गोवा: दल-बदल से जूझती कांग्रेस ने प्रत्याशियों को पार्टी के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाई

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: गोवा में भाजपा छोड़ने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की. यूपी में 2018 बुलंदशहर दंगे का आरोपी निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ेगा. पंजाब में सांप्रदायिक टिप्पणी के आरोप में कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार पर केस. मणिपुर में कांग्रेस ने 40 उम्मीदवार घोषित किए. उत्तराखंड भाजपा में शामिल सीडीएस ​जनरल बिपिन रावत के भाई नहीं लड़ेंगे चुनाव.

गोवा के कांग्रेस उम्मीदवारों ने बीते शनिवार को महालक्ष्मी मंदिर, बैम्बोलिम क्रॉस और हमजा शाह दरगाह का दौरा कर गोवा के लोगों और पार्टी के प्रति वफादारी का संकल्प लिया. (फोटो साभार: ट्विटर/@INCGoa)

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: गोवा में भाजपा छोड़ने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की. यूपी में 2018 बुलंदशहर दंगे का आरोपी निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ेगा. पंजाब में सांप्रदायिक टिप्पणी के आरोप में कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार पर केस. मणिपुर में कांग्रेस ने 40 उम्मीदवार घोषित किए. उत्तराखंड भाजपा में शामिल सीडीएस ​जनरल बिपिन रावत के भाई नहीं लड़ेंगे चुनाव.

गोवा के कांग्रेस उम्मीदवारों ने बीते शनिवार को महालक्ष्मी मंदिर, बैम्बोलिम क्रॉस और हमजा शाह दरगाह का दौरा कर गोवा के लोगों और पार्टी के प्रति वफादारी का संकल्प लिया. (फोटो साभार: ट्विटर/@INCGoa)

पणजी/लखनऊ/देहरादून/चंडीगढ़/: गोवा में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में भाजपा शासित राज्य में गत पांच साल में दल-बदल से परेशान कांग्रेस ने पार्टी उम्मीदवारों को मंदिर, दरगाह और चर्च में ले जाकर ईश्वर के सामने शपथ दिलाई है कि वे निर्वाचित होने के बाद पाला नहीं बदलेंगे.

कांग्रेस बीते शनिवार को अपने सभी 36 उम्मीदवारों को बस के जरिये मंदिर, गिरिजाघर और दरगाह ले गई और उन्हें ‘दल-बदल के खिलाफ’ शपथ दिलाई. उम्मीदवारों को पणजी के महालक्ष्मी मंदिर, बाम्बोलिन के गिरिजाघर और बेटिम गांव की दरगाह में शपथ दिलाई गई.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उम्मीदवारों ने शपथ लेते हुए कहा, देवी महालक्ष्मी के चरणों में हम सभी 36 शपथ लेते हैं कि हम कांग्रेस पार्टी के प्रति वफादार रहेंगे जिसने हमें टिकट दिया है. हम संकल्प लेते हैं कि निर्वाचित उम्मीदवार हर हाल में पार्टी के साथ रहेंगे.

इसी तरह की शपथ उन्हें बैम्बोलिम क्रॉस चर्च के एक पादरी ने दिलाई. बाद में उनमें से 34 पुरुष उम्मीदवारों ने बेतिम की एक मस्जिद में संकल्प के साथ चादर भी चढ़ाई.

चुनाव उम्मीदवारों ने दोहराया कि चुनाव जीतने के बाद वे अगले पांच वर्षों तक कांग्रेस पार्टी के साथ रहेंगे.

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता दिगंबर कामत ने बताया, ‘गोवा के लोग सांप्रदायिक सद्भाव के लिए जाने जाते हैं. महालक्ष्मी के सामने हमने संकल्प लिया है कि हम पांच साल तक साथ रहेंगे. इस दौरान छत्तीस लोग उम्मीदवार साथ थे. उन्होंने महालक्ष्मी और फिर बैम्बोलिम क्रॉस चर्च के सामने भी शपथ ली है, जो कि कैथोलिक समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण पूजा स्थल माना जाता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम इसे लेकर बहुत गंभीर हैं और किसी भी पार्टी को हमारे विधायकों को खरीदने की अनुमति नहीं देंगे. हम भगवान से डरने वाले लोग हैं. हमें परमात्मा पर पूरा भरोसा है. इसलिए, आज हमने संकल्प लिया है कि हम दलबदल नहीं करेंगे.’

उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव से अब तक पार्टी के टिकट पर निर्वाचित अधिकतर विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं. कांग्रेस को वर्ष 2017 में राज्य की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 17 सीटों पर जीत मिली थी और वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन अब उसके केवल दो विधायक सदन में बचे हैं.

2019 में कांग्रेस के 10 विधायक सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके विधायकों की मौजूदा संख्या विधानसभा में 27 है.

गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जीपीसीसी) के अध्यक्ष गिरिश चोडानकर ने कहा, ‘लोगों के मन में भरोसा पैदा करने के लिए उम्मीदवारों को ईश्वर के समक्ष शपथ दिलाई गई.’

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम, जिन्हें पार्टी ने गोवा का चुनाव पर्यवेक्षक बनाया है, भी उम्मीदवारों के साथ इन धार्मिक स्थलों पर गए. हालांकि, कांग्रेस राज्य में पहली पार्टी नहीं है जो इस तरह का कार्य कर रही है.

उनके अलावा कांग्रेस के गोवा डेस्क प्रभारी दिनेश गुंडू राव, गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गिरीश चोडनकर भी पार्टी उम्मीदवारों के साथ शनिवार दोपहर पूजा स्थलों पर गए थे.

पिछले साल गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) अपने तीन विधायकों और पदाधिकारियों को मापुसा स्थित देव बोदगेश्वर मंदिर ले गई थी और उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन नहीं करने की शपथ दिलाई थी.

दलबदल से पीड़ित कांग्रेस नेतृत्व ने अपने चुनावी उम्मीदवारों की घोषणा करने से महीनों पहले घोषणा की थी कि दलबदलुओं के लिए इसके दरवाजे बंद थे, जिन्होंने पहले पार्टी छोड़ दी थी.

गोवा में गठबंधन के तृणमूल के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया गया: चिदंबरम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि गोवा में अगले महीने होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन करने के तृणमूल कांग्रेस के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया गया, क्योंकि ममता बनर्जी की अध्यक्षता वाली पार्टी राज्य में कांग्रेस नेताओं को अपने पाले में करने की कवायद में जुट गई.

चिदंबरम का यह बयान तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी की टिप्पणी के तीन दिन बाद आया. अभिषेक बनर्जी ने कहा था कि अगर गोवा में कांग्रेस, भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में असफल होती है तो पार्टी के राज्य में चुनाव प्रभारी चिदंबरम को जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा दे देना चाहिए.

तृणमूल नेता ने कहा कि था कि उनकी पार्टी ने 14 फरवरी को गोवा में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन के लिए औपचारिक प्रस्ताव के साथ चिदंबरम से संपर्क किया था.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता चिदंबरम ने कहा, ‘यह मैं कह सकता हूं कि तृणमूल कांग्रेस की ओर से सुझाव आया था कि हमें गठबंधन (गोवा में) करना चाहिए. (लेकिन) उससे पहले और बाद में कई घटनाएं हुईं.’

उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस ने गोवा में उनके नेताओं पर डोरे डाले.

चिदंबरम ने कहा, ‘उन्होंने यहां तक गठबंधन की पेशकश के बाद लुइजिनो फलेरियो को अपने पाले में ले लिया. उन्होंने एलिक्सो रेजिनाल्डो लॉरेंको को अपने दल में शामिल कर लिया, जिनका नाम पार्टी द्वारा जारी प्रत्याशियों की सूची में शामिल था. उन्होंने अन्य निर्वाचन क्षेत्रों जैसे मर्मुगाव और वास्को में भी घुसपैठ की.’

हालांकि, चिदंबरम ने इन दो निर्वाचन क्षेत्रों के किसी नेता का नाम नहीं लिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन घटनाओं के बाद पार्टी नेतृत्व से गठबंधन के प्रस्ताव पर कोई निर्देश नहीं मिला.

जब अभिषेक बनर्जी द्वारा उनके खिलाफ दिए गए बयान के बारे में पूछा गया तो चिदंबरम ने कहा, ‘मैं तृणमूल कांग्रेस के महासचिव के साथ बहस में नहीं पड़ना चाहता. मैं कांग्रेस में हूं और मैं उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता.’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेताओं से संपर्क किया था लेकिन ‘सहमति का कोई बिंदु नहीं था जिसकी वजह से बात आगे नहीं बढ़ी.’

गौरतलब है कि शिवसेना और राकांपा गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस ने राज्य में गोवा फॉरवर्ड पार्टी से गठबंधन किया है. तृणमूल कांग्रेस राज्य में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है.

भाजपा छोड़ने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री पारसेकर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की

गोवा में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से इस्तीफा दे चुके राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने रविवार को कहा कि वह मांद्रेम सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे.

लक्ष्मीकांत पारसेकर. (फोटो साभार: फेसबुक)

पारसेकर ने कहा कि उन्होंने शनिवार को (पार्टी से) अपने इस्तीफे की पेशकश की थी और पार्टी में सभी पदों को छोड़ दिया है.

इस्तीफा देते वक्त पारसेकर 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ दल भाजपा की घोषणा-पत्र समिति के अध्यक्ष थे.

उन्होंने कहा कि उनके इस्तीफे के बाद कई राजनीतिक दलों ने उनसे संपर्क किया, लेकिन उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का विकल्प चुना.

पारसेकर (65) भाजपा द्वारा मांद्रेम विधानसभा सीट से उन्हें टिकट नहीं देने से नाराज थे. पार्टी ने सीट से मौजूदा विधायक दयानंद सोपते को उतारा है.

इस सीट का पारसेकर ने 2002 से 2017 के बीच प्रतिनिधित्व किया था. सोपते ने 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर पारसेकर को हराया था, लेकिन वह 2019 में नौ अन्य नेताओं के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे.

पारसेकर 2014 से 2017 के बीच गोवा के मुख्यमंत्री थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को रक्षा मंत्री के तौर पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बाद पारसेकर को राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया था.


उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव


मायावती ने प्रियंका गांधी पर साधा निशाना, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को ‘वोटकटवा’ पार्टी बताया

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने रविवार को कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि वह उत्तर प्रदेश में ‘वोटकटवा’ पार्टी है. मायावती ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की हालत इतनी खराब है कि ‘मुख्यमंत्री की उम्मीदवार ने कुछ ही घंटों में अपना इरादा बदल लिया.’

Lucknow: Bahujan Samaj Party supremo Mayawati addresses a press conference, in Lucknow, Sunday, Sept 16, 2018. (PTI Photo/Nand Kumar)
बसपा अध्यक्ष मायावती. (फोटो: पीटीआई)

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश मामलों की प्रभारी प्रियंका गांधी द्वारा उन पर चुनाव में ‘निष्क्रिय’ रहने का आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद निशाना साधा.

मायावती ने ट्वीट किया ‘उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हालत इतनी ज्यादा खस्ताहाल है कि पार्टी की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार ने कुछ घंटों के भीतर ही अपना स्टैंड बदल डाला है. ऐसे में बेहतर होगा कि लोग कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट बर्बाद ना करें, बल्कि एकतरफा तौर पर बसपा को ही वोट दें.’

मायावती ने एक और ट्वीट में दावा किया, ‘उत्तर प्रदेश में कांग्रेस जैसी पार्टियां लोगों की नजर में वोट काटने वाली पार्टियां हैं. ऐसे में भाजपा को उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर करके यहां सर्व समाज के हित में और उनके जाने-परखे नेतृत्व वाली सरकार की जरूरत है, जिसमें बसपा का स्थान वास्तव में नंबर-एक पर है.’

प्रियंका गांधी ने शनिवार को एक साक्षात्कार में बसपा प्रमुख के चुनाव प्रचार में ‘निष्क्रिय’ रहने का आरोप लगाते हुए कहा था, ‘मैं बहुत हैरान हूं कि चुनाव शुरू हो गया है और हम बीच चुनाव में हैं लेकिन उन्होंने (मायावती) चुप्पी साध रखी है, यह मेरी समझ के बाहर है.’

नई दिल्‍ली में कांग्रेस मुख्यालय में दो दिन पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए युवाओं को लेकर घोषणा-पत्र जारी करने के दौरान पत्रकारों ने जब प्रियंका गांधी से पूछा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा तो उन्होंने कहा, ‘क्या आपको उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की तरफ से कोई और चेहरा दिख रहा है?’ बाद में एक साक्षात्कार में प्रियंका ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ वह ही अपनी पार्टी का चेहरा नहीं हैं.

ओवैसी, कुशवाहा और मेश्राम ने बनाया ‘भागीदारी परिवर्तन मोर्चा’

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष व प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटी इंप्लाई फेडरेशन के अध्यक्ष वामन मेश्राम के साथ मिलकर शनिवार को नया गठबंधन ‘भागीदारी परिवर्तन मोर्चा’ बनाने का ऐलान किया और सत्ता में आने पर दो मुख्यमंत्री बनाने का दावा किया.

असदुद्दीन ओवैसी. (फोटो: पीटीआई)

तीनों नेताओं ने शनिवार को लखनऊ में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में नए गठबंधन की घोषणा की और दावा किया कि ‘भागीदारी परिवर्तन मोर्चा’ राज्य की सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा. ‘भागीदारी परिवर्तन मोर्चा’ का संयोजक बाबू सिंह कुशवाहा को बनाया गया है.

इस नए मोर्चे की शुरुआत करते हुए ओवैसी ने पत्रकारों से कहा कि उनके गठबंधन को बहुमत मिलने पर राज्‍य में दो मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे, जिनमें एक दलित समुदाय से होगा, जबकि दूसरा ओबीसी (पिछड़ी जाति) समुदाय से होगा.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा तीन उप-मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे, जिनमें एक मुस्लिम समुदाय से होगा. जब ओवैसी से पूछा गया कि दो मुख्यमंत्री कब बनेंगे तो उन्होंने कहा कि ढाई-ढाई साल के लिए एक दलित और एक पिछड़े वर्ग का मुख्यमंत्री होगा.

बाबू सिंह कुशवाहा ने कहा कि उनके गठबंधन के दरवाजे बंद नहीं हैं और अभी दूसरे दल भी आ सकते हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच जो लड़ाई है वह अब ‘भागीदारी परिवर्तन मोर्चा’ के बीच होगी और सपा गठबंधन तीसरे स्थान पर चला जाएगा.

वामन मेश्राम ने कहा कि सरकार बनने पर तीन-उप मुख्यमंत्री होंगे, जिनमें एक मुस्लिम समुदाय से होगा और बाकी दो समुदाय के नाम जल्द घोषित कर दिए जाएंगे.

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई में ‘भागीदारी संकल्प मोर्चा’ का गठन हुआ था जिसमें ओवैसी और कुशवाहा के अलावा कई छोटे दल शामिल हुए थे. बाद में राजभर समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो गए. 2017 में राजभर ने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन किया था और उनकी पार्टी को चार सीटों पर जीत मिली थी.

बुलंदशहर के 2018 दंगे के आरोपी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे

नोएडा: बुलंदशहर में 2018 की भीड़ हिंसा में कथित भूमिका को लेकर कुछ समय के लिए गिरफ्तार किए गए योगेश राज ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है. इस हिंसा में एक पुलिस निरीक्षक समेत दो लोगों की जान चली गई थी.

पुलिस के साथ बुलंदशहर हिंसा के मुख्य आरोपी योगेश राज. (फाइल फोटो: एएनआई)

स्याना विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर योगेश कुमार नाम से नामांकन पत्र दाखिल किया गया है. उनके चुनावी हलफनामे में यह जानकारी दी गई है. इस निर्वाचन क्षेत्र में 10 फरवरी को मतदान होगा.

अपने हलफनामे में 12वीं पास योगेश राज ने अपनी उम्र 26 साल बताई है और घोषणा की है कि उनके विरूद्ध दो आपराधिक मामले हैं, जिनमें फैसले का इंतजार है. उनमें एक मामला 2018 की भीड़ हिंसा से जुड़ा है.

पश्चिम उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के स्याना क्षेत्र में दिसंबर, 2018 में हिंसा भड़की थी, जिसमें पुलिस निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह और स्थानीय निवासी सुमित की जान चली गई थी. चिंगरावथी गांव में मवेशी के कंकाल मिलने के बाद हिंसा भड़की थी.

योगेश उन 80 लोगों में शामिल हैं, जिनके विरूद्ध पुलिस ने हिंसा में उनकी कथित भूमिका मामला दर्ज किया था. उनमें 27 नामजद हैं जबकि बाकी अज्ञात हैं.

इस घटना के समय योगेश बजरंग दल की बुलंदशहर इकाई के संयोजक थे, लेकिन वह अब उसके सदस्य नहीं हैं. बजरंग दल के एक पदाधिकारी ने योगेश के पंचायत चुनाव जीतने के बाद मई, 2021 में कहा था कि वह संगठन के सदस्य नहीं हैं.

योगेश जमानत पर रिहा हुए थे और उन्होंने वार्ड नंबर पांच से पंचायत चुनाव लड़ा था एवं जीत हासिल की थी. उस चुनाव में भी उनका नाम योगेश कुमार न कि योगेश राज लिखा था.

स्याना विधानसभा क्षेत्र में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 10 फरवरी को मतदान होगा. मतगणना 10 मार्च को होगी.

भाजपा के वर्तमान विधायक देवेंद्र सिंह लोधी फिर स्याना से चुनाव मैदान में उतरे हैं. इस सीट से सात निर्दलीय प्रत्याशियों समेत 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.

चुनाव आयोग के अनुसार नामांकन पत्रों की जांच 24 जनवरी को होगी. उम्मीदवार 27 जनवरी तक अपनी उम्मीदवारी वापस ले सकते हैं.

भाजपा के विरुद्ध चुनाव लड़ने से बिहार में गठबंधन पर नहीं होगा असर: जदयू

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने शनिवार को कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ने के उसके फैसले का यहां भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने कहा कि पार्टी ने कई राज्यों में भाजपा के विरुद्ध चुनाव लड़ा है लेकिन उससे बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन प्रभावित नहीं हुआ है.

ललन ने दिल्ली से लौटने के बाद पटना में संवाददाताओं से कहा, ‘हमने अकेले लड़ने का निर्णय लिया, क्योंकि उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ गठबंधन करने का प्रयास व्यर्थ रहा. हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने इस दिशा में प्रयास किया था लेकिन अब वह कोई मुद्दा नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘हमने अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड जैसे राज्यों में भाजपा के विरुद्ध चुनाव लड़ा है. हमने कई सीटें जीती हैं. तब बिहार में हमारे गठबंधन पर कोई असर नहीं हुआ था.’


पंजाब विधानसभा चुनाव


सांप्रदायिक टिप्पणी के आरोप में कांग्रेस प्रमुख सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार पर केस

पंजाब के मलेरकोटला में एक जनसभा के दौरान साम्प्रदायिक टिप्पणियां करने के आरोप में प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मोहम्मद मुस्तफा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी.

मुस्तफा कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के प्रमुख रणनीतिक सलाहकार हैं. मुस्तफा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने से एक दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वह कथित टिप्पणियां करते दिख रहे हैं.

मलेरकोटला की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रवजोत कौर ग्रेवाल ने फोन पर कहा, ‘जनप्रतिनिधि कानून के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए और धारा 125 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.’

आरोपों के तहत मुस्तफा के खिलाफ चुनावी लाभ लेने के लिए धर्म, नस्ल एवं अन्य पहचानों के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है.

मलेरकोटला के एक पुलिस अधिकारी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. मुस्तफा पंजाब की कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना के पति हैं, जो पंजाब के मुस्लिम बहुल जिले मलेरकोटला विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हैं.

भाजपा ने शनिवार को मुस्तफा पर एक जनसभा के दौरान ‘हिंदुओं’ के खिलाफ विवादित बयान देने का आरोप लगाया था, जबकि मुस्तफा ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया. मुस्तफा का एक कथित वीडियो भाजपा नेताओं, संबित पात्रा एवं शाजिया इल्मी ने अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया.

प्रदेश भाजपा महासचिव सुभाष शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी मुस्तफा के विरूद्ध मामला दर्ज करने की मांग करते हुए चुनाव आयोग के पास उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराएगी.

आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने भी मुस्तफा की कथित टिप्पणी को लेकर उनकी निंदा की और आरोप लगाया कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव के करीब राज्य का माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रही है.

भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता इल्मी ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि मुस्तफा ने अपने बयान में ‘हिंदू’ शब्द का इस्तेमाल किया.

भाजपा ने संवाददाता सम्मेलन में कथित वीडियो क्लिप दिखाया, जिसमें मुस्तफा 20 जनवरी को मलेरकोटला में एक जनसभा में कथित तौर पर यह कहते हुए सुने जा सकते हैं, ‘मैं अल्लाह की कसम खाता हूं कि मैं उन्हें कोई कार्यक्रम नहीं करने दूंगा. मैं ‘कौमी फौजी’ हूं… मैं आरएसएस का एजेंट नहीं हूं, जो डर के मारे घर में छिप जाएगा.’

उन्होंने कथित रूप से वीडियो में कहा, ‘यदि वे फिर से ऐसा करने का प्रयास करेंगे तो मैं अल्लाह की कसम खाता हूं कि मैं उन्हें उनके घर में पीटूंगा.’

हालांकि, मुस्तफा ने ‘हिंदू’ शब्द का इस्तेमाल करने से इनकार किया है और कहा कि उन्होंने बस आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया था, क्योंकि उनमें से कुछ ने उनका पीछा किया था और उनके साथ दुर्व्यवहार करने का प्रयास किया था.

कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे बेटे के लिए पंजाब के मंत्री ने किया प्रचार

कपूरथला: पंजाब में मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने अपने बेटे राणा इंदर प्रताप सिंह के लिए आक्रामक चुनाव प्रचार शुरू किया है, जो कांग्रेस उम्मीदवार नवतेज सिंह चीमा के खिलाफ सुल्तानपुर लोधी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.

पंजाब के कैबिनेट मंत्री ने इंदर प्रताप के लिए 21 जनवरी को चीमा के पैतृक गांव बूसोवाल से चुनाव प्रचार की शुरुआत की. राणा ने दावा किया कि सुल्तानपुर लोधी सीट से उनके बेटे की जीत होगी.

राणा गुरजीत ने रविवार को इंदर प्रताप के लिए विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले गांवों में चुनाव प्रचार किया.

चीमा समेत पंजाब कांग्रेस के चार नेताओं ने बीते 18 जनवरी को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख कर राणा गुरजीत को पार्टी से निलंबित किए जाने की मांग की और आरोप लगाया था कि विधानसभा चुनावों से पहले वह पार्टी को कमजोर कर रहे हैं.

कांग्रेस ने राणा को कपूरथला विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है.

मंत्री ने कहा कि सोनिया को कांग्रेस के चार नेताओं की ओर से पत्र लिखे जाने के बाद उन्होंने अपने बेटे के पक्ष में चुनाव प्रचार करने का निर्णय किया. साथ ही उन्होंने कहा कि यह उनकी नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इंदर प्रताप का समर्थन करें.

राणा गुरजीत ने कांग्रेस के चारों नेताओं को कपूरथला आकर उनके खिलाफ चुनाव प्रचार करने की चुनौती दी है, जहां से वह कांग्रेस के टिकट पर दोबारा विधानसभा में पहुंचने की जुगत में हैं.

यह पूछे जाने पर कि चीमा के खिलाफ प्रचार करने को लेकर पार्टी आलाकमान की ओर से क्या कोई कार्रवाई हुई है, राणा ने कहा कि इस मामले मे अब तक उन्हें कारण बताओ नोटिस नहीं मिला है.

उन्होंने दावा किया कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पिछले साल सुखपाल सिंह खैरा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस से खैरा को निकालने और भुलत्थ निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बदलने के लिए सोनिया गांधी को पत्र लिखने जा रहे हैं.

सुल्तानपुर लोधी विधानसभा सीट पर से चीमा के खिलाफ इंदर प्रताप के बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने के निर्णय के बाद कांग्रेस नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा था. पत्र लिखने वालों में चीमा के अलावा जालंधर उत्तर से विधायक अवतार सिंह जूनियर, फगवाड़ा विधायक बलविंदर सिंह धालीवाल और पूर्व विधायक सुखपाल सिंह खैरा शामिल हैं.

भाजपा नीत गठबंधन करीब 70 सीट पर सिख उम्मीदवारों को उतारेगा

भारतीय जनता पार्टी अगले महीने होने जा रहे पंजाब विधानसभा चुनाव में जितनी सीट पर चुनाव लड़ेगी, उनमें से आधे से अधिक सीट पर सिख उम्मीदवारों को उतारेगी. पार्टी महासचिव तरुण चुघ ने शनिवार को यह बात कही.

भाजपा नीत गठबंधन के बारे में उन्होंने कहा कि यह उम्मीद है कि 117 सदस्यीय विधानसभा के लिए 20 फरवरी को होने जा रहे चुनाव में इसके ज्यादातर उम्मीदवार सिख समुदाय से, खासतौर पर किसान और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) होंगे.

भाजपा नीत गठबंधन में पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) शामिल हैं.

चुघ ने कहा कि भाजपा गठबंधन के लिए मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा घोषित करने का विकल्प भी तलाश कर सकती है.

सूत्रों ने बताया कि पंजाब में कुल 117 विधानसभा सीट में 65 पर भाजपा के उम्मीदवार उतारने की संभावना है, जबकि उसके सहयोगी दल, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह नीत पंजाब लोक कांग्रेस के 38 सीट पर और शिअद (संयुक्त) के 14 सीट पर चुनाव लड़ने की संभावना है.

उन्होंने बताया कि भाजपा के 33 से 35 सिख उम्मीदवार और समग्र रूप से गठबंधन के तौर पर समुदाय से 70 से अधिक उम्मीदवार उतारे जा सकने की संभावना है.

चुनाव में भाजपा की संभावनाओं के बारे में चुघ ने कहा कि पार्टी अपने शानदार प्रदर्शन से सबको चौंका देगी.

उन्होंने कहा, ‘भाजपा जितनी सीट पर चुनाव लड़ेगी, उनमें से करीब आधे पर सिख उम्मीदवारों को उतारेगी और समग्र रूप से गठबंधन के करीब 60 प्रतिशत सिख उम्मीदवार होंगे, जिनमें ज्यादातर किसान और ओबीसी तथा अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों से होंगे.’

भाजपा 34 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर चुकी है, जिनमें 13 किसान समुदाय से और एससी समुदाय से नौ उम्मीदवार हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा या गठबंधन किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाएगा, चुघ ने कहा, ‘सभी विकल्प खुले हैं.’

केंद्र के तीन कृषि कानूनों पर प्रदर्शन के बाद पंजाब में भाजपा की स्वीकार्यता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों ने भाजपा के साथ गठबंधन किया है और सिख धार्मिक संगठनों से जुड़े ज्यादातर लोग पार्टी में शामिल हुए हैं, इस तरह यह राज्य में भाजपा की स्वीकार्यता को प्रदर्शित करता है.

अमरिंदर ने 22 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की, हॉकी टीम के पूर्व कप्तान को टिकट

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने राज्य में 20 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) के 22 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जिसमें भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान अजितपाल सिंह को नकोदर से प्रत्याशी बनाया गया है.

कैप्टन अमरिंदर सिंह. (फोटो: पीटीआई)

पटियाला शहर सीट से चुनाव लड़ रहे अमरिंदर ने कहा, ‘हमने जीत की संभावना पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ सभी क्षेत्रों और समाज के अलग-अलग वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हुए अच्छे उम्मीदवार उतारे हैं.’

उन्होंने बताया कि पीएलसी 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही है. उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी को 37 सीटें आवंटित की गई है जबकि पांच और संभावित सीटों पर बातचीत चल रही है.

पीएलसी को प्रत्याशी उतारने के लिए आवंटित 37 सीटों में सबसे अधिक 26 सीटें मालवा क्षेत्र से हैं, जबकि माझा इलाके में सात और दोआब की चार सीटें भी उसके हिस्से में आई हैं.

सूची के मुताबिक, अजितपाल सिंह जालंधर के नकोदर सीट से चुनाव लड़ेंगे.

पीएलसी की पहली सूची के मुताबिक कांग्रेस की पंजाब इकाई के पूर्व प्रवक्ता अमनदीप सिंह उर्फ गोरा गिल को भुलत्थ से टिकट दिया गया है. नवांशहर के जिला योजना बोर्ड के अध्यक्ष और जिले में पीवाईसी के पूर्व अध्यक्ष सतवीर सिंह पली झिक्की को नवांशहर सीट से प्रत्याशी बनाया गया है.

पीएलसी नेता ने सूची जारी करते हुए कहा कि इन प्रत्याशियों की मजबूत राजनीतिक विश्वसनीयता है और वे अपने-अपने निवार्चन क्षेत्रों में जाने-पहचाने चेहरे हैं.

सूची में एक महिला प्रत्याशी का भी नाम है. दिवंगत पुलिस महानिदेशक इजहार आलम खान की पत्नी एवं शिअद की पूर्व विधायक फरजाना आलम खान को मलेरकोटला सीट से प्रत्याशी बनाया गया है.

पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने खुद पटियाला शहर से चुनाव लड़ने की शनिवार को घोषणा की थी.

पीएलसी प्रत्याशियों की सूची में आठ सिख जाट, चार अनुसूचित जाति के, तीन अन्य पिछड़ा वर्ग के और पांच हिंदू चेहरे शामिल हैं.


उत्तराखंड विधानसभा चुनाव


जनरल बिपिन रावत के छोटे भाई कर्नल रावत चुनाव नहीं लड़ेंगे

हाल में भाजपा में शामिल देश के पहले रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत के छोटे भाई कर्नल (सेवानिवृत्त) विजय रावत ने रविवार को कहा कि वह 14 फरवरी को होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में नहीं लड़ेंगे.

दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत के भाई रिटायर्ड कर्नल विजय रावत (बीच में) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (बाएं) के साथ. (फोटो साभार: एएनआई)

देहरादून में समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कर्नल रावत ने कहा, ‘मैं चुनाव नहीं लड़ रहा हूं. मैं केवल उत्तराखंड की जनता की सेवा करना चाहता हूं.’

उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं ने उनसे चुनाव लड़ने को कहा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. विधानसभा चुनावों में एक माह से कम का समय शेष रहते कर्नल रावत के भाजपा में शामिल होने के कारण उनके चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे.

इस बारे में उन्होंने कहा, ‘भाजपा में शामिल होने के पीछे मेरा उद्देश्य कोई पद लेना नहीं, बल्कि जनता की सेवा करना है. सेना में अपने 34 साल के करिअर में मेरा विभिन्न जगहों पर तबादला हुआ, लेकिन मुझे अपने राज्य की सेवा का मौका नहीं मिल पाया. अब मैं सेवानिवृत्त हो चुका हूं, तो मैं यह कर सकता हूं.’

कर्नल रावत ने बताया कि हाल में हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए जनरल बिपिन रावत भी राजनीति से बाहर रहकर उत्तराखंड के लोगों की सेवा करने को तत्पर थे और उनके पास अल्मोड़ा और रानीखेत सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों के लिए विशिष्ट योजनाएं थीं.

कांग्रेस ने 53 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की

कांग्रेस ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को 53 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की जिसमें पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गणेश गोदियाल और विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह के नाम शामिल हैं.

पार्टी की ओर से जारी इस सूची के अनुसार, गोदियाल को पौड़ी गढ़वाल जिले की श्रीनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. वह पहले भी इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

प्रीतम सिंह को उनकी वर्तमान सीट चकराता से ही उम्मीदवार बनाया गया है.

कुछ महीने पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में वापसी करने वाले पूर्व मंत्री यशपाल आर्य को बाजपुर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित किया गया है. उनके पुत्र संजीव आर्य को नैनीताल से टिकट मिला है.

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव काजी निजामुद्दीन को हरिद्वार जिले की मैंगलोर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. वर्तमान में वह इस सीट से विधायक हैं.

पार्टी उम्मीदवारों की पहली सूची में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का नाम शामिल नहीं है, हालांकि उनके चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है.

सूत्रों का कहना है कि राज्य की शेष 17 विधानसभा सीटों के लिए भी कांग्रेस कुछ दिनों के भीतर उम्मीदवार घोषित करेगी. उत्तराखंड में सभी 70 सीटों के लिए 14 फ़रवरी को मतदान होगा. मतगणना 10 मार्च को होगी.


मणिपुर विधानसभा चुनाव


कांग्रेस ने 40 उम्मीदवार घोषित किए

कांग्रेस ने शनिवार को मणिपुर विधानसभा चुनाव के लिए 40 उम्मीदवार घोषित किए. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एन लोकेन सिंह के नाम शामिल हैं.

पार्टी की ओर से घोषित उम्मीदवारों की सूची के अनुसार, इबोबी सिंह को उनकी वर्तमान सीट थाउबल से ही उम्मीदवार बनाया गया है. इसी तरह लोकेन सिंह को नामबोल से टिकट दिया गया है जहां से वर्तमान में वह विधायक हैं.

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष के. मेघचंद्र सिंह को वांगखेम विधानसभा क्षेत्र और रतन कुमार सिंह को मयांग, इम्फाल से उम्मीदवार बनाया गया है.

मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को मतदान होगा. मतगणना 10 मार्च को होगी.


निर्वाचन आयोग ने रैलियों, रोड शो पर प्रतिबंध को 31 जनवरी तक बढ़ाया

इस बीच निर्वाचन आयोग ने शनिवार को रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध 31 जनवरी तक बढ़ा दिया, लेकिन पहले चरण के मतदान लिए 28 जनवरी से और दूसरे चरण के मतदान के लिए एक फरवरी से राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों को जनसभा करने के लिए छूट प्रदान कर दी.

आयोग ने घर-घर जाकर प्रचार अभियान करने में शामिल होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ा दी है. घर-घर जाकर प्रचार अभियान के लिए सुरक्षाकर्मियों को छोड़कर, अब पांच की जगह अब 10 लोगों को अनुमति होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq