मणिपुरः सेना की गोलीबारी से लोगों की मौत पर प्रदर्शन, आफ़स्पा हटाने के लिए पीएम मोदी को ज्ञापन

बीते चार दिसंबर को नगालैंड के मोन ज़िले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में 14 आम लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छह दिसंबर को संसद में कहा था कि सैन्यबल के इशारे पर गाड़ी न रुकने के बाद फायरिंग की गई थी. विभिन्न संगठन उनके इस बयान को झूठ बताते हुए इसकी निंदा कर रहे हैं.

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नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में आम लोगों की मौत के विरोध और आफस्पा हटाने की मांग को लेकर उत्तर-पूर्व के लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. (फोटो: पीटीआई)

बीते चार दिसंबर को नगालैंड के मोन ज़िले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में 14 आम लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छह दिसंबर को संसद में कहा था कि सैन्यबल के इशारे पर गाड़ी न रुकने के बाद फायरिंग की गई थी. विभिन्न संगठन उनके इस बयान को झूठ बताते हुए इसकी निंदा कर रहे हैं.

नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में आम लोगों की मौत के विरोध और आफस्पा हटाने की मांग को लेकर उत्तर-पूर्व के लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. (फोटो: पीटीआई)

इम्फालः नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत के खिलाफ मणिपुर के नगा बहुल्य जिलों में शनिवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इन प्रदर्शनों का नेतृत्व ऑल नगा स्टूडेंट्स एसोसिएशन मणिपुर (एएनएसएएम) ने किया और इसका समर्थन यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) और नगा वीमेन यूनियन (एनडब्ल्यूयू) ने किया.

छात्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों के नगाओं ने अपने-अपने जिलों में धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारी ‘केंद्रीय गृह मंत्री को झूठा बयान वापस लेना चाहिए’, ‘आफ्सपा 1958 को निरस्त करें’ और ‘हम भारतीय पैरा कमांडो द्वारा निर्दोष नागरिकों के नरसंहार की निंदा करते हैं’, के प्लेकार्ड लिए प्रदर्शन करते देखे गए.

एएनएसएएम के महासचिव ए. थोट्सो ने कहा कि जैसा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि गलत पहचान के संदर्भ में निर्दोष लोगों की हत्या अस्वीकार्य है और हमारी मांग है कि वह संसद में दिए गए झूठे बयान को वापस लें.

उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत जैसे बड़े देश का नेता लोगों को भ्रमित कर रहा है. हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वह नगा लोगों के खिलाफ इस अघोषित युद्ध को बंद करें और दो से अधिक दशकों से चल रहे भारत-नगा वार्ता के स्वीकार्य और सम्मानीय समाधान पर जोर दें.’

यूएनसी के अध्यक्ष खो जॉन ने कहा, ‘हम सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्सपा) को जल्द से जल्द खत्म करने की मांग करते हैं. यह अधिनियम 62 वर्षों से लागू है. अब समय आ गया है कि भारत सरकार को एहसास हो कि हम सभ्य युग में रह रहे हैं.’

एएनएसएएम, यूएनसी और एनडब्ल्यूयू ने आगामी भारत-नगा समझौते के लिए पूर्व शर्त के रूप में आफ्सपा को रद्द करने की मांग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए एक ज्ञापन का मसौदा तैयार किया है.

ज्ञापन में कहा गया है, ‘इस तरह की क्रूरता की घटनाएं नई नहीं हैं और जब तक आफ्सपा नहीं हटाया जाता, हम भविष्य में इस तरह की और घटनाओं को लेकर आश्चर्यचकित नहीं होंगे.’

नगालैंड में नागरिकों की मौत को लेकर अमित शाह के बयान पर ज्ञापन में कहा गया, ‘जब केंद्रीय गृहमंत्री ने छह दिसंबर 2021 को संसद में कहा था कि यह गोलीबारी की घटना इसलिए हुई क्योंकि सैन्यबल के इशारे पर लोगों को ले जा रही गाड़ी नहीं रुकी, जिसके बाद फायरिंग हुई. यह कहना दरअसल नगा लोगों के सामूहिक घावों पर नमक छिड़कने जैसा है. क्या मंत्री का बयान आफ्सपा अधिकार प्राप्त एजेंसियों या बच गए प्रत्यक्षदर्शियों और नागरिक प्रशासन से लिया गया था?’

मालूम हो कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छह दिसंबर को राज्यसभा में दावा किया था कि सशस्त्र बलों ने गाड़ी को रोकने का संकेत दिया था, लेकिन वह नहीं रुका और आगे निकलने लगा. इस वाहन में उग्रवादियों के होने के संदेह में इस पर गोलियां चलाई गईं.

एएनएसएएम के महासचिव ने कहा कि यह ज्ञापन ईमेल के जरिये प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया और इसे डाक के जरिये भी भेजा जाएगा.

मालूम हो कि बीते चार दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में 14 आम लोगों की मौत हो गई थी. यह घटना उस समय हुई, जब कुछ दिहाड़ी मज़दूर पिकअप वैन से एक कोयला खदान से घर लौट रहे थे.

इस घटना के बाद विभिन्न छात्र संगठन और राजनीतिक दल सेना को विशेष अधिकार देने वाले आफस्पा हटाने की मांग कर रहे हैं.