम शानदार प्रदर्शन कर रही थी, उस दौरान मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने मांग की एक बार फिर से जोर-शोर से उठी थी.

हालांकि मोदी सरकार ने इन मांगों को तो स्वीकार नहीं किया, लेकिन उन्होंने देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार ‘राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड’ का नाम बदल दिया, जबकि ध्यानचंद के नाम पर पहले से ही एक पुरस्कार दिया जा रहा था.

द वायर  ने इससे पहले एक रिपोर्ट में बताया था कि किस प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस संबंध में कोई सूचना देने से इनकार कर दिया था और आरटीआई एक्ट का खुला उल्लंघन करते हुए कहा था कि मांगी गई जानकारी ‘सूचना’ के ही परिभाषा के दायरे से बाहर है.

इतना ही नहीं, कार्यालय ने आवेदनकर्ता पर ही इल्जाम लगा दिया कि वे इस तरह की सूचना मांग करते हुए घुमा-फिराकर कुछ जांचने की कोशिश कर रहे हैं.

दो साल पहले से चल रही थी चर्चा

बता दें कि खेल रत्न पुरस्कारों का नाम बदलने पर चर्चा कम से कम पिछले दो वर्षों से चल रही थी. फरवरी 2019 में युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा गठित खेल पुरस्कार और विशेष (नकद) पुरस्कार योजना की समीक्षा समिति द्वारा नाम परिवर्तन का सुझाव दिया गया था.

जस्टिस (सेवानिवृत्त) इंदरमीत कौर कोचर की अगुवाई वाली समिति में शिव केशवन, अश्विनी नचप्पा, मोहनदास पई, राजेश कालरा और एसपीएस तोमर (खेल मंत्रालय में उप सचिव और खेल पुरस्कारों के प्रभारी) शामिल थे.

समिति ने कहा था कि ‘राजीव गांधी सीधे तौर पर खेलों से नहीं जुड़े हैं, लेकिन उनके नाम पर पिछले 26 सालों से यह पुरस्कार दिया जा रहा है. इसका नाम भारतीय खेल रत्न रखना ज्यादा सही रहेगा.’

हालांकि इसके साथ ही उन्होंने सर्वसम्मति से यह भी निर्णय लिया था कि ‘इस समय खेल पुरस्कारों की योजनाओं के नाम बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है.’

कांग्रेस ने मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न अवॉर्ड का नाम रखने के फैसले का स्वागत किया था.

लेकिन साथ ही नरेंद्र मोदी के नाम पर क्रिकेट स्टेडियम का नाम रखने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि अब से विभिन्न स्टेडियमों के नाम पीटी उषा, मिल्खा सिंह, मैरी कॉम, अभिनव बिंद्रा, सचिन तेंदुलकर, पुलेला गोपीचंद, सुनील गावस्कर, कपिल देव, सानिया मिर्जा और लिएंडर पेस जैसे लोगों के नाम पर रखे जाएं.

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