नॉर्थ ईस्ट डायरीः बीते दो सप्ताह में म्यांमार के 2,000 से अधिक शरणार्थी मिज़ोरम पहुंचे

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मिज़ोरम, मणिपुर, मेघालय, असम और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.

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मिजोरम के सीमाई जिले चम्पाई के एक गांव में टीओ नदी पार करते लोग. (फोटो: रॉयटर्स)

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मिज़ोरम, मणिपुर, मेघालय, असम और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.

बीते साल मिजोरम के सीमाई जिले चम्पाई के एक गांव में टीओ नदी पार करते लोग. (फोटो: रॉयटर्स)

आइजॉल/इम्फाल/शिलॉन्ग/गुवाहाटी/ईटानगरः म्यांमार के चिन स्टेट से 2,000 से अधिक लोग पांच जनवरी के बाद से मिजोरम के सीमावर्ती गांव पहुंचे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मिजोरम में सरकारी सूत्रों और विस्थापितों को सहायता प्रदान कराने वाले गैर सरकारी संगठनों के मुताबिक, बीते दो हफ्तों में छर्रों से घायल चार लोग मिजोरम पहुंचे हैं. उन्हें आइजॉल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां एक शख्स ने दम तोड़ दिया. उसके शव को वापस म्यांमार ले जाया गया.

फरवरी 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से चिन स्टेट में सबसे ज्यादा जुंटा (म्यांमार सेना) का सशस्त्र प्रतिरोध देखने को मिला और इस वजह से म्यांमार सेना के कहर का खामियाजा भुगता.

बीते साल जुलाई-अगस्त के दौरान लगभग 15,000 लोग म्यांमार के चिन स्टेट से मिजोरम पहुंचे. बता दें कि मिजोरम की म्यांमार के चिन स्टेट के साथ 510 किलोमीटर लंबी सीमा है.

जुंटा ने पिछले साल फलम और थांगटलांग इलाकों में चीन के प्रतिरोध को तोड़ने की पूरी कोशिश की लेकिन इसमें सफलता हासिल नहीं हुई.  अब पूरा स्टेट लगातार संघर्षों से जूझ राह है क्योंकि सीडीएफ और पीपुल्स डिफेंस फोर्स समूहों का नेटवर्क जुंटा का सामना कर रहा है.

फ्रंटियर म्यांमार की रिपोर्ट के मुताबिक, चिन स्टेट के सभी गांवों को जला दिया गया और वहां ज्यादा से ज्यादा संख्या में सैनिक लगातार पहुंच रहे हैं.

इस महीने की शुरुआत में दक्षिण में मटुपी और उत्तर में टिद्दीम में असैन्य सशस्त्र समूहों और जुंटा के बीच हिंसक झड़प हुई थी. कुछ दिन पहले फलाम इलाके में भी इसी तरह के संघर्षों की खबरें थीं.

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, ‘इन दिनों रोजाना शरणार्थी सीमावर्ती गांवों तक पहुंच रहे हैं. हम इनकी संख्या पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह काफी कठिन है.’

अनाधिकारिक अनुमानों के मुताबिक, पांच से 20 जनवरी के बीच आने वाले लोगों शरणार्थियों की संख्या 2,000 से अधिक है. सबसे अधिक लोग हनहथियाल से आए हैं, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वहां से 1,000 से अधिक लोग हिंसा से बचकर सीमा पार करके आए हैं.

चम्फाई जिले के तुईपुइराल के यंग मिजो एसोसिएशन के अध्यक्ष एमसी लालरामेंगा के अनुसार, ‘नए सिरे से हिंसा के बाद बीते दो हफ्ते में लगभग 50 लोगों ने सीमा पार की है.’

लालरामेंगा ने बताया कि सीमा पार करने वालों में चार लोग थे, जो बम विस्फोट में घायल हो गए. इनमें से एक की मौत हो गई जबकि तीन का आइजॉल के एक निजी अस्पताल के आईसीयू में इलाज चल रहा है.

हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ये लोग घायल कहां हुए.

सरकारी सूत्रों का कहना है कि एनजीओ, चर्च समूहों और ग्रामी अधिकारियों ने एक शरणार्थी केयरटेकर समिति का गठन किया था, जिसके तहत विस्थापितों की देखरेख की जा रही थी. इस काम में स्थानीय प्रशासन भी मदद कर रहा था.

इससे पहले सितंबर 2021 में मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने शरणार्थियों के वास्ते मानवीय सहायता की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था.

