मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख गिरफ़्तार

प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र पुलिस प्रतिष्ठान में 100 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत एवं वसूली मामले में की जा रही आपराधिक जांच के संबंध में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख को 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ़्तार किया है. वसूली के आरोपों के कारण देशमुख को अप्रैल में गृह मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था.

/
Mumbai: Former Maharashtra home minister Anil Deshmukh being taken to a hospital for his medical check-up, after his arrest in a money laundering case, in Mumbai, Tuesday, November 2, 2021. (PTI Photo)

प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र पुलिस प्रतिष्ठान में 100 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत एवं वसूली मामले में की जा रही आपराधिक जांच के संबंध में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख को 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ़्तार किया है. वसूली के आरोपों के कारण देशमुख को अप्रैल में गृह मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था.

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को 12 घंटे से अधिक समय तक चली पूछताछ के बाद सोमवार देर रात गिरफ्तार कर लिया. मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला महाराष्ट्र पुलिस प्रतिष्ठान में कथित वसूली गिरोह से जुड़ा है.

अधिकारियों ने बताया कि 71 वर्षीय देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता देशमुख पूछताछ के दौरान सवालों के जवाब देने से बचते रहे.

इसके बाद मंगलवार दिन में देशमुख को छह नवंबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया. देशमुख को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पीबी जाधव के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने अवकाश के दिन मामले पर सुनवाई की.

ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता की 14 दिन की हिरासत का अनुरोध करते हुए कहा कि मामले में आगे छानबीन करने और धन के प्रवाह की जांच करने के लिए हिरासत में पूछताछ की जरूरत है.

देशमुख के वकील विक्रम चौधरी और वकील अनिकेत निकम ने हालांकि इसका विरोध किया और दलील दी कि ईडी के पास जांच करने का कोई अधिकार नहीं है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने केवल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को देशमुख के खिलाफ आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था.

चौधरी ने अदालत को बताया कि किसी ने ईडी से जांच के लिए नहीं कहा. उन्होंने अदालत को बताया कि देशमुख (71) वरिष्ठ नागरिक हैं, जिनके कंधे में दिक्कतें है और इसलिए उन्हें लगातार मदद की जरूरत है. चौधरी ने कहा, ‘वह (देशमुख) इस साल फरवरी में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और हृदय रोग तथा उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं.’

इससे पहले मंगलवार सुबह सूत्रों ने बताया कि एनसीपी नेता अपने वकील और सहयोगियों के साथ सोमवार सुबह करीब 11 बजकर 40 मिनट पर दक्षिण मुंबई के बलार्ड एस्टेट इलाके में स्थित एजेंसी के कार्यालय में आए. कार्यालय में पहुंचने के तुरंत बाद उनसे पूछताछ का दौर शुरू हो गया.

देशमुख इस मामले में ईडी द्वारा जारी किए गए कम से कम पांच समनों पर पेश नहीं हुए थे, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट के गत सप्ताह इन समनों को रद्द करने से इनकार करने के बाद वह एजेंसी के समक्ष पेश हुए.

संघीय जांच एजेंसी ने महाराष्ट्र पुलिस प्रतिष्ठान में 100 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत एवं वसूली मामले में की जा रही आपराधिक जांच के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत एनसीपी नेता के बयान दर्ज किए. वसूली के आरोपों के कारण देशमुख को अप्रैल में इस्तीफा देना पड़ा था.

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने 25 मार्च को देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच का अनुरोध करते हुए आपराधिक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वझे समेत अन्य अधिकारियों को मुंबई के बार एवं रेस्तरां से प्रति माह 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था.

सीबीआई ने 5 अप्रैल के उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर प्रारंभिक जांच शुरू की थी और 21 अप्रैल को अनिल देशमुख के खिलाफ लगे रिश्वतखोरी के आरोपों में एक मामला दर्ज किया था.

देशमुख ने पूर्व में इन आरोपों का खंडन किया था और कहा था कि एजेंसी का पूरा मामला एक दागी पुलिस अधिकारी (सचिन वझे) द्वारा दिए गए दुर्भावनापूर्ण बयानों पर आधारित था.

ईडी ने मामले में दो अन्य व्यक्तियों संजीव पलांदे और कुंदन शिंदे को भी गिरफ्तार किया है. अतिरिक्त जिलाधीश रैंक के अधिकारी पलांदे देशमुख के निजी सचिव के तौर पर काम कर रहे थे, जबकि शिंदे देशमुख के निजी सहायक थे.

मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से हटाने और होम गार्डस में तैनाती के बाद परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को आठ पेज का पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि देशमुख ने निलंबित किए गए तत्कालीन पुलिस अधिकारी सचिन वझे को हर महीने बार और होटलों से कम से कम 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था. इनमें मुंबई के 1,750 बार और रेस्तरां से 40-50 करोड़ रुपये की वसूली भी शामिल थी.

बहरहाल पूछताछ ओर बयान दर्ज कराने के सत्र काफी लंबे चले क्योंकि अधिकारियों ने बताया कि देशमुख इस मामले में ‘अहम व्यक्ति’ हैं और उनसे मुंबई पुलिस के निलंबित अधिकारी सचिन वझे द्वारा किए गए खुलासों समेत मामले में कई बिंदुओं पर पूछताछ करने की आवश्यकता है.

