भाजपा महासचिव अशोक कौल ने कहा कि जब आम आदमी बिना किसी डर के मुक्त रूप से घूमने लगेगा तो केंद्रशासित प्रदेश के राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. इस बयान की निंदा करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि निशाना बनाकर की गईं हत्याएं केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन की ‘सामूहिक विफलता’ को दर्शाती हैं.
जम्मू/श्रीनगर: जम्मू कश्मीर की भाजपा इकाई ने चुनिंदा हत्याएं (Selective/Targeted Killings) रुकने के बाद इस केंद्रशासित प्रदेश का जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किए जाने का वादा किया है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने उनके इस बयान की निंदा की है. उन्होंने सोमवार को कहा कि बीते दिनों निशाना बनाकर की गईं हत्याएं केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन की ‘सामूहिक विफलता’ को दर्शाती हैं.
पांच अगस्त, 2019 को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और तत्कालीन राज्य को जम्मू कश्मीर और लद्दाख, दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था.
भाजपा महासचिव (संगठन) अशोक कौल ने उत्तर कश्मीर के बांदीपुरा में संवाददाताओं से कहा कि जब चुनिंदा हत्याएं बंद हो जाएंगी और आम आदमी बिना किसी डर के मुक्त रूप से घूमने लगेगा तो क्षेत्र का राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि भाजपा कश्मीर में चुनिंदा हत्याओं को लेकर चिंतित है, क्योंकि उसके कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है.
कौल ने कहा, ‘इसमें भाजपा नेताओं को मारा जा रहा है या गैर कश्मीरियों को या गैर मुस्लिमों को. कुछ मुस्लिमों को भी निशाना बनाया जा रहा है. हम हर चुनिंदा हत्या का विरोध करते हैं और कोई भी धर्म इसकी इजाजत नहीं देता.’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा और भाजपा इस मांग का समर्थन करती है.
कौल ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में जब स्थिति में सुधार होगा, जब यह (स्थिति) सामान्य होगी, चुनिंदा हत्याएं बंद होंगी और आम आदमी मुक्त रूप से घूम सकेगा तब राज्य का दर्जा बहाल होगा.’
इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘तो केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन की सामूहिक विफलता के कारण जम्मू कश्मीर के लोगों को हमारे राज्य का दर्जा रोककर दंडित किया जाएगा?’
So the people of J&K will be punished, by having our statehood withheld, because of the collective failure of the Union Government & the J&K administration? They fail to protect people, they fail to manage the security situation & the rest of us are punished. What an idea sir ji! https://t.co/x4IJtRoLlW
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) November 29, 2021
उन्होंने ट्वीट किया, ‘वे लोगों की रक्षा करने में विफल रहते हैं, वे सुरक्षा स्थिति का प्रबंधन करने में विफल रहते हैं और हम बाकी को दंडित किया जाता है. क्या आइडिया है सर जी.’
विधानसभा चुनाव कराए जाने को लेकर पूछे गए एक सवाल पर भाजपा नेता कौल ने कहा कि परिसीमन आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद जल्द ही चुनाव कराए जाएंगे.
उन्होंने कहा, ‘परिसीमन आयोग के पास छह मार्च (अगले साल) तक का समय है. जब आयोग अपनी रिपोर्ट सौंपेगा, जिसके तहत 90 सीट का परिसीमन किया जाएगा, इसके तुरंत बाद चुनाव कराए जाएंगे.’
मालूम हो कि बीते अक्टूबर महीने में अलग-अलग घटनाओं में नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमलों में 11 लोगों की मौत हो गई थी.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, आतंकवादियों ने 2021 में अक्टूबर तक 28 नागरिकों की हत्या की है. जम्मू कश्मीर में इस वर्ष अभी तक 97 आतंकवादी हमले हुए हैं. इनमें 71 सुरक्षा बलों पर हुए और 26 नागरिकों पर.
आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने कश्मीर में रहने वाले स्थानीय और गैर-स्थानीय अल्पसंख्यकों पर इन हमलों में से अधिकांश की ज़िम्मेदारी ली थी.
कांग्रेस तैयार नहीं है तो नेशनल कॉन्फ्रेंस अनुच्छेद 370 की बहाली की लड़ाई खुद लड़ेगी: उमर
कांग्रेस की चुप्पी के लिए उसकी आलोचना करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि अगर कांग्रेस अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए लड़ाई लड़ने को तैयार नहीं है तो उनकी पार्टी अपने दम पर इस लड़ाई को लड़ेगी.
अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर का भविष्य विशेष दर्जे से जुड़ा है जिसकी गारंटी संविधान में दी गई है.
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 की बहाली का मामला शीर्ष अदालत में बहुत मजबूत है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के बाद अखबारों समेत संस्थानों को कमजोर कर भाजपा पर ‘लोकतंत्र की हत्या करने’ का आरोप लगाया और कहा कि इसने दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के भारत के नारे को खोखला बना दिया है.
अब्दुल्ला चेनाब घाटी क्षेत्र की यात्रा पर हैं और उन्होंने किश्तवाड़ शहर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘(उच्चतम न्यायालय के समक्ष अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए) हमारा मामला बहुत मजबूत है. हमें विपक्षी दलों से समर्थन की उम्मीद थी, लेकिन वे चुप हैं. हमारा वजूद इस अनुच्छेद से जुड़ा है.’
इससे पहले अब्दुल्ला ने पार्टी महासचिव अली मोहम्मद सागर सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं के संग हज़रत शाह फरीद-उद-दीन बगदादी और हज़रत शाह असरार-उद-दीन-वली की प्रसिद्ध दरगाहों पर ज़ियारत की और जम्मू कश्मीर में स्थायी शांति व समृद्धि की दुआ मांगी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कथित रूप से कहा है कि अनुच्छेद 370 के बारे में बोलना निरर्थक है. इसपर टिप्पणी करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, ‘मैं उनके बयान से मायूस हूं क्योंकि वह जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हैं.’
उन्होंने कहा, ‘अगर अनुच्छेद 370 हमारी विरासत है, तो यह हमसे ज्यादा आपकी पार्टी की विरासत भी है. कांग्रेस के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ही अनुच्छेद 370 लाए थे और आज कांग्रेसी अपनी विरासत की रक्षा करने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में उससे लोगों को बचाने की उम्मीद कैसे की जा सकती है.’
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने अदालत के निर्णय से पहले ही अपना फैसला कर लिया है. अदालत ने अभी अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू नहीं की है.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘अगर वे (कांग्रेस) इस लड़ाई को लड़ने के लिए तैयार नहीं है तो कोई बात नहीं. हम अकेले ही इसे इसके तार्किक निष्कर्ष तक लेकर जाएंगे. हम लड़ेंगे क्योंकि यह लड़ाई जम्मू कश्मीर के लोगों के भविष्य, उनकी नौकरियों और जमीन से जुड़ी है, जो स्थानीय लोगों की पहली प्राथमिकता है.’
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी लड़ाई इंसाफ पर आधारित है और सम्मान और गरिमा की बहाली के लिए है जो उनसे असंवैधानिक तरीके से छीन ली गई है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह ‘केंद्र शासित प्रदेश शब्द’ से सहज नहीं हैं और आरोप लगाया कि जब तत्कालीन राज्य के दर्जे को कम किया जा रहा था तो लोगों से झूठ कहा गया और झूठे वादों और नारों से उन्हें गुमराह किया गया.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘हमें बताया गया था कि अनुच्छेद 370 औद्योगीकरण, हमारे युवाओं के लिए रोजगार के मौके पैदा करने के लिए एक रुकावट था और गरीबी का मुख्य कारण था और इसे हटाने से विकास और नई परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त होगा. इसका आज पर्दाफाश हो गया है.’
उन्होंने इन दावों पर सवाल किया कि अनुच्छेद 370 खोखला था और पूछा कि इसके अधिकतर प्रावधान रद्द करने की क्या जरूरत थी?
भाजपा पर जम्मू कश्मीर में ‘दैनिक आधार’ पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मीडियाकर्मियों पर दबाव डाला जा रहा है और उन्हें घाटी में सच लिखने की अनुमति नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘अगर वे कुछ लिखते हैं, तो उन्हें थानों में बुलाया जाता है और तुरंत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है. अगर सरकार को गुस्सा आता है, तो वे समाचार पत्रों के विज्ञापन बंद कर देती है.’
अब्दुल्ला ने दावा किया कि अखबारों को अभिलेखागार से पुराने लेखों को हटाने के लिए भी मजबूर किया जा रहा है, ताकि एक ‘नया इतिहास’ लिखा जा सके.
उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस को भी तोड़ने का आरोप लगाया है. उन्होंने लोगों से पूछा कि अगस्त 2019 के बाद से उन्होंने जमीन पर क्या बदलाव देखें है.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘मजहब, जाति, नस्ल और क्षेत्रीय राजनीति को एक तरफ रखें और अपने आप से पूछें कि क्या हमारी जिंदगी में कोई सुधार हुआ है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)