छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आंदोलन कर रहे 129 किसान गिरफ़्तार

किसान आंदोलन को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ के पांच जिलों में धारा 144 लगा दी गई थी.

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महाराष्ट्र के शोलापुर में रोड जाम करते आंदोलनरत किसान. (फोटो: पीटीआई)

किसान आंदोलन को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ के पांच जिलों में धारा 144 लगा दी गई थी.

महाराष्ट्र के शोलापुर में रोड जाम करते आंदोलनरत किसान. (फोटो: पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे 129 किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. रायपुर जिले के प्रभारी पुलिस अधीक्षक अकबर राम कोरार्म ने बताया कि अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने रायपुर पहुंचे 129 किसानों को अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार कर लिया गया है.

कोरार्म ने बताया कि किसान नेताओं को शहर के बूढ़ा तालाब के करीब धरनास्थल से तथा अन्य स्थानों से गिरफ्तार किया गया. आंदोलनकारी किसान मुख्यमंत्री निवास की ओर जाने वाले थे लेकिन इससे पहले ही इन्हें रोक लिया गया.

अधिकारी ने बताया कि तीन किसान नेता अरविंद नेताम, आनंद मिश्रा और लाखन सिंह को रिहा कर दिया गया है तथा अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को बाद में रिहा किया जाएगा. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि किसानों के आंदोलन को देखते हुए अशांति की आशंका में जिले में धारा 144 लागू की गयी थी.

इधर दुर्ग क्षेत्र के सभी जिलों में भी धारा 144 लागू किए जाने की सूचना है. दुर्ग क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक दीपांशु काबरा ने बताया कि किसान आंदोलन में किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए क्षेत्र के सभी जिलों में धारा 144 लागू की गयी थी.

राज्य के अन्य जिलों में भी आंदोलन में हिस्सा लेने रायपुर पहुंचने वाले किसानों को गिरफ्तार किए जाने की सूचना है. राज्य में किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान मजदूर महासंघ के नेताओं ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि किसानों को जेल में बंद कर राज्य सरकार ने अपना दमनकारी और जनता विरोधी चेहरा उजागर किया है.

महासंघ के सदस्य आलोक शुक्ला ने संवाददताओं से बातचीत के दौरान कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2013 में चुनाव के दौरान वादा किया था कि वह किसानों को धान का 2,100 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य और तीन सौ रुपये बोनस देगी.

शुक्ला ने कहा कि पिछले दो वर्षों से छत्तीसगढ़ का किसान सूखे सहित विभिन्न आपदाओं से घिरा हुआ है. छत्तीसगढ़ मेें भी किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं. उसके फसल की कीमत मंहगाई के हिसाब से और कम हो गई है.

कृषि ऋण माफ करने, शेष दो सालों 2014-15 और 2015-16 का धान बोनस देने, उत्पादन लागत से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य करने समेत अन्य मांगों को लेकर संकल्प यात्रा की शुरुआत राजनांदगांव से 19 सितंबर से शुरू किया गया.

शुक्ला ने कहा कि राज्य सरकार ने शांतिपूर्ण आंदोलन पर दमनकारी रुख अपनाया है और तीन दिनों में सैकड़ों किसानों को गिरफ्तार कर किसानों की मांगों को कुचलने का काम किया है.

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