करवाचौथ को लेकर डाबर कंपनी ने अपने उत्पाद ‘फेम क्रीम गोल्ड ब्लीच’ का एक नया विज्ञापन जारी किया था, जिसमें दो महिलाओं को एक दूसरे के लिए करवाचौथ का व्रत रखते हुए दिखाया गया था. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विज्ञापन न हटाने पर कार्रवाई की बात कही थी, जिसके बाद डाबर इंडिया ने इसे वापस लेते हुए माफ़ी मांग ली है.
नई दिल्लीः करवाचौथ को लेकर डाबर इंडिया लिमिटेड कंपनी ने अपने उत्पाद ‘फेम क्रीम गोल्ड ब्लीच’ का एक नया विज्ञापन जारी किया, जिसमें एक समलैंगिक जोड़ा यह त्योहार मना रहा है. इस विज्ञापन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
विज्ञापन को लेकर लोगों के गुस्से के बीच कंपनी ने इस विज्ञापन को वापस ले लिया और अनजाने में लोगों की भावनाएं आहत करने के लिए बिना शर्त माफी भी मांगी.
मालूम हो कि इस विज्ञापन को 22 अक्टूबर को लॉन्च किया गया था, जिसमें दो महिलाओं को करवाचौथ की तैयारी करते दिखाया गया है. विज्ञापन में एक महिला दूसरी महिला के चेहरे पर ब्लीच लगा रही है.
विज्ञापन में दोनों बातचीत के दौरान त्योहार के महत्व पर चर्चा करती हैं और बताती हैं कि वे इस व्रत को क्यों रख रही हैं.
इस विज्ञापन के अंत में पता चलता है कि दोनों महिलाओं ने एक-दूसरे के लिए व्रत रखा है. दोनों को एक-दूसरे को छलनी से देखते हुए भी दिखाया गया है.
विज्ञापन के अंत में डाबर के स्वामित्व वाले ब्रांड ‘फेम’ का लोगो इंद्रधनुषी रंगों में ‘हैशटैग ग्लो विद प्राइड’ के साथ दिखाया जाता है.
बता दें कि इंद्रधनुषी झंडा एलजीबीटीक्यूआईए+ (LGBTQIA+) सामाजिक आंदोलन का प्रतीक है. विवाद के अलावा इस विज्ञापन को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली, कुछ इसके समर्थन में दिखाई दिए और कुछ इसके विरोध में नजर आए.
एक सोशल मीडिया यूजर ने कहा, ‘इस विज्ञापन को लेकर मिली-जुली भावनाएं हैं. गैर पारंपरिक रिश्तों को स्वीकार करना अच्छा है, लेकिन यह स्त्री द्वेषपूर्ण परंपरा को बढ़ावा दे रहा है और गोरा ही सुंदर है, का प्रचार कर रहा है.’
वहीं, कुछ यूजर्स ने बताया कि फेयरनेस (गोरा करने वाले) उत्पाद जातिवादी और नस्लवादी हैं और एलजीबीटीक्यूआईए+ एंगल से इसमें कोई बदलाव नहीं आएगा.
सोशल मीडिया को क्लिप को लेकर हो रही आलोचना के बाद डाबर इंडिया ने इस कैंपेन को वापस ले लिया और भावनाएं आहत करने के लिए माफी मांगी.
Fem's Karwachauth campaign has been withdrawn from all social media handles and we unconditionally apologise for unintentionally hurting people’s sentiments. pic.twitter.com/hDEfbvkm45
— Dabur India Ltd (@DaburIndia) October 25, 2021
डाबर के आधिकारिक ट्वीट हैंडल से ट्वीट कर कहा गया, ‘फेम के करवाचौथ कैंपेन को सभी सोशल मीडिया हैंडल्स से वापस ले लिया गया है और हम अनजाने में लोगों की भावनाएं आहत करने के लिए बिना किसी शर्त के माफी मांगते हैं.’
इस विज्ञापन को लेकर मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी विरोध जताया था और इसे तत्काल हटाने की मांग करते हुए डीजीपी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था.
डाबर कंपनी का लेस्बियन वाला विज्ञापन आपत्तिजनक है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मैंने डीजीपी को यथोचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। pic.twitter.com/izd3M8MlLW
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) October 25, 2021
मंत्री ने कहा, ‘मैं इसे गंभीर मामला मानता हूं, क्योंकि इसमें हिंदू त्योहार का सहारा लिया गया है. हिंदू धर्म के त्योहारों को लेकर ही इस तरह की क्लीपिंग, विज्ञापन क्यों जारी किए जाते हैं? आज वो इन लेस्बियन को करवाचौथ का व्रत तोड़ते हुए, छलनी में देखते हुए बता रहे हैं. कल को दो लड़कों को ही फेरे लेते हुए दिखा देंगे, शादी करते दिखा देंगे. ये आपत्तिजनक है.’
मिश्रा ने भोपाल में पत्रकारों से कहा, ‘अभी मैंने डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि इसका परीक्षण कराएं और उस कंपनी को इसे हटाने को कहें अन्यथा हम वैधानिक कार्रवाई करेंगे.’
करवाचौथ पर विवाहित हिंदू महिलाएं, विशेषतौर पर उत्तर भारत में अपने पति की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं और व्रत पूरा करने की रस्म में पत्नी छलनी में चंद्रमा के साथ अपने पति का चेहरा देखती है. रविवार 24 अक्टूबर को करवा चौथ मनाया गया.
कुछ दिन पहले ही विश्व स्तर के सफल ब्रांड और भारत सरकार के ‘मेड इन इंडिया’ कैंपेन को चरितार्थ करने वाली कंपनी ‘फैबइंडिया’ को दिवाली को लेकर कपड़ों के एक संग्रह का नाम ‘जश्न-ए-रिवाज़’ रख देने से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.
कपड़ों के लोकप्रिय ब्रांड फैबइंडिया ने बीते नौ अक्टूबर को ट्विटर पर जश्न-ए-रिवाज़ नाम से नए कलेक्शन की प्रमोशनल पोस्ट की थी, जिसकी आलोचना करते हुए कई भाजपा नेताओं सहित कई यूजर्स ने कंपनी पर हिंदुओं के त्योहार दिवाली को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था. विवाद के बाद ब्रांड ने इस ट्वीट को डिलीट कर यह विज्ञापन वापस ले लिया था.
इसी तरह बीते सितंबर माह में अभिनेत्री आलिया भट्ट द्वारा किया गया ‘मान्यवर ब्रांड’ के कपड़ों का एक विज्ञापन पर भी बवाल मच गया था. इस विज्ञापन में आलिया कहती हुई नजर आ रही हैं कि विवाह में ‘कन्यादान’ की जगह ‘कन्यामान’ को स्वीकृति मिलनी चाहिए. विज्ञापन का मतलब था कि लड़की कोई ‘दान’ देने की चीज नहीं, तो बेहतर होगा उसे दान देने के बजाय ‘मान’ दें और दूसरा परिवार उसे कन्या मान लें.
कुछ लोगों ने इस विज्ञापन को हिंदू धर्म और हिंदू रीति-रिवाजों के खिलाफ बताया था. इन लोगों का मानना था कि बार-बार इस तरह की चीजें बनती और प्रसारित होती हैं जो हिंदुओं की मान्यताओं के खिलाफ हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)