गोरखपुर के लोग 1971 के इतिहास को दोहराएंगे, जब एक मुख्यमंत्री चुनाव में हार गए थे: चंद्रशेखर

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: उत्तराखंड में छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय भाजपा में शामिल. रामनगर सीट से हरीश रावत को टिकट देने पर उठे विवाद के बाद उत्तराखंड कांग्रेस ने उन्हें लाल कुआं विधानसभा क्षेत्र से उतारा. अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को 31 जनवरी तक गिरफ़्तार नहीं करने का कोर्ट का निर्देश. मजीठिया ने पंजाब की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि वह उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने का प्रयास कर रही है.

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चंद्रशेखर आजाद. (फोटो: पीटीआई)

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: उत्तराखंड में छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय भाजपा में शामिल. रामनगर सीट से हरीश रावत को टिकट देने पर उठे विवाद के बाद उत्तराखंड कांग्रेस ने उन्हें लाल कुआं विधानसभा क्षेत्र से उतारा. अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को 31 जनवरी तक गिरफ़्तार नहीं करने का कोर्ट का निर्देश. मजीठिया ने पंजाब की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि वह उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने का प्रयास कर रही है.

चंद्रशेखर आजाद. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/लखनऊ/देहरादून/चंडीगढ़: गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने कहा है कि इस बार गोरखपुर के लोग 1971 के उस इतिहास को दोहराएंगे, जब एक मुख्यमंत्री को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.

अपनी जीत की उम्मीद जताते हुए आजाद ने यह भी कहा कि 36 छोटे दलों के गठबंधन ‘सामाजिक परिवर्तन मोर्चा’ ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है तथा यह मोर्चा उत्तर प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहा है.

उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से बातचीत में कहा, ‘हमें गोरखपुर के इतिहास को देखने की जरूरत है. 1971 में तत्कालीन मुख्यमंत्री टीएन सिंह को गोरखपुर के लोगों ने हराया था. इसी तरह इस बार आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं और वह उत्तर प्रदेश एवं गोरखपुर की पिछले पांच साल में हुई तबाही के लिए जिम्मेदार हैं.’

समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की बातचीत सफल नहीं होने के बाद आजाद ने छोटे दलों का गठबंधन बनाया है.

उनका कहना है, ‘मैं सपा के साथ गठबंधन करना चाहता था, ताकि भाजपा को रोका जा सके. जब उन्होंने हमारा हिस्सा (सीट बंटवारा) देना नहीं चाहा तो हमने इनकार कर दिया.’

उन्होंने वोट काटने के आरोपों से इनकार करते हुए कहा, ‘मैं यह कहता हूं कि सपा अपना काम कर रही है और हम अपना काम कर रहे हैं. मुझे सपा से कोई दिक्कत नहीं है.’

कुछ तबकों द्वारा ‘वोटकटवा’ पार्टी कहे जाने पर आजाद ने पलटवार किया, ‘कौन युवाओं के लिए खड़ा हुआ जब रोजगार की तलाश में उन पर ‘लाठियों’ की बारिश हुई, जब बहनों के साथ अन्याय हुआ, तब किसने लोगों के वास्तविक मुद्दों को किसने उठाया?’

36 वर्षीय आजाद के अनुसार, उत्तर प्रदेश में लोगों ने 2012 से 2017 तक सपा का और 2017 से 2022 तक भाजपा का शासन देखा है. सपा सरकार से निराश होकर लोगों ने भाजपा को वोट दिया, इसलिए भाजपा उनकी (सपा) वजह से सत्ता में आई.

उन्होंने दावा किया कि लोग इस बार फिर से वही गलती नहीं दोहराएंगे.

उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री के खिलाफ जीत की संभावनाओं से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा, जब लोग राज्य से न होते हुए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सांसद बना सकते हैं, तो मैं कम से कम उत्तर प्रदेश का हूं.

उन्होंने कहा, ‘मैं उन्हें (आदित्यनाथ) हरा दूंगा, इसके लिए हमें सांगठनिक ताकत की जरूरत है और हमारे पास वह है. उनकी नाकामियां बहुत हैं मुद्रास्फीति, कोविड से निपटने, बेरोजगारी, भर्ती घोटाले, कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा, यह सरकार हर मामले में विफल रही है.’

अयोध्या से आदित्यनाथ के लड़ने की बात चल रही थी, लेकिन बाद में उनके गोरखपुर शहर से ही लड़ने की बात सामने आई, इस पर आजाद समाज पार्टी प्रमुख ने कहा कि उन्हें पता था कि चंद्रशेखर आजाद उनके खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, इसलिए वह एक तथाकथित ‘सुरक्षित सीट’ पर लौट आए.

उन्होंने सवाल किया, ‘अगर मुख्यमंत्री के तौर पर आदित्यनाथ ने इतना अच्छा काम किया है तो वह गोरखपुर क्यों वापस पहुंच गए?’

उन्होंने कहा, ‘गोरखपुर के लोग उनसे नहीं डरते हैं और न ही उनके तुगलकी फरमानों का पालन करेंगे. गोरखपुर की जनता 1971 के इतिहास को दोहराएगी, जब उसने एक मौजूदा मुख्यमंत्री को हराया था.’

उल्लेखनीय है कि वाराणसी से कांग्रेस-ओ के नेता त्रिभुवन नारायण सिंह ने विधानसभा का सदस्य न होते हुए भी अक्टूबर, 1970 में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. 1971 में उन्होंने गोरखपुर की मानीराम विधानसभा सीट से उपचुनाव में लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था और उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा था.

जब उनका प्रभाव राज्य के पश्चिमी हिस्से में अधिक माना जाता है, तब पूर्वी उत्तर प्रदेश की एक सीट से चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने कहा कि यह मीडिया द्वारा गढ़ी गई एक बात है उनकी पार्टी का प्रभाव हर जगह है.

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में जन्मे आजाद ने दलितों के कल्याण के लिए लड़ने के लिए 2014 में भीम आर्मी की शुरुआत की थी. बाद में उन्होंने आजाद समाज पार्टी का गठन किया, जो भीम आर्मी का राजनीतिक मोर्चा है.

पार्टी ने 2020 में बुलंदशहर सदर सीट पर हुए उपचुनाव में पहली बार चुनाव लड़ा था. इसके उम्मीदवार मोहम्मद यामीन हार गए थे, लेकिन उन्हें 13,000 वोट मिले थे.

उत्तर प्रदेश में चुनाव की शुरुआत 10 फरवरी को राज्य के पश्चिमी हिस्से के 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान के साथ होगी. दूसरे चरण में 14 फरवरी को राज्य की 55 सीटों पर मतदान होगा. उत्तर प्रदेश में 20 फरवरी को तीसरे चरण में 59 सीटों पर, 23 फरवरी को चौथे चरण में 60 सीटों पर, 27 फरवरी को पांचवें चरण में 60 सीटों पर, तीन मार्च को छठे चरण में 57 सीटों पर और सात मार्च को सातवें चरण में 54 सीटों पर मतदान होगा.

सपा विधायक शरदवीर, पूर्व मंत्री शिवकांत ओझा, पूर्व सांसद राकेश सचान भाजपा में शामिल

सपा के विधायक शरदवीर सिंह, कांग्रेस नेता व पूर्व सांसद राकेश सचान और सपा नेता व पूर्व मंत्री शिवकांत ओझा ने बृहस्पतिवार को भाजपा का दामन थाम लिया.

केंद्रीय मंत्री व उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और उत्तर प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की उपस्थिति में तीनों नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की.

भाजपा में तीनों नेताओं का स्वागत करते हुए प्रधान ने दावा किया कि इससे पार्टी की स्थिति और मजबूत होगी.

शरदवीर सिंह उत्तर प्रदेश की जलालाबाद विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं. इस बार सपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया. अलबत्ता उन्होंने हाल ही में पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया था. जलालाबाद सीट से समाजवादी पार्टी ने नीरज मौर्य कुशवाहा को टिकट दिया है.

सचान कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई में महासचिव थे. उत्तर प्रदेश की फतेहपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे सचान ने 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर फतेहपुर से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन भाजपा की साध्वी निरंजन ज्योति के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

ओझा कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री रहने के दौरान राज्य सरकार में मंत्री थी. बाद में वह समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार हो गए थे. वह पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं.

बहुजन समाज पार्टी ने 53 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की

बहुजन समाज पार्टी ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की है. इस सूची में 53 विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की गई हैं.

बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर तीसरे चरण की सूची जारी करते हुए कहा, ‘बहुजन समाज पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाए जाने पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.’

बसपा द्वारा जारी सूची में 15 सुरक्षित सीटों के अलावा करहल और जसवंत नगर सामान्य सीटों पर भी अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा हैं.

पार्टी ने हाथरस, फिरोजाबाद, कासगंज, एटा, मैनपुरी, फर्रूखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा जिलों की विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की हैं.

बसपा ने मैनपुरी की करहल सीट से कुलदीप नारायन को उतारा हैं, यहां उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से होगा. इसी तरह इटावा की जसवंतनगर सीट से ब्रजेंद्र प्रताप सिंह को उतारा हैं, यहां उनका मुकाबला सपा प्रमुख के चाचा शिवपाल यादव से होगा.

कानपुर की महाराजपुर सीट पर बसपा ने सुरेंद्र सिंह चौहान को उतारा हैं, यहां उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज उम्मीदवार और सरकार में मंत्री सतीश महाना से होगा.

सपा ने घोषित किए 56 और उम्मीदवारों के नाम

सपा ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 56 और उम्मीदवारों के नाम की सूची जारी कर दी. सपा द्वारा जारी सूची के मुताबिक, बसपा छोड़कर पार्टी में शामिल हुए वरिष्ठ नेता राम अचल राजभर और लालजी वर्मा को क्रमशः अकबरपुर और कटेहरी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है.

(फोटो: पीटीआई)

इसके अलावा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी को बलिया की बांसडीह सीट से तथा विनय तिवारी को चिल्लू पार सीट से टिकट दिया गया है.

सपा के वरिष्ठ नेता रहे बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे पूर्व मंत्री राकेश वर्मा को बाराबंकी की कुर्सी सीट से सपा का टिकट दिया गया है. वहीं, पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप को बाराबंकी की दरियाबाद और फरीद महफूज किदवई को रामनगर सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है.

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को सिद्धार्थनगर की इटवा सीट से टिकट दिया गया है, जबकि पूर्व विधायक अभय सिंह को अयोध्या जिले की गोसाईगंज सीट और पूर्व मंत्री पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव को जौनपुर की मल्हनी सीट से सपा का उम्मीदवार बनाया गया है.

यह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की तीसरी सूची है. पार्टी प्रदेश विधानसभा की 403 में से अब तक 254 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है.

कांग्रेस ने 89 और उम्मीदवार घोषित किए, महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट

कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को 89 उम्मीदवारों की अपनी तीसरी सूची जारी की, जिसमें 37 महिला उम्मीदवार शामिल हैं.

पार्टी की ओर से जारी उम्मीदवारों की तीसरी सूची में भी पहली और दूसरी सूची की तरह महिलाओं की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 255 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, जिसमें कुल 103 महिलाओं को टिकट दिया गया है.

कांग्रेस की तीसरी सूची के मुताबिक, बेहट से पूनम काम्बोज, बिजनौर से अकबरी बेगम, नूरपुर से बालादेवी सैनी और हाथरस से सरोज देवी को टिकट दिया गया है. इनके अलावा कई और महिलाओं को भी उम्मीदवार बनाया गया है.

इससे पहले पार्टी ने गत 20 जनवरी को 41 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की थी, जिसमें 16 महिला उम्मीदवार शामिल थीं. पार्टी ने 13 जनवरी को 125 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी और उसमें 50 महिलाओं को टिकट दिया गया था.

कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की पार्टी प्रभारी प्रियंका गांधी वाद्रा ने कुछ महीने पहले ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ अभियान की शुरुआत करते हुए घोषणा की थी कि विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए जाएंगे.


उत्तराखंड विधानसभा चुनाव


छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय भाजपा में शामिल

कांग्रेस ने अपनी उत्तराखंड इकाई के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में बृहस्पतिवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया. हालांकि इसके तुरंत बाद वह भाजपा में शामिल हो गए.

किशोर उपाध्याय. (फोटो साभार: एएनआई)

कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने ट्वीट कर किशोर उपाध्याय का पार्टी से निष्कासित किए जाने की जानकारी दी. हाल ही में उपाध्याय को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया गया था.

उपाध्याय कुछ सप्ताह पहले तक उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए बनी कांग्रेस समन्वय समिति के प्रमुख की भूमिका निभा रहे थे और वह राज्य कांग्रेस कोर कमेटी तथा उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य थे.

कांग्रेस से निष्कासित किए जाने के बाद उपाध्याय ने भाजपा के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में पार्टी का दामन थाम लिया.

भाजपा ने अभी तक टिहरी सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है और इस बात की चर्चा जोरों पर है कि उन्हें टिहरी से चुनावी समर में उतारा जा सकता है.

उपाध्याय पूर्व में दो बार टिहरी से विधायक रह चुके हैं, जबकि नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में बनी प्रदेश की पहली निर्वाचित सरकार में वह उद्योग राज्य मंत्री थे.

किशोर वर्ष 2014 से 2017 तक उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे.

उन्होंने वर्ष 2002 और 2007 में टिहरी सीट से जीत दर्ज की थी. हालांकि, 2012 में अगला चुनाव वह निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश धनै से मात्र 377 मतों से हार गए थे.

पिछला चुनाव उन्होंने टिहरी की बजाय देहरादून जिले की सहसपुर सीट से लड़े और उन्हें भाजपा के सहदेव सिंह पुंडीर के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा.

उपाध्याय पिछले काफी समय से वरिष्ठ नेता होने के बावजूद कांग्रेस में अपनी उपेक्षा का आरोप लगा रहे थे और उनके ताजा कदम को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है.

कुछ दिन पूर्व कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी और महासचिव देवेंद्र यादव ने उन पर अनुशासनहीनता और भाजपा से मेलजोल रखकर कांग्रेस की लड़ाई कमजोर करने का आरोप लगाते हुए उन्हें पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था.

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की सभी 70 सीटों पर 14 फ़रवरी को मतदान होगा. मतगणना 10 मार्च को होगी.

कांग्रेस ने उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की, हरीश रावत अब लाल कुआं से लड़ेंगे

कांग्रेस ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को 10 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी की, जिसमें सबसे प्रमुख नाम पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का है जिनका पहले घोषित विधानसभा क्षेत्र बदला गया है.

कांग्रेस नेता हरीश रावत. (फोटो: पीटीआई)

पहले उन्हें नैनीताल जिले की रामनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था. अब वह नैनीताल जिले की ही लाल कुआं सीट से चुनाव लड़ेंगे. पहले इस सीट पर संध्या डालाकोटी को टिकट मिला था.

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत ने रामनगर से हरीश रावत की उम्मीदवारी का विरोध किया था. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने दूसरी सीट से लड़ने का फैसला किया.

रणजीत रावत रामनगर सीट पर लंबे समय से तैयारी कर रहे थे और अपनी दावेदारी कर रहे थे. हालांकि रणजीत रावत को भी रामनगर से नहीं, बल्कि सल्ट से उम्मीदवार बनाया गया है.

रणजीत रावत 2002 और 2007 में सल्ट सीट से विधायक चुने गए थे, जबकि 2012 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिवंगत नेता सुरेंद्र सिंह जीना से उन्हें पटखनी मिली थी. 2017 में वह रामनगर सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा प्रत्याशी से उन्हें एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा था.

बीते 25 जनवरी को मीडिया से बातचीत में किसी का नाम लिए बगैर रणजीत रावत ने कहा था, ‘मुझे बताया गया था कि मुझे टिकट मिल जाएगा, लेकिन यह किसी और के पास चला गया है. मजे की बात यह है कि जिस व्यक्ति ने मुझे रामनगर जाने की सलाह दी थी, वह अब खुद इस सीट से चुनाव लड़ने को इच्छुक है.’

दूसरी ओर हरीश रावत ने कहा था, ‘मैंने अपना राजनीतिक सफर रामनगर से शुरू किया था. अपने राजनीतिक करिअर के अंतिम पड़ाव पर मैं इस निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए कुछ करना चाहता हूं. मैं यहां से जीतना चाहता हूं और विकास के नए युग की शुरुआत करना चाहता हूं.’

बहरहाल कांग्रेस ने रामनगर विधानसभा क्षेत्र से इन दोनों नेताओं को टिकट न देते हुए महेंद्र पाल सिंह को टिकट दिया गया है.

इसी तरह कुछ अन्य सीटों पर भी उम्मीदवार बदले गए हैं.

डोईवाला विधानसभा क्षेत्र से मोहित उनियाल की जगह गौरव चौधरी, ज्वालापुर से बरखा रानी की जगह रवि बहादुर और कालाढूंगी से महेंद्र पाल सिंह की जगह महेश शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है.

हरीश रावत की पुत्री अनुपमा रावत को हरिद्वार ग्रामीण से टिकट मिला है.

इससे पहले कांग्रेस ने पहली सूची में 53 और दूसरी सूची में 11 उम्मीदवार घोषित किए थे. पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार से कांग्रेस ने अब तक कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति को कांग्रेस ने लैंसडाउन से टिकट दिया है.

हरक सिंह रावत और अनुकृति गत 22 जनवरी को कांग्रेस में शामिल हुए थे. हरक सिंह रावत को 16 जनवरी को उत्तराखंड मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था और फिर उन्हें भारतीय जनता पार्टी से भी निष्कासित कर दिया गया था.

भाजपा ने नौ उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की, ऋतु खंडूरी को कोटद्वार से टिकट

भाजपा ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को नौ उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची जारी कर दी. पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी की बेटी ऋतु को कोटद्वार से उम्मीदवार बनाया है.

भाजपा ने 2017 के चुनाव में कोटद्वार से जीत दर्ज की थी. हरक सिंह रावत ने यहां से चुनाव जीता था. रावत ने अब कांग्रेस का दामन थाम लिया है. ऋतु खंडूरी ने पिछले चुनाव में यमकेश्वर से जीत दर्ज की थी.

पार्टी इससे पहले 59 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर चुकी है. इस सूची में खंडूरी का नाम नहीं था. भाजपा अब तक 68 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर चुकी है.

पार्टी ने केदारनाथ से शैलारानी रावत, हल्द्वानी से जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला, झबरेड़ा से राजपाल सिंह, पिरंकलियार से मुनीश सैनी, रानीखेत से प्रमोद नैनवाल, जागेश्वर से मोहन सिंह मेहरा, लालकुंआ से मोहन सिंह बिष्ट और रुद्रपुर से शिव अरोड़ा को अपना उम्मीदवार बनाया है.

जिन दो सीटों पर भाजपा ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है, उनमें डोइवाला और टिहरी सीट भी शामिल हैं. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत वर्तमान विधानसभा में डोइवाला सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर विधानसभा चुनाव ना लड़ने की इच्छा जताई थी.

चुनाव में राज्य की सत्तारूढ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच एक बार फिर कड़ी टक्कर होने की संभावना है. हालांकि, जानकारों का मानना है कि पहली बार राज्य में चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी (आप) भी कुछ सीटों पर दोनों दलों के समीकरणों को प्रभावित कर सकती है.

बसपा और पृथक राज्य आंदोलन का अगुआ रहा उत्तराखंड क्रांति दल भी अपना खोया प्रभाव दोबारा पाने के लिए प्रयासरत हैं.

वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड राज्य की जनता ने कभी भी किसी राजनीतिक दल को दोबारा सत्ता नहीं सौंपी है. भाजपा इस बार के चुनाव में इस मिथक को तोड़ने का दावा कर रही है.

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 57 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई थी जबकि कांग्रेस को 11 सीटों पर जीत मिली थी. दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.


पंजाब विधानसभा चुनाव


अकाली दल नेता मजीठिया को 31 जनवरी तक गिरफ्तार नहीं करने का न्यायालय का निर्देश

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पंजाब सरकार से मौखिक रूप से कहा कि वह एक मादक पदार्थ मामले में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी-पूर्व जमानत याचिका पर 31 जनवरी को सुनवाई होने से पहले उनके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाए.

बिक्रम सिंह मजीठिया. (फोटो साभार: फेसबुक)

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने मजीठिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की इस दलील पर गौर किया कि अग्रिम जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है, क्योंकि आरोपी को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ का सामना करना पड़ रहा है.

रोहतगी ने मजीठिया की याचिका पर तत्काल सुनवाई की अपील करते हुए कहा, ‘यह राजनीतिक प्रतिशोध है. उन्हें थाने बुलाया जाता है. चुनावी बुखार के कारण यह सब हो रहा है.’

इस पर पीठ ने पूछा, ‘यह चुनावी बुखार है या चुनावी वायरस. सभी इस अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं.’

रोहतगी ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मजीठिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी, ताकि वह शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकें.

उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस इस तथ्य से अवगत होने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है कि शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई है.

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 24 जनवरी को मजीठिया की गिरफ्तारी-पूर्व जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

बीते बुधवार को शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने पंजाब की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया था कि वह उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने से रोकने का प्रयास कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके घर पर राज्य पुलिस ने छापा मारा था.

मजीठिया ने चुनाव आयोग से अपील की कि वह हाईकोर्ट के दिशानिर्देश का उल्लंघन करने, उनके आवास पर छापा मारने और उनके परिवार को परेशान करने के लिए कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराए.

हाल ही में मादक पदार्थ मामले में आरोपी बनाए गए मजीठिया ने पार्टी की ओर से अमृतसर-पूर्व सीट से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद ये आरोप लगाए. .

मजीठिया अमृतसर पूर्व से सिद्धू को देंगे चुनौती, प्रकाश बादल एक बार फिर लांबी से लड़ेंगे

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने बुधवार को घोषणा की कि पार्टी के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ अमृतसर पूर्व से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा, ‘पूर्व क्रिकेटर का राजनीतिक जीवन समाप्त होने जा रहा है.’

सुखबीर सिंह बादल. (फोटो: पीटीआई)

सुखबीर बादल ने अपने 94 वर्षीय पिता और राज्य के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल को एक बार फिर लांबी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाने की भी घोषणा की. बादल 20 फरवरी को होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में संभावित सर्वाधिक उम्रदराज उम्मीदवार होंगे.

मजीठिया का नाम पहले ही मजीठा सीट से शिअद उम्मीदवार के रूप में घोषित किया जा चुका था. ऐसी स्थिति में वह दोनों जगह से चुनाव लड़ेंगे.

बादल ने पंजाब कांग्रेस प्रमुख सिद्धू को चुनौती की मुद्रा में कहा, ‘नवजोत सिद्धू, तैयार हो जाइए.’ उन्होंने आगे कहा, ‘मजीठिया अमृतसर पूर्व सीट से नवजोत सिद्धू के खिलाफ लड़ेंगे.’ उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के अमृतसर के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्हें (बादल को) कहा था कि सिद्धू के अहंकार को चकनाचूर करना होगा.

बादल ने कहा, ‘हमारे योद्धा (मजीठिया) अमृतसर पूर्व सीट से चुनाव लड़ेंगे.’

सिद्धू इसी सीट से निवर्तमान विधायक हैं और इस बार भी यहीं से चुनाव मैदान में डटे हैं.

शिअद प्रमुख ने ये दोनों घोषणाएं अमृतसर में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान की. उन्होंने कहा कि मजीठिया यह सुनिश्चित करेंगे कि सिद्धू की जमानत जब्त हो जाए.

मजीठिया के खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम के तहत पिछले माह मुकदमा दर्ज किया गया था. वह इस मामले में अग्रिम जमानत लेने का प्रयास कर रहे हैं.

सुखबीर बादल ने कहा कि प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल मजीठिया को इसलिए निशाना बना रहे हैं, क्योंकि वह जनता की आवाज उठाते हैं. उन्होंने चरणजीत सिंह चन्नी सरकार, खासकर नवजोत सिद्धू पर मजीठिया के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराने का आरोप भी लगाया.

शिअद प्रमुख ने कहा कि सिद्धू का राजनीतिक जीवन समाप्त होने के कगार पर है और यह चुनाव उनका अंतिम चुनाव होगा.

लांबी सीट के बारे में सुखबीर बादल ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल वहीं (लांबी) से चुनाव लड़ेंगे.

उन्होंने कहा, ‘बादल साहब ने जीवनपर्यंत पंजाब और इस समुदाय के लिए लड़ाई लड़ी. उन्होंने मुझसे कहा कि वह (राजनीति से) संन्यास नहीं लेंगे.’ सुखबीर ने कहा कि पार्टी ने भी प्रकाश सिंह बादल के राजनीति से संन्यास न लेने की वकालत की है. सीनियर बादल लांबी विधानसभा सीट 1997 से जीतते रहे हैं.

शिअद ने 117 सीट के लिए होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन किया है. समझौते के तहत बसपा शेष 20 सीट से चुनाव लड़ेगी.

भाजपा ने पूर्व मंत्री सांपला और कांग्रेस छोड़कर आए दो नेताओं को टिकट दिया

पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बृहस्पतिवार को 27 उम्मीदवारों वाली अपनी दूसरी सूची जारी की, जिसमें कांग्रेस से पार्टी में आए दो नेताओं और पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला को प्रत्याशी घोषित किया गया है.

भाजपा, पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस और सुखदेव ढींढसा के नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है. सहयोगी दलों के साथ किये गए सीटों के बंटवारे के अनुसार, भाजपा 65 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.

पार्टी ने बृहस्पतिवार को दो वर्तमान विधायकों फतेहजंग सिंह बाजवा और हरजोत कमल को टिकट दिया, जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. कादियान से विधायक बाजवा इस बार बटाला से चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस ने उनके बड़े भाई प्रताप सिंह बाजवा को कादियान से प्रत्याशी घोषित किया है.

हरजोत कमल अपने वर्तमान निर्वाचन क्षेत्र मोगा से चुनाव लड़ेंगी, जहां से कांग्रेस ने अभिनेता सोनू सूद की बहन मालविका सूद को टिकट दिया है.

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला फगवाड़ा से चुनाव लड़ेंगे. इसके अलावा भाजपा ने राकेश ढींगरा को लाम्बी से प्रत्याशी बनाया है, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल चुनावी मैदान में हैं.

भाजपा के रणदीप सिंह देओल धुरी से आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के दावेदार भगवंत सिंह मान के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे. चमकौर साहिब से भाजपा ने दर्शन सिंह शिवजोत को खड़ा किया है, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी करते हैं.

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा को भाजपा ने रूपनगर से उम्मीदवार घोषित किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)