शीर्ष महानगरों में कोविड टीकाकरण में लिंगभेद, हज़ार पुरुषों के मुक़ाबले 694 महिलाओं को लगा टीका

देश के 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में केवल नौ प्रदेश ऐसे रहे जहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक टीके लगे हैं. पूरे देश की बात करें तो टीकाकरण का लिंगानुपात प्रति एक हज़ार पुरुषों पर 954 महिलाएं है.

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अगस्त 2021 में मुंबई के एक टीकाकरण केंद्र के बाहर खड़े नागरिक. (फोटो: पीटीआई)

देश के 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में केवल नौ प्रदेश ऐसे रहे जहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक टीके लगे हैं. पूरे देश की बात करें तो टीकाकरण का लिंगानुपात प्रति एक हज़ार पुरुषों पर 954 महिलाएं है.

अगस्त 2021 में मुंबई के एक टीकाकरण केंद्र के बाहर खड़े नागरिक. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत में अब तक 158 करोड़ लोगों को टीका लग चुका है. जिसमें पहला, दूसरा और ऐहतियाती (Precaution) टीका शामिल हैं, लेकिन इस बीच शीर्ष महानगरों में टीकाकरण के मामले में पुरुषों और महिलाओं की संख्या के बीच एक बड़ी खाई देखी गई है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक  रिपोर्ट के मुताबिक, 18 जनवरी तक मुंबई में 1.10 करोड़ पुरुषों को टीके लगे, इसके मुकाबले महिलाओं की संख्या 76.98 लाख रही. यानी कि प्रति एक हजार पुरुषों पर 694 महिलाओं का टीकाकरण हुआ. जो इस शहर के लिंगानुपात (832) से बहुत कम है.

ऐसा ही अंतर दिल्ली में भी देखा गया. यहां पिछले एक साल में 1.64 करोड़ पुरुषों के मुकाबले 1.22 करोड़ महिलाओं का टीकाकरण हुआ, यानी कि प्रति एक हजार पुरुषों पर 742 महिलाएं. पिछली जनगणना के आधार पर दिल्ली का लिंगानुपात 868 है.

बेंगलुरू, चेन्नई और कोलकाता में भी यही पैटर्न देखा गया. प्रति एक हजार पुरुषों पर बेंगलुरू में 810 महिलाओं को टीका लगा, चेन्नई में 821 महिलाओं और कोलकाता में 812 महिलाओं का टीकाकरण हुआ. जनगणना के आधार पर बेंगलुरू, चेन्नई और कोलकाता का लिंगानुपात क्रमश: 916, 989 और 908 है.

स्पष्ट है कि बड़े महानगरों में टीकाकरण के मामले में लिंग के आधार पर एक बड़ा अंतर नजर आता है. जबकि, अगर पूरे देश की बात करें तो तस्वीर जुदा नजर आती है.

18 जनवरी 2022 तक देश में टीकाकरण का लिंगानुपात प्रति एक हजार पुरुषों पर 954 महिला रहा है. यह पिछली जनगणना के लिंगानुपात 933 से अधिक है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में केवल 9 प्रदेश ऐसे रहे जहां पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक टीके लगे हैं. ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, बिहार, असम, छत्तीसगढ़, केरल, ओडिशा, पुड्डुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल.

वहीं, इस दौरान उत्तर प्रदेश में भारत के सबसे ज्यादा 23.65 करोड़ टीके लगे हैं. जिनमें पुरुषों को 12.18 करोड़ और महिलाओं को 11.41 करोड़ टीके लगे है. लिंगानुपात प्रति हजर पुरुषों पर 936 बैठता है, जो 2011 की जनगणना के लिंगानुपात (912) से अधिक है.

टीकाकरण केंद्रों की अच्छी पहुंच होने बावजूद भी महानगरों में टीकाकरण के मामले में लिंगभेद के पीछे के कारणों पर बात करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि कई कार्यस्थलों पर कर्मचारियों का टीकाकरण अनिवार्य है, इसलिए पुरुषों का टीकाकरण अधिक हुआ है. निर्माण स्थलों पर जहां पुरुष अधिक काम करते हैं, वहां विशेष टीकाकरण कैंप लगाए गए हैं.

उन्होंने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी विशेष कैंप लगाए जा रहे हैं.

बृहन्मुम्बई नगर निगम (बीएमसी) के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश ककानी ने बताया कि मजदूरों के पलायन के कारण ऐसी स्थिति बन रही है, ज्यादातर पुरुष अपने परिवारों को घर पर छोड़कर काम के लिए मुंबई आते हैं, इसलिए पुरुषों को महिलाओं के मुकाबले ज्यादा टीके लग जाते हैं.

बहरहाल, महाराष्ट्र के गोंडिया जैसे कुछ ग्रामीण जिलों में पुरुषों (8.50 लाख) की अपेक्षा महिलाओं (9.11 लाख) को अधिक टीके लगे हैं.

इस पर राज्य की कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य सुभास सालुंके कहते हैं कि ऐसा आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रयासों के चलते हुआ है. वे महिलाओं को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जो शहरों में नहीं होता है.

बहरहाल, विशेषज्ञों के मुताबिक शहरों में गहरा व्याप्त लिंगभेद और इंटरनेट तक महिलाओं की कम पहुंच भी महिलाओं के कम टीकाकरण के कारणों में से हैं.

बहरहाल, अन्य लिंग समुदाय जैसे कि ट्रांसजेंडर और नॉन-बाइनरी (जो स्वयं को न महिला और न पुरुष मानते हैं) में केवल 3.75 लाख का टीकाकरण हुआ है.