धर्म परिवर्तन विवाद: छात्रा आत्महत्या मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए

तमिलनाडु में तंजावुर के मिशनरी स्कूल की 17 वर्षीय छात्रा अरियालुर जिले की रहने वाली थी. 12वीं की इस छात्रा ने बीते नौ जनवरी को जहर खा लिया था और 19 जनवरी को उसकी मौत हो गई थी. आरोप है कि छात्रावास में रह रही इस छात्रा को कथित रूप से धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया गया था.

(फोटो साभार: ट्विटर)

तमिलनाडु में तंजावुर के मिशनरी स्कूल की 17 वर्षीय छात्रा अरियालुर जिले की रहने वाली थी. 12वीं की इस छात्रा ने बीते नौ जनवरी को जहर खा लिया था और 19 जनवरी को उसकी मौत हो गई थी. आरोप है कि छात्रावास में रह रही इस छात्रा को कथित रूप से धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया गया था.

(फोटो साभार: ट्विटर)

मदुरै/तंजावुर: मद्रास हाईकोर्ट की पीठ ने बीते सोमवार को 17 वर्षीय छात्रा के खुदकुशी मामले से जुड़ी जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया. आरोप है कि छात्रा को कथित रूप से धर्म परिवर्तन करके ईसाई बनने के लिए बाध्य किया गया था.

जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता, छात्रा के पिता और स्कूल प्रबंधन की दलीलों के मद्देनजर जांच हस्तांतरित करने का आदेश दिया. आदेश में कहा गया है कि छात्रा को मरणोपरांत न्याय दिलाना अदालत का कर्तव्य है, लेकिन अब तक के हालात से ऐसा लग रहा है कि जांच सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है.

जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा, ‘मैं सीबीआई निदेशक, नई दिल्ली को निर्देश देता हूं कि वह राज्य पुलिस से जांच अपने हाथ में लेने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करें. सीबीआई स्वतंत्र जांच करेगी और इस आदेश में की गई किसी भी टिप्पणी को ध्यान में नहीं रखेगी.’

तमिलनाडु में तंजावुर के मिशनरी स्कूल की 17 वर्षीय छात्रा अरियालुर जिले की रहने वाली थी. 12वीं की छात्रा ने बीते नौ जनवरी को जहर खा लिया था. उसकी हालत बीते 15 जनवरी को बिगड़ गई थी तो उसे तंजावुर कॉलेज अस्पताल ले जाया गया था. पुलिस के अनुसार, वहां छात्रा ने इस कृत्य के लिए वार्डन को जिम्मेदार ठहराया था. उसकी 19 जनवरी को मौत हो गई थी.

आरोप है कि छात्रावास में रह रही इस छात्रा को कथित रूप से धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया गया था.

इस संबंध में पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में छात्रा को कहते सुना जा सकता है कि वह सही तरीके से पढ़ाई नहीं कर पा रही क्योंकि उसकी हॉस्टल की वॉर्डन उससे कमरे साफ कराने, हिसाब-किताब करने और अन्य काम करने के लिए मजबूर करती है. छात्रा ने यह भी कहा कि उसे परीक्षा में कम अंक आने का भी डर है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रा की मौत के बाद एक कथित पुराने वीडियो में छात्रा को यह कहते सुना जा सकता है कि उसे इसलिए प्रताड़ित किया गया, क्योंकि उसके परिजनों ने ईसाई धर्म में परिवर्तन से इनकार कर दिया था.

छात्रा वीडियो में कहती है, ‘दो साल पहले उन्होंने मुझसे और मेरे परिजनों से ईसाई धर्म में परिवर्तन करने को कहा था. उन्होंने कहा था कि वे मेरी शिक्षा का ध्यान रखेंगे.’

वीडियो में यह पूछने पर कि क्या धर्मांतरण नहीं करने पर उसे निशाना बनाया गया? इस पर छात्रा कहती है, ‘शायद’.

ये वीडियो मोबाइल फोन से रिकॉर्ड किए गए हैं और अब इन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है.

हालांकि, स्कूल प्रबंधन ने आरोपों को खारिज करते हुए इस मामले में स्वार्थ तलाशने वाले तत्वों को दोषी ठहराया है. इस मामले में पीड़िता के पिता ने पहले सीबी-सीआईडी की मांग की थी, लेकिन अंतिम सुनवाई के दौरान उन्होंने सीबीआई जांच की मांग की.

लेकिन जिला भाजपा इकाई के सदस्यों ने दावा किया था कि किशोरी ने खुदकुशी इसलिए की, क्योंकि उसे ईसाई बनने के लिए बाध्य किया गया.

भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस की निंदा करते हुए प्रदर्शन भी किया था. भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष ए. अन्नामलाई ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी और कहा था कि पार्टी की महिला मोर्चा के नेताओं की एक तथ्यान्वेषी दल ने स्वतंत्र जांच शुरू कर दी है.

बहरहाल मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस अधीक्षक ने एक प्रेसवार्ता का आयोजन कर दिया कि शुरुआती जांच के आधार पर पुलिस ने धर्म परिवर्तन के पहलू को नकार दिया है. न्यायाधीश ने कहा कि जांच को लेकर पुलिस का प्रयास बहुत हद तक बेपटरी दिख रहा है. इसे देखते हुए ही छात्रा के पिता ने जांच हस्तांतरित करने के लिए याचिका दायर की.

पुलिस और न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान में छात्रा ने सीधे और स्पष्ट रूप से छात्रावास के वार्डन पर आरोप लगाया है कि वह उसे गैर-शैक्षणिक काम देती थीं. छात्रा ने जहरीला कीटनाशक पदार्थ पी लिया था. इसके बाद आरोपी वार्डन सिस्टर साघयामेरी को गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस मामले में शिक्षा मंत्री के अलावा दो और मंत्रियों ने इसी तरह की राय व्यक्त कर धर्म परिवर्तन की आशंका को करीब-करीब नकार चुके हैं.

न्यायाधीश ने कहा कि शिक्षा विभाग ने भी एक बयान जारी करके स्कूल प्रबंधन को धर्म परिवर्तन के आरोपों से मुक्त कर दिया है.

एनसीपीसीआर दल ने अधिकारियों से मुलाकात की

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के ‘तथ्य अन्वेषण दल’ ने तंजावुर में हाल ही में नाबालिग लड़की की आत्महत्या के संबंध में जिला अधिकारियों और अन्य लोगों से सोमवार को मुलाकात की.

एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय दल ने जिले के उस स्कूल का भी दौरा किया जहां पीड़ित लड़की पढ़ाई कर रही थी.

कानूनगो ने इससे पहले अनुरोध किया था कि जो इस मुद्दे के संबंध में ‘तथ्य अन्वेषण दल’ की मदद करना या कोई सूचना देना चाहता है तो वह उनसे यहां रेलवे अधिकारियों के गेस्ट हाउस में मिल सकता है, जहां सोमवार को बैठकें हुईं.

बंद कमरे में हुई बैठक में एनसीपीसीआर दल ने जिला पुलिस प्रमुख, पोस्टमार्टम करने वाले सरकारी चिकित्सकों, स्थानीय ग्रामीणों, स्कूल के प्रतिनिधियों और स्कूल के कुछ मौजूदा और भूतपूर्व छात्रों से मुलाकात की.

उन्होंने बाद में उस स्कूल का भी दौरा किया जहां लड़की पढ़ रही थी.

इस बीच महिला मोर्चा की अध्यक्ष एवं विधायक वी. श्रीनिवासन ने मामले की सीबीआई जांच कराने के फैसले का सोमवार को स्वागत किया.

विधायक ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने वह विश्वास खो दिया है, जो लोगों का उन पर था और मांग की कि राज्य सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून लाए.

अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन के बिना आगामी स्थानीय निकाय चुनाव में अकेले उतरने के भाजपा के फैसले पर, श्रीनिवासन ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई पहले ही इस संबंध में एक घोषणा कर चुके हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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