मिजोरम के एकमात्र लोकसभा सदस्य सी. लालरोसांगा ने इसी महीने सितंबर को दिल्ली में गृह सचिव (सीमा प्रबंधन) एवं अवर गृह सचिव से मिलकर उनसे शरणार्थियों की सहायता की अपील की क्योंकि म्यामांर में सात सितंबर 2021 को क्रांति के आह्वान के बीच हुई सैन्य कार्रवाई के बाद सैंकड़ों लोग देश छोड़कर राज्य में पहुंचे थे.

बताया गया था कि जोरमथांगा ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में 10 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद में से पांच करोड़ रुपये भोजन उपलब्ध कराने, तीन करोड़ रुपये शरणार्थियों के लिए आवास निर्माण और दो करोड़ रुपये शरणार्थियों को दवाइयों और स्वास्थ्य देखरेख की सुविधाएं मुहैया कराने के लिए थे.

इससे पहले 18 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर राजनीतिक शरणार्थियों को मानवीय आधार पर शरण देने के लिए व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था.

म्यांमार के साथ  मिजोरम की 510 किलोमीटर की लंबी सीमा लगती है. इस सीमा की रखवाली की जिम्‍मेदारी असम राइफल्‍स के पास है.

गौरतलब है कि म्यांमार में सेना ने एक फरवरी 2021 को तख्तापलट कर आंग सान सू ची और अन्य नेताओं को नज़रबंद करते हुए देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी. म्यांमार की सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए कहा था कि उसने देश में हुए चुनावों में धोखाधड़ी की वजह से सत्ता कमांडर इन चीफ मिन आंग ह्लाइंग को सौंपी गई है.

इसके बाद से वहां बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन और हिंसा होने की खबरें आई थीं. 14 मार्च 2021 सबसे हिंसक दिनों में से एक रहा था. इस दिन प्रदर्शनों के खिलाफ कार्रवाई में कम से कम 38 लोगों की मौत हुई.

मणिपुर: चुनाव आयोग ने शिविरों में रह रहे उग्रवादियों को वोट डालने की मंजूरी दी

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को मणिपुर सशस्त्र समूहों के उन सदस्यों को पोस्टल बैलेट से वोट डालने की मंजूरी दी, जिन्होंने सरकार के साथ संघर्षविराम समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं या जो मौजूदा समय में अलग-अलग शिविरों में रह रहे हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 60 के क्लॉज (सी) द्वारा दी गई शक्तियों का उपयोग करते हुए केंद्र सरकार के साथ विचार-विमर्श कर यह फैसला लिया गया है.

बयान में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने निर्देश दिए हैं कि इन मतदाताओं को पोस्टल बैलेट के जरिये वोट करने की मंजूरी दी जाएगी क्योंकि इन्हें इन शिविरों से बाहर नहीं लाया जा सकता है.

राज्य में 20 से अधिक कुकी उग्रवादी समूह हैं जिन्होंने 2008 में राज्य और केंद्र सरकारों के साथ युद्धविराम समझौता किया है. ये उग्रवादी दो समूहों यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) और कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (केएनओ) से जुड़े हुए हैं.

इन समूहों के कैडर मौजूदा समय में राज्य के कुकी बहुल्य इलाकों में सरकार द्वारा स्थापित शिविरों में रह रहे हैं.

इसी तरह कुछ अन्य अंडरग्राउंड समूहों ने भी सरकार के साथ एमओयू समझौता किया था. सरकार की ओर से इन्हें मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास जारी है.

बता दें कि मणिपुर में 27 फरवरी को विधानसभा चुनाव हैं.

मेघालय: मुख्यमंत्री कोनराड संगमा कोरोना वायरस से संक्रमित

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा. (फोटो साभार: फेसबुक)

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा शुक्रवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए. उन्होंने एक दिन पहले ही दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के साथ बैठक की थी.

संगमा ने उनके संपर्क में आए सभी लोगों से खुद को अलग कर लेने और जरूरत पड़ने पर कोविड-19 जांच कराने का अनुरोध किया.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘मेरी कोविड-19 जांच में संक्रमण की पुष्टि हुई है. मैंने खुद को पृथक कर लिया है. मुझमें संक्रमण के हल्के लक्षण हैं, जो लोग बीते कुछ दिनों में मेरे संपर्क में आए हैं, उनसे अनुरोध है कि वे अपने लक्षणों पर ध्यान दें और जरूरी होने पर जांच कराएं.’

बता दें कि संगमा और हिमंता बिस्वा गुरुवार को मेघालय-असम अंतर राज्यीय सीमा से लगे कुछ इलाकों में विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान पर रिपोर्ट जमा करने के लिए अमित शाह से मिले थे.

सत्तारूढ़ एनपीपी के वरिष्ठ नेता को हत्या मामले में उम्रकैद

मेघालय में सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के एक वरिष्ठ नेता को वेस्ट जयंतिया हिल्स जिले की अदालत ने शराब के नशे में 25 वर्षीय व्यक्ति की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनाई है.

जिला सत्र न्यायाधीश बी. ख्रीम ने जयंतिया हिल्स क्षेत्र के एनपीपी के कार्यकारी अध्यक्ष निदामोन चुलेट को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

अदालत ने चुलेट पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. चुलेट के सहयोगी कोमिंग राबोन को शव को ठिकाने लगाने के अपराध में आईपीसी की धारा 201 (अपराध के सबूत मिटाने) के तहत दोषी ठहराया गया.

उन्हें सात साल जेल की सजा सुनाई गई. इसके साथ ही उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था.

बता दें कि चुलेट को मुख्यमंत्री कोनराड संगमा का करीबी माना जाता है.

चुलेट और एक अन्य आरोपी ने जोवाई में एक दुकान पर ताश खेलने के दौरान इवानमिडू लुइद से विवाद के बाद शराब के नशे में उस पर दाव (पारंपरिक तलवार) से हमला किया था.

यह घटना फरवरी 2008 की है. अभियोजन के अनुसार बाद में राबोन ने शव को ठिकाने लगा दिया. इस अन्य शख्स की मौत हो गई है.

असमः कोरोना के मद्देनजर गणतंत्र दिवस पर स्कूली बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर रोक

असम सरकार ने कोविड-19 के मद्देनजर गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज्य में सभी प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पुरस्कार वितरण समारोह और स्कूली बच्चों के भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

इस संबंध में शुक्रवार को जारी आदेश में मुख्य सचिव जिष्णु बरुआ ने कहा, ‘गणतंत्र दिवस समारोह में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा, सम्मानित अतिथि का भाषण होगा और परेड होगी.’

उन्होंने कहा, ‘अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम, पुरस्कार वितरण आदि आयोजित नहीं होंगे. राज्य में महामारी की स्थिति के मद्देनजर, गणतंत्र दिवस के अवसर पर और उससे पहले के कार्यक्रम नहीं होंगे.’

असम आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि स्कूली बच्चे मार्च पास्ट या परेड में शामिल नहीं होंगे.

गौहाटी हाईकोर्ट ने यौन शोषण मामले में पद्म विजेता की अग्रिम ज़मानत याचिका खारिज की

(फोटो: पीटीआई)

गौहाटी हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की के कथित यौन शोषण मामले में पद्मश्री विजेता नवोन्मेषक उद्धब कुमार भराली को मिली अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द कर दी.

अदालत ने कहा कि भराली को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है. दूसरी ओर, भराली का दावा है कि वह साजिश का शिकार हुए हैं और इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.

भराली ने कहा कि वह शुक्रवार को लखीमपुर जिले की एक अदालत में समर्पण करेंगे.

भराली की अग्रिम जमानत याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस हितेश कुमार शर्मा ने उन्हें बीते साल 28 दिसंबर को अवकाशकालीन पीठ द्वारा दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द कर दी थी.

जस्टिस शर्मा ने अपने फैसले में कहा , ‘याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत का लाभ पाने के हकदार नहीं है. लिहाजा, उनकी अर्जी खारिज की जाती है. 28 दिसंबर 2021 को जारी आदेश के तहत याचिकाकर्ता को हासिल अंतरिम राहत भी खत्म होती है.’

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस शर्मा ने कहा, ‘प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों के साथ-साथ पीड़िता और चश्मदीदों के बयान के मद्देनजर मामले की जांच के लिए भराली को हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है.’

भराली ने उत्तर लखीमपुर थाने में अपने खिलाफ आईपीसी और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (पॉक्सो) की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद अग्रिम जमानत के लिए 23 दिसंबर को अदालत में याचिका दायर की थी.

उन्होंने अंतरिम अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद कहा कि वह शुक्रवार को लखीमपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने समर्पण करेंगे.

उत्तर लखीमपुर स्थित आवास पर संवाददाताओं से बातचीत में भराली ने कहा, ‘मैं एक साजिश का शिकार हुआ हूं. चूंकि, मेरी जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है, लिहाजा मेरे पास समर्पण करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. मैं शुक्रवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने समर्पण करूंगा.’

भराली की अग्रिम जमानत अर्जी पर फैसला लेते समय जस्टिस शर्मा ने न सिर्फ केस डायरी बल्कि पीड़िता और दो नाबालिग चश्मदीदों के बयान को आधार बनाया, जिन्होंने आरोप लगाया था कि याचिकाकर्ता ने पीड़िता के अलावा अपनी देखरेख में कई अन्य लड़कियों के साथ भी यौन संबंध बनाए थे.

भराली के वकील एएम बोरा ने आरोप लगाया कि लखीमपुर की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष की याचिकाकर्ता से खुन्नस है और उन्हीं ने तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की है, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई.

बोरा ने यह भी कहा कि भराली की देखभाल में रह रही एक बच्ची का ऑपरेशन हुआ था.

उन्होंने आरोप लगाया कि भराली सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष की नजरों में उसी समय से खटक गए थे, जब उन्होंने बच्ची के इलाज पर खर्च हुई राशि का भुगतान करने की मांग की थी.

अरुणाचल: जिला प्रशासन ने कहा- चीनी सेना द्वारा अगवा किशोर की सभी जानकारी सौंपी

अरुणाचल प्रदेश से सांसद तापिर गाओ ने बीते 19 जनवरी को कहा था कि पीएलए ने राज्य में भारतीय क्षेत्र के अपर सियांग जिले से 17 वर्षीय एक किशोर का अपहरण कर लिया है.

इस दावे के दो दिन बाद अपर सियांग जिले के अधिकारियों ने कहा है कि शीर्ष अधिकारियों ने उनसे जो भी सूचनाएं मांगी थीं वह उपलब्ध करा दी गई हैं और अब अगवा किए गए किशोर की वापसी का इंतजार कर रहे हैं.

अपर सियांग के उपायुक्त शाश्वत सौरभ ने बताया, ‘जिले के जिडो गांव के मिराम तरोन नाम के इस किशोर को 18 जनवरी को सियुंगला क्षेत्र के जंगल से कथित रूप से अगवा कर लिया गया था, वह अपने दोस्त जॉनी यायिंग के साथ शिकार करने गया था.’

सौरभ ने यह भी बताया कि उन्हें यायिंग से पता चला है कि जब बिशिंग गांव के समीप सियंगुला क्षेत्र में उन्हें चीनी सैनिकों ने घेरा था, तब करीब-करीब अंधेरा हो चला था.

उन्होंने कहा, ‘यायिंग किसी तरह वहां से बच निकला लेकिन तरोन के बारे में अब तक पता नहीं चल पाया है. चूंकि यह जगह सेना के अधिकार क्षेत्र में आती है तो इस मामले से उच्चतर स्तर पर निपटा जाएगा. हमने शीर्ष अधिकारियों को सभी सूचनाएं दे दी हैं.’

बिशिंग भारत-चीन सीमा के समीप आखिरी भारतीय गांव है जो सियांग नदी की बाएं किनारे की तरफ है. यह गांव जिला मुख्यालय यिंगकियोंग से करीब 260 किलोमीटर दूर है.

मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने गुरुवार को कहा था कि विदेश मंत्रालय ने युवक को घर वापस लाने के लिए पहले ही चीन के साथ राजनयिक वार्ता शुरू कर दी है.

उन्होंने कहा था, ‘मैं आशावान हूं कि कुछ दिनों में इस लड़के को छोड़ दिया जाएगा.’

प्रदेश कांग्रेस के विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री निनोंग इरिंग ने भी केंद्र से तरोन की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की अपील की है.

उन्होंने कहा, ‘हमारा चीन से कोई लेना-देना नहीं है तथा विदेश मंत्रालय एवं रक्षा मंत्रालय को तत्काल एवं उपयुक्त कदम उठाना चाहिए ताकि ऐसी घटना की भविष्य में पुनरावृति न हो.’

चीन के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा था कि उन्हें ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है और पीएलए सीमा की निगरानी करती है एवं किसी भी अवैध प्रवेश एवं निकासी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करती है.

बता दें कि सितंबर 2020 में पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी जिले से पांच युवकों का अपहरण कर लिया था और लगभग एक सप्ताह के बाद उन्हें छोड़ा था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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