टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने गुरुवार को लोकसभा में पीठासीन अधिकारी रमा देवी द्वारा उन्हें भाषण पूरा करने के लिए तय समय न देने और उन्हें बीच में रोकने का आरोप लगाया था. अब महुआ का नाम लिए बिना लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि पीठासीन अध्यक्ष पर सदन के बाहर टिप्पणी करना सही नहीं है.
नई दिल्लीः तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा के लोकसभा में उनका भाषण पूरा करने के लिए तय समय नहीं दिए जाने के आरोप के एक दिन बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने लोकसभा सांसदों से अध्यक्षपीठ के बारे में सदन के अंदर और बाहर टिप्पणी करने से बचने का आग्रह किया.
हालांकि, उन्होंने महुआ मोइत्रा के नाम का उल्लेख नहीं किया.
बिड़ला का बयान टीएमसी सांसद मोइत्रा के उस आरोप के बाद आया है, जिसमें उन्होंने भाजपा सांसद और लोकसभा में पीठासीन अधिकारी रमा देवी पर आरोप लगाया था कि उन्हें तय समय के भीतर सदन में अपना भाषण पूरा नहीं करने दिया गया.
रिपोर्ट के अनुसार, बिड़ला ने कहा, ‘यह संसदीय लोकतंत्र की मर्यादा है और मुझे उम्मीद है कि आप सभी इससे सहमत होंगे. मैंने पिछले कुछ दिनों में हुई घटनाओं पर गंभीरता से संज्ञान लिया है. मैं सभी सदस्यों से आग्रह करना चाहता हूं कि पीठासीन अध्यक्ष पर विशेष रूप से सदन के बाहर सोशल मीडिया या मीडिया के जरिये टिप्पणी करना सही नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘माननीय सदस्यों, मैं आपके ध्यान में यह विषय लाना चाहता हूं कि चाहे सदन के भीतर हो या बाहर, पीठासीन अध्यक्ष पर टिप्पणी करना सदन की मर्यादा के लिए सही नहीं है.’
उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा बहुत उच्च कोटि की है. उन्होंने जोर दिया कि लोकसभा अध्यक्ष के पास संवैधानिक अधिकार है और इस कुर्सी पर आसीन शख्स नियमों के दायरे में सदन चलाने के लिए हमेशा निष्पक्ष रहने की कोशिश करता है.
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में जहां मतभेद पैदा होते हैं, सदस्य हमेशा इस बार में बात करने के लिए उनके चेंबर में आ सकते हैं.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बिड़ला महुआ मोइत्रा के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकते हैं. हालांकि, यह भी कहा गया कि उन्हें चेतावनी देकर छोड़ा जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि महुआ ने भाषण बीच में रोकने के तुरंत बाद पीठासीन अधिकारी का विरोध किया और अपने भाषण को सदन के बाहर मीडिया की मौजूदगी में पूरा पढ़ा.
इसके बाद उन्होंने सिलसिलेवार कई ट्वीट कर आरोप लगाया कि पीठासीन अधिकारी ने उन्हें दिए गए 13 मिनट से पहले ही उन्हें बीच में रोक दिया था.
महुआ ने आरोप लगाते हुए सवालिया लहजे में पूछा था, ‘क्या अध्यक्ष की कुर्सी बैठे हुए व्यक्ति को मुझे यह बताने का कोई अधिकार है कि मुझे अपना भाषण कैसे देना चाहिए! वो मुझसे कहती हैं कि इतने गुस्से से मत बोलिए. हम गुस्से से बोलें या प्यार से बोलें ये मेरा मसला है, मेरी टोन है. अगर सरकार कुछ कर रही है और हमें अपने बैठकर गुस्से को भी नियंत्रण में रखना पड़ रहा है, तो मैं समझती हूं कुछ बाकी ही नहीं रहा है.’
उन्होंने कहा कि वह दरअसल कृषि कानून, पेगासस, बीते कुछ सालों में भारतीय लोकतांत्रिक मानकों में गिरावट को लेकर भाषण दे रही थीं.
बिड़ला के इस बयान के बाद द वायर से बात करते हुए मोइत्रा ने कहा, ‘मेरा अर्थ उनके आसन का अनादर करने से नहीं है. अच्छा होता वह अपना रोष कुछ अधिक महत्वपूर्ण चीजों के लिए रखते. अगर वह सच में निष्पक्ष होते तो महत्वपूर्ण चीजों पर अपना रोष दिखाते और विपक्ष को पेगासस पर चर्चा करने देते, विपक्षी नेताओं को कृषि बिल पर बोलने देते.’
मोइत्रा ने कहा, ‘और जब उन्होंने विपक्ष के नेता को अपने बात रखने के लिए तेरह मिनट का समय दिया था तो उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि जो भी पीठासीन अधिकारी है, वह अपनी बात रखने वाले को यह कहकर बाधित नहीं करे कि उनके भाषण की टोन कैसी होनी चाहिए, फिर चाहे वह शख्स गुस्से या फिर प्यार में क्यों ना अपनी बात रखे. मैं उन्हें सलाह दूंगी कि वह विवेक से इस मामले पर गौर करें और यह देखें कि क्या वह अपने पद के साथ न्याय कर पा रहे हैं या नहीं.’
महुआ ने यह भी कहा कि दिल्ली दंगों और 2020 में कोरोना महामारी पर चर्चा की अनुमति नहीं देने के बाद सदन में उत्पन्न व्यवधान को लेकर इसी तरह की ‘पीड़ा’ के चलते उन्होंने (बिड़ला) लगातार दो दिनों तक लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया था.
उन्होंने द वायर को बताया, ‘इसके बाद सभी संसदीय दलों के नेताओं को उनके चेंबर में जाकर उनके प्रति अपनी निष्ठा दिखाते हुए उन्हें बताया था कि वह सदन के कोहिनूर हैं. सभी नेताओं ने उसने वापस आने का अनुरोध किया था. इसलिए उन्होंने आज जो कहा है, वह कुछ नया नहीं है. कम से कम मेरे छोटे से संसदीय करिअर में यह दूसरी या तीसरी बार है जब मैंने उन्हें यह कहते सुना है.’
महुआ ने लोकसभा में राहुल गांधी के हालिया भाषण के दौरान भाजपा नेताओं द्वारा उन्हें टोके जाने पर बिड़ला के कोई कार्रवाई न करने का उल्लेख करते हुए कहा, ‘यह सदन विपक्ष का भी है. जब सदन के भीतर लोकतंत्र का गला घोंटा जाता है तो स्पीकर को तब भी उतना ही दर्द होना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘जब राहुल गांधी के भाषण के दौरान भाजपा नेता उन्हें टोक रहे थे और जब अलग-अलग अवसरों पर वे विपक्षी नेताओं के भाषण में व्यवधान उत्पन्न करते रहते हैं, वे (बिड़ला) कहते रहते हैं कि ‘ये सब तो चलता ही रहता है, छोटी बातें हैं’.
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