मध्य प्रदेश में सूखा पीड़ित किसानों के कपड़े उतरवाकर पुलिस ने पीटा

टीकमगढ़ ज़िले में कांग्रेस के ‘खेत बचाओ-किसान बचाओ’ आंदोलन के दौरान किसान और कार्यकर्ताओं पर पुलिस का लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले छोड़े.

टीकमगढ़ ज़िले में कांग्रेस के ‘खेत बचाओ-किसान बचाओ’ आंदोलन के दौरान किसान और कार्यकर्ताओं पर पुलिस का लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले छोड़े.

Tikamgarh Farmers Protest Brajesh Rajpoot
टीकमगढ़ थाने में लाए गए किसान. (फोटो साभार: ब्रजेश राजपूत/ट्विटर)

बीते मंगलवार को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में ज़िले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर किसानों का प्रदर्शन उग्र हो गया. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, ज़िले को सूखाग्रस्त घोषित करने के अलावा दूसरी कई मांगों को लेकर किसान कलेक्टर को ज्ञापन देने की मांग कर रहे थे.

इस बीच किसानों की पुलिस से झड़प हुई और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. रिपोर्ट के अनुसार, इसके कुछ देर बाद वापस जा रहे किसानों की दो ट्रालियां पुलिस ने रोक लीं और उन्हें थाने ले आए.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार ज़िले के दुनातर गांव से आए रतिराम ने बताया, ‘हम गांव लौट रहे थे तो पुलिस हमें थाने लाई और कपड़े उतरवाकर जमकर पीटा. करीब एक घंटे बाद पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह समर्थकों के साथ थाने आए और हमें छुड़वाया.’

पुलिस द्वारा किसानों के कपड़े उतरवाकर पीटे जाने की घटना को लेकर दैनिक भास्कर से बातचीत में एसपी कुमार प्रतीक ने कहा, ‘किसानों को पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था. बाद में उन्हें छोड़ दिया गया. अगर ऐसी कोई घटना हुई है तो मामले की जांच कराई जाएगी.’

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दैनिक भास्कर में प्रकाशित रिपोर्ट.

वहीं दैनिक भास्कर से बातचीत में कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल ने कहा, ‘प्रदर्शन में एक भी किसान घायल नहीं है. मैंने जांच के लिए एसडीएम को मौके पर भेजा था.’

आंदोलन कर रहे इन किसानों की प्रमुख मांगें…

1. ज़िले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए.
2. ख़राब फसलों का मुआवज़ा दिया जाए.
3. ज़्यादा बिजली के बिल की माफ किए जाएं.
4. फसल बीमा की राशि खातों में डाली जाए.

‘खेत बचाओ-किसान बचाओ’ नाम के इस आंदोलन का आह्वान कांग्रेस की ओर से किया गया था. किसानों के साथ कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ता कलेक्टर को ज्ञापन देने की कोशिश कर रहे थे.

राजस्थान पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, ज़िला प्रशासन द्वारा ज्ञापन लेने में की गई लेटलतीफी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर बल प्रयोग की वजह से स्थिति बिगड़ गई.

रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेसियों ने पथराव कर दिया जिसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज करने के अलावा आंसू गैस के गोले भी छोड़े.

दरअसल कलेक्ट्रेट पर पुलिस सुरक्षा के इंतज़ाम पहले से ही किए गए थे. बैरिकेड लगाए गए थे. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बैरिकेड पारकर कलेक्ट्रेट में घुसने की कोशिश की थी जिसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया था.

सरकार ने दिए जांच के आदेश

मामले में कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि टीकमगढ़ ज़िले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर यहां कांग्रेस के साथ मिलकर प्रदर्शन कर रहे 25 किसानों की देहात पुलिस थाने में कथित तौर पर कपड़े उतार कर पुलिस ने कल शाम जमकर पिटाई कर दी.

