राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे गए पत्र में शिक्षाविदों, पत्रकारों, वकीलों और कार्यकर्ताओं आदि ने इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा लगाए जाने के फैसले के पीछे की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ऐसा नहीं है कि उनकी प्रतिमा दिल्ली में पहले से मौजूद नहीं है, लेकिन फिर भी मीडिया के एक वर्ग ने ग़लत तरीके से यह दर्शाने की कोशिश की कि ऐसा पहली बार होगा कि नेताजी को राजधानी में इस तरह सम्मानित किया जाएगा.
नई दिल्लीः प्रसिद्ध शिक्षाविदों, पत्रकारों, वकीलों और कार्यकर्ताओं सहित देश के 136 नागरिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि इंडिया गेट पर विभिन्न राष्ट्रीय नेताओं की होलोग्राम मूर्तियां बारी-बारी से लगाई जाएं.
केंद्र सरकार द्वारा 21 जनवरी को स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की ग्रेनाइट की प्रतिमा इंडिया गेट पर लगाए जाने की योजना के ऐलान के बाद यह पत्र लिखा गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा था कि सुभाषचंद्र बोस की ग्रेनाइट की प्रतिमा का निर्माण पूरा होने तक उनकी होलोग्राम मूर्ति उसी स्थान पर लगी रहेगी.
मोदी ने 23 जनवरी को आजाद हिंद फौज के संस्थापक बोस की 125वीं जयंती पर उनकी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया था.
द वायर के वासुदेवन मुकंद सहित कई लोगों ने इस फैसले के पीछे की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ऐसा नहीं है कि बोस की प्रतिमा दिल्ली में पहले से मौजूद नहीं है, लेकिन फिर भी मीडिया के एक वर्ग ने गलत तरीके से यह दर्शाने की कोशिश की कि ऐसा पहली बार होगा कि नेताजी को राजधानी में इस तरह सम्मानित किया जाएगा.
इस पत्र में सुझाव दिया गया, ‘इंडिया गेट पर राष्ट्रीय नायकों को सम्मानित करने का विचार बेहतरीन है. हालांकि, हम यह सुझाव देना चाहेंगे कि उनकी स्थायी प्रतिमा के बजाय होलोग्राम प्रतिमा लगाई जाए, जिन्हें हर कुछ महीने बारी-बारी से बदला (रोटेट) जाए. इस तरह हम राजधानी में कई राष्ट्रीय नेताओं को सम्मानित कर पाएंगे.’
पत्र में कहा गया, ‘इस तरह के कदमों से भारत में एकता और सौहार्द को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी और महत्वपूर्ण नेताओं को सम्मानित करने और उनकी विरासत को जीवंत रखने में मदद मिलेगी.’
पत्र में कहा गया, ‘हमारे देश के लोग उनके राज्यों के प्रतिष्ठित नेताओं (महिलाएं और पुरूष) को सम्मानित किए जाने का स्वागत करेंगे. यह हमारे देश के कई नायकों की स्मृति को जीवंत रखेगा. बच्चे इनके बारे में कुछ सीखेंगे.’
इस पत्र के अंत में यह उम्मीद जताई गई कि केंद्र सरकार इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करेगी.
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में शिक्षाविद बीना अग्रवाल, देवकी जैन, सतीश देशपांडे, संतोष मेहरोत्रा, अचिन वाणिक, रुक्मिणी भाया नायर, नीरा चंडोके और लेखक गुरचरण दास, नंदिता हक्सर, रोहिणी हैन्समैन, पत्रकार पैट्रीसिया मुखिम, सुजाता मधोक, रीता आनंद, पामेल फिलिपोस, जॉन दयाल, सागरिका घोष, अधिवक्ता फ्लाविया एग्नेस, वृंदा ग्रोवर, दुष्यंत अरोड़ा और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी कई हस्तियां शामिल हैं.
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