संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच की मांग, अमेज़ॉन-फ्लिपकार्ट से कारोबार की मंज़ूरी वापस ले सरकार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित एक प्रस्ताव में अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों के परिचालन की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की गई है. उसका कहना है कि ये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मानकों का खुला उल्लंघन कर कारोबार कर रही हैं.

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A small toy shopping cart is seen in front of Amazon and Flipkart logos in this picture illustration taken, July 30, 2021. REUTERS/Dado Ruvic/Illustration/File Photo

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित एक प्रस्ताव में अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों के परिचालन की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की गई है. उसका कहना है कि ये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मानकों का खुला उल्लंघन कर कारोबार कर रही हैं.

(फोटोः रॉयटर्स)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ द्वारा कथित भ्रष्ट प्रथाओं और भारत में ईसाई धर्म को बढ़ावा देने के लिए अमेजॉन पर हमला करने के महीनों बाद इसी संगठन से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने सरकार से ई-कॉमर्स कंपनियों- अमेजॉन और फ्लिपकार्ट से देश में कारोबार की अनुमति को तत्काल वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा है कि ये नियमों का खुलकर उल्लंघन कर रही हैं.

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित एक प्रस्ताव में अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, वालमार्ट और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों के परिचालन की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की भी मांग की गई है. उसका कहना है कि ये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मानकों का खुला उल्लंघन कर कारोबार कर रही हैं.

मंच के ग्वालियर में संपन्न 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन में पारित प्रस्ताव के मुताबिक, बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई पर कई पाबंदियां लगी हुई हैं और विदेशी कंपनियां यहां पर इन्वेंट्री-आधारित मॉडल पर कारोबार नहीं कर सकती हैं. इसके अलावा उन पर कीमतों में बहुत ज्यादा कमी करने की भी रोक है. लेकिन अमेजॉन और फ्लिपकार्ट इन प्रावधानों का खुला उल्लंघन कर रही हैं.

स्वदेशी जागरण मंच ने दावा किया कि अमेजॉन अपने ई-कॉमर्स कारोबार के साथ ही परंपरागत खुदरा कारोबार में भी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है. उसके मुताबिक, ‘शॉपर्स स्टॉप’ और ‘मोर’ रिटेल शृंखलाओं में अमेजॉन का निवेश इसी दिशा में बढ़ाया गया कदम है.

आरएसएस से जुड़े संगठन ने कहा, ‘अमेजॉन ने सिर्फ तीन साल में कानूनी एवं पेशेवर शुल्क पर 9,788 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इन मदों में दिखाई गई रकम भारत में अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए इस्तेमाल की जा रही है. इससे साबित होता है कि ऐसी सभी ई-कॉमर्स कंपनियों ने गलत तरीके अपनाकर लाइसेंस एवं मंजूरियां हासिल की हैं.’

मंच की राष्ट्रीय सभा ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए कहा, ‘इन कंपनियों को दी गईं सभी मंजूरियां वापस ली जाएं और उनकी गतिविधियों को गैरकानूनी घोषित किया जाए. इस प्रकरण की सीबीआई जांच कराई जाए और इनसे लाभान्वित होने वाले लोगों की पहचान होने तक उन्हें छुट्टी पर भेज दिया जाए. इसके साथ ही दोषी पाए जाने पर उन्हें दंडित भी किया जाना चाहिए.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मंच ने कहा, ‘अमेजॉन और वॉलमार्ट/फ्लिपकार्ट जैसी बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियां खुले तौर पर (नियमों का) उल्लंघन कर रहे हैं और भारत में अनियंत्रित रूप से काम कर रहे हैं. यह सर्वविदित है कि अमेजॉन और फ्लिपकार्ट के पास 80 प्रतिशत ऑनलाइन स्पेस है. उनके द्वारा दी जा रही छूट भारत के परंपरागत बाजारों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है.’

इसके अनुसार, ‘वे आम जनता को लुभाने के लिए इस तरह के प्रस्तावों पर आक्रामक रूप से विज्ञापन देकर, उच्च छूट की पेशकश कर रहे हैं. जनता सुविधा से अधिक छूट के लिए उनकी ओर आकर्षित होती है. इस प्रवृत्ति का पड़ोस की दुकानों और किराना दुकानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.’

अमेजॉन पर कथित भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए स्वदेशी जागरण मंच ने कहा, ‘कानूनी और वाणिज्यिक शुल्क के माध्यम से रिश्वत का भुगतान कोई नया तरीका नहीं है. अमेजॉन ने अपनी कानूनी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए कई कानूनी फर्मों को काम पर रखा है.’

मंच ने आगे कहा, ‘अमेजॉन इन कानूनी कंपनियों को भारी कानूनी शुल्क का भुगतान करता है और उसके बाद ये कंपनियां उस शुल्क को किसी अन्य कंपनी में स्थानांतरित कर देती हैं और उसके बाद एक लिंक बन जाती है. अंत में अंतिम कानूनी कंपनी या वकील या कोई पेशेवर संबंधित अधिकारी को नकद में राशि वापस ले लेता है.’

संगठन ने कहा कि यह साबित करता है कि ऐसी कंपनियों द्वारा प्राप्त सभी लाइसेंस और अनुमतियां अनुचित साधनों का उपयोग करके धोखाधड़ी से प्राप्त की गई हैं.

मंच के अनुसार, लंबे समय से मांग की जा रही है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने वित्तीय दस्तावेजों का ऑडिट कर उन्हें सार्वजनिक करने के लिए मजबूर किया जाए, लेकिन इन कंपनियों ने अपने दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से परहेज किया.

संगठन ने आरोप लगाया कि अमेजॉन ने भारतीय एफडीआई विनियमों को दरकिनार करते हुए क्लाउडटेल और अपैरियो (Cloudtail and Appario) सहित विक्रेताओं के एक चुनिंदा समूह को तरजीह दी और सोलिमो (Solimo) और अमेजॉन बेसिक्स जैसे प्रतिस्पर्धी उत्पादों और ब्रांडों को लॉन्च करने के लिए अपने स्वयं के विक्रेताओं से डेटा प्राप्त किया.

मंच ने दावा करते हुए कहा, ‘भारत में अमेजॉन इतना शक्तिशाली हो गया है कि वह विजेताओं या हारने वालों को चुन सकता है, छोटे व्यवसायों को नष्ट कर सकता है, उपभोक्ताओं पर कीमतें बढ़ा सकता है और कर्मचारियों को काम से निकाल सकता है.’

संगठनने कहा, ‘अमेजॉन निवेश के प्रस्तावों के साथ स्टार्टअप्स से मिलता है, फिर प्रतिस्पर्धी उत्पादों को लॉन्च करता है जो स्टार्टअप के विकास के साथ-साथ देश में उद्यमिता की संस्कृति के लिए अत्यधिक हानिकारक हैं.’

मालूम हो कि इस साल सितंबर में भारतीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ ने अमेजॉन पर एक कवर स्टोरी की थी, जहां अमेजॉन को ईस्ट इंडिया कंपनी 2.0 करार दिया था, जिसका इरादा भारत के खुदरा बाजार पर एकाधिकार कायम करने का है और उसके कदम भारत के नागरिकों के आर्थिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर कब्जा जमाने वाले हैं.

लेख में अमेजॉन के वीडियो मंच की भी कड़ी आलोचना करते हुए कहा गया था कि वह अपने मंच पर ऐसी फिल्में और वेब सीरीज जारी कर रहा है, जो भारतीय संस्कृति के खिलाफ हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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