पीआईबी दिशानिर्देशों के ख़िलाफ़ पत्रकार, कहा- मान्यता देना सरकार की कृपादृष्टि नहीं

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सौंपे गए एक संयुक्त पत्र में पत्रकार संगठनों ने मंत्री अनुराग ठाकुर से नए मान्यता दिशानिर्देश रद्द करने की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा कि नए दिशानिर्देशों पर सभी हितधारकों के साथ चर्चा होने के बाद ही आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: द वायर)

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सौंपे गए एक संयुक्त पत्र में पत्रकार संगठनों ने मंत्री अनुराग ठाकुर से नए मान्यता दिशानिर्देश रद्द करने की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा कि नए दिशानिर्देशों पर सभी हितधारकों के साथ चर्चा होने के बाद ही आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं.

(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) मान्यता के लिए नए दिशानिर्देशों के खिलाफ पत्रकारों ने शुक्रवार को एक विरोध सभा की और सरकार से इन्हें वापस लेने की मांग की.

विरोध सभा में पारित किए गए एक संकल्प में पत्रकारों ने इस बात का जिक्र किया कि नए दिशानिर्देश हितधारकों से कोई मशविरा किए बगैर तैयार किए गए हैं.

उन्होंने इसकी समीक्षा के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर से सभी हितधारकों की एक बैठक बुलाने की मांग की.

संकल्प में कहा गया है, ‘हम मांग करते हैं कि सरकार इन सीएमएसी (केंद्रीय मीडिया मान्यता समिति) दिशानिर्देशों को रद्द करे, जो 80 के दशक के डिफेमेशन प्रेस बिल के जैसे हैं. साथ ही, सूचना एवं प्रसारण मंत्री को सभी हितधारकों की एक बैठक आयोजित करना चाहिए तथा इन दिशानिर्देशों की मुख्य बातों की नए सिरे से समीक्षा करनी चाहिए.’

इसमें कहा गया है, ‘हमारा कहना है कि मीडियाकर्मियों को मान्यता देना सरकार द्वारा कोई कृपादृष्टि नहीं है. इसके उलट, सरकार संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मीडियाकर्मियों को प्रेस कवरेज की अनुमति देने के लिए संवैधानिक रूप से कर्तव्यबद्ध है.’

संकल्प पारित करने के बाद पत्रकारों ने नए दिशानिर्देशों के खिलाफ प्रेस क्लब ऑफ इंडिया परिसर के पास प्रदर्शन भी किया. बाद में, विभिन्न पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को एक ज्ञापन सौंपा.

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने कहा कि प्रदर्शन को समर्थन देते हुए 200 से अधिक पत्रकारों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया.

विरोध सभा में पारित संकल्प की एक प्रति के साथ मंत्रालय को सौंपे गए एक संयुक्त पत्र में पत्रकार संगठनों ने मंत्री से सीएमएसी दिशानिर्देश 2022 रद्द करने और सभी हितधारकों के साथ चर्चा होने के बाद ही पीआईबी को नए दिशानिर्देश अपनाने का आवश्यक निर्देश जारी करने की अपील की.

पत्र पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, प्रेस एसोसिएशन, इंडियन वुमन प्रेस कोर, वर्किंग न्यूज कैमरामैन एसोसिएशन और दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के अध्यक्षों तथा एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव ने हस्ताक्षर किए हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने मंत्री से दिसंबर तक पिछले मान्यता नियमों को जारी रखने का आग्रह किया और कहा कि हितधारकों और मीडिया निकायों के साथ उचित परामर्श के बाद कोई भी नए दिशानिर्देश तैयार किए जाने चाहिए.

पत्रकार संगठनों ने संयुक्त पत्र में कहा, ‘हम इस बात पर जोर देते हैं कि पीआईबी के लिए नवीनीकरण और नए मान्यता कार्ड जारी करने की मौजूदा प्रक्रिया पर्याप्त है और प्रक्रिया को बाधित करने की कोई आवश्यकता नहीं है.’

केंद्रीय मीडिया मान्यता दिशानिर्देश, 2022 पर आपत्ति जताते हुए, पत्रकार संघो ने कहा, ‘नए दिशानिर्देश ऐसे हैं जो सरकार को बिना किसी प्रक्रिया के शिकायतकर्ता, अभियोजक और एक न्यायाधीश की क्षमता में एक साथ कार्य करने का अधिकार देते हैं.’

पत्रकारों को मान्यता प्रदान करना उन कई सुविधाओं में से एक है जो एक स्वतंत्र लोकतंत्र को अपने मीडिया को प्रदान करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्वतंत्र पत्रकारिता का अभ्यास किया जा सके.

पत्र में कहा, ‘हम पत्रकार संगठन और मीडियाकर्मी आपसे अनुरोध करते हैं कि नए दिशानिर्देशों को तत्काल प्रभाव से वापस ले लें और मौजूदा मान्यता नियमों को दिसंबर 2022 के अंत तक जारी रखें.’

मालूम हो कि इससे पहले विभिन्न पत्रकार संगठनों ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखकर पीआईबी द्वारा मीडियाकर्मियों की मान्यता के लिए हाल ही में जारी किए गए नए दिशानिर्देशों पर आपत्ति जताई थी.

हाल ही में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्र सूचना ब्यूरो की ओर से पत्रकारों की मान्यता के लिए जारी नए दिशानिर्देशों पर अपनी आपत्तियां दर्ज कराते हुए कहा था कि ये अस्पष्ट, मनमाने और कठोर निर्देश सरकारी मामलों की आलोचनात्मक और खोजी रिपोर्टिंग को प्रतिबंधित करने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं.

गौरतलब है कि इस महीने की सात तारीख को घोषित केंद्रीय मीडिया मान्यता दिशानिर्देश-2022 के अनुसार, यदि कोई पत्रकार देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता के खिलाफ काम करता है या नैतिकता या अदालत की अवमानना, मानहानि या किसी अपराध के लिए उकसाने के संबंध में कार्य करता है, तो मान्यता वापस ली जाएगी या निलंबित कर दी जाएगी.

इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि ‘भारत सरकार केंद्रीय मीडिया मान्यता समिति (सीएमएसी) नामक एक समिति का गठन करेगी, जिसकी अध्यक्षता पत्र सूचना आयोग (पीआईबी) के प्रधान महानिदेशक करेंगे और इसमें भारत सरकार द्वारा नामित 25 सदस्य तक हो सकते हैं, जो इन दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित कार्यों का निर्वहन करेंगे.’

सीएमएसी का कार्यकाल दो साल का होगा और वह तीन माह में एक बार या फिर जरूरत के मुताबिक बैठक करेगी.

दिशानिर्देशों में एक मान्यता प्राप्त पत्रकार की मान्यता निलंबित या रद्द करने के संबंध में दस क्लॉज दिए गए हैं. दिशानिर्देशों में यह भी उल्लेख है कि यदि कोई पत्रकार ‘गैर-पत्रकारीय गतिविधियों’ के लिए मान्यता का इस्तेमाल करते हुए पाया जाता/जाती हैं या उन पर कोई ‘गंभीर संज्ञेय अपराध’ दर्ज होता है तो उनकी मान्यता को निलंबित या रद्द किया जा सकता है.

मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश चिंता बढ़ाने वाले इसलिए हैं क्योंकि इनमें ऐसा प्रावधान है कि पत्रकार की मान्यता निलंबित करने या रद्द करने संबंधी फैसला सरकार द्वारा नामित अधिकारी के विवेक पर निर्भर होगा. वह तय करेगा कि भारत की संप्रभुता या अखंडता के लिए क्या अपमानजनक या नुकसानदेह है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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