90 वर्षीय गायिका संध्या मुखर्जी को 60 और 70 के दशक की सबसे मधुर आवाज़ों में से एक माना जाता है. अपने करिअर में एसडी बर्मन, मदन मोहन, नौशाद, अनिल विश्वास और सलील चौधरी जैसे लोकप्रिय संगीत निर्देशकों के साथ काम करने के अलावा मुखर्जी ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बीते महीने उन्होंने पद्म सम्मान लेने से इनकार कर दिया था.
कोलकाता: बंगाल की मशहूर शास्त्रीय गायिका संध्या मुखर्जी का मंगलवार की शाम दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 90 वर्षीय गायिका संध्या मुखर्जी को 60 और 70 के दशक की सबसे मधुर आवाजों में से एक माना जाता था.
उन्होंने बांग्ला और लगभग एक दर्जन अन्य भाषाओं में हजारों गाने गाए हैं. आज भी हेमंत मुखर्जी के साथ उनके युगल गीत संगीत प्रेमियों द्वारा याद किए जाते हैं.
अपने करिअर में एसडी बर्मन, मदन मोहन, नौशाद, अनिल विश्वास और सलील चौधरी जैसे लोकप्रिय संगीत निर्देशकों के साथ काम करने वाली मुखर्जी का अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना सहित तमाम लोगों ने गायिका के निधन पर शोक जताया.
अस्पताल के अधिकारी ने बताया कि मुखर्जी का निधन मंगलवार शाम करीब साढ़े सात बजे (7:30 बजे) हुआ.
अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि तबीयत खराब होने के कारण मुखर्जी 27 जनवरी से ही अस्पताल में भर्ती थीं. उन्होंने बताया कि गायिका को रक्तचाप बढ़ाने की दवा दी जा रही थी, इसके बावजूद रक्तचाप गिरने के कारण मंगलवार दिन में उन्हें सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में ले जाया गया.
अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘शाम करीब साढ़े सात बजे (7:30 बजे) उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनकी मृत्यु हो गई. अनियमित धड़कन के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका.’
मुखर्जी के निधन पर शोक जताते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह राज्य के पूर्वोत्तर जिलों का अपना तीन दिवसीय दौरा बीच में ही खत्म कर गायिका के अंतिम संस्कार के लिए कोलकाता लौटेंगी. बनर्जी गायिका के काफी करीब हुआ करती थीं.
बनर्जी ने कहा कि गायिका के पार्थिव शरीर को बुधवार दोपहर से शाम पांच बजे तक ‘रविंद्र सदन’ में रखा जाएगा, ताकि उनके प्रशंसक अंतिम दर्शन कर सकें.
I used to look upto her as my elder sister and this is a grave personal loss to me. She used to be the moving spirit in our Sangeet Akademi and we had conferred upon her Bangabibhushan( 2011), Sangeet Mahasamman ( 2012) etc. (2/3)
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) February 15, 2022
बनर्जी ने कहा, ‘संध्या दी (दीदी) का अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. मैं कल (बुधवार) तक शहर लौटने का प्रयास करूंगी, जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख व्यक्ति करते हुए कहा, ‘गीतश्री संध्या मुखोपाध्याय जी का निधन हम सभी को अत्यंत दुखी कर गया. हमारी सांस्कृतिक दुनिया और गरीब हो गई. उनकी मधुर प्रस्तुतियां आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करती रहेंगी. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति.’
The passing away of Gitashree Sandhya Mukhopadhyay Ji leaves us all extremely saddened. Our cultural world is a lot poorer. Her melodious renditions will continue to enthral the coming generations. My thoughts are with her family and admirers in this sad hour. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 15, 2022
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मुखर्जी के निधन पर शोक जताया और अपने संदेश में कहा कि ‘गीतश्री’ संध्या मुखर्जी ने न सिर्फ पूरे प्रायद्वीप में ‘गानेर मुग्धता’ (गानों का जादू) बिखेरी, बल्कि बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में उनकी भूमिका को भी कभी भुलाया नहीं जा सकता.
During the liberation war Sandhya Mukherjee raised awareness about refugees crisis amid Pakistani atrocities in 1971 in then East Pakistan. She was one of the first foreign artists to visit Dhaka after Independence of the country in 1971.
Bangladesh PMO release: pic.twitter.com/JLWmuOQ22I
— Sidhant Sibal (@sidhant) February 15, 2022
भारत और बांग्लादेश में बांग्ला भाषा के लगभग सभी टीवी चैनल और रेडियो स्टेशन संध्या दीदी के गाने बजा रहे हैं और उनकी फिल्मों के क्लिप दिखा रहे हैं. गायिका के निधन की खबर फैलते ही सभी जगह उनके गाने बजाए और दिखाए जा रहे हैं.
कोलकाता में 1931 में जन्मीं मुखर्जी का निधन इस महीने संगीत जगत के लिए दूसरा बड़ा झटका है. कुछ ही दिन पहले स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन हुआ है.
संध्या मुखर्जी के परिवार में बेटी और दामाद हैं.
कोलकाता स्थित अपने आवास के बाथरूम में फिसलकर गिरने के एक दिन बाद उन्हें 27 जनवरी को सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
गायिका के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी और उनके विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, साथ ही गिरने के कारण बायें कूल्हे की हड्डी टूट गई थी. उनका इन बीमारियों का इलाज चल रहा था.
गायिका को ‘बंग बिभूषण’ और सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था. हालांकि उन्होंने इस साल गणतंत्र दिवस से पहले पद्म पुरस्कारों की घोषणा के लिए सरकार द्वारा संपर्क किए जाने पर पद्मश्री पुरस्कार स्वीकार करने से मना कर दिया था.
उनकी बेटी सौमी सेनगुप्ता ने पुरस्कार लेने से इनकार करते हुए कहा था, ‘90 साल की उम्र में उनके जैसी एक किंवदंती को पद्मश्री प्रदान करना बेहद अपमानजनक है.’
सेनगुप्ता ने कहा था, ‘इसमें कोई राजनीति नहीं है. वह किसी भी तरह की राजनीति से बहुत आगे हैं. कृपया इसमें कोई राजनीतिक कारण ढूंढने की कोशिश न करें. उन्होंने बस इसे लेकर अपमानित महसूस किया.’
मुखर्जी के निधन पर शोक जताते हुए हिन्दुस्तानी संगीत के उस्ताद अजय चक्रवर्ती ने कहा, ‘मेरे लिए यह व्यक्तिगत क्षति है. हमारे लिए वह मां समान थीं. मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि वह नहीं रहीं.’
टॉलीवुड की अनुभवी अभिनेत्री माधबी मुखर्जी ने भी गायिका संध्या मुखर्जी को अपनी बड़ी बहन की तरह बताया. मुखर्जी ने अभिनेत्री के लिए तमाम हिट गाने गाए हैं.
अभिनेत्री ने कहा, ‘मेरा उनके साथ अलग ही संबंध रहा है. कभी वह बड़ी बहन की तरह होतीं, कभी वह मेरे लिए मां की तरह होतीं. मुझे अभी भी याद है जब हम साथ काम करते थे.’
गायिका उषा उत्थुप ने कहा कि मुखर्जी से उन्हें जो लगाव, प्रेम और समर्थन मिला है वह उनके जीवन के सबसे अच्छे पलों में से हैं. उत्थुप ने कहा, ‘हमारे लिए वह मां जैसी थीं. मुझे उनसे जो प्रेम मिला है, वह मेरे जीवन के सबसे सुंदर पलों में शामिल है.’
मुखर्जी ने 1940 के दशक में संतोष कुमार बासु, एटी कन्नान और चिन्मय लाहिरी से संगीत सीखना शुरू किया. उन्होंने पटियाला घराने में अपना औपचारिक प्रशिक्षण उस्ताद बड़े गुलाम अली खान के मातहत किया. उनकी देख-रेख में उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखा.
मुखर्जी ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और तमाम अन्य कलाकारों के साथ मिलकर भारत में शरण ले रहे पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के एक करोड़ नागरिकों के लिए धन जुटाया था. उन्होंने कोलकाता में निर्वासन में बनी बांग्लादेश की सरकार द्वारा शुरू किए गए रेडियो ‘स्वाधीन बांग्ला बेतार केंद्र’ पर भी गीत गाए.
जब बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान 1972 में बांग्लादेश लौटे, तो उनका स्वागत मुखर्जी द्वारा गाए गए एक गीत से किया गया, जो स्वाधीन बांग्ला बेतार केंद्र पर बजाया गया था.
उन्होंने 1950 के दशक की शुरुआत में एक पार्श्व गायिका के रूप में अपना करिअर शुरू किया था.
देश की सीमाओं को पार दुनिया भर में लाखों बंगालियों के लिए मुखर्जी ‘रोमांस के एक युग’ की आवाज थीं, जिसमें उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन जैसे सितारों ने राज किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)