मोदी ने कहा, हमने विकास की परिभाषा बदली, कांग्रेस बोली- आर्थिक वृद्धि का मौक़ा गंवाया

कांग्रेस ने कहा, भारत की जीएसटी दर दुनिया में सबसे ऊंची, ‘एक देश, एक कर’ का जो सपना था वह आज ‘एक देश, सात कर’ बन गया है.

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New Delhi: Prime Minister Narendra Modi addresses during a function on the occasion of 125th anniversary of Vivekananda's Chicago Address and birth centenary of Deendayal Upadhyay in New Delhi on Monday. PTI Photo by Shahbaz Khan (PTI9_11_2017_000061A)

कांग्रेस ने कहा, भारत की जीएसटी दर दुनिया में सबसे ऊंची, ‘एक देश, एक कर’ का जो सपना था वह आज ‘एक देश, सात कर’ बन गया है.

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शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर पहुंचे. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: नोटबंदी और जीएसटी के चलते आर्थिक सुस्ती को लेकर सरकार और विपक्ष में ठनी हुई है. भाजपा के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं की तरफ से आलोचना झेल रही सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मोर्चा संभाल लिया है. प्रधानमंत्री का कहना है कि कुछ लोग सिर्फ निराशा फैला रहे हैं. ऐसा करने में उनको मजा आता है.

चुनावी मोर्चे पर गुजरात पहुंचे प्रधानमंत्री ने शनिवार को राजकोट में विपक्षियों और आलोचकों को निशाने पर लिया. सरकार की आलोचनाओं पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले एक मोहल्ले में हैंडपंप लगाना विकास होता था, लेकिन हमने विकास की परिभाषा बदल कर उसे लोगों की आशा-आकांक्षाओं और खुशहाली से जोड़ने का काम किया है.

दूसरी ओर विपक्षी दलों की ओर से केंद्र सरकार पर आर्थिक नीतियों को लेकर लगातार हमले किए जा रहे हैं. कांग्रेस ने शनिवार को मोदी सरकार को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था को कथित तौर पर ठीक से लागू नहीं करने पर आड़े हाथों लिया. पार्टी ने कहा कि जीएसटी के जरिये देश को आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर लाने का मौका सरकार ने गंवा दिया. पार्टी के अनुसार जीएसटी ‘बेहतर और सरल कर’ होना चाहिए न कि यह ‘पूरी तरह से डरावना कर’ होना चाहिए.

विपक्षी आलोचना पर मोदी का तंज

विकास की अवधारणा पर कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों की आलोचनाओं पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को कहा कि पहले एक मोहल्ले में हैंडपंप लगाना विकास होता था लेकिन हमने विकास की परिभाषा बदल कर उसे लोगों की आशा-आकांक्षाओं और खुशहाली से जोड़ने का काम किया है.

चोटिला में ग्रीलफील्ड हवाई अड्डे का शिलान्यास करते हुए प्रधानमंत्री ने यहां एक जनसभा में लोगों से सीधा सवाल किया, ‘क्या विकास जरूरी है? क्या विकास से जीवन में बदलाव आता है? क्या विकास से उनकी संतान का जीवन बदल रहा है? लोगों ने इसका जवाब हां में दिया.’

मोदी ने कहा, ‘आज गरीब से गरीब आदमी से पूछो; जिसके पास घर नहीं है, उनसे पूछो कि क्या घर चाहिए? वह कहेगा कि घर चाहिए और अगर किसी को घर देना है, तब यह विकास के जरिये ही संभव है.’

उन्होंने कहा कि पहले जब भाजपा की सरकार नहीं थी तब हैंडपंप लगाना विकास की परिभाषा में आता था. किसी नेता ने किसी मोहल्ले में एक हैंडपंप लगा दिया और फिर दो-तीन चुनाव तक लोगों से इसी आधार पर चुनाव जिताने का आग्रह करता रहता था.

मोदी ने कहा कि हमने विकास की परिभाषा बदलने का काम किया है. हम नर्मदा का पानी इस क्षेत्र में पाइपलाइन के जरिये लाए हैं. नर्मदा का पानी इस सूखी धरती को नंदन वन बनाने का काम कर रही है. इसका सकारात्मक प्रभाव सिर्फ ग्रामीण और कषि क्षेत्र में ही नहीं हो रहा है बल्कि आने वाले दिनों में नर्मदा के पानी के कारण यह औद्योगिक केंद्र के रूप में उभरेगा, शिक्षा का धाम बनेगा.

मोदी ने अपनी दो दिन की गुजरात यात्रा के दौरान एक सिग्नेचर ब्रिज परियोजना और द्वारका में चार राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य परियोजनाओं का शिलान्यास किया.

