कर्नाटक: सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के स्कूलों में हिजाब, भगवा गमछे पर प्रतिबंध लगाया

कर्नाटक सरकार द्वारा हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाले स्कूलों और कॉलेजों और मौलाना आजाद मॉडल इंग्लिश मीडियम स्कूलों में भगवा शॉल, स्कार्फ, हिजाब पहनना या कोई अन्य धार्मिक झंडे को रखना प्रतिबंधित है.

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(फाइल फोटो: पीटीआई)

कर्नाटक सरकार द्वारा हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाले स्कूलों और कॉलेजों और मौलाना आजाद मॉडल इंग्लिश मीडियम स्कूलों में भगवा शॉल, स्कार्फ, हिजाब पहनना या कोई अन्य धार्मिक झंडे को रखना प्रतिबंधित है.

16 फरवरी को उडुपी के पीयू कॉलेज की छात्राएं. (फोटो: पीटीआई)

बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने बृहस्पतिवार को आदेश दिया कि राज्य के मौलाना आजाद मॉडल इंगलिश मीडियम के स्कूलों सहित अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भगवा गमछे, हिजाब नहीं पहनना चाहिए या कोई धार्मिक झंडा नहीं रखना चाहिए.

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, हज और वक्फ विभाग के सचिव मेजर मणिवन्नन पी. द्वारा जारी एक परिपत्र में कहा गया है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में अगले आदेश तक सभी छात्रों को कक्षा के भीतर भगवा शॉल, गमछे हिजाब पहनने से रोक दिया है.

आदेश में कहा गया, ‘उच्च न्यायालय का आदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाले आवासीय विद्यालयों, महाविद्यालयों, मौलाना आजाद आदर्श अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों पर लागू है. इस पृष्ठभूमि में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाले स्कूलों और कॉलेजों और मौलाना आजाद मॉडल इंग्लिश मीडियम स्कूलों में भगवा शॉल, स्कार्फ, हिजाब पहनना या किसी अन्य धार्मिक झंडे को रखना प्रतिबंधित है.’

पिछले हफ्ते उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बुर्का और हिजाब पहनकर आई हुई अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को स्कूलों और कॉलेजों में प्रवेश नहीं दिए जाने से शैक्षणिक संस्थानों में तनाव के बीच यह आदेश आया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने गुरुवार को कहा कि सभी स्कूल ठीक से चल रहे हैं और केवल दो या तीन संस्थानों में छात्राओं को हिजाब पहनने पर परिसरों में प्रवेश से वंचित करने की घटनाएं सामने आई हैं.

हालांकि, गुरुवार को राज्य भर से स्कूलों और कॉलेजों के बाहर ऐसी कई घटनाएं सामने आईं.

मांड्या पीईएस कॉलेज के बाहर पुलिस ने कथित तौर पर हिजाब में छात्रों को सीआरपीसी धारा 144 के तहत जारी निषेधाज्ञा के उल्लंघन के लिए तितर-बितर होने के लिए कहा गया. छात्र यह तर्क देते हुए कि उच्च शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया था कि डिग्री कॉलेजों के लिए कोई ड्रेस कोड नहीं है, उन्हें प्रवेश से वंचित करने का विरोध कर रहे थे.

वहीं, शिवमोगा जिला प्राधिकार द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत जारी निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

इन लोगों ने मुस्लिम लड़कियों को पीयू कॉलेज परिसर में बुर्का नहीं पहनने देने के लिए जिला मुख्यालय में पीयू कॉलेज अधिकारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.

चिक्कमंगलुरु गवर्नमेंट पीयू कॉलेज में एक अभिभावक की प्राचार्य के साथ प्रवेश न देने को लेकर बहस हो गई, जिन्होंने कहा कि वह केवल अदालत के आदेशों का पालन कर रहे हैं.

हासन में हिजाब को लेकर कॉलेज में प्रवेश नहीं दिए जाने को लेकर धरना दे रहे छात्रों का पुलिस से विवाद हो गया. बेल्लारी और कोडागु सहित अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह के विरोध की सूचना मिली है. बेलगावी जिले में पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे कुछ युवकों को एहतियातन हिरासत में ले लिया.

गौरतलब है कि हिजाब का विवाद कर्नाटक के उडुपी जिले के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में सबसे पहले तब शुरू हुआ था, जब छह लड़कियां पिछले साल दिसंबर में हिजाब पहनकर कक्षा में आईं और उनके जवाब में महाविद्यालय में हिंदू विद्यार्थी भगवा गमछा पहनकर आने लगे.

धीरे-धीरे यह विवाद राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया, जिससे कई स्थानों पर शिक्षण संस्थानों में तनाव का महौल पैदा हो गया और हिंसा हुई. इस विवाद के बीच एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर करके कक्षा के भीतर हिजाब पहनने का अधिकार दिए जाने का अनुरोध किया था.

याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई है कि हिजाब (सिर पर दुपट्टा) पहनना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत एक मौलिक अधिकार है और यह इस्लाम की एक अनिवार्य प्रथा है.

हिजाब के मुद्दे पर सुनवाई कर रही कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने 10 फरवरी को मामले का निपटारा होने तक छात्रों से शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में धार्मिक कपड़े पहनने पर जोर नहीं देने के लिए कहा था. इस फैसले के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

इस पर तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी को कहा था कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और कर्नाटक हाईकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ‘उचित समय’ पर विचार करेगा, जिसमें विद्यार्थियों से शैक्षणिक संस्थानों में किसी प्रकार के धार्मिक कपड़े नहीं पहनने के लिए कहा गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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