गुजरात: तीन शहरों के बाद अब अहमदाबाद ने भी मांसाहार ब्रिकी पर रोक लगाने की मांग की

अहमदाबाद नगर निगम के राजस्व समिति के अध्यक्ष ने नगर आयुक्त को सड़कों पर मांसाहारी भोजन की बिक्री पर रोक लगाने के लिए पत्र लिखा है. राज्य में भाजपा के प्रमुख सीआर पाटिल ने नगर निगमों के निर्देश दिए थे कि वे अपनी 'व्यक्तिगत मान्यताओं' के आधार पर ऐसी कोई घोषणा न करें, हालांकि ऐसा नहीं हुआ.

अहमदाबाद नगर निगम के राजस्व समिति के अध्यक्ष ने नगर आयुक्त को सड़कों पर मांसाहारी भोजन की बिक्री पर रोक लगाने के लिए पत्र लिखा है. राज्य में भाजपा के प्रमुख सीआर पाटिल ने नगर निगमों के निर्देश दिए थे कि वे अपनी ‘व्यक्तिगत मान्यताओं’ के आधार पर ऐसी कोई घोषणा न करें, हालांकि ऐसा नहीं हुआ.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: गुजरात के वडोदरा, राजकोट और भावनगर के बाद अब अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) के नेताओं ने खुले में मांस बिक्री पर बैन लगाने की मांग की है.

वैसे तो राज्य के भाजपा प्रमुख सीआर पाटिल ने नगर निगमों के निर्देश दिया है कि वे अपने ‘व्यक्तिगत मान्यताओं’ के आधार पर ऐसी कोई घोषणा न करें, हालांकि उनके नेता इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वडोदरा नगर निकाय की स्थायी समिति के अध्यक्ष हितेंद्र पटेल ने पिछले हफ्ते गुरुवार को खुले में मांस बेचने वाले फूड स्टाल्स को हटाने के लिए 15 दिन का समय दिया था.

उन्होंने राजकोट शहर के महापौर द्वारा इसी तरह की घोषणा के एक दिन बाद यह ‘मौखिक निर्देश’ दिया था. इसके बाद नगर निकाय ने ‘ट्रैफिक जाम’ और ‘धार्मिक भावनाओं को ठेस लगने’ आधार पर इस तरह की दुकानों को स्टॉल्स को बंद करना शुरू किया है.

पाटिल ने इस अख़बार को बताया, ‘मैंने वडोदरा और राजकोट नगर निकायों में अधिकारियों से बात की है और उनसे कहा है कि वे मांसाहारी खाने की गाड़ियों को सड़कों से न हटाएं. यह नेताओं की अपनी निजी राय थी और राज्य भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है और हम इसे पूरे राज्य में लागू नहीं करेंगे.’

मालूम हो कि राज्य के सभी आठ नगर निगमों पर भाजपा का शासन है.

एएमसी राजस्व समिति के अध्यक्ष जैनिक वकील ने बीते शनिवार को नगर आयुक्त और स्थायी समिति को सड़कों पर मांसाहारी भोजन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए पत्र लिखा है.

पत्र में कहा गया, ‘गुजरात की पहचान और कर्णावती (अहमदाबाद) शहर की सांस्कृतिक परंपरा को ध्यान में रखते हुए शहर की सार्वजनिक सड़कों, धार्मिक और शैक्षणिक स्थानों पर गैर कानूनी तरीके से अतिक्रमण किए मांसाहारी भोजन की गाड़ियों को तुरंत हटा देना महत्वपूर्ण है. मांस, मटन और मछली की सार्वजनिक रूप से बिक्री के कारण नागरिक सड़कों पर नहीं चल पाते हैं. साथ ही यहां के निवासियों की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंची है. साथ ही स्वच्छता, जीव दया और अपनी संस्कृति का पालन करने के लिए ऐसा करना महत्वपूर्ण हो गया है.’

हालांकि इस प्रस्ताव का पार्टी के सभी नेताओं ने समर्थन नहीं किया है.

खेड़ा जिले की भाजपा आईटी सेल की पूर्व अध्यक्ष नंदिता ठाकुर ने ट्वीट किया, ‘हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि मछली बेचने वाले कई लोग हमारे अपने हैं. नरेंद्र मोदी साहब ने सख्त शाकाहारी होने के बावजूद मांसाहारी भोजन के व्यापार में शामिल लोगों पर कभी प्रतिबंध नहीं लगाया. उनके लिए अपनी आजीविका कमाने के लिए वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए.’

वडोदरा में भाजपा के एक वरिष्ठ निर्वाचित प्रतिनिधि ने कहा, ‘मैं शाकाहारी हूं लेकिन मैं इस फैसले से सहमत नहीं हूं.’

उन्होंने कहा कि मांसाहारी भोजन बेचने वाले स्टॉल कई परिवारों के लिए आजीविका का स्रोत हैं, एक तरह के भोजन के खिलाफ कोई कार्रवाई कैसे शुरू हो सकती है?

वडोदरा के मेयर केयूर रोकाड़िया ने कहा कि पाटिल द्वारा जारी निर्देश भाजपा शासित वीएमसी को मिला है.

रोकाड़िया ने कहा, ‘हम सड़कों से कोई स्टॉल नहीं हटा सकते हैं या मनमाने ढंग से किसी को विशेष प्रकार का भोजन बेचने से नहीं रोक सकते हैं. लेकिन भोजन को ढकने में कोई हर्ज नहीं है, खासकर मांसाहारी…’