कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों ने केंद्र सरकार पर संसद का मज़ाक उड़ाने का आरोप लगाया और उसकी मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा कि उसने आगामी शीतकालीन सत्र का इंतज़ार क्यों नहीं किया.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों का कार्यकाल मौजूदा दो वर्ष से अब अधिकतम पांच साल तक हो सकता है. केंद्र सरकार ने रविवार को इस संबंध में दो अध्यादेश जारी किए.
अध्यादेशों के मुताबिक दोनों ही मामलों में, निदेशकों को उनकी नियुक्तियों के लिए गठित समितियों द्वारा मंजूरी के बाद तीन साल के लिए एक-एक साल का विस्तार दिया जा सकता है.
इस कदम पर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और पूछा कि वह संसद सत्र तक इंतजार क्यों नहीं कर सकती थी.
इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने वाले अधिकारियों के कार्यकाल का विस्तार केवल दुर्लभ और असाधारण मामलों में और छोटी अवधि के लिए दिया जाना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने यह बात प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख एसके मिश्रा को 2020 में दिए गए विस्तार से संबंधित मामले में कहा था. वर्ष 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी मिश्रा 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.
अधिकारियों ने कहा कि हालांकि, अध्यादेश की घोषणा के साथ यह देखा जाना बाकी है कि मिश्रा ईडी प्रमुख के रूप में बने रहेंगे या नहीं.
ईडी निदेशक की नियुक्ति केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर केंद्र सरकार करती है. इसके सदस्यों में सतर्कता आयुक्त, गृह सचिव, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव तथा राजस्व सचिव शामिल होते हैं.
सीबीआई के निदेशक का चयन प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति की सिफारिश के आधार पर होता है.
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों ने सरकार पर संसद का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया और उसकी मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा कि उसने आगामी शीतकालीन सत्र का इंतजार क्यों नहीं किया.
Parliament session begins on 29th.
To avoid its scrutiny, Centre on Sunday promulgates ordinances to extend the tenure of Directors of CBI and ED.
This desperate hurry smacks of something fishy. pic.twitter.com/X309ODjqAL— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) November 14, 2021
विनीत नारायण के प्रसिद्ध मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के मद्देनजर सीबीआई और ईडी के निदेशकों की नियुक्ति की तारीख से उनका दो साल का निश्चित कार्यकाल होता है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा जारी अध्यादेश में कहा गया है, ‘बशर्ते जिस अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करते हैं, उसे सार्वजनिक हित में, खंड (ए) के तहत समिति की सिफारिश पर तथा लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है.’
इसमें कहा गया है, ‘बशर्ते कि प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लिखित अवधि सहित कुल मिलाकर पांच साल की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई विस्तार प्रदान नहीं किया जाएगा.’
सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (डीएसपीई) (संशोधन) अध्यादेश, 2021 भी जारी किया है और यह भी ‘एक बार में’ लागू होता है.
इस अध्यादेश में डीएसपीई कानून में प्रावधान जोड़ा गया है कि ‘बशर्ते जिस अवधि के लिए निदेशक अपनी प्रारंभिक नियुक्ति पर पद धारण करते हैं, उसे सार्वजनिक हित में, धारा 44 की उप-धारा (1) के तहत समिति की सिफारिश पर तथा लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए, एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है.’
इसमें आगे कहा गया, ‘बशर्ते प्रारंभिक नियुक्ति में उल्लेखित अवधि समेत कुल पांच वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद ऐसा कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा.’
सीबीआई और ईडी के प्रमुखों के लिए दो वर्ष के तय कार्यकाल का उद्देश्य उन्हें उनके द्वारा की गई किसी जांच के लिए प्रतिकूल कार्रवाई की चिंता किए बिना सरकार के हस्तक्षेप से मुक्त होकर कार्य करना सुनिश्चित करना है.
मिश्रा के मामले में अपने आदेश में उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई, जिसने सेवा विस्तार को रद्द नहीं किया, लेकिन सरकार से मिश्रा को 17 नवंबर के बाद और सेवा विस्तार न देने को कहा था.
कांग्रेस ने भी सीबीआई और ईडी निदेशकों के कार्यकाल को बढ़ाने की आवश्यकता पर सवाल उठाया.
कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, ‘इन संवेदनशील पदों पर आसीन लोगों के सामने वार्षिक विस्तार का प्रलोभन देकर राजग-भाजपा सरकार इन दोनों संगठनों की जो भी संस्थागत अखंडता बची है उसे मिटाना चाहती है, स्पष्ट है कि विपक्ष को परेशान करें और विस्तार प्राप्त करें.’
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ‘‘इतनी हड़बड़ी से कुछ गड़बड़ लगता है.’
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि संसद का ‘मजाक उड़ाने’ के लिए अध्यादेश लाये गए हैं.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘मोदी-शाह की भाजपा किस तरह संसद का मजाक उड़ाती है और बेशर्मी से अध्यादेशों का इस्तेमाल करती है. ईडी और सीबीआई में उनके पालतू तोतों को रखने के लिए आज यही नाटक दोहराया गया.’
तृणमूल कांगेस ने राज्यसभा में सोमवार को सांविधिक संकल्पों का एक नोटिस देकर सीबीआई और ईडी प्रमुखों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेशों पर आपत्ति जताई.
इस घटनाक्रम पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ‘अधिकारों को हड़पने तथा चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने के लिए गुर्गों की तरह ईडी-सीबीआई का इस्तेमाल करती है.
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं पर ईडी और सीबीआई के छापे रोजाना की बात हो गई है.
वहीं, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सीबीआई और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने संबंधी अध्यादेशों की कांग्रेस की ओर से आलोचना किए जाने को लेकर सोमवार को उस पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘नकारात्मक और विध्वंसक राजनीति’ करने वाले लोग खुद का नुकसान करते हैं.
नकवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘इसी तरह के आरोपों के मंतर ने कांग्रेस को छूमंतर कर दिया. ऐसी नकारात्मक और विध्वंसक राजनीति करने वाले अपना ही नुकसान करते हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)