वहीं, जिला कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल ने इन आरोपों को निराधार बताया और कहा कि पुलिस ने उनसे मारपीट नहीं की है. इसी बीच, इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने बुधवार को पुलिस महानिदेशक को इस मामले की जांच करवाकर रिपोर्ट तीन दिन में देने के निर्देश दिए हैं.

कांग्रेस नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह ने बुधवार को आरोप लगाया, ‘टीकमगढ़ ज़िले में इस साल कम वर्षा हुई है. मंगलवार को कांग्रेस के साथ मिलकर किसान टीकमगढ़ ज़िले को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए कलेक्टर को ज्ञापन देने गए थे.’

उन्होंने बताया कि ज्ञापन देने के तुरंत बाद हमारे पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसूगैस के गोले छोड़े. इसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हुए. इसके बाद जब प्रदर्शनकारी किसान अपने घर वापस जा रहे थे, तब पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. यही नहीं, पुलिस से उन राहगीर किसानों को भी हिरासत में ले लिया, जो इस प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए थे.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘इसके बाद पुलिस इन किसानों को देहात पुलिस थाना ले गई और लॉकअप में बंद कर दिया. फिर पुलिस ने किसानों को अर्द्धनग्न किया और जमकर उनकी पिटाई कर दी.

वहीं इन आरोपों का खंडन करते हुए ज़िला कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल ने बताया, ‘मैंने मीडिया पर किसानों की इन तस्वीरों को देखा है, लेकिन यह जांच का विषय है कि इन किसानों ने ख़ुद ही अपने कपड़े उतारे अथवा पुलिस ने इनके पकड़े उतारे.’ अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि पुलिस ने किसानों की पिटाई नहीं की है.

इसी बीच, देहात पुलिस थाना प्रभारी आरपी चौधरी ने बताया, ‘किसके कहने पर इन किसानों को हिरासत में लिया गया, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. मैं फील्ड ड्यूटी पर था. जब मैं थाने पहुंचा तो मैंने इन किसानों को छोड़ दिया था. मैं नहीं जानता कि इन किसानों के कपड़े कैसे और किसने उतारे.’

इसी बीच, इस घटना को लेकर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने आनन-फानन में भोपाल में अपने निवास पर बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बुधवार को बताया, ‘पुलिस महानिदेशक को इस मामले की जांच करवाने के आदेश दिए गए हैं. तीन दिन के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया है. यह जांच का मामला है कि किसानों ने ख़ुद ही अपने कपड़े उतारे अथवा पुलिस ने उनके कपड़े उतारे.’

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस मामले को गंभीर बताया है. उन्होंने कहा कि जांच के बाद अगर कोई अधिकारी दोषी पाया जाता है तो उसके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी.

हालांकि, सिंह ने जोर देकर बताया, पुलिस थाने में किसी भी किसान की पिटाई नहीं की गई है.

टीकमगढ़ को सूखाग्रस्त घोषित किए जाने की मांग को लेकर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के सूखाग्रस्त ज़िलों की पहचान कर रही है और इस संबंध में संबंधित ज़िला कलेक्टर अपने-अपने ज़िलों में सर्वेक्षण कर रहे हैं.

किसानों की पिटाई पर कांग्रेस नेता कमलनाथ ने मुख्यमंत्री चौहान पर निशाना साधते हुए कहा, ‘किसान पुत्र की सरकार में मंदसौर कांड के जख़्म अभी सूखे नहीं और अब टीकमगढ़ में किसानों पर बर्बरता की गई है. शिवराज ने दमन में अंग्रेज़ों को भी पीछे छोड़ दिया है.’

उधर लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, ‘सरकार लगातार किसानों की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है. मैं इस कृत्य की कड़ी निंदा कर दोषी अधिकारियों पर सख़्त कार्यवाही की मांग करता हूं.

उन्होंने कहा कि टीकमगढ़ में शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे किसानों को बिना कपड़ों के पुलिस लॉकअप में बंद करने की शर्मनाक घटना की वह कड़े शब्दों में निंदा करते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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