सांसद, वकील, संपादक बोले- ‘मीडिया वन’ का लाइसेंस रद्द करना प्रेस की स्वतंत्रता पर पाबंदी

29 दिसंबर 2021 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ को सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार कर दिया और बीते 31 जनवरी को इसके प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था. समाचार चैनल के समर्थन में आए विभिन्न सांसदों, वकीलों, संपादकों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने केरल हाईकोर्ट के फैसले पर निराशा जताई और कहा कि उसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करने से इनकार कर दिया.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

29 दिसंबर 2021 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ को सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार कर दिया और बीते 31 जनवरी को इसके प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था. समाचार चैनल के समर्थन में आए विभिन्न सांसदों, वकीलों, संपादकों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने केरल हाईकोर्ट के फैसले पर निराशा जताई और कहा कि उसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करने से इनकार कर दिया.

(फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ के समर्थन में आए विभिन्न सांसदों, वकीलों, संपादकों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने सोमवार को कहा कि केंद्र द्वारा ‘अनिर्दिष्ट’ सुरक्षा कारणों से लाइसेंस रद्द किया जाना ‘भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर पाबंदी को दर्शाता है.’

उन्होंने इस मामले में केरल हाईकोर्ट के फैसले पर ‘निराशा’ जताई और कहा कि उसने सरकार द्वारा समाचार चैनल का लाइसेंस रद्द करने के फैसले को बदलने से और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करने से इनकार कर दिया.

उन्होंने संयुक्त रूप से जारी एक बयान में कहा, ‘केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ का फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीलबंद लिफाफे में सौंपे गए दस्तावेजों पर आधारित था. उस दस्तावेजों को मीडिया वन न्यूज के साथ साझा नहीं किया गया.’

एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही दो न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सभी ने आशा जताई है कि मौजूदा पीठ चैनल की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करेगी और उसका लाइसेंस पुन: बहाल करेगी.

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, द्रमुक नेता कणिमोई, तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा, शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी, राजद नेता मनोज कुमार झा, माकपा नेता एलामारम करीम, भाकपा नेता बिनय विस्वान, आरएसपी नेता एनके प्रेमचंद्रन, एआईयूडीएफ नेता बदरुद्दीन अजमल और आईयूएमएल नेता ईटी मोहम्मद बशीर उन सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किया है. इस बयान को एक संवाददाता सम्मेलन में सार्वजनिक किया गया.

संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वाले 42 प्रतिष्ठित लोगों में द हिंदू अखबार के चेयरमैन एन. राम, टेलीग्राफ के संपादक आर. राजगोपाल, द कारवां पत्रिका के कार्यकारी संपादक विनोद के. जोश और मीडिया वन के संपादक प्रमोद रमण, बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीजी कोल्से पाटिल, उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक केएस सुब्रमणियम और लेखक तुषार गांधी शामिल हैं.

मालूम हो को बीते सात फरवरी को केरल हाईकोर्ट ने मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ (MediaOne) के प्रसारण पर रोक लगाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा था कि गृह मंत्रालय का चैनल ‘मीडिया वन’ को सुरक्षा मंजूरी नहीं देना सही है.

अदालत ने कहा था कि मामला सुरक्षा से जुड़ा होने के कारण वह ऐसी कोई राहत नहीं दे सकती.

केंद्र सरकार द्वारा सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर कथित तौर पर समाचार चैनल का लाइसेंस रद्द करने की वजह से 31 जनवरी को चैनल का प्रसारण बंद हो गया था.

अदालत ने 31 जनवरी को केंद्र के आदेश पर दो दिन तक रोक लगा दी थी. दो फरवरी को उसे सात फरवरी तक बढ़ा दिया था और तब उसे फिर एक दिन के लिए और बढ़ा दिया था.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 30 सितंबर, 2011 को माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा शुरू किए गए मीडिया वन टीवी के लिए प्रसारण की अनुमति दी थी. 10 साल लंबी अनुमति 29 सितंबर, 2021 को समाप्त हो गई थी, इसलिए कंपनी ने पिछले साल मई में अगले 10 साल के लिए इसके नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था.

29 दिसंबर 2021 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार कर दिया और इस साल 5 जनवरी को मंत्रालय ने एक नोटिस जारी कर यह बताने के लिए कहा कि सुरक्षा मंजूरी से इनकार के मद्देनजर नवीनीकरण के लिए उसके आवेदन को खत्म क्यों नहीं किया जाना चाहिए?

इसके बाद मंत्रालय ने बीते 31 जनवरी को समाचार चैनल के प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था. इसके कुछ घंटों बाद चैनल के प्रबंधन ने हाईकोर्ट का रुख किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)