वॉट्सऐप ग्रुप पर आपत्तिजनक पोस्ट के लिए एडमिन ज़िम्मेदार नहीं: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई पीठ ने ‘करुर लॉयर्स’ नामक वॉट्सऐप ग्रुप चलाने वाले एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता का नाम चार्जशीट से हटाने का भी निर्देश दिया.

(फोटो: रॉयटर्स)

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई पीठ ने ‘करुर लॉयर्स’ नामक वॉट्सऐप ग्रुप चलाने वाले एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता का नाम चार्जशीट से हटाने का भी निर्देश दिया.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि किसी वॉट्सऐप ग्रुप के एडमिन को ग्रुप में किसी सदस्य द्वारा पोस्ट किए गए आपत्तिजनक कंटेंट के लिए तब तक जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, जब तक कि उसका काम सिर्फ एडमिन का है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत की मदुरई पीठ ने ‘करुर लॉयर्स’ (Karur Lawyers) नाम के वॉट्सऐप ग्रुप चलाने वाले एक वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की.

दरअसल याचिकाकर्ता ने वॉट्सऐप ग्रुप के एक अन्य सदस्य द्वारा ग्रुप में आपत्तिजनक कंटेंट का हवाला देकर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आग्रह किया था.

अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए वॉट्सऐप ग्रुप एडमिन को राहत दे दी और प्रशासन को चार्जशीट से उनका नाम हटाने का निर्देश दिया.

दरअसल एडमिन के खिलाफ यह एफआईआर वॉट्सऐप ग्रुप के एक अन्य सदस्य (वकील) के आरोप के बाद दायर की थी, जिनका कहना था कि पचइयप्पन (Pachaiyappan) नाम के वॉट्सऐप ग्रुप के एक सदस्य ने ग्रुप में अत्यधिक आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट किया था.

उनकी शिकायत के आधार पर पुलिस ने ग्रुप एडमिन के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना) और 294बी (किसी सार्वजनिक स्थान के आसपास अश्लील गाने या शब्द कहना) के तहत एफआईआर दर्ज की थी.

याचिकाकर्ता को राहत देते हुए पीठ ने इस साल की शुरुआत में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया, हाईकोर्ट ने कहा था कि किसी वॉट्सऐप ग्रुप के सदस्य द्वारा ग्रुप में आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए इसकी जिम्मेदारी ग्रुप एडमिन की नहीं है.

अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि ऐसे मामलों में एडमिन की जिम्मेदारी तब तक नहीं बनती, जब तक यह सिद्ध नहीं हो जाता कि ग्रुप के एडमिन की उसी तरह के काम करने की मंशा थी या ऐसी कोई पूर्व नियोजित योजना थी.

बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने कहा, वॉट्सऐप के मामले में आम मंशा को सिद्ध नहीं किया जा सकता. जब कोई शख्स वॉट्सऐप ग्रुप बनाता है तो उसे ग्रुप के किसी सदस्य के आपराधिक कृत्यों की उम्मीद नहीं होती और न पहले से उसके इरादों की जानकारी होती है.

अदालत ने कहा कि इस तरह के ग्रुप एडमिन के पास वॉट्सऐप समूहों के सदस्यों को जोड़ने या हटाने की सीमित शक्ति होती है लेकिन इन समूहों पर पोस्ट किए जा रहे कंटेंट को सेंसर करने या रेगुलेट करने की शक्ति नहीं होती.

इससे पहले अतिरिक्त सार्वजनिक अभियोजक ने यह पता लगाने के लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट मांगी थी कि क्या ग्रुप में कथित आपत्तिजनक कंटेंट पचइयप्पन द्वारा ही पोस्ट किया गया या फिर इसे याचिकाकर्ता की ओर से ही पोस्ट किया गया था.

इस पर अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता की याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता, क्योंकि फॉरेंसिक रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है इसलिए पुलिस को सलाह दी जाती है कि बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित सिद्धांतों का ही पालन किया जाए.

इस मामले में आरोप था कि याचिकाकर्ता के दावे झूठे हैं, क्योंकि पचइयप्पन को उनके द्वारा पोस्ट किए गए आपत्तिजनक कंटेंट के बाद ग्रुप से हटा दिया गया था, लेकिन दो दिन के भीतर ही उन्हें दोबारा ग्रुप में शामिल कर लिया गया.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq