केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है. मंत्रालय ने यह भी बताया कि उसने संस्था के किसी खाते से लेन-देन को नहीं रोका है. मंत्रालय के इस बयान से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संस्था मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी है.
नई दिल्ली/कोलकाता: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते सोमवार को कहा कि विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए मिशनरीज ऑफ चैरिटी के आवेदन को पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण 25 दिसंबर को खारिज कर दिया गया.
गृह मंत्रालय ने एक बयान में यह भी बताया कि उसने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के किसी खाते से लेन-देन को नहीं रोका है, बल्कि भारतीय स्टेट बैंक ने सूचित किया है कि संस्था ने खुद बैंक को खातों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.
गृह मंत्रालय के इस बयान से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित कोलकाता स्थित संस्था के सभी बैंक खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी है.
मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना आधिकारिक तौर पर 7 अक्टूबर 1950 को मदर टेरेसा द्वारा की गई थी, जिन्हें 1979 में ‘पीड़ित मानवता की मदद के लिए’ नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
ममता बनर्जी ने ट्वीट किया था, ‘क्रिसमस पर यह बात सुनकर स्तब्ध हूं कि केंद्र सरकार ने भारत में मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खातों से लेन-देन को रोक दिया है. उनके 22,000 रोगियों और कर्मचारियों को भोजन और दवाएं नहीं मिल पा रहीं.’
बनर्जी ने कहा था, ‘कानून सर्वोपरि है, लेकिन मानवीय प्रयासों से समझौता नहीं होना चाहिए.’
मंत्रालय ने कहा कि एफसीआरए पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए आवेदन को एफसीआरए 2010 और विदेशी अभिदाय विनियमन नियम (एफसीआरआर) 2011 के तहत पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करने के लिए 25 दिसंबर को खारिज कर दिया था.
बयान के अनुसार, ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी से नवीनीकरण आवेदन को खारिज करने के फैसले की समीक्षा के लिए कोई अनुरोध नहीं मिला है.’
एफसीआरए के तहत मिशनरीज ऑफ चैरिटी का पंजीकरण 31 अक्टूबर, 2021 तक वैध था. गृह मंत्रालय ने कहा कि वैधता को 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ाया गया था.
बयान में कहा गया, ‘हालांकि मिशनरीज ऑफ चैरिटी के नवीनीकरण आवेदन पर विचार करते हुए कुछ प्रतिकूल जानकारियां देखी गईं. इन्हें देखते हुए आवेदन को खारिज कर दिया गया.’
मंत्रालय ने कहा कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी का एफसीआरए पंजीकरण 31 दिसंबर, 2021 तक वैध था और मंत्रालय ने उसके किसी बैंक खाते पर रोक नहीं लगाई है.
मिशनरीज ऑफ चैरिटी एक कैथोलिक धार्मिक संस्था है, जिसकी स्थापना मदर टेरेसा ने 1950 में की थी.
अपने केंद्रों से विदेशी मुद्रा खातों का परिचालन नहीं करने को कहा: मिशनरीज ऑफ चैरिटी
इस बीच मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने सोमवार को कहा कि उसने अपने केंद्रों से तब तक किसी विदेशी मुद्रा खाते का परिचालन नहीं करने को कहा है जब तक संस्था के विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण के नवीनीकरण के मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता.
गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि उसने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के किसी खाते से लेनदेन को नहीं रोका है, बल्कि एसबीआई ने सूचित किया है कि संस्था ने खुद बैंक को खातों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.
हालांकि सेंट टेरेसा ऑफ कलकत्ता द्वारा स्थापित संस्था की सुपीरियर जनरल सिस्टर एम. प्रेमा के हस्ताक्षर से जारी बयान में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि क्या उसने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को उसके खातों पर रोक लगाने को कहा है जैसा कि गृह मंत्रालय ने दावा किया है.
मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बयान में कहा गया, ‘हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी का एफसीआरए पंजीकरण न तो निलंबित किया गया और न ही निरस्त किया गया है. गृह मंत्रालय ने हमारे किसी बैंक खाते पर रोक लगाने का कोई आदेश नहीं दिया है. हमें सूचित किया गया है कि हमारे एफसीआरए नवीनीकरण के आवेदन को स्वीकृत नहीं किया गया है.’
Poorly informed Mamata Banerjee gets it wrong, like always. This is what happens when you have an eye on Goa polls and religious polarisation and not governance is the only calling card. TMC’s Bengal model of appeasement has limited appeal, won’t work in rest of India. https://t.co/8gLAj8QOsI pic.twitter.com/Pj30y6kWBn
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 27, 2021
गृह मंत्रालय के बयान से कुछ पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संस्था के सभी बैंक खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी है.
इसके बाद सोशल मीडिया पर विवाद शुरू हो गया था.
बनर्जी के दावे को खारिज करते हुए भाजपा के पश्चिम बंगाल सह-प्रभारी अमित मालवीय ने ट्वीट किया कि हर बार की तरह ममता बनर्जी की जानकारी इस बार भी गलत है.
Missionaries of Charity issues a statement and it is exactly what the Ministry of Home Affairs has said. If the two are on the same page then whose propaganda is Mamata Banerjee peddling? Or is a deliberate devious attempt to spread misinformation? pic.twitter.com/ItmvXeuLfj
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 27, 2021
उन्होंने कहा, ‘जब आपकी नजर गोवा चुनावों पर और धार्मिक ध्रुवीकरण पर हो और शासन पर नहीं हो, तब यही होता है. तृणमूल कांग्रेस के तुष्टीकरण के बंगाल मॉडल की सीमित अपील है जो शेष भारत में काम नहीं आएगी.’
मालवीय ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी का एक बयान भी साझा किया, जिसमें उसने साफ किया है कि गृह मंत्रालय ने उसके किसी खाते पर रोक नहीं लगाई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मिशनरीज ऑफ चैरिटी की ओर से मंत्रालय को सौंपी गई सालाना रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में उसे विदेशी चंदे के रूप में 425.86 करोड़ रुपये मिले हैं.
रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले 15 वर्षों में संस्था को विदेशी स्रोतों से 1,099 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए है. 2020-21 के लिए उपलब्ध नवीनतम जानकारी से पता चलता है कि उसे अप्रैल 2020 और मार्च 2021 के बीच विदेश से 75.19 करोड़ रुपये मिले हैं.
इससे पहले बीते 12 दिसंबर को मिशनरीज ऑफ चैरिटी के खिलाफ गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2003 के तहत ‘हिंदू धार्मिक भावनाओं को आहत करने’ और वडोदरा के एक आश्रय गृह में ‘लड़कियों को ईसाई धर्म की ओर लुभाने’ के आरोप में केस दर्ज किया गया था. हालांकि संस्था ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था.
हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी पर धर्म परिवर्तन करने और बच्चों को अवैध रूप से गोद लेने के लिए विदेश भेजने का आरोप लगाया था.
जुलाई 2018 में झारखंड उस समय भाजपा सत्ता में थी में पुलिस ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा संचालित एक केंद्र में पैदा हुए बच्चों की तस्करी के आरोप में एक महिला कर्मचारी अनीमा इंदवार और एक नन सिस्टर कंसालिया को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने तब सीबीआई जांच की सिफारिश की थी और संस्था द्वारा अगर कोई एफसीआरए उल्लंघन किया गया हो तो उसकी जांच के लिए कहा था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)