‘अमर जवान ज्योति’ का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में जल रही लौ के साथ विलय किया गया

अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी, जो कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था. कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार का यह क़दम सैनिकों के बलिदान के इतिहास को मिटाने की तरह है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी, जो कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था. कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार का यह क़दम सैनिकों के बलिदान के इतिहास को मिटाने की तरह है.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में इंडिया गेट पर पिछले 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति का शुक्रवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में विलय कर दिया गया.

एक संक्षिप्त समारोह में अमर जवान ज्योति का एक हिस्सा लिया गया और उसे इंडिया गेट से 400 मीटर दूर स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में जल रही लौ के साथ मिला दिया गया.

एकीकृत रक्षा प्रमुख एयर मार्शल बीआर कृष्णा ने समारोह की अध्यक्षता की.

अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी, जो कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था.

इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति एक स्मारक है, जिसमें संगमरमर की एक चौकी पर राइफल के ऊपर एक सैनिक की हेलमेट को रखा गया है.

सेना के अधिकारियों ने बताया कि अमर जवान ज्योति का शुक्रवार दोपहर को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में विलय किया जाएगा, जो कि इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है.

सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह देखकर विचित्र लगता है कि अमर जवान ज्योति की लौ 1971 एवं दूसरे युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए है, लेकिन इनमें से किसी का नाम वहां मौजूद नहीं है.

सरकारी सूत्रों ने यह भी कहा कि इंडिया गेट पर कुछ उन शहीदों के नाम अंकित हैं, जो प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो अफगान युद्ध में ब्रिटिश शासन के लिए लड़े और ऐसे में ये हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था, जहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इससे पहले विभिन्न युद्धों और संघर्षों में देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी सैन्यकर्मियों को श्रद्धांजलि देने के लिए कोई युद्ध स्मारक नहीं था, यही वजह है कि इंडिया गेट पर लौ जलाई गई थी. अब जब एक समर्पित संग्रहालय है, तो इस लौ को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ मिला दिया जाएगा.

अमर जवान ज्योति को बुझाने का मतलब इतिहास को मिटाना है: कांग्रेस

कांग्रेस ने अमर जवान ज्योति की लौ का राष्ट्रीय समर स्मारक पर जल रही लौ के साथ विलय किए जाने के विषय को लेकर शुक्रवार को आरोप लगाया कि यह कदम सैनिकों के बलिदान के इतिहास को मिटाने की तरह है.

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा. कुछ लोग देश प्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं… हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे!’

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ‘इस सरकार में लोकतांत्रिक परंपरा और स्थापित परंपरा का कोई सम्मान नहीं है, चाहे वह संसद में हो या बाहर. अमर जवान ज्योति के 50 साल बाद हासिल की गई पवित्रता को हल्के से छीना जा रहा है. इसलिए 2014 के बाद सब कुछ फिर से खोजा जाना चाहिए?’

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने आरोप लगाया, ‘अमर जवान ज्योति को बुझाना उस इतिहास को मिटाने की तरह है, जो पाकिस्तान के दो टुकड़े करने और दक्षिण एशिया के मानचित्र को बदलने वाले 3,483 बहादुर सैनिकों के बलिदान का प्रतीक है.’

उन्होंने कहा, ‘यह बहुत ही विडंबनापूर्ण है कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के 50 साल पूरा होने के अवसर पर सरकार आजादी के बाद के सबसे बेहतरीन क्षण को मिटाने का प्रयास करती दिख रही है.’

तिवारी ने कहा, ‘जो कुछ भी किया जा रहा है, वह एक राष्ट्रीय त्रासदी है और इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास है. अमर जवान ज्योति को युद्ध स्मारक मशाल में मिलाने का अर्थ है इतिहास मिटाना. भाजपा ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाया है, इसका मतलब यह नहीं है कि वे अमर जवान ज्योति को बुझा सकते हैं.’

विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘आरएसएस सैद्धांतिक रूप से शहादत को आदर्श नहीं बल्कि एक घातक दोष मानता है. गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स के अंश को साझा कर रहा हूं, जिन्हें अब उनकी वेबसाइट से हटा लिया गया है, जो यह बताता है कि मोदी सरकार आधी सदी के बाद आज अमर जवान ज्योति को क्यों बुझा रही है.’

वहीं भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट किया, ‘अमर जवान ज्योति के संदर्भ में कई तरह की गलत सूचनाएं प्रसारित की जा रही हैं. सही बात यह है कि अमर जवान ज्योति की लौ को बुझाया नहीं जा रहा है. इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ के साथ मिलाया जा रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘1971 और उसके पहले और बाद के युद्धों सहित अन्य सभी युद्धों के सारे भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लिखे गए हैं. इसलिए शहीदों को श्रद्धांजलि देने वाली ज्योति का वहां होना ही सच्ची श्रद्धांजलि है.’

पात्रा ने ये भी कहा, ‘विडंबना यह है कि जिन लोगों ने 7 दशकों तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाया, वे अब हमारे शहीदों को स्थायी और उचित श्रद्धांजलि देने पर हंगामा कर रहे हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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