देशमुख ने ईडी कार्यालय जाने से पहले एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि वह गत सप्ताह बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद खुद एजेंसी के समक्ष पेश हो रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘मीडिया में कहा गया कि मैं ईडी के साथ सहयोग नहीं कर रहा हूं. मुझे समन भेजे जाने के बाद मैं दो बार सीबीआई के समक्ष पेश हुआ. उच्चतम न्यायालय में मेरी याचिका लंबित है, लेकिन इसमें समय लगेगा. अत: मैं खुद ईडी के पास जा रहा हूं. ईडी ने जब जून में छापा मारा था तो मैंने और मेरे परिवार ने उसके साथ सहयोग किया था.’

देशमुख ने पूछा कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह कहां हैं? उन्होंने कहा कि उन्होंने मेरे खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाए, लेकिन वह अब कहां हैं?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर को दिए अपने फैसले में कहा कि देशमुख यह साबित करने में असफल रहे हैं कि एजेंसी उनके खिलाफ दुर्भावना से कार्रवाई कर रही है.

अदालत ने यह कहा कि यदि देशमुख को इस मामले में अपनी गिरफ्तारी की आशंका है, तो उनके पास किसी भी अन्य वादी की तरह उचित अदालत के पास जाकर राहत मांगने का अधिकार है.

अदालत ने निदेशालय को निर्देश दिया कि वह देशमुख से पूछताछ के दौरान उनके वकील को केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में इतनी दूरी पर मौजूद रहने की अनुमति दे, जहां वह उन्हें ‘देख सकें, लेकिन सुन नहीं सकें.’

ईडी ने आरोप लगाया है कि देशमुख ने गृह मंत्री के रूप में कार्य करते हुए सचिन वझे के माध्यम से विभिन्न ऑर्केस्ट्रा बार मालिकों से लगभग अवैध रूप से 4.7 करोड़ रुपये नकद में प्राप्त किया है.

ईडी के मुताबिक, इसमें से करीब 4.18 करोड़ रुपये तब दिल्ली की चार शेल कंपनियों- रिलायबल फाइनेंस कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, वीए रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड, उत्सव सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड और सीतल लीजिंग एंड फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड के पास नकद में जमा किए गए थे. बाद में इन फर्मों ने अनिल देशमुख और उनके परिवार की अध्यक्षता वाले एक चैरिटेबल ट्रस्ट- श्री साई शिक्षण संस्थान ट्रस्ट को पूरा पैसा दान कर दिया था.

मालूम हो कि सचिन वझे दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के निकट 25 फरवरी को विस्फोटक से लदी स्कॉर्पियो कार मिलने के मामले में एनआईए द्वारा की जा रही जांच के केंद्र में हैं.

मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वझे को इस मामले में कथित भूमिका के चलते 13 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया था. वह मुंबई पुलिस की अपराध शाखा की अपराध खुफिया इकाई से संबद्ध थे.

एनआईए ने कहा था कि वझे को विस्फोटकों से भरा वाहन खड़ा करने में भूमिका निभाने और इसमें संलिप्त रहने को लेकर गिरफ्तार किया गया.

पूर्व मंत्री देशमुख को चिकित्सकीय जांच के लिए ले जाया गया

महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद चिकित्सकीय जांच के लिए मंगलवार को दक्षिण मुंबई स्थित सरकारी जेजे अस्पताल ले जाया गया. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

अधिकारी ने बताया कि ईडी कार्यालय में रात बिताने के बाद देशमुख को सुबह करीब सवा 10 बजे अस्पताल लाया गया. इसके बाद उन्हें एक विशेष अदालत में पेश किया जाएगा.

देशमुख की गिरफ्तारी का मकसद गठबंधन के नेताओं की छवि खराब करना: नवाब मलिक

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रवक्ता नवाब मलिक ने मंगलवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित है और राज्य की महा विकास आघाड़ी सरकार के नेताओं की छवि खराब करने के मकसद से की गई है.

केंद्र पर निशाना साधते हुए, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री मलिक ने कहा कि सत्ता का दुरुपयोग कर नेताओं को डराना बंद किया जाना चाहिए.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘देशमुख की गिरफ्तारी की समूची कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है. यह महा विकास आघाड़ी (शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन) के नेताओं को डराने के मकसद से की गई.’

इस बीच, देशमुख की गिरफ्तारी पर खुशी जाहिर करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई का सामना करने की अगली बारी शिवसेना के मंत्री अनिल परब की है.

परब की ओर से दाखिल 100 करोड़ रुपये के मानहानि संबंधी वाद में सोमैया को 23 दिसंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट में पेश होने को कहा गया है. उन्होंने कहा, ‘अब हमें पता चल जाएगा कि देशमुख द्वारा जमा किए गए 100 करोड़ रुपये कहां गए.’

सोमैया ने आरोप लगाया है कि राज्य के परिवहन मंत्री परब ने पर्यावरण विभाग की मंजूरी के बिना रत्नागिरि जिले में समुद्र के किनारे रिजॉर्ट का निर्माण कार्य शुरू किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25