बसपा ने महराजगंज की नौतनवा सीट से अमनमणि त्रिपाठी को टिकट दिया है. उन पर उनकी पत्नी सारा की हत्या का आरोप है, जिसमें वे ज़मानत पर बाहर हैं. अमनमणि के माता-पिता साल 2003 के बहुचर्चित मधुमिता हत्याकांड में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं. सारा की मां सीमा और मधुमिता की बहन निधि अमनमणि को टिकट देने का विरोध कर रही हैं.
लखनऊः उत्तर प्रदेश में पिछले कई दिनों से दो महिलाएं विभिन्न राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर और उनके कार्यालय जाकर गुहार लगा रही थीं कि नौतनवा विधायक और एक हत्या के आरोपी अमनमणि त्रिपाठी को टिकट नहीं दिया जाए.
हालांकि, इसी बीच गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अमनमणि त्रिपाठी को महराजगंज के नौतनवा से टिकट दे दिया. त्रिपाठी ने इसी सीट से 2017 में निर्दलीय के रूप में जीत दर्ज की थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, त्रिपाठी का विरोध कर रही ये महिलाएं निधि शुक्ला (34) और सीमा सिंह (65) हैं. उन्हें टिकट मिलने को ये दोनों न्याय के लिए उनकी लड़ाई के लिए एक और झटके के तौर पर देख रही हैं.
मालूम हो कि त्रिपाठी पर 2015 में अपनी पत्नी सारा की हत्या का आरोप लगा था. इस मामले में त्रिपाठी जमानत पर बाहर हैं. सारा, सीमा सिंह की बेटी थीं. वहीं, त्रिपाठी के माता-पिता अमरमणि और मधुमणि त्रिपाठी 2003 में निधि की बड़ी बहन मधुमिता शुक्ला की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.
सीमा सिंह का कहना है, ‘नेताओं को लिखे पत्र में मैंने कहा कि अगर अमनमणि और उसके माता-पिता जैसे लोग सत्ता में आते हैं तो यह समाज और लोगों के लिए नुकसानदेह होगा.’
वहीं, निधि शुक्ला का कहना है, ‘मैंने भाजपा, समाजवादी पार्टी और निषाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की और अमनमणि को टिकट नहीं देने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने कोई वादा नहीं किया. एक हफ्ते पहले पता चला कि अमनमणि बसपा के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और बसपा ने उन्हें नौतनवा सीट से टिकट देने का वादा किया है.’
शुक्ला ने कहा, ‘मैं तभी से बसपा नेताओं से मिलने का प्रयास कर रही थी लेकिन नहीं मिल सकी. दो दिन पहले मुझे पता चला कि सीमा सिंह भी अमनमणि को टिकट दिए जाने पर आपत्ति जता रही है इसलिए मैंने उससे संपर्क किया.’
इसका विरोध करने के लिए गुरुवार सुबह दोनों लखनऊ में बसपा के मुख्यालय पहुंची.
शुक्ला ने कहा, ‘हमने वहां आग्रह किया कि मायावती, सतीश मिश्रा और मेवालाल गौतम सहित पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता से हमारी मुलाकात कराने की व्यवस्था करें लेकिन वहां मौजूदा लोगों ने कहा कि वे हमारी कोई मदद नहीं कर सकते. हमने पार्टी कार्यालय के बाहर मौक विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया लेकिन बाद में पुलिस ने हमें वहां से हटने को कहा.’
बता दें कि नौतनवा सीट पर तीन मार्च को चुनाव है और यहां पर लगभग 3.5 लाख मतदाता हैं. इस सीट पर ओबीसी और अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों का वर्चस्व है और उनकी संख्या 52,000 और 55,000 है. यहां लगभग 42,000 मुस्लिम मतदाता भी हैं.
बता दें कि 2012 में अमनमणि ने इसी सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और हार गए थे. हालांकि, वह 2017 में इसी सीट पर सपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कुंवर कौशल किशोर सिंह से 32,256 वोटों से जीते थे.
नौतनवा सीट से निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे वीरेंद्र ने कहा, ‘पिछले विधानसभा चुनाव में अमनमणि अपने माता-पिता के साथ जेल में थे. उनके चाचा और बहनों सहित उनके परिवार के सदस्यों ने हाथ जोड़कर लोगों से मदद की गुहार लगाई थी. इस वजह से सहानुभूति वोटों की मदद से अमनमणि जीत गए थे.’
मालूम हो कि इस सीट से एक बार फिर सपा ने किशोर सिंह को टिकट दिया है. कांग्रेस की ओर से सदा मोहन और निषाद पार्टी की ओर से ऋषि चुनावी मैदान में हैं. आम आदमी पार्टी ने भी इस सीट से अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा है.
बसपा के प्रवक्ता फैजान खान का कहना है कि पार्टी समिति ने अमनमणि को टिकट दिए जाने का फैसला किया था.
उन्होंने कहा, ‘निधि शुक्ला और सीमा सिंह का मामला उनका पारिवारिक मामला है. पार्टी का उनके मामले से कोई लेना-देना नहीं है.’
फरवरी 2017 में सीबीआई ने अमनमणि के खिलाफ दायर चार्जशीट में उन्हें ‘सुनियोजित तरीके से 2015 में सारा की गला घोंटकर हत्या करने का दोषी’ ठहराया था.
सारा फिरोजाबाद जिले में रहस्य परिस्थितियों में मृत पाई गई थी जबकि अमनमणि का दावा था कि उनकी कार का नई दिल्ली जाते समय एक्सीडेंट हो गया था.
उस समय दोनों की शादी को दो साल हो चुके थे. बाद में जांच में पता चला कि अमनमणि ने सारा को शारीरिक यातना दी थी.
वहीं, नौ अप्रैल 2003 को लखनऊ में मधुमिता शुक्ला को गोली मार दी गई थी. जांच में पता चला था कि वह हत्या के समय गर्भवती थी. वे उस समय बसपा सरकार में मंत्री रहे अमरमणि के साथ संबंध में थी.
त्रिपाठी और उनकी पत्नी ने विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए अपनी सजा का एक बड़ा हिस्सा गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बिताया है.
निधि शुक्ला को पुलिस द्वारा सुरक्षा भी मुहैया कराई गई है. शुक्ला का कहना है कि उसे लगातार धमकियां मिल रही हैं लेकिन इसके बावजूद वह हमेशा हर तारीख पर अदालत पहुंचने से नहीं चूकती.
वे कहती हैं, ‘मैं एक ताकतवर परिवार से लड़ रही हूं. इसकी वजह से मेरा निजी जीवन बर्बाद हो गया है.’ शुक्ला को डर है कि गाजियाबाद में सीबीआई की अदालत में केस की सुनवाई की वजह से अमनमणि और उनके पिता अमरमणि आसानी से गवाहों पर दबाव डाल सकते हैं.
वह कहती हैं कि उनका मुख्य काम यह सुनिश्चित करना है कि मामले में गवाह मुकर न जाएं और इसके लिए वह नियमित तौर पर सीबीआई अदालत जाती हैं.
अमनमणि को बसपा से टिकट दिए जाने पर निराश निधि शुक्ला और सीमा सिंह का कहना है कि फिलहाल उनकी अमनमणि के खिलाफ प्रचार करने की कोई योजना नहीं है.
निधि कहती हैं कि नौतनवा जाना मेरे लिए सुरक्षित नहीं होगा. वहीं, सिंह का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि कोई राष्ट्रीय पार्टी उनकी मदद को आगे आएगी.