जीएसटी ‘बेहतर और सरल’ होना चाहिए न कि डरावना

कांग्रेस ने शनिवार को मोदी सरकार को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था को ठीक से लागू नहीं करने पर आड़े हाथों लिया. पार्टी ने कहा कि जीएसटी के जरिये देश को आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर लाने का मौका सरकार ने गंवा दिया. पार्टी के अनुसार जीएसटी ‘बेहतर और सरल कर’ होना चाहिये न कि यह ‘पूरी तरह से डरावना कर’ होना चाहिए.

कांग्रेस की मीडिया एवं संचार विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा देश में जीएसटी आम आदमी और किसानों तथा कपड़ा क्षेत्र को कोई भी राहत पहुंचाने में नाकाम रहा है. ये क्षेत्र देश में सबसे बड़े रोजगार प्रदाता हैं.

‘सरकार पूरी तरह से घमंड में चूर है’

सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘जीएसटी को पूरी तरह से डरावना कर नहीं होना चाहिए बल्कि यह एक अच्छा और सरल कर होना चाहिए.’

सुरजेवाला ने सरकार पर ‘अनाड़ी और अदूरदर्शी’ होने का आरोप लगाया जो कि ‘पूरी तरह से घमंड में चूर है.’ उन्होंने कहा कि इस सरकार ने ‘अकुशलता और मुद्दों की पूरी समझ नहीं होने’ के चलते देश को तीव्र वृद्धि के रास्ते पर लाने का सुनहरा मौका गंवा दिया.

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह सच्चाई है कि भारत की जीएसटी दर दुनिया में आज सबसे ऊंची है और इसके जरिये ‘एक देश, एक कर’ का जो सपना था वह आज ‘एक देश, सात कर’ बन कर रह गया है.

लोगों को जो राहत मिलनी चाहिए थी वह कहां है?

सुरजेवाला ने सवाल किया, लोगों को जो राहत मिलनी चाहिए थी वह कहां है? उन्होंने कहा लोगों को वास्तविकता चाहिए, खुश करने वाले शब्द नहीं.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरुण जेटली आम आदमी को राहत पहुंचाने की बात भूल चुके हैं. वह सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने वाले दो क्षेत्रों कृषि और कपड़ा क्षेत्र को राहत नहीं पहुंचा पाए हैं. ये दोनों ही क्षेत्र इस समय गंभीर संकट में हैं.

सुरजेवाला ने कहा कि घबराई हुई मोदी सरकार अपने फौरी फैसलों से अपने ही जाल में उलझती नजर आ रही है और उसने अपनी अकुशलता के चलते उसने बेहतर अवसर गंवा दिया.

‘अच्छे मौके आपदा में बदल दिया’

सुरजेवाला ने कहा कि नोटबंदी से जो ‘भारी नुकसान’ हुआ था उसके बाद जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण कर सुधार को लागू करने के जरिये देश के सकल घरेलू उत्पाद में संभावित दो प्रतिशत वृद्धि को जो ‘अच्छा मौका’ मिला था सरकार ने अपनी अयोग्यता के चलते उसे ‘आपदा’ में बदल दिया.

सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस की संप्रग सरकार ने जिस जीएसटी विधेयक को पेश किया था उसका मकसद और दिशा देश में एक एकल, पारदर्शी और सरल कर व्यवस्था को लागू करना था जिससे कि दामों में कमी आए.

लोगों के सामने ‘अभिमानी’ शासक असहाय हो गए: शिवसेना

जीएसटी में सरकार की ओर से दी गई राहत को लेकर अपने सहयोगी दल भाजपा के उत्साह को साझा करने से इंकार करते हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि कर प्रणाली में बदलाव लाने के लिए केंद्र बाध्य था, क्योंकि ‘लोगों की शक्ति के सामने अभिमानी शासकों के पास कोई चारा नहीं था.’

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि करों के बोझ के कारण देश परेशान था. उन्होंने कहा, ‘अभिमानी शासकों को लोगों की शक्ति के सामने झुकना पड़ा.’

सरकार ने लोगों को लूट लिया

उन्होंने कहा, ‘वे (सरकार) लोगों के अंदर आग महसूस कर असहाय हो गए. जीएसटी में कटौती के बाद सरकार को आम लोगों के लिए कुछ करना चाहिए.’ शिवसेना नेता ने कहा कि सरकार को मुद्रास्फीति, ईंधन की कीमतों में कमी लानी चाहिए और लोड शेडिंग रोकनी चाहिए.

ठाकरे ने कहा कि दिवाली नजदीक है, जब लोग लक्ष्मी पूजा करते हैं. लेकिन लोगों के पास लक्ष्मी (पैसे) कम ही रह गई हैं क्योंकि केंद्र ने उन पर कई कर लगाकर उन्हें ‘लूट’ लिया है.

उन्होंने सवाल किया, ‘आपने ऊंची दरें क्यों तय कीं जब आपको बाद में इसे कम करना था? क्या आप इतने दिनों में लोगों से एकत्र अतिरिक्त राशि उन्हें लौटाएंगे?’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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