जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार को यूजीसी का अध्यक्ष बनाया गया

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, एम. जगदीश कुमार को पांच साल की अवधि के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वहीं, जेएनयू के छात्र संघ और शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय के कुलपति को यूजीसी का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि कुमार को सरकार का एजेंडा लागू करने के लिए पुरस्कृत किया गया है.

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जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार. (फोटो: पीटीआई)

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, एम. जगदीश कुमार को पांच साल की अवधि के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वहीं, जेएनयू के छात्र संघ और शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय के कुलपति को यूजीसी का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि कुमार को सरकार का एजेंडा लागू करने के लिए पुरस्कृत किया गया है.

जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम. जगदीश कुमार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, कुमार को पांच साल की अवधि के लिए उच्च शिक्षा नियामक संस्था का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने एम. जगदीश कुमार को पांच साल की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु का होने तक यूजीसी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया है.’

प्रोफेसर डीपी सिंह ने 65 वर्ष की आयु पूरी हो जाने पर यूजीसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद सात दिसंबर 2021 से यह पद खाली था. सिंह ने 2018 में यूजीसी अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था. यूजीसी के उपाध्यक्ष का पद भी रिक्त है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नितिन आर. करमलकर और इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलरेटर सेंटर (आईयूएसी) के निदेशक प्रोफेसर अविनाश चंद्र पांडेय को भी यूजीसी अध्यक्ष पद के लिए चुना गया था, जो पिछले दिसंबर में प्रोफेसर डीपी सिंह के 65 वर्ष की उम्र में इस्तीफा देने के बाद खाली हो गया था.

पिछले वर्ष पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद 60 वर्षीय एम. जगदीश कुमार वर्तमान में विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं.

जेएनयू के कुलपति के तौर पर कुमार का पांच साल का कार्यकाल पिछले साल जुलाई में ही खत्म हो गया था, लेकिन अगला कुलपति चुने जाने तक उन्हें पद पर बने रहने के लिए कहा गया था. शिक्षा मंत्रालय ने अब तक जेएनयू में उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति नहीं की है.

कुमार ने कहा, ‘निश्चित तौर पर यह चुनौतीपूर्ण होगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना मेरी प्राथमिकता होगी. जितनी जल्दी इसका क्रियान्वयन होगा हमारे लिए उतना बेहतर होगा. शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए मैं देशभर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से मुलाकात करूंगा. इसमें बहुविषयक पाठ्यक्रम जैसे पहलू हैं, इसलिए हम इन पर काम करेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘सरकार ने हाल के बजट में एक डिजिटल विश्वविद्यालय की घोषणा की है. सभी के लिए शिक्षा को सुलभ करने के वास्ते डिजिटल तकनीक पर काम करना भी मेरी प्राथमिकताओं की सूची में होगा.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अपनी नियुक्ति के बाद जारी एक बयान में कुमार ने कहा, ‘यूजीसी के अध्यक्ष के रूप में यह मेरे लिए उच्च शिक्षा संस्थानों में हमारे देश के युवा दिमागों के लिए काम करने का एक शानदार अवसर है. मेरा ध्यान राष्ट्रीय शिक्षा नीति का तेजी से कार्यान्वयन, उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार को सक्षम करने तथा उच्च शिक्षा को प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अधिक समावेशी और सुलभ बनाने पर है. मैं देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों, शिक्षकों और प्रमुखों के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं.’

कुमार की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में परिकल्पित भारत के उच्च शिक्षा आयोग को शुरू करने के लिए संघर्ष कर रही है. उच्च शिक्षा आयोग में यूजीसी और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) जैसे मौजूदा नियामक निकायों को शामिल करने की उम्मीद है.

इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग और संबंधित क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले कुमार ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास से एमएस (ईई) और पीएचडी (ईई) की डिग्री प्राप्त की है. उन्होंने पहले आईआईटी खड़गपुर में सहायक प्रोफेसर और आईआईटी दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम किया है.

आईआईटी मद्रास के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के पूर्व छात्र रहे कुमार को जनवरी 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा जेएनयू का कुलपति के बनाया था. कुमार तब आईआईटी-दिल्ली के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे.

विवादों से भरा रहा है कुलपति का कार्यकाल

एम. जगदीश कुमार का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है. उनकी नियुक्ति के कुछ ही दिनों बाद जेएनयू में एक बड़ा विवाद हुआ, जब दिल्ली पुलिस ने 9 फरवरी 2016 को संसद हमले के दोषी अफ़ज़ल गुरु की फांसी के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम के दौरान देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में छात्र नेताओं के एक समूह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के साथ ही उन्हें गिरफ्तार किया था.

अक्टूबर 2017 में जेएनयू में एमएससी के छात्र नजीब अहमद के आरएसएस से जुड़े एबीवीपी के कुछ छात्रों के साथ कथित रूप से हाथापाई करने के एक दिन बाद कैंपस से लापता होने के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. नजीब का अब तक कुछ पता नहीं चल सका है.

नवंबर 2019 में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान परिसर में तीन घंटे से अधिक समय तक फंसे रहे, क्योंकि शुल्क वृद्धि के खिलाफ परिसर में विरोध प्रदर्शन हुआ था.

जनवरी 2020 में विरोध प्रदर्शन जारी रहने के साथ जेएनयू परिसर अभूतपूर्व हिंसा का स्थल बना, जब नकाबपोश पुरुषों और महिलाओं ने लाठी डंडों के साथ छात्रों पर हमला कर दिया, जिससे कई गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

जेएनयू छात्र संघ ने जगदीश कुमार की नियुक्ति पर सवाल उठाया

इधर, जेएनयू के छात्र संघ और शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय के कुलपति एम. जगदीश कुमार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने पर शुक्रवार को सवाल उठाया और आरोप लगाया कि कुमार को ‘सरकार का एजेंडा लागू करने के लिए पुरस्कृत किया गया है.’

जेएनयू शिक्षक संघ की सचिव मौसमी बसु ने कहा कि वह इस फैसले से अंचभित हैं. उन्होंने सवाल किया कि क्या यूजीसी का अध्यक्ष नियुक्ति किए जाने के लिए कोई अन्य शिक्षाविद उपयुक्त नहीं पाया गया?

वहीं, जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष ओईशी घोष ने ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘पिछले छह साल में जेएनयू की बर्बादी के बाद एम. जगदीश कुमार यूजीसी के अध्यक्ष बनने को तैयार हैं. कुमार, संस्थानों को ध्वस्त करने के विशेषज्ञ हैं. बिल्कुल इसी वजह से भाजपा सरकार ने उन्हें इस पद के लिए चुना है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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