कोर्ट का सीआईसी के निर्देश पर रोक से इनकार, हॉकी इंडिया को देनी होगी सदस्यों व वेतन की जानकारी

सीआईसी ने दिसंबर 2021 में हॉकी इंडिया को आरटीआई के तहत उसके सदस्यों की पूरी सूची, उनके पदनाम, वेतन, सकल आय जैसी कई जानकारियां देने के निर्देश दिए थे, जिसे उसने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा कि वह एक सार्वजनिक प्राधिकरण है और ऐसी जानकारी देने से मना नहीं कर सकता.

(फोटो साभार: thebridge.in)

सीआईसी ने दिसंबर 2021 में हॉकी इंडिया को आरटीआई के तहत उसके सदस्यों की पूरी सूची, उनके पदनाम, वेतन, सकल आय जैसी कई जानकारियां देने के निर्देश दिए थे, जिसे उसने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा कि वह एक सार्वजनिक प्राधिकरण है और ऐसी जानकारी देने से मना नहीं कर सकता.

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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें हॉकी इंडिया को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत अपने सदस्यों की सूची और कर्मचारियों के वेतन सहित कुछ जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था.

हॉकी इंडिया ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर सीआईसी के आदेश को रद्द करने और अधिकारियों को 13 दिसंबर, 2021 के आदेश के अनुसार आगे बढ़ने या कार्रवाई करने से रोकने की मांग की थी.

जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि हॉकी इंडिया एक राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएफएस) और एक सार्वजनिक प्राधिकरण है. ऐसे में वह इस तरह की जानकारी का खुलासा करने से मना नहीं कर सकता. यहां तक कि न्यायाधीशों का वेतन भी सभी को पता होता है.

उन्होंने कहा, ‘प्रथमदृष्टया मुझे नहीं लगता कि सीआईसी के आदेश में कुछ गलत है. आप (हॉकी इंडिया) एक सार्वजनिक प्राधिकरण हैं, आप कर्मचारियों के वेतन का खुलासा करने से मना नहीं कर सकते, चाहे वह कितना भी अधिक या कम क्यों न हो. जब हमारी तनख्वाह सबको पता है तो आपके कर्मचारियों के वेतन के सार्वजनिक होने में क्या दिक्कत है. आप एक सार्वजनिक प्राधिकरण हैं जिसे काफी मदद, लाभ और धन मिल रहा है.’

केंद्र सरकार ने भी सीआईसी के 13 दिसंबर, 2021 के आदेश का समर्थन करते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय खेल संहिता और केंद्र के दिशानिर्देशों के अनुरूप है.

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सचिन दत्ता और अनिल सोनी ने कहा कि एनएसएफ को भी यह जानकारी सरकार को भी सौंपने की जरूरत होती है और आरटीआई अधिनियम के तहत यह उस तरह की गोपनीय जानकारी की श्रेणी में नहीं है जिसे छूट दी गई है.

केंद्र के वकील ने इस संबंध में अदालत के समक्ष हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा.

अदालत ने केंद्र को हलफनामा दाखिल करने के लिए पांच दिनों का समय दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 20 जनवरी को सूचीबद्ध किया है.

हॉकी इंडिया ने सीआईसी के 13 दिसंबर, 2021 के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उसे आरटीआई के तहत अपने सदस्यों की पूरी सूची उनके पदनाम और आधिकारिक पता, उनके कर्मचारियों के नाम, उनके वेतन और सकल आय का ब्यौरा देने का निर्देश दिया गया था.

आयोग ने हॉकी इंडिया से उसके प्रत्येक पते पर भुगतान किए गए मासिक किराए की जानकारी भी देने के लिए कहा था.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सीआईसी का आदेश पूरी तरह से अवैध, मनमाना, अनुचित और कानून के स्थापित सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए पारित किया गया था. यह आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) के विपरीत है जो सूचना का खुलासा करने से छूट से संबंधित है.

हॉकी इंडिया की ओर से पेश अधिवक्ता शील त्रेहान ने कहा कि एनएसएफ केंद्र को जानकारी देने से नहीं कतरा रहा है, लेकिन केंद्र को इन विवरणों का खुलासा करना और एक आरटीआई आवेदक को जानकारी देने से काफी अलग मामला हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि यदि खेल संस्था सीआईसी के आदेश का पालन करती है तो याचिका निष्फल हो जाएगी और यदि वह समय सीमा के भीतर इसका पालन नहीं करती है तो उसके अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ जुर्माना भी लगाया जाएगा.

याचिका में कहा गया है कि सीआईसी का आदेश याचिकाकर्ता को 29 दिसंबर, 2021 को प्राप्त हुआ था और उसे 15 दिनों के भीतर सूचना देने का निर्देश दिया गया था, जो 14 जनवरी को समाप्त हो रहा है और उसके बाद 7 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया था.

याचिका में सीआईसी के आदेश को रद्द करने और अधिकारियों को 13 दिसंबर, 2021 के आदेश का पालन करने या उसके मुताबिक कार्रवाई करने से रोकने की मांग की गई थी.

हॉकी इंडिया के याचिका का वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा और आरटीआई आवेदक सुभाष चंद्र अग्रवाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील आर. अरुणाधरी अय्यर ने जोरदार विरोध करते हुए कहा कि राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुसार प्रत्येक राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) द्वारा केंद्र को इस जानकारी का खुलासा करना पहले से ही आवश्यक था.

अदालत ने 12 जनवरी को कहा था कि आरटीआई आवेदक की ओर से किए गए निवेदन को देखते हुए केंद्र के रुख को जानना जरूरी है और याचिकाकर्ता को याचिका के पक्ष में खेल और युवा मामलों के मंत्रालय को पक्षकार बनाने की अनुमति दी थी.

अदालत ने केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनिल सोनी को मामले में निर्देश प्राप्त करने को कहा था.

याचिका में सीआईसी के आदेश को रद्द करने और अधिकारियों को 13 दिसंबर, 2021 के आदेश के अनुसार आगे बढ़ने या कार्रवाई करने से रोकने की मांग की गई थी.

हॉकी इंडिया को केंद्र सरकार, युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएफएस) के रूप में मान्यता प्रदान की गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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