हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- नफ़रती भाषणों के लिए मुस्लिम नेताओं को भी गिरफ़्तार करें

हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित ‘धर्म संसद’ कार्यक्रमों में नफ़रती भाषणों के ख़िलाफ़ दायर याचिका का विरोध करते हुए दो दो दक्षिणपंथी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी याचिकाएं दायर की है. दोनों ने शीर्ष अदालत से उन्हें इस मामले में पक्षकार बनाने की अपील की है. एक हिंदू संगठन ने पूर्व में मुस्लिम नेताओं द्वारा हिंदुओं के ख़िलाफ़ दिए गए ऐसे ही भाषण के लिए हिंदुओं को समान सुरक्षा दिए जाने की मांग की है.

New Delhi: A view of Supreme Court of India in New Delhi, Thursday, Nov. 1, 2018. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI11_1_2018_000197B)
(फोटो: पीटीआई)

हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित ‘धर्म संसद’ कार्यक्रमों में नफ़रती भाषणों के ख़िलाफ़ दायर याचिका का विरोध करते हुए दो दो दक्षिणपंथी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी याचिकाएं दायर की है. दोनों ने शीर्ष अदालत से उन्हें इस मामले में पक्षकार बनाने की अपील की है. एक हिंदू संगठन ने पूर्व में मुस्लिम नेताओं द्वारा हिंदुओं के ख़िलाफ़ दिए गए ऐसे ही भाषण के लिए हिंदुओं को समान सुरक्षा दिए जाने की मांग की है.

New Delhi: A view of Supreme Court of India in New Delhi, Thursday, Nov. 1, 2018. (PTI Photo/Ravi Choudhary) (PTI11_1_2018_000197B)
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नई दिल्लीः दो दक्षिणपंथी समूहों ने हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित ‘धर्म संसद’ कार्यक्रमों में नफरती भाषणों के खिलाफ दायर याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जवाबी याचिकाएं दायर की है. दोनों संगठनों ने अदालत से उन्हें इस मामले में पक्षकार बनाने की अपील की है.

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने मांग की है कि नफरती भाषणों के लिए मुस्लिम नेताओ को भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, अपील में कहा गया है, ‘धर्म संसद में धार्मिक नेताओं के बयान गैर-हिंदुओं द्वारा हिंदू संस्कृति पर हमलों के जवाब में थे और इन्हें ‘हेट स्पीच’ के रूप में वर्णित नहीं किया जा सकता.’

धार्मिक मंचों (धर्म संसद) पर दिए गए भाषणों के खिलाफ पत्रकार कुर्बान अली द्वारा दायर याचिका का उल्लेख करते हुए इस याचिका में कहा गया है, ‘हिंदुओं के आध्यात्मिक गुरुओं को बदनाम करने के प्रयास किए जा रहे हैं. याचिकाकर्ता मुस्लिम समुदाय से है और उसे हिंदू धर्म संसद से संबंधित मामलों या गतिविधियों पर आपत्ति नहीं उठानी चाहिए.’

हिंदू सेना अध्यक्ष ने नफरती भाषण दिए जाने का आरोप लगाते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और वारिस पठान जैसे अन्य मुस्लिम नेताओं को गिरफ्तार करने की मांग की है.

एक अन्य संगठन हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने तर्क दिया है कि सुप्रीम कोर्ट मुस्लिमों के खिलाफ नफरती भाषणों की जांच कराने पर सहमत हो गया है तो ऐसे में हिंदुओं के खिलाफ हेट स्पीच की भी जांच करानी चाहिए.

उन्होंने अपनी याचिका में हिंदुओं के खिलाफ कथित नफरती भाषण के 25 उदाहरणों का उल्लेख किया.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने मुस्लिम नेताओं और मौलवियों द्वारा दिए गए कथित नफरती भाषणों की एक सूची पेश की, जिनमें में कुछ में कथित तौर पर हिंदुओं के नरसंहार का आह्वान किया गया और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने याचिका दायर कर कहा, ‘भारत का प्रत्येक नागरिक कानून के समक्ष समान सुरक्षा का हकदार है, इसलिए नफरती भाषण की घटनाओं का विश्लेषण करते समय बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक की अवधारणा को बीच में नहीं लाना चाहिए.’

नफरती भाषण की न्यायिक समीक्षा की मांग करते हुए संगठन की ओर से दायर याचिका में कहा गया, ‘नफरती भाषण समाज में अशांति पैदा करने, हिंसा भड़काने और सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न करने की मंशा से दिए जाते हैं. एक निश्चित समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा के इरादे से दिए गए भाषण को नफरती भाषण के दायरे में नहीं लाया जा सकता.’

याचिका में मुस्लिम मौलवियों द्वारा दिए गए कथित नफरती भाषणों की न्यूज क्लिपिंग और वीडियो लिंक भी पेश किए गए हैं.

याचिका में कहा गया, ‘मुस्लिम नेताओं द्वारा इस तरह के भड़काऊ भाषणों से हिंदू समुदाय में डर और अशांति का माहौल पैदा किया. इस तरह के बयान हमें मुस्लिम लीग के कामकाज की याद दिलाते हैं, जिसकी वजह से देश का विभाजन हुआ था.’

याचिका में मुस्लिम नेताओं द्वारा हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाने और हिंसा रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की.

मालूम हो कि मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भरे भाषण संबंधी मामले की बात करें तो पिछले महीने (दिसंबर 2021) में उत्तराखंड के ​हरिद्वार शहर में आयोजित धर्म संसद के आयोजक कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद थे, जिसमें कई धार्मिक नेताओं ने मुस्लिमों के खिलाफ कथित तौर भड़काऊ भाषण देने के साथ उनके नरसंहार की बात कही थी.

नरसिंहानंद ने स्वयं उस आयोजन में यह घोषणा की थी कि वे ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये ईनाम देंगे.

हरिद्वार धर्म संसद मामले में पुलिस की नाकामी पर जनता के आक्रोश के बाद उत्तराखंड पुलिस ने वसीम रिजवी, जिसे अब जितेंद्र नारायण त्यागी के नाम से जाना जाता है, को बीते 13 जनवरी को गिरफ्तार किया था. यह इस मामले में पहली गिरफ्तारी थी.

बहरहाल, हरिद्वार ‘धर्म संसद’ मामले में 15 लोगों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.

इस आयोजन का वीडियो वायरल होने पर मचे विवाद के ​बाद 23 दिसंबर 2021 को इस संबंध में पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें सिर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था. इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था.

प्राथमिकी में 25 दिसंबर 2021 को बिहार निवासी स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम जोड़े गए. पूजा शकुन पांडेय निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा के महासचिव हैं.

इसके बाद बीते एक जनवरी को इस एफआईआर में यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया था.

बीती दो जनवरी को राज्य के पुलिस महानिदेशक ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया था. उसके बाद बीते तीन जनवरी को धर्म संसद के संबंध में 10 लोगों के खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी.

दूसरी एफआईआर में कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी (जिन्हें पहले वसीम रिज़वी के नाम से जाना जाता था), सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामजद किया गया है.

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