डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्सीन के आपात उपयोग की मंज़ूरी दी, फार्मा कंपनी ने महत्वपूर्ण क़दम बताया

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से कहा गया है कि उसके द्वारा बनाया गया तकनीकी परामर्शदाता समूह, जिसमें दुनियाभर के नियामक विशेषज्ञ हैं, पूरी तरह से आश्वस्त है कि कोवैक्सीन कोविड-19 के ख़िलाफ़ रक्षा करने संबंधी उसके मानकों पर खरी उतरती है और इस टीके के लाभ इसके जोख़िमों से कहीं अधिक हैं, अत: इसका उपयोग किया जा सकता है.

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(फोटो साभार:​ ट्विटर/भारत बायोटेक)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से कहा गया है कि उसके द्वारा बनाया गया तकनीकी परामर्शदाता समूह, जिसमें दुनियाभर के नियामक विशेषज्ञ हैं, पूरी तरह से आश्वस्त है कि कोवैक्सीन कोविड-19 के ख़िलाफ़ रक्षा करने संबंधी उसके मानकों पर खरी उतरती है और इस टीके के लाभ इसके जोख़िमों से कहीं अधिक हैं, अत: इसका उपयोग किया जा सकता है.

(फोटो साभार:​ ट्विटर/भारत बायोटेक)

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को भारत बायोटेक के कोविड रोधी टीके कोवैक्सीन के आपात उपयोग के लिए मंजूरी दे दी. भारत बायोटेक ने इसे स्वदेश विकसित टीके तक वैश्विक पहुंच को व्यापक बनाने की दिशा में अहम कदम बताया.

इससे पहले डब्ल्यूएचओ के तकनीकी परामर्शदाता समूह (टीएजी) ने इसकी सिफारिश की थी. उसने 26 अक्टूबर को टीके को आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध करने के लिहाज से अंतिम ‘जोखिम-लाभ मूल्यांकन’ करने के लिए कंपनी से अतिरिक्त स्पष्टीकरण मांगे थे.

डब्ल्यूएचओ के इस निर्णय का तात्पर्य है कि स्वदेशी रूप से विकसित कोवैक्सीन कोरोना वायरस बीमारी से सुरक्षा के लिए इसके द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है. साथ ही यह उन भारतीयों द्वारा विदेश यात्रा के बारे में अनिश्चितता को भी काफी हद तक दूर करता है, जिन्हें कोवैक्सीन का टीका लगाया गया है.

इस बीच भारत बायोटेक ने कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने कोवैक्सीन की उपयोग अवधि (शेल्फ लाइफ) को निर्माण की तारीख से 12 महीने तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी है.

कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया कि भारत बायोटेक को शुरुआत में कोवैक्सीन की बिक्री और वितरण के लिए छह महीने की उपयोग अवधि की अनुमति दी गई थी, जिसे बाद में बढ़ाकर नौ महीने कर दिया गया था.

कोवैक्सीन को लाइसेंस देने के लिए डब्ल्यूएचओ का आभार जताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि यह उपलब्धि ‘मोदी जी के संकल्प और सक्षम नेतृत्व की बानगी है, यह लोगों के विश्वास की कहानी है और यह आत्मनिर्भर भारत की दिवाली है.’

डब्ल्यूएचओ ने ट्वीट किया, ‘डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्सीन (भारत बायोटेक द्वारा विकसित) टीके को आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध किया है. इस तरह कोविड-19 की रोकथाम के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त टीकों की संख्या में इजाफा हुआ है.’

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उसके द्वारा बनाया गया टीएजी, जिसमें दुनियाभर के नियामक विशेषज्ञ हैं, पूरी तरह से आश्वस्त है कि कोवैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ रक्षा करने संबंधी उसके मानकों पर खरी उतरती है और इस टीके के लाभ इसके जोखिमों से कहीं अधिक है, अत: इसका उपयोग किया जा सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि एजेंसी के ‘स्ट्रेटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्युनाइजेशन (एसएजीई) ने भी कोवैक्सीन की समीक्षा की और दो खुराक में इस टीके के इस्तेमाल की अनुशंसा की है. इसे 18 वर्ष और अधिक आयु के सभी लोगों को चार हफ्ते के अंतराल पर दिया जा सकता है.

हालांकि डब्ल्यूएचओ की ओर से एक ट्वीट में कहा गया, ‘कोवैक्सीन से गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के जो आंकड़े उपलब्ध हैं, वे गर्भावस्था में टीके के प्रभावी या सुरक्षित होने के लिहाज से अपर्याप्त हैं. गर्भवती महिलाओं में टीके के अध्ययन की योजना है.’

डब्ल्यूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने ट्वीट किया, ‘भारत को उसके स्वदेश विकसित कोविड-19 रोधी टीके कोवैक्सीन को आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध किए जाने के लिए बधाई.’

भारत बायोटेक ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उसके कोविड-रोधी कोवैक्सीन टीके को आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध किया जाना स्वदेश विकसित टीके तक व्यापक वैश्विक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

कंपनी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ), पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (पाहो) और गावी कोवैक्स सुविधा भी दुनियाभर में देशों को वितरण के लिए कोवैक्सीन टीके खरीद सकेंगे.

भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा ऐल्ला ने कहा, ‘डब्ल्यूएचओ द्वारा मंजूरी भारत के व्यापक तौर पर दिए जाने वाले, सुरक्षित और प्रभावी कोवैक्सीन टीके तक वैश्विक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.’

भारत बायोटेक की संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा एल्ला ने कहा, ‘कोवैक्सीन के लिए डब्ल्यूएचओ की मंजूरी भारत बायोटेक में काम करने वाले सभी लोगों और हमारे साझेदारों के अत्यधिक प्रयासों को समर्थन है. यह हमारे लिए वैश्विक स्तर पर सार्थक प्रभाव पैदा करने के लिहाज से एक अवसर भी है.’

इसमें बताया गया कि कोवैक्सीन, दोनों खुराक लेने के बाद किसी भी गंभीरता वाले कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ 78 फीसदी प्रभावी पाई गई है. यह कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए अत्यंत ही सुलभ है, क्योंकि इसकी भंडारण जरूरतें काफी आसान हैं.

डब्ल्यूएचओ की घोषणा से पहले एक सूत्र ने बताया था, ‘डब्ल्यूएचओ के तकनीकी परामर्शदाता समूह ने कोवैक्सीन को आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध का दर्जा देने की सिफारिश की है.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में जी-20 शिखर सम्मेलन में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस से मुलाकात की थी.

डब्ल्यूएचओ का तकनीकी परामर्शदाता समूह एक स्वतंत्र सलाहकार समूह है, जो डब्ल्यूएचओ को यह सिफारिश करता है कि क्या किसी कोविड-19 रोधी टीके को आपात इस्तेमाल के लिए सूचीबद्ध (ईयूएल) प्रक्रिया के तहत आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है या नहीं.

कोवैक्सीन ने लक्षण वाले कोविड-19 रोग के खिलाफ 77.8 प्रतिशत प्रभाव दिखाया है और वायरस के नए डेल्टा स्वरूप के खिलाफ 65.2 प्रतिशत सुरक्षा दर्शाई है.

कंपनी ने जून में कहा था कि उसने तीसरे चरण के परीक्षणों से कोवैक्सीन के प्रभाव का अंतिम विश्लेषण समाप्त किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 38 देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय समझौते हैं, जो वर्तमान में कोवैक्सीन को मान्यता देते हैं. डब्ल्यूएचओ की मंजूरी से दुनिया भर के कई अन्य देशों को टीका लगाने वालों के लिए अपने दरवाजे खोलने के लिए प्रेरित करने की संभावना है.

भारत अब तक देश भर में कोवैक्सीन की 12.14 करोड़ खुराक दे चुका है. डब्ल्यूएचओ का निर्णय वैक्सीन के वैश्विक उपयोग के लिए ईयूएल मूल्यांकन शुरू करने के चार महीने से अधिक समय बाद आया है.

शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया कि बुधवार को ईयूएल विस्तृत वैज्ञानिक जांच के बाद आई है. डब्ल्यूएचओ ने भारत बायोटेक से कोवैक्सीन के आकलन से संबंधित जानकारी बीते पांच जुलाई से कम से कम नौ बार मांगी थी.

ईयूएल कोविड-19 टीकों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और गुणवत्ता का एक वैज्ञानिक मूल्यांकन है, जो विभिन्न देशों को इन उत्पादों के आयात और प्रशासन के लिए अपने खुद के नियामक अनुमोदन को तेजी से निगरानी या जांच करने की अनुमति देता है.

गौरतलब है कि सीरम इंस्टिट्यूट का कोविशील्ड और भारत बायोटेक का कोवैक्सीन देश में कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण अभियान का हिस्सा है और कुछ खबरें आई थीं कि जिन भारतीयों ने कोवैक्सीन की खुराक ली हैं उन्हें विदेश यात्रा करने में परेशानी आ रही है, क्योंकि इस टीके को मान्यता नहीं मिली है.

मालूम हो कि भारतीय दवा महानियंत्रक डीसीजीआई ने जनवरी में दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कोविशील्ड तथा भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी थी.

भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर कोवैक्सीन का विकास किया है. वहीं, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ‘कोविशील्ड’ के उत्पादन के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी की है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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