पेगासस: इज़रायल पुलिस ने सरकारी कर्मियों, नेतन्याहू के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों की जासूसी की

एक इज़रायली समाचार पोर्टल की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने अदालत की निगरानी या इसके लिए आवश्यक क़ानूनी अनुमति के बिना हैकिंग और जासूसी की थी.

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(इलस्ट्रेशन: द वायर)

एक इज़रायली समाचार पोर्टल की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस ने अदालत की निगरानी या इसके लिए आवश्यक क़ानूनी अनुमति के बिना हैकिंग और जासूसी की थी.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: इजरायली पोर्टल कैलकेलिस्ट द्वारा प्रकाशित एक जांच के अनुसार, इजरायल की पुलिस ने निगरानी वॉरंट के लिए आवेदन किए बिना कई इजरायली नागरिकों के मोबाइल फोन को नियंत्रित करने, हैक करने और उनसे जानकारी निकालने के लिए एनएसओ समूह के विवादास्पद स्पायवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस पोर्टल की जांच के अनुसार, स्पायवेयर का इस्तेमाल महापौरों (मेयर), पूर्व सरकारी कर्मचारियों और पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन की कमान संभालने वाले नेताओं के खिलाफ किया गया था.

रिपोर्ट में दर्ज है कि हैकिंग और जासूसी बिना कोर्ट की निगरानी या उचित कानूनी अनुमति लिए बिना की गई.

जिन लोगों को निशाना बनाया गया, उनमें से कई 2020 में नेतन्याहू के खिलाफ हुए प्रदर्शनो में सक्रिय थे. उक्त प्रदर्शन कोरोना महामारी, भ्रष्टाचार के आरोपों और देश में व्याप्त आर्थिक संकट को लेकर किए गए थे.

कैलकलिस्ट की रिपोर्ट में लिखा है कि राजनीतिक प्रदर्शनों के प्रमुखों को यह अंदाजा नहीं था कि इजरायल पुलिस ने उनके फोन में एनएसओ का स्पायवेयर डाल दिया है, जिससे उनके उपकरणों पर कब्जा कर लिया गया था और उनके सभी फोन कॉल को सुना और संदेशों को पढ़ा जा रहा था.

एनएसओ ने इन आरोपों की पुष्टि या खंडन करने से इनकार करते हुए कहा कि वे अपने मौजूदा या संभावित ग्राहकों पर टिप्पणी नहीं करते हैं. एनएसओ ग्रुप पहले कई बार कह चुका है कि वह अपने स्पायवेयर को केवल सरकारों को बेचता है.

कैलकलिस्ट को दिए अपने बयान में कंपनी की ओर से कहा गया है कि कंपनी अपने ग्राहकों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे सिस्टम को संचालित नहीं करती है और न ही उन्हे सक्रिय करने में शामिल है.

एनएसओ ग्रुप ने आगे कहा कि कंपनी के कर्मचारी, ग्राहकों द्वारा पेगासस के जरिये की जा रही किसी भी जांच या संचालन गतिविधि में शामिल नहीं होते हैं. ग्राहकों द्वारा पेगासस के जरिये निशाना बनाए जा रहे लोगों या जुटाई गई जानकारी से कंपनी के कर्मचारियों का कोई लेना-देना नहीं होता. साथ ही, कंपनी अपने उत्पादों को लाइसेंस के तहत और अदालत के आदेशों व प्रत्येक देश के स्थानीय क़ानूनों के अनुसार बेचती है.

दूसरी ओर इजरायली पुलिस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में पुलिस की सभी गतिविधि कानून के मुताबिक, अदालती आदेशों और सख्त प्रक्रियाओं के आधार पर की जाती हैं.

कैलकलिस्ट की जांच कहती है कि पेगासस का इस्तेमाल करके कई लोगों की जासूसी की गई थी. उदाहरण के लिए, पुलिस द्वारा महापौर के फोन में रिश्वत के सबूतों की खोज के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था, ऐसा उस दौरान किया गया जब मामले की जांच गोपनीय स्तर पर थी.

मालूम हो कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर  भी शामिल था, ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये दुनियाभर में नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.

इस कड़ी में 18 जुलाई से द वायर  सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.

इस एक पड़ताल के मुताबिक, इजरायल की एक सर्विलांस तकनीक कंपनी एनएसओ ग्रुप के कई सरकारों के क्लाइंट्स की दिलचस्पी वाले ऐसे लोगों के हजारों टेलीफोन नंबरों की लीक हुई एक सूची में 300 सत्यापित भारतीय नंबर हैं, जिन्हें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है.

यह खुलासा सामने आने के बाद देश और दुनियाभर में इसे लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था.

बता दें कि एनएसओ ग्रुप मिलिट्री ग्रेड के इस स्पायवेयर को सिर्फ सरकारों को ही बेचती हैं. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही इसकी पुष्टि की है.

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