विदेशी चंदे पर पाबंदी के सरकारी फैसले से अहम मानवीय कार्य प्रभावित होंगे: ऑक्सफैम इंडिया

ऑक्सफैम इंडिया ने कहा है कि विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत दिए जाने वाले लाइसेंस का नवीनीकरण करने से इनकार के सरकारी फैसले से देश के 16 राज्यों में संगठन के चल रहे अहम कार्य बुरी तरह से प्रभावित होंगे. इनमें ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करना, जीवन रक्षक दवाएं, ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर आपूर्ति करना जैसे कार्य शामिल हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)

ऑक्सफैम इंडिया ने कहा है कि विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत दिए जाने वाले लाइसेंस का नवीनीकरण करने से इनकार के सरकारी फैसले से देश के 16 राज्यों में संगठन के चल रहे अहम कार्य बुरी तरह से प्रभावित होंगे. इनमें ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करना, जीवन रक्षक दवाएं, ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर आपूर्ति करना जैसे कार्य शामिल हैं.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: ऑक्सफैम इंडिया ने कहा है कि विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत दिए जाने वाले लाइसेंस का नवीनीकरण करने से इनकार के सरकारी फैसले से देश के 16 राज्यों में संगठन के चल रहे अहम मानवीय और सामाजिक कार्य बुरी तरह से प्रभावित होंगे.

ऑक्सफैम इंडिया ने एक बयान में कहा इनमें ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करना, जीवन रक्षक दवाएं और उपकरणों की आपूर्ति करना जैसे ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर, कोविड-19 से सबसे अधिक असुरक्षित समदायों को भोजन मुहैया कराने जैसे कार्य शामिल हैं जो प्रभावित होंगे.

उल्लेखनीय है कि गृह मंत्रालाय द्वारा जारी उन संगठनों की सूची में ऑक्सफैम इंडिया भी शामिल है, जिनका एफसीआरए पंजीकरण का नवीनीकरण (Renewal) नहीं किया गया है. इसका मतलब है कि सूची में शामिल संगठन एक जनवरी 2022 से अपने कार्यों के लिए विदेशी चंदा नहीं प्राप्त कर सकेंगे.

मालूम हो कि आईआईटी दिल्ली, जामिया मिलिया इस्लामिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और ऑक्सफैम इंडिया सहित लगभग 6,000 संस्थानों के विदेशी चंदा विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकरण की मियाद खत्म हो गई है.

विदेशों से फंडिंग के लिए एफसीआरए पंजीकरण जरूरी होता है.

अधिकारियों का कहना है कि इन संस्थानों ने या तो अपने एफसीआरए लाइसेंस के नवीनीकरण (Renewal) के लिए आवेदन नहीं किया या केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनके आवेदनों को खारिज कर दिया.

तब ऑक्सफैम इंडिया से जुड़े सूत्रों ने पुष्टि की थी कि उन्होंने अपने एफसीआरए पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था, लेकिन मंत्रालय ने उन्हें खारिज कर दिया.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा, ‘ऑक्सफैम इंडिया जनहित में दशकों से देश में सरकार, समुदायों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ जनहित में काम कर रहा है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कोविड -19 महामारी के दौरान ऑक्सफैम इंडिया ने जीवन रक्षक उपकरण और सहायता प्रदान करने के लिए देश भर के स्वास्थ्य विभागों, जिला प्रशासन और आशा कार्यकर्ताओं के साथ काम किया है. हम कोविड-19 के कारण स्कूली शिक्षा में में पढ़ाई के संबंध में आई दिक्कतों को दूर करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों के साथ भी काम कर रहे हैं.’

बेहर ने कहा, ‘हमने महिलाओं की आजीविका बढ़ाने के लिए काम किया है. वनवासियों के साथ काम किया है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उन्हें उनके अधिकारों से वंचित न किया जाए. हमने स्थायी समाधान प्रदान करने के लिए कुछ सबसे अधिक बाढ़ संभावित जिलों में काम किया है.’

उन्होंने कहा, ‘एफसीआरए पंजीकरण के नवीनीकरण से इनकार करने के गृह मंत्रालय के फैसले से इन सहयोगों में गंभीर बाधा आएगी, जो संकट के समय में उन लोगों को राहत प्रदान कर रहे थे, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी.’

हालांकि, बेहर ने कहा कि मंत्रालय की कार्रवाई देश में कमजोर समुदायों की सेवा करने और भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को बनाए रखने के लिए ऑक्सफैम इंडिया की प्रतिबद्धता को कम नहीं करेगी.

बेहर ने कहा, ‘ऑक्सफैम इंडिया गृह मंत्रालय से संपर्क कर उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए फंडिंग प्रतिबंध हटाने का आग्रह करेगा ताकि कमजोर समुदायों को महामारी के इस महत्वपूर्ण समय में उनकी जरूरत का समर्थन मिलता रहे.’

ऑक्सफैम इंडिया की ओर से कहा गया, ‘मार्च 2020 से जब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज को स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और कोविड-19 टीकाकरण अभियान की गति में तेजी लाने में सरकार की मदद करने का आह्वान किया, तब ऑक्सफैम इंडिया सबसे आगे था.’

ऑक्सफैम इंडिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने महामारी के दौरान राहत प्रदान करने में गैर सरकारी संगठनों के योगदान को भी स्वीकार किया है.

भारत में अपनी लंबी विरासत पर संगठन ने कहा, ‘ऑक्सफैम 1951 से भारत में काम कर रहा है. इन सात दशकों के दौरान संगठन ने हमेशा भारतीय कानूनों को बरकरार रखा है. ऑक्सफैम इंडिया 2008 में भारत के प्रमुख नागरिकों कुछ प्रमुख नागरिकों को संगठन का बोर्ड मेंमर बनाकर पूरी तरह से एक भारतीय संगठन बन गया. देश के संवैधानिक मूल्यों का प्रचार किया और भारत के लोगों के लिए अथक प्रयास किया.’

यह संगठन पहली बार 1951 में बिहार में अकाल राहत प्रदान करने के लिए भारत आया था. उसके बाद वह अमूल सहकारी आंदोलन से जुड़ा हुआ था. 1971 में पूर्वी पाकिस्तान से भारत में आने वाले शरणार्थियों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों की भर्ती में मदद की. कारगिल युद्ध के दौरान सीमा पर स्थित भारतीय लोगों को महत्वपूर्ण राहत सामग्री प्रदान की और सुनामी के दौरान राहत और पुनर्वास प्रदान किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq