केंद्रीय मंत्री के बयान पर मुस्लिम परिषद ने कहा- मोदी सरकार आतंकियों से संबंध साबित करे

भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद के एक कार्यक्रम में भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भारत में बढ़ते सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने आयोजनकर्ता परिषद का जुड़ाव आतंकी संगठनों से होने का आरोप लगाया था.

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मुख्तार अब्बास नकवी. (फोटो साभार: पीआईबी)

भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद के एक कार्यक्रम में भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भारत में बढ़ते सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने आयोजनकर्ता परिषद का जुड़ाव आतंकी संगठनों से होने का आरोप लगाया था.

मुख्तार अब्बास नकवी. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद (आईएएमसी) ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की उस टिप्पणी की निंदा की है, जो उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा आईएएमसी के एक कार्यक्रम में दिए गए बयान पर प्रतिक्रियास्वरूप की थी.

उक्त बयान में अंसारी ने भारत में बढ़ते सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर चिंता व्यक्त की थी.

मालूम हो कि गणतंत्र दिवस वाले दिन पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आईएएमसी द्वारा आयोजित एक डिजिटल चर्चा में भारत में बढ़ती सांप्रदायिकता पर चिंता जताते हुए कहा था कि हाल के वर्षों में ऐसी प्रवृत्तियां बढ़ी हैं, जो नागरिकों को उनके धर्म के आधार पर अलग करना चाहती हैं और असहिष्णुता, अशांति व असुरक्षा को बढ़ावा देती हैं. उन्होंने भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की थी.

रिपोर्ट के अनुसार, अंसारी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए नकवी ने दो दिन बाद 28 जनवरी को संवाददाताओं से कहा था, ‘कुछ लोग पाकिस्तान प्रायोजित संगठनों के भारत विरोधी षड्यंत्रों का हिस्सा बन रहे हैं. ये संगठन भारत की संस्कृति और समावेशिता पर भ्रम पैदा करने की साजिश कर रहे हैं’

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नकवी ने कहा था कि अंसारी ने जिस कार्यक्रम में शिरकत की थी, उसका आयोजन एक ऐसे समूह ने किया था जिसके स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध थे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार भी नकवी ने कहा था, ‘कुछ लोग पाकिस्तान प्रायोजित संगठनों के भारत विरोधी षड्यंत्र का हिस्सा बन रहे हैं. ये संगठन भारत की संस्कृति और समावेशिता पर भ्रम पैदा करने की साजिश कर रहे हैं.’

नकवी ने आरोप लगाया था कि मोदी को कोसने की मानसिकता अब भारत को कोसने की मानसिकता में तब्दील हो गई है, और साथ ही कहा था, ‘भारत को कोसने वाली ब्रिगेड देश की संस्कृति, प्रतिबद्धता और संविधान की हत्या करने की प्रतिस्पर्धा में शामिल है.’

आईएएमसी ने नकवी और उन जैसे ही अन्य लोगों के विरोध को उसे बदनाम करने वाला अभियान करार दिया है.

आईएएमसी ने अपनी प्रतिक्रिया में उन सभी आरोपों का उल्लेख किया है जो नकवी ने उस पर लगाए और सभी आरोपों को खारिज करते हुए नकवी व मोदी सरकार को चुनौती दी है कि वे कम से कम एक आरोप को सबूतों के साथ साबित करें.

मीडिया में जारी अपने बयान में आईएएमसी ने उल्लेख किया है कि वह उन नागरिक संस्थानों में से एक है, जिन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में, जहां 2000 से अधिक मुस्लिम मार दिए गए थे, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका के बाद उनके खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था और उनके अमेरिका आने का विरोध किया था.

परिषद ने कहा है कि भारत और अमेरिका में ऐसा कोई सरकारी या पुलिस का दस्तावेज नहीं है जो यह दावा करता हो कि परिषद का जुड़ाव सिमी या भारत में कहीं भी हुई किसी भी सांप्रदायिक हिंसा से है या प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर आतंकवाद से है.

परिषद की ओर से कहा गया कि सिमी भारत में 2001 से लेकर अब तक गैरकानूनी (गतिविधि) रोकथाम अधिनियम के तहत आठ बार प्रतिबंधित किया गया है. हर बार अदालती प्रकिया के तहत प्रतिबंध लगाया गया. इस दौरान भारत सरकार ने एक बार भी अदालत में दावा नहीं किया कि आईएएमसी का सिमी से जुड़ाव है.

आईएएमसी ने कहा कि नकवी का यह आरोप शर्मनाक है कि अक्टूबर में त्रिपुरा में हुई मुस्लिम विरोधी हिंसा में आईएएमसी का नाम त्रिपुरा पुलिस की एफआईआर में शामिल है.

उसने कहा, ‘उक्त एफआईआर में आईएमएसी के अलावा शामिल दो सुप्रीम कोर्ट के वकीलों और एक पत्रकार को सुप्रीम कोर्ट पहले ही राहत दे चुका है, तो उस एफआईआर का क्या भविष्य होगा, समझा जा सकता है.’

संगठन ने कहा कि पिछले सप्ताहांत त्रिपुरा पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक हलफनामा पेश किया था जिसमें आईएएमसी के बारे में डिसइंफोलैब नामक वेबसाइट के हवाले से झूठे दावे किए गए थे. यह वेबसाइट हाल के महीनो में झूठी खबरों की हिंदुत्व से जुड़ी फैक्ट्री के रूप में उभरकर सामने आई है.

आईएएमसी ने संविधान के अनुसार एक धर्मनिरपेक्ष, बहुलवादी और लोकतांत्रिक भारत की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए उल्लेख किया कि इसे भारी संख्या में अमेरिकी सांसदों, कांग्रेस प्रतिनिधियों, मानवाधिकार संगठनों और नागरिक समाज समूहों का समर्थन प्राप्त है.

संगठन ने आगे अपने जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है, ‘वे आईएएमसी से इसलिए परेशान हैं क्योंकि भले ही वे अपने तानाशाही रवैये से भारतीय मुसलमानों के मानवाधिकारों को कुचलते रहे हों, उनकी हत्या करते रहे हों या जेल में डालते रहे हों, लेकिन वे आईएएमसी को छू नहीं सकते क्योंकि हम अमेरिका में हैं जहां कानून का शासन है.’

अंत में उन्होंने लिखा है कि मोदी और उनके कट्टरपंथी सहयोगी आईएएमसी को चुप नहीं करा सकते हैं. यह लिखते हुए उसने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा पर निशाना साधा है और विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल को उनका आतंकी नेटवर्क करार दिया है.

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