हरीश रावत को रामनगर सीट से उतारे जाने पर उत्तराखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ने सवाल उठाए

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि उन्हें छोटी बिरादरी के मेरे जैसे व्यक्ति का प्रदेश प्रमुख बनना पसंद नहीं आया था. यूपी में भाजपा से सपा में गए स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्या ने कहा कि वह भाजपा कार्यकर्ता हैं और उन्हें प्रधानमंत्री मोदी पर पूरा विश्वास है. पंजाब में कांग्रेस ने 23 उम्मीदवारों और गोवा में भाजपा ने छह उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की.

हरीश रावत. (फोटो साभार: फेसबुक)

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि उन्हें छोटी बिरादरी के मेरे जैसे व्यक्ति का प्रदेश प्रमुख बनना पसंद नहीं आया था. यूपी में भाजपा से सपा में गए स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्या ने कहा कि वह भाजपा कार्यकर्ता हैं और उन्हें प्रधानमंत्री मोदी पर पूरा विश्वास है. पंजाब में कांग्रेस ने 23 उम्मीदवारों और गोवा में भाजपा ने छह उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की.

हरीश रावत. (फोटो साभार: फेसबुक)

देहरादून/लखनऊ/चंडीगढ़/पणजी/नई दिल्ली: कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत ने नैनीताल की रामनगर विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उतारे जाने पर नाराजगी जताई है.

सोशल मीडिया पर सामने आए एक कथित वीडियो में रणजीत रावत पार्टी महासचिव एवं प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत की उम्मीदवारी वापस लिए जाने की मांग करते हुए पार्टी के कदम पर सवाल उठाते हुए दिखाई दे रहे हैं.

वीडियो में वह पार्टी कार्यकर्ताओं से पूछते दिख रहे हैं, ‘क्या आप किसी और (हरीश रावत) को उस बंजर जमीन की फसल काटने देंगे, जिसे आपने उपजाऊ बनाया है.’

इसमें रणजीत रावत जाहिर तौर पर हरीश रावत पर तंज कसते हुए कह रहे हैं, ‘जो व्यक्ति खुद को प्रदेश पार्टी का चेहरा बनाए जाने की बात कहता है और यह दावा करता है कि उसके नाम और काम पर वोट पड़ेंगे, तो उसे किसी दूसरी सीट से लड़ने में डर क्यों है.’

उन्होंने पार्टी के फैसले को ‘गलत’ करार देते हुए पार्टी आलाकमान से इसे वापस लेने को कहा. उन्होंने हरीश रावत का जिक्र करते हुए कहा, ‘अगर ऐसा नहीं होता है, तो आप तय करें कि किसी ऐसे व्यक्ति के साथ क्या करना है जिसके पास मुख्यमंत्री होने के बावजूद सीट नहीं है.’

वीडियो में रणजीत रावत यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं, ‘आप जो भी तय करेंगे, मैं उसके साथ जाऊंगा. सामाजिक और राजनीतिक जीवन में कोई भी निर्णय एकतरफा नहीं लिया जा सकता है.’

इस संबंध में वह यह भी कहते हुए दिखाई दे रहे हैं, ‘बेबाकी से विचार रखने पर अगर पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई करती है तो उन्हें इसका डर नहीं है.’

रणजीत रावत ने भी रामनगर सीट से दावेदारी की थी. रामनगर सीट का प्रतिनिधित्व राज्य बनने के बाद 2002 में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी भी कर चुके हैं.

रणजीत रावत 2002 और 2007 में सल्ट सीट से विधायक चुने गए थे, जबकि 2012 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिवंगत नेता सुरेंद्र सिंह जीना से उन्हें पटखनी मिली थी. 2017 में वह रामनगर सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा प्रत्याशी से उन्हें एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा था.

अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि रणजीत ने रामनगर निर्वाचन क्षेत्र में कड़ी मेहनत की थी और इस बार वहां से पार्टी टिकट की उम्मीद कर रहे थे. हालांकि, कांग्रेस ने रणजीत रावत को निराश करते हुए बीते 24 अक्टूबर को अपनी दूसरी सूची में हरीश रावत को इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, तीन दशकों से अधिक समय तक हरीश और रणजीत के बीच करीबी संबंध थे. रणजीत को हरीश का एक विश्वसनीय वफादार माना जाता था. इतना ही नहीं हरीश रावत को रणजीत अपना राजनीतिक गुरु भी मानते थे.

2016 की राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान दोनों के बीच खटास आनी शुरू हो गई, जब कांग्रेस के 10 बागी विधायकों ने पार्टी से बगावत कर हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को अल्पमत में कर दिया और इसके परिणामस्वरूप अगले साल भाजपा राज्य की सत्ता पर काबिज हो गई थी.

रिपोर्ट के अनुसार, रणजीत उन 10 बागी विधायकों में शामिल नहीं थे, हालांकि उनके और हरीश के बीच इस घटना के बाद मतभेद पैदा हो गए और जल्द ही दोनों नेताओं ने एक दूसरे से किनारा कर लिया था.

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, हालांकि रणजीत के ‘प्रीतम सिंह खेमे’ में चले जाने के बाद दोनों नेताओं के बीच मतभेद खत्म हो गए थे, लेकिन बीते 24 जनवरी को रामनगर सीट के कारण दोनों नेता एक ​बार फिर से आमने सामने आ गए हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, बीते मंगलवार को मीडिया से बातचीत में किसी का नाम लिए बगैर रणजीत रावत ने कहा, ‘मुझे बताया गया था कि मुझे टिकट मिल जाएगा, लेकिन यह किसी और के पास चला गया है. मजे की बात यह है कि जिस व्यक्ति ने मुझे रामनगर जाने की सलाह दी थी, वह अब खुद इस सीट से चुनाव लड़ने को इच्छुक है.’

उम्मीदवारों के चयन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘कई सीटों पर उम्मीदवारों का चयन चौंकाने वाला है और कई कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ विद्रोह किया है. अगर आप किसी स्थान से किसी पेड़ को उखाड़ कर उसके स्थान पर कोई और पौधा लगाते हैं तो उससे अच्छे परिणाम नहीं मिल सकते हैं.’

वहीं, दूसरी ओर हरीश रावत ने कहा कि उनके पास रामनगर से चुनाव लड़ने के मजबूत कारण हैं, क्योंकि वह इलाके के मूल निवासी हैं और उन्होंने यहां स्कूल में पढ़ाई की थी.

उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना राजनीतिक सफर रामनगर से शुरू किया था. अपने राजनीतिक करिअर के अंतिम पड़ाव पर मैं इस निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए कुछ करना चाहता हूं. मैं यहां से जीतना चाहता हूं और विकास के नए युग की शुरुआत करना चाहता हूं.’


उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव


आरपीएन सिंह को छोटी बिरादरी के मेरे जैसे का प्रदेश अध्यक्ष बनना पसंद नहीं आया: लल्लू

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह पर निशाना साधते हुए बुधवार को कहा कि उनके जैसे छोटी बिरादरी के व्यक्ति का प्रदेश अध्यक्ष बनना रास नहीं आने की वजह से उन्होंने (सिंह) पार्टी छोड़ दी.

अजय कुमार लल्लू. (फोटो: फेसबुक)

लल्लू ने लखनऊ में एक बयान में सिंह के मंगलवार को भाजपा में शामिल होने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘वह राजा-महाराजा हैं, उन्हें मेरे जैसे छोटी बिरादरी के गरीब आदमी का कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनना रास नहीं आ रहा था इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी.’

उन्होंने कहा कि यह नई कांग्रेस है, जिसमें संघर्ष करने वाले लोग ही रह सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश के जमीनी मुद्दों पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा के साथ हजारों कार्यकर्ता जुटे रहे, लाठियां खाईं, जेल गए, मुकदमे झेले और वह खुद कई बार जेल गए, लेकिन आरपीएन सिंह कभी सड़क पर नहीं दिखे.’

लल्लू ने कहा, ‘अब ये अफवाह फैलाई जा रही है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी जा रहे हैं लेकिन मेरे खून के हर कतरे पर कांग्रेस पार्टी का एहसान है जिसने एक गरीब घर के बेटे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. मैं मरते दम तक राहुल गांधी का सिपाही बना रहूंगा.’

आरपीएन सिंह पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘2013 में जब सिंह केंद्रीय गृह राज्यमंत्री थे, एक गरीब कांग्रेस कार्यकर्ता को तमकुहीराज में पुलिस ने बुरी तरह मार-पीटा. जब मैंने इस घटना के विरोधस्वरूप आंदोलन शुरू किया, तो आरपीएन सिंह मुझ पर लगातार दबाव बनाते रहे कि आप लड़ाई मत लड़ो, संघर्ष मत करो, लेकिन मैंने लड़ाई लड़ी.’

उन्होंने कहा, ‘2015 में समाजवादी पार्टी की सरकार में गन्ना किसानों के मुद्दे पर आंदोलन को लेकर वह जेल गए थे लेकिन आरपीएन सिंह न तो उनसे जेल में मिलने आए और न ही कोई आंदोलन किया.’

इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह के पार्टी छोड़ने को लेकर बुधवार को कटाक्ष करते हुए कहा कि अब ‘कांग्रेस युक्त भाजपा’ है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘छोड़कर जा रहे हैं घर अपना, शायद उनके कुछ और सपने हैं, अब उधर भी सब अपना सा है, अब उधर भी तो सभी अपने हैं… कांग्रेस युक्त भाजपा!’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए.

उनके इस्तीफे से एक दिन पहले ही कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें अपने स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया था.

करीब 32 साल तक कांग्रेस में रहे और विधायक से लेकर सांसद और केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले सिंह ने मंगलवार को ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. भाजपा में शामिल होने को उन्होंने एक नई शुरुआत करार दिया और कहा था कि पहले जो कांग्रेस थी, अब वह नहीं रही और न ही उसकी सोच रही.

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के पडरौना राजघराने से ताल्लुक रखने वाले आरपीएन सिंह का पूरा नाम कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह है. उन्होंने पडरौना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 1996, 2002 और वर्ष 2007 में जीत दर्ज की थी.

इसके बाद वह कुशीनगर से 2009 के लोकसभा चुनाव में जीतकर वह सांसद बने और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में गृह राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी.

हालांकि, इसके बाद के चुनावों में उन्हें लगातार हार का ही सामना करना पड़ा.

मैं भाजपा कार्यकर्ता और मुझे प्रधानमंत्री मोदी पर पूरा विश्वास: संघमित्रा मौर्य

बदायूं: बदायूं की सांसद और हाल ही में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने मंगलवार को अपने आप को भाजपा का कार्यकर्ता बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पर विश्वास जताया.

बदायूं में पार्टी के अन्य नेताओं के साथ भाजपा नेता संघमित्रा मौर्य. (फोटो साभार: फेसबुक)

अपने पिता के भाजपा छोड़ने के बाद पहली बार बदायूं पहुंचीं संघमित्रा मौर्य आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी के लोगों द्वारा नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान मौजूद रहीं. बदायूं में दूसरे चरण में 14 फरवरी को मतदान होना है.

उन्होंने कहा कि बदायूं जिले की सभी छह सीटों पर भाजपा विजयी होगी. उन्होंने कहा, ‘मैं एक भाजपा कार्यकर्ता हूं और मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है.’

पत्रकारों के इस सवाल पर कि आपके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य कह रहे हैं कि भाजपा में पिछड़ों और दलितों का सम्मान नहीं है, उन्होंने जवाब दिया कि यह बात प्रधानमंत्री मोदी जी तक पहुंच गई है और वह इसका समाधान करेंगे.

संघमित्रा मौर्य ने अपने और अपर्णा यादव के बारे में खुद के द्वारा फेसबुक पर किए गए पोस्ट के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘मैंने उसमें यह लिखा था कि बहन और बेटियों की जाति और धर्म कब से होने लगाी. यह मैंने फेसबुक पर मौजूद उन लोगों से कहा था, जो बिन मांगे सलाह देते रहते हैं.’

पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने पर उनसे फेसबुक पर काफी सवाल पूछे गए थे.

इसके जवाब में बीते 19 जनवरी को किए गए पोस्ट में उन्होंने कहा था, हफ्ते भर पहले एक बेटी का पिता पार्टी बदलता है तो पुत्री पर वार हो रहा था. आज वहीं एक बहू अपर्णा यादव अपने चचेरे भाई (योगी जी) के साथ एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आती हैं तो स्वागत. क्या इसको भी वर्ग से जोड़ा जाना चाहिए कि बेटी (मौर्य) पिछड़े वर्ग की है और बहू (विष्ट) अगड़े वर्ग से है.

उन्होंने कहा था, क्या बहन-बेटी की भी जाति और धर्म होता है? अगड़ा भाजपा में आता है तो राष्ट्रवादी और वो वोट भाजपा को करेगा या नहीं इसपे सवाल खड़ा करना तो दूर सोचा भी नही जाता, लेकिन पार्टी में रहने वाला राष्ट्रद्रोही, उसके वोट पे सवाल खड़े हो रहे ऐसा क्यों? कृपया सलाह न दें मैं कहां जाऊं क्या करूं, मैं जहां हूं ठीक हूं.

मुजफ्फरनगर: बुधाना गांव में लोगों ने भाजपा प्रत्याशी के सामने उनके खिलाफ नारेबाजी की

बुधाना से भाजपा के निवर्तमान विधायक और सीट से पार्टी के उम्मीदवार उमेश मलिक को मंगलवार को विधानसभा क्षेत्र की एक गली से गुजरते हुए लोगों का गुस्सा झेलना पड़ा.

विधायक चुनाव से जुड़े किसी काम से अपने समर्थकों के साथ रसूलपुर जतन गांव पहुंचे थे. इस दौरान गली में दोनों ओर खड़े ग्रामीणों ने मलिक और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी मंशा साफ कर दी. उन्होंने समाजवादी पार्टी- राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन के प्रत्याशी राजपाल बालियान के पक्ष में भी नारे लगाए.

ग्रामीणों द्वारा मलिक का विरोध किए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

गौरतलब है कि केंद्र द्वारा वापस लिए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले भारतीय किसान यूनियन का मुख्यालय बुधाना विधानसभा क्षेत्र के सिसौली में स्थित है.

मलिक को बीते 23 जनवरी को मंसूरपुर के गांव में पिछले चुनावी वादों को लेकर तमाम सवालों का सामना करना पड़ा था.

भाजपा ने और आठ उम्मीदवारों की सूची जारी की

भाजपा ने बीते मंगलवार को औरैया से गुड़िया कठेरिया और कानपुर देहात के रसूलाबाद से पूनम संखवार समेत आठ और उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की.

पार्टी ने जलेसर निर्वाचन क्षेत्र से संजीव कुमार दिवाकर और एटा जिले की मरहरा सीट से वीरेंद्र वर्मा उम्मीदवार घोषित किया है.

भाजपा ने पटियाली से ममतेश शाक्य और अमांपुर (दोनों कासगंज जिले में) से हरिओम वर्मा का नाम घोषित किया है.

पार्टी ने मैनपुरी जिले की किशनी सीट से प्रियारंजन आशु दिवाकर को मैदान में उतारने का फैसला किया है. इसी तरह इटावा जिले की भरथना विधानसभा क्षेत्र से सिद्धार्थ शंकर दोहरे को मैदान में उतारा गया है.

औरैया, कानपुर देहात, एटा, कासगंज, मैनपुरी और इटावा जिलों में तीसरे चरण में 20 फरवरी को मतदान होगा.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए अधिसूचना जारी

चुनाव आयोग ने बीते मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए अधिसूचना जारी की. इस चरण में 16 जिलों के 59 विधानसभा क्षेत्रों में 20 फरवरी को मतदान होगा.

तीसरे चरण में जिन जिलों में मतदान होगा वे हैं- हाथरस, फिरोजाबाद, एटा, कासगंज, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा.

अधिसूचना के अनुसार, इस चरण के मतदान के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि एक फरवरी है और नामांकन पत्रों की जांच दो फरवरी को होगी. नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख चार फरवरी है. इस चरण में मतदान 20 फरवरी को होगा, जबकि वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी.

इस चरण में 2.15 करोड़ से अधिक मतदाता हैं, जिनमें 1.16 करोड़ से अधिक पुरुष मतदाता, 99.6 लाख से अधिक महिला मतदाता और 1,096 तृतीयक लिंग मतदाता हैं. इस चरण में 25,741 मतदान केंद्रों पर मतदान होगा.


पंजाब विधानसभा चुनाव


कांग्रेस ने 23 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की

कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए मंगलवार को 23 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की, जिसमें उसने पूर्व मुख्यमंत्री हरचरण सिंह बराड़ की बहू करन बराड़ को मुक्तसर से अपना उम्मीदवार बनाया है.

पंजाब की 117 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए कांग्रेस ने अब तक कुल 109 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है. पार्टी ने पहली सूची में 86 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए थे.

कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सहयोगी समीत सिंह को अमरागढ़ विधानसभा सीट से, पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भटल के दामाद विक्रम बाजवा को सहनेवाल विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है.

पंजाब के पूर्व मंत्री अश्वनी सेखरी को फिर से बटाला सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. वह पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट से हार गए थे. पूर्व विधायक हरचांद कौर को महल कलां (सुरक्षित) सीट से टिकट दिया गया है.

भोआ (सुरक्षित) सीट से वर्तमान विधायक जोगिंदर पाला को फिर से टिकट दिया गया है. वहीं रमणजीत सिंह सिक्की को खादूर साहिब सीट से प्रत्याशी बनाया गया है.

पार्टी ने गुरु हर सहाय सीट से निवर्तमान विधायक राणा गुरजीत सिंह सोढी के भाजपा में चले जाने के बाद विजय कालरा को अपना प्रत्याशी बनाया है. आम आदमी पार्टी (आप) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए आशु बांगर को फिरोजपुर ग्रामीण सीट से उम्मीदवार बनाया गया है.

पार्टी ने समराला से अमरीक सिंह ढिल्लों का टिकट काट कर राजा गिल को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने फिरोजपुर ग्रामीण, समराला, अमरागढ़ और शुत्राना सीटों से मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है.

गौरतलब है कि कांग्रेस ने अभी तक पटियाला सदर सहित आठ सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह इस सीट से निवर्तमान विधायक हैं.

अमरिंदर सिंह ने हाल ही में अपनी राजनीतिक पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का गठन किया है और भाजपा के साथ गठबंधन में पंजाब चुनाव लड़ रहे हैं.

पंजाब विधानसभा के लिए 20 फरवरी को मतदान होना है और मतों की गिनती 10 मार्च को होगी.

बसपा ने शेष छह उम्मीदवारों की घोषणा की

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 20 फरवरी को होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को शेष छह उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी.

मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी ने चुनाव के लिए शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के साथ गठबंधन किया है और 117 विधानसभा सीट में से 20 पर चुनाव लड़ रही है.

पार्टी की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची के मुताबिक, अमृतसर सेंट्रल से दलबीर कौर, करतारपुर से बलविंदर कुमार, जालंधर पश्चिम से अनिल मिनिया और शाम चौरासी से महिंदर सिंह चुनाव लड़ेंगे.

वहीं, हरमोहन सिंह चमकौर साहिब सीट से चुनाव लड़ेंगे, जबकि चमकौर सिंह को महल कलां से मैदान में उतारा गया है.

पिछले हफ्ते पार्टी ने 14 उम्मीदवारों की घोषणा की थी.


गोवा विधानसभा चुनाव


भाजपा ने गोवा के लिए छह उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की

भाजपा ने गोवा विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को छह उम्मीदवारों की दूसरी और अंतिम सूची जारी कर दी. गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए 14 फरवरी को होने वाले चुनाव के वास्ते राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी पहले ही 34 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

पार्टी की ओर से जारी इस सूची के मुताबिक बिचोलिम से विधायक राजेश पटणेकर, कलांगुटे से मंगलवार को कांग्रेस से भाजपा में आए जोसेफ रॉबर्ट शिकेरा, सेंट क्रूज से कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक एंटेनियो फर्नांडीस, कम्बर्जुआ से बीमार चल रहे विधायक और पूर्व मंत्री पांडुरंग मडकाईकर की पत्नी जनिता मडकाईकर, करतालीम से नारयण जी नाइक और करटारिम से एंथनी बारबोसा को उम्मीदवार बनाया गया है.

पहली ही सूची में भाजपा ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को सैंकलिम से उम्मीदवार घोषित किया था, जबकि उप-मुख्‍यमंत्री मनोहर अजगांवकर को मडगांव से टिकट दिया था. इस सूची में पार्टी ने छह विधायकों के टिकट काटे थे

गोवा में मुख्य मुकाबला पारंपरिक रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच होता रहा है. इस बार आम आदमी पार्टी (आप) ने जोर-शोर से चुनाव में जीत दर्ज करने की कोशिश कर रही है. आप ने वकालत से राजनीति में आए अमित पालेकर को पार्टी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है.

गोवा में दो बड़े चुनाव-पूर्व गठबंधन भी बने हैं. कांग्रेस ने गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) के साथ गठबंधन किया है.

जीएफपी एक क्षेत्रीय संगठन है, जो 2017 में मनोहर पर्रिकर सरकार का हिस्सा था, जबकि तृणमूल कांग्रेस को महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के रूप में एक क्षेत्रीय भागीदार मिला है, जिसने शिवसेना के साथ गठबंधन में 2017 का चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में पर्रिकर के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गया था.

टीएमसी ने गोवा विस चुनाव के लिए छह उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने मंगलवार को 14 फरवरी को होने वाले गोवा विधानसभा चुनाव के लिए अपने छह उम्मीदवारों की तीसरी सूची की घोषणा की.

इसके साथ ही ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी आगामी चुनावों के लिए कुल 24 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर चुकी है.

सूची के अनुसार, गोवा कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता राखी नाइक प्रभुदेसाई संगुएम से चुनाव लड़ेंगी, जबकि पूर्व कांग्रेसी सैफुल्ला खान वास्को विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे.

इसके मुताबिक, हाल में कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल हुए तारक अरोलकर को मापुसा विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया है.

पूर्व कांग्रेसी भोलानाथ घाडी सखलकर को सालिगाओ से और लोक कलाकार कांता काशीनाथ गौडे क्यूपेम से मैदान में उतारा गया है. टीएमसी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के साथ गठबंधन में 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव लड़ रही है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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