एल्गार परिषद मामले में यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किए गए दिवंगत आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के सहयोगी फादर फ्रेजर मास्करेन्हास ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एनआईए द्वारा स्वामी पर लगाए गए आरोपों को हटाने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट को जांच का निर्देश देने की मांग की है.
नई दिल्लीः आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले दिवंगत कार्यकर्ता स्टेन स्वामी के सहयोगी फादर फ्रेजर मास्करेन्हास ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख कर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा स्वामी पर लगाए गए आरोपों को हटाने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट को जांच का निर्देश देने की मांग की है.
वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई के जरिये गुरुवार को दायर याचिका में मास्करेन्हास ने अदालत से स्वामी की हिरासत में मौत मामले की न्यायिक जांच की भी मांग की.
बता दें कि स्टेन स्वामी का कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद जुलाई 2021 में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था. वह अपनी मेडिकल जमानत का इंतजार कर रहे थे.
पिछले महीने जमशेदपुर जेशुइट प्रोविंस (जेजेपी) ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया था कि मास्करेन्हास को स्टेन स्वामी का रिश्तेदार माना जाए और एल्गार परिषद मामले में स्वामी की जमानत याचिका को खारिज करते समय निचली अदालत द्वारा की गई टिप्पणियों को चुनौती देने की अनुमति दी जाए.
जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस सारंग कोटवाल की पीठ ने स्वामी द्वारा दायर की गई सभी लंबित याचिकाओं का निपटान करते हुए जेजेपी से नई याचिका दायर करने को कहा है.
इससे पहले मार्च 2021 में एनआईए की विशेष अदालत ने स्टेन स्वामी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. अदालत ने कहा था कि मामले में प्रथमदृष्टया स्वामी के खिलाफ सबूत थे.
स्वामी ने इसके बाद हाईकोर्ट में अपील की थी लेकिन उनकी याचिका पर फैसला होने से पहले ही उनकी मौत हो गई थी.
हाईकोर्ट में दायर नई याचिका में मास्करेन्हास ने कहा कि एनआईए अदालत की टिप्पणियां स्वामी के खिलाफ अपराध के प्राथमिक जांच के समान है और इससे उनकी छवि धूमिल हुई है.
याचिका में कहा गया, ‘अगर स्वामी जीवित होते तो उनके पास अपनी बेगुनाही साबित करने का अधिकार होता और उनके सहयोगी को उनके नाम पर लगे दाग को हटाने का अधिकार दिया जाना चाहिए क्योंकि उनकी (स्वामी) मौत सुनवाई के दौरान हुई है.’
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका में विशेष एनआईए अदालत द्वारा स्वामी पर लगाए गए आरोपों को हटाने के लिए अदालत से घोषणा करने की मांग की.
याचिका में कहा गया कि स्वामी के खिलाफ आरोपों का सिलसिला उनकी कब्र तक चला गया.
याचिका में हाईकोर्ट से अदालत की निगरानी में न्यायिक जांच कराने का भी आग्रह किया, जो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 176 के तहत न्यायिक हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत पर की जाती है.
स्वामी की मौत के अलावा उन कारकों की भी जांच करने की मांग की गई है, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई. इनमें तलोजा जेल में उनका स्वास्थ्य बिगड़ने और वहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होना शामिल हैं.
हाईकोर्ट ने अभी तक याचिका पर सुनवाई के लिए तारीख सुनिश्चित नहीं की है.
बता दें कि एल्गार परिषद मामले में 16 कार्यकर्ताओं, वकीलों और शिक्षाविदों को गिरफ्तार किया गया है. इस जांच को उन लोगों के खिलाफ विचहंट करार दिया गया है, जो नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हैं.
एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एक सम्मेलन में दिए गए भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया था कि इस भाषणों के कारण अगले दिन पश्चिमी महाराष्ट्र शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई.
द वायर ने पिछले हफ्ते बताया था कि मामले में आरोपी कार्यकर्ता रोना विल्सन के फोन में पेगासस स्पायवेयर से सेंधमारी कर उससे छेड़छाड़ की गई थी.
इससे पहले इसी साल फरवरी में द वायर ने खुलासा किया था कि विल्सन के लैपटॉप से भी छेड़छाड़ की गई थी और उनके कंप्यूटर में 10 आपत्तिजनक पत्र प्लांट किए गए थे. ये पत्र मामले में 16 आरोपियों के खिलाफ दर्ज की गई चार्जशीट से संबंधित हैं